शनिवार, 5 दिसंबर 2009

तानसेन समारोह से समृध्द भारतीय संगीत परंपरा के दर्शन होते हैं- श्री संवत्सर

तानसेन समारोह से समृध्द भारतीय संगीत परंपरा के दर्शन होते हैं- श्री संवत्सर 

न्यायाधिपति श्री संवत्सर द्वारा गरिमामयी कार्यक्रम में प्रतिष्ठापूर्ण तानसेन समारोह का शुभारंभ

ग्वालियर 4 दिसम्बर 09। संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में हर वर्ष ग्वालियर में आयोजित होने वाले हिन्दुस्तान संगीत के प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन ''तानसेन संगीत समारोह'' का शुभारंभ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ के न्यायाधिपति श्री सुभाष संवत्सर ने आज शाम ú संगीत के महान मनीषी तानसेन समाधि परिसर में आयोजित हुए गरिमामयी कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलित कर किया। शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए श्री संवत्सर ने कहा कि तानसेन समारोह में संगीत कलाकार अपनी कला विखेर कर संगीत के क्षेत्र में समृध्द भारतीय संस्कृति के  दर्शन कराते है। उन्होंने कहा संगीत क्षेत्र के किंवदंती पुरूष तानसेन की याद में विगत 85 वर्षों से यह सुप्रतिष्ठित संगीत समारोह अनवरत रूप से अपनी यात्रा जारी रखे हुए है। इस समारोह के माध्यम से देश के जाने माने  संगीत साधकों द्वारा संगीतान्जलि अर्पित की जा रही है। तानसेन समारोह देश के कलाकारों के कलाबोध, सृजन और कौशल में वृध्दि का वाहक भी बन रहा है।

       इस अवसर पर राज्य शासन की अपर मुख्य सचिव एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती आभा अस्थाना, जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, संस्कृति विभाग के संचालक श्रीयुत श्रीराम तिवारी व उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी भोपाल के निदेशक श्री उल्हास तेलंग मंचासीन थे। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री ए. सांई मनोहर, नगर निगम आयुक्त डॉ. पवन शर्मा, अपर कलेक्टर श्री आर के. जैन व आयोजन समिति के सदस्यगण तथा संगीत रसिक मौजूद थे।

      न्यायाधिपति श्री सुभाष संवत्सर ने कहा कि ग्वालियर हमेशा संगीत के शहर के नाम से जाना जाता रहा है। यहां तानसेन और मोहम्मद गौस से लेकर महान संगीतकारों की वर्तमान पीढ़ी के श्री अमजद अली खां जैसे महान संगीतकार ग्वालियर की माटी ने देश को दिये हैं। ग्वालियर अंचल का बेहट गांव संगीत सम्राट तानसेन की जन्मभूमि हैं। श्री सवत्सर ने इस समारोह में भाग लेने आये संगीत कलाकारों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने इस आयोजन के लिये कार्यक्रम के आयोजकों को भी बधाई दी।

      आरंभ में संस्कृति विभाग के संचालक श्रीयुत श्रीराम तिवारी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि पिछले सैकड़ों वर्षों से सांगीतिक आकाश में सूर्य की तरह दीप्तिमान तानसेन के स्मरण में तानसेन समारोह का निरंतर आयोजन कर मध्यप्रदेश शासन स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है। देश के महान संगीतज्ञ, गायक, वादक अपनी साधना से इस समारोह को तेजोमय बनाते रहे हैं। इसी वजह से तानसेन समारोह भारतीय सांगीतिक संसार का एक श्रध्दास्पद आयोजन है। उन्होंने इस समारोह में पधारे सभी कलाकारों तथा रसिकजनों का अभिनंदन किया। शुभारंभ समारोह के अंत में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी भोपाल के निदेशक श्री उल्हास तेलंग ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

      तानसेन समारोह की प्रथम संगीत सभा की शुरूआत स्थानीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं द्वारा चार तानपूरों के साथ ध्रुपद में प्रस्तुत माँ शारदे के गायन से हुई। इसके पश्चात शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पंडित भीमसेन जोशी के सुपुत्र श्रीयुत श्रीनिवास जोशी के गायन की प्रस्तुति हुई। आई आई टी. दिल्ली से बी टेक. की उपाधि प्राप्त श्रीयुत श्रीनिवास जोशी ने अपने पिता और माता स्व. श्रीमती वत्सला बाई जोशी से  पारंपरिक गुरूकुल पध्दति से संगीत का गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। श्रीयुत श्रीनिवास जोशी के गायन में अपने पिता पंडित भीमसेन जोशी की गायकी की झलक स्पष्ट सुनाई दे रही थी। उनकी गायकी से संगीत रसिक मंत्रमुग्ध हो गये।

तानसेन समारोह में आज

      संगीत समारोह के दूसरे दिन 5 दिसम्बर को द्वितीय संगीत सभा में सुश्री मुग्धा भट्ट सामंत रत्नागिरि का गायन, श्री राजेन्द्र प्रसन्ना दिल्ली का शहनाई वादन, श्री सुरिन्दर सिंह, नई दिल्ली का गायन होगा। आरंभ में शंकर गंधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर का ध्रुपद गायन होगा। तृतीय सांयकालीन सभा में 5 दिसम्बर को सभा की शुरूआत श्री महारूद्र मण्डल संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इस सभा में  सुधाकर देवल उज्जैन का गायन, श्री विजय घाटे, मुंबई का तबला वादन (एकल) व श्री राजशेखर मंसूर, धारवाड़ का गायन होगा।  

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