शुक्रवार, 10 जून 2011

अगर सूचना नहीं दी तो जुर्माना 1000 रू. आप पर और कंपनियों पर 5000 य. रोजाना का दंड : सांख्यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 को अधिसूचित

सरकार ने सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 के तहत सांख्‍यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 को अधिसूचित किया

संसद द्वारा 7 जनवरी, 2009 को सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 बनाया किया गया था । यह 11 जून, 2010 से लागू हुआ । यह अधिनियम बनने से सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 1953 निरस्‍त हो गया । अधिनियम की नियमावली अर्थात सांख्‍यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 को 16 मई, 2011 को अधिसूचित किया गया ।

सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 की कतिपय मुख्‍य विशेषताएं तथा इसके अंतर्गत बनाए गए नियम निम्‍नानुसार हैं -

इस अधिनियम में न सिर्फ औद्योगिक तथा वाणिज्‍यिक प्रतिष्‍ठानों बल्‍कि व्‍यक्‍तियों और परिवारों से भी आर्थिक, जनसांख्‍यिकी , सामाजिक, वैज्ञानिक तथा पर्यावरण पहलुओं से जुड़ी सांख्‍यिकी संग्रहीत करने का प्रावधान है ।

केन्‍द्र /राज्‍य सरकारों, संघ शासित प्रदेश प्रशासनों तथा पंचायतों एवं नगर पालिकाओं जैसे स्‍थानीय शासन को किसी भी प्रकार की सांख्‍यिकी का संग्रहण करने का अधिकार दिया गया है । इनमें से कोई भी आंकड़ा संग्रहण के प्रत्‍येक विषय के लिए /अथवा प्रत्‍येक भौगोलिक इकाई के लिए सांख्‍यिकी अधिकारी को नियुक्‍त कर सकता है ।

सर्वेक्षणों की द्विरावृत्‍ति एक चिंताजनक विषय रहा है, क्‍योंकि इससे न सिर्फ सर्वेक्षण कार्य से संबंधित संसाधनों का अपव्‍यय होता है बल्‍कि इससे विरोधाभासी सांख्‍यिकी भी तैयार होने लगती है । यह अधिनियम केन्‍द्र सरकार को द्विरावृत्‍ति रोकने के लिए नियम बनाने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई नियमावली में केन्‍द्र तथा प्रत्‍येक राज्‍य /संघ शासित प्रदेश में नोडल अधिकारी नामित करने का प्रावधान है । नोडल अधिकारी संबंधित मंत्रालयों को अनावश्‍यक द्विरावृत्‍ति रोकने के बारे में कदम उठाने का सुझाव देता है ।

इस अधिनियम में मौखिक साक्षात्‍कार तथा इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से रिटर्न भरने के साथ-साथ आंकड़ा संग्रहण की समस्‍त पद्धतियों का प्रावधान है ।

इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी सूचनादाता द्वारा प्रदान की गई सूचना का प्रयोग इस अधिनियम के अंतर्गत अभियोजन अथवा सांख्‍यिकीय प्रयोजन के अलावा और किसी कार्य के लिए नहीं किया जा सकता है । दूसरे शब्‍दों में, अन्‍य किसी भी कानून के तहत अभियोजन के लिए संग्रहीत सूचना का प्रयोग साक्ष्‍य के रूप में नहीं किया जा सकता है ।

यह अधिनियम सूचना देने से मना करने अथवा इसकी उपेक्षा करने पर दंड का प्रावधान करता है । व्‍यक्‍तियों के लिए दंड 1000 रूपए तक का है (कंपनियों के मामले में 5000 रूपए है ) ।

इससे भी महत्‍वपूर्ण बात यह है कि, इस अधिनियम के अंतर्गत सूचना देने की बाध्‍यता किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध हो जाने के बाद भी समाप्‍त नहीं हो जाती । यदि संबंधित व्‍यक्‍ति दोष सिद्धि की तिथि से 14 दिन पूरे होने के बाद भी सूचना देने से मना करता है अथवा इसकी उपेक्षा करता है, तो उस पर प्रथम दिन को छोड़कर तब तक आगे और 1000 रूपए (कंपनियों के मामले में 5000 रूपए) प्रतिदिन के जुर्माने का दंड लगाया जा सकता है, जब तक कि वह सूचना प्रदान नहीं कर देता ।

इस अधिनियम तथा इसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली में आंकड़ों का संग्रहण आऊटसोर्सिंग द्वारा कराए जाने के मामले में संग्रहीत आंकड़ों के लिए पर्याप्‍त गोपनीयता तथा उचित सुरक्षा का प्रावधान है । इस अधिनियम के अंतर्गत किसी व्‍यक्‍ति से प्राप्‍त सूचना को व्‍यक्‍ति के पहचान संबंधी विवरण को बिना छुपाए प्रकट करने की अनुमति नहीं है ।

किए गए अपराध के लिए अधिनियम के अंतर्गत अभियोजन संक्षिप्‍त विचारण के रूप में किया जाएगा ।

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