सोमवार, 27 जून 2011

फुस्स फटाखा रामदेव और खोखले बांस से मेरा टेसू झईं अड़ा का सुर आलापते अन्ना

फुस्स फटाखा रामदेव और खोखले बांस से मेरा टेसू झईं अड़ा का सुर आलापते अन्ना

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

भाग-1

अभी फेसबुक पर अन्ना और रामदेव कांडों के सारे सिलसिले चलते कुछ मजेदार रोचक बातें जहॉं उभर कर सामने आयीं वहीं देश का नेतृत्व संभाल रहे जिम्मेवार आला नेताओं के भी जोरदार बयान आये, बयान युद्ध से लेकर अनशन संग्राम तक इस देश को पूरा एक लाइव टी.वी. सीरीयल देखने को मिला, देश ने बड़ी तसल्ली से पूरा टी.वी. सीरीयल देखा, सारे पात्रों की गजब की एक्टिंग भी देश ने देखी, सेंसर्ड सीन भी देखे तो अनसेंसर्ड भी जमकर देखा । हॉट बदनाम मुन्नी , हॉट शीला की जवानी भी देखने में आयी तो हॉट आइटम बॉय भी खूब देखने को मिले, कुल मिला कर मल्टी कास्ट मल्टी स्टार मल्टी मसाला फिल्म जनता को फोकट में देखने को मिली, जिसका हर सीन हर पल रोमांच और रोमांस से भरपूर फुल सस्पेन्स से रचा सना था ।

इधर अन्ना ने अपनी तुरही जंतर मंतर पर फूंकी उधर व्यायाम गुरू रामदेव का तन मन डोलने लगा और तमन्नायें बल्ली बल्ली उछल कर अंगड़ाईयां मारने लगीं । पूरी तरह बर्फ में लगी भाजपा को तलाशे तलाशे कोई मुद्दा नहीं मिल रहा था उसके हाथ भी जैसे अलाउद्दीन का चिराग लग गया और लगी दनादन घिसने कि ओये जिन्न निकल, ओये जिन्न निकल , इस सबके दरम्यां केन्द्र सरकार के पहलवान एक एक कर अखाड़े में उतरते रहे और बिना कपड़े उतारे बल ठोकते रहे, कुल मिला कर नतीजा ये निकला कि अन्ना के पहले आंदोलन पर गिड़गिड़ा कर नतमस्तक हुये केन्द्र सरकार के पहलवानों ने चारों खाने चित्‍त होकर सारे अखाड़े का ऐसा तिया पांचा एक किया कि वो भूल गये कि वे सरकार हैं ।

भूल गये कि देश में संसद कहीं है, उन्हें ख्याल ही नहीं रहा कि जंतर मंतर पर जो हो रहा है वो इस देश के लिये , इस देश के संविधान के लिये, लोकतंत्र के लिये खुला चैलेंज है, देश में एक बागी जंतर मंतर पर अपने गिरोह को लेकर देश के लोकतंत्र को, देश की संसद को, भारत की जनता द्वारा चुनी गयी संसद को और सरकार को खुली बगावत कर खुली चुनौती दे रहा है, इससे देश का समूचा संसदीय लोकतंत्र, समूची संवैधानिक व्यवस्था और देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा, सरकार ने उसकी और उसके गिरोह की मांगें मान लीं । एक साझा मसौदा समिति गठित कर डाली, अब यह साझा मसौदा समिति किस कानून के तहत या संविधान के किस अनुच्छेद के तहत गठित हुयी ये देश में किसी को भी नहीं पता यहॉं तक कि खुद सरकार को भी नहीं पता ।

सरकार के इस कदर नैतिक रूप से गिरते ही राजनीतिक सपने और ख्‍वाबों में खोये व्यायाम बाबा की तमन्नाओं को पंख मिल गये और एक ऊंची राजनीतिक परवाज की ओर उनका दिल मचलने लगा, रामदेव की इस हवाई परवाज में आर.एस.एस. और भाजपा ने जम कर हवा भर दी, रामदेव फूल कर गुब्बारा हो गये ।

पूरी सुनियोजित योजना के तहत रामदेव ने दिल्ली में अपना आलीशान 5 स्टार तम्बू रामलीला मैदान में सजा दिया और बाबा का ढाबा का बोर्ड मीडिया ने टांग दिया, बाबा फूल फूल कुप्पा हुये जा रहे थे, मीडिया भाजपा और आर.एस.एस. बाबा की सारी पंक्चर भूल भुला कर दनादन पंपिंग मार मार कर हवा भरने में लगा था , बाबा ने रणनीति के तहत सरकार से बात शुरू की अनपेक्षित रूप से सरकार ने बाबा की सारी मांगें मान लीं और 500 या 1000 के नोट बंद किये जाने की मांग अव्यवाहारिक होने से बातचीत से बाहर कर दी, अब कायदा यह कहता था कि रामदेव समस्या उठाने के साथ समाधान भी साथ लेकर जाते और अपना समाधान सरकार को सुझाव के रूप में सौंपते , मगर रामदेव के पास केवल समस्यायें थीं, समाधान कोई नहीं था ।

कालेधन की बात करते करते रामदेव भूल गये कि जिस काले धन का जिकर वे कर रहे हैं वह धन है कहॉ वो तो खुद रामदेव को भी नहीं पता, फिर भी रामदेव बोले कि 400 लाख करोड़ का कालाधन है जो विदेश में जमा है, रामदेव से सरकार पूछना भूल गयी कि रामदेव ये जो 400 लाख करोड़ धन है जिसका तुम्हें पता है और हमें नहीं पता, जरा उसका पता तो दो कि वह किस बैंक में किस किस खाते में किस किस देश में जमा है जरा खाते नंबर और बैंक का नाम एवं देश का नाम तो बताओ तो लाओ हम कल से ही पड़ताल शुरू करते हैं और कालाधन वापस लाते हैं , सरकार की इस मूर्खता भरी चूक का बहुतों ने फायदा उठाया और सबने कालेधन के बारे में अपने अपने मनगढ़न्त आंकड़े बताने शुरू कर दिये कोई बोला 3000 करोड़ है कालाधन तो कोई बोला कि 50 हजार करोड़ रूपये का कालाधन है .....

क्रमश: जारी .. अगले अंक में                     

 

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