मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

ग्‍वालियर चम्‍बल का पर्यटन और म.प्र. पर्यटन पर फिल्‍म

ग्‍वालियर चम्‍बल का पर्यटन और म.प्र. पर्यटन पर फिल्‍म

आजकल टीवी चैनलों पर कार्यक्रमों के बीच एक एड फिल्म नजर आती है। साठ सैकेण्ड की यह फिल्म अजब एमपी की गजब विशेषताओं के किस्से बयां करती है। दरअसल यह मप्र पर्यटन विकास निगम के ताजा कैम्पेन 'अजब मध्यप्रदेश-गजब मध्यप्रदेश' के जरिए पर्यटकों और सैलानियों को लुभाने का हिस्सा है। विज्ञापन की दुनियां में मशहूर पीयूष पांडे ने तैयार किया है। पीयूष पांडे अपनी मौलिक सृजनात्मक क्षमता और प्रयोग धर्मिता के लिए जाने जाते है। एमपी अजब है भी हर किसी को मध्यप्रदेश के गजब होने की कहानी सुनने के लिए बाध्य करती है। मप्र में पर्यटन को प्रमोट करने के लिए तैयार इस एड फिल्म को देखकर लगता है कि एमपी वाकई गजब है। मप्र पर्यटन विकास निगम ने इससे पहले भी देश का दिल्ल देखो एड तैयार कराया था। बाजारीकरण के इस दौर में गुणवत्ता और विश्वसनीयता को भी कसौटी पर खरा उतारना पड़ता है और वह भी तब जबकि गलाकाट स्पर्धा हो। एक से बढ़कर एक में से किसी एक को चुनना वाकई कठिन होता है और इस चुनाव को आसान बनाने के लिए ही मार्केटिंग की जाती है। बाजार और लोगों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए पर्यटन निगम का कैम्पेन जरूरी है। पर्यटकों को देश के इस हृदय प्रदेश में आकर्षित किए जाने के मप्र पर्यटन निगम के इस तरह के प्रयासों का फायदा भी मिला है। ऐतिहासिक धरोहरों, संस्कृति की विविधताओं और पुरा सम्पदाओं की बहुलता के बावजूद मध्यप्रदेश पर्यटकों को आकर्षित करने में अन्य रायों के मुकाबले काफी पीछे है। बेहतर मार्केटिंग से इस दाग को दूर किया जा सकता है। ढेरों पर्यटक स्थलों के बावजूद प्रदेश में ऐसे तमाम पर्यटन स्थल हैं जहां पयटकों की पहुंच नहीं है। अगर पहुंच है तो रहने और खाने सहित बुनियादी सुविधाएं नहीं है। पर्यटन खुद में एक उद्योग है जो बगैर मशक्कत किए रोजगार की संभावनाएं पैदा करता है और रोजगार मुहैया भी कराता है। जरूरत प्रदेश के पर्यटन स्थलों तक पहुंच और भी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की है। ग्वालियर-चम्बल अंचल में समेत प्रदेश के कुछ हिस्सों में पर्यटकों की असुरक्षा भी चिंताजनक पहलु है। पर्यटक बगैर खतरे के घूम-फिर सके, इसकी चिंता की जिम्मेदारी राय सरकार की है।

 

कोई टिप्पणी नहीं: