शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

विश्व नेतृत्व भारत करेगा किंतु देश को जरूरत है एक फौलादी इरादों और दूरदृष्टि से युक्त सृजनशील नेतृत्व की- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''

विश्व नेतृत्व भारत करेगा किंतु देश को जरूरत है एक फौलादी इरादों और दूरदृष्टि से युक्त सृजनशील नेतृत्व की
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
वि‍श्‍व नेतृत्व और भारत (भाग-1)
आज देश के सामने बार बार एक प्रश्न उभर कर सामने आ रहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में भारत का नेतृत्व आखिर किसे संभालना चाहिये, कौन वो बेहतरीन शख्स है जो वर्तमान समस्याओं के झंझावात से देश को तुरंत बाहर निकाल कर विकास के सुनहरे पथ पर आगे बढ़ा सकता है । अनेक नाम समय समय पर राजनीतिक दल एवं सामाजिक क्षेत्रों द्वारा सुझाये जाते हैं परंतु सवाल ये है कि इन सबमें एक बेहतरीन नेतृत्व कौनसा है ।
कैसा हो भारत का भावी नेतृत्व
भारत के भावी नेतृत्व के पास तमाम गुणों का संचय होना आवश्यक है, केवल राजनीतिक पथ पर सफल सफर करते आ रहे और चुनावों को जीतते आ रहे राजनेता को इस नेतृत्व के काबिल नहीं माना जा सकता । नेतृत्व एक कुशल प्रशासनिक क्षमता और दृढ़ संगठनात्मक क्षमता का नाम है, जो कि अधिकांश नेताओं में उपलब्ध नहीं है ।
भारत का नेतृत्व निसंदेह ऐसे सबल हाथों में होना चाहिये जो बहुत आगे की और कई साल आगे की सोच रखता हो और उसकी हर सोच की बुनियाद भारत के प्राचीनतम गौरवशाली इतिहास और संस्कृति से होकर आती हो । दुर्भाग्यवश भारत के पास आज तक ऐसे नेताओं का अभाव है जो भारत के प्राचीनतम इतिहास एवं संस्कृति की बुनियादों से नवीनतम अत्याधुनिक व बहुत आगे तक की सोच रखते हों । अफसोस जनक बात यह है कि आज के दौर में चमकते दमकते नाम वाले राजनेताओं में तकरीबन हर नेता किसी न किसी दायरे में बंधा हुआ है एक संकीर्ण वैचारिक और मानसिक घेरे में कैद है ।
इन राजनेताओं के पास निसंदेह भारत की वर्तमान समस्याओं का न तो इलाज है और न देश को आगे ले जाने की क्षमता ।
आज जब समूचा विश्व भारत की ओर विश्व का नेतृत्व करने की गुहार टकटकी लगा कर कर रहा है ऐसी सूरत में भारत की महानतम मानसिक, आध्यात्मिक , सांस्कृतिक ऐतिहासिक सृजनात्मक शक्ति ही केवल समूचे विश्व का तेजमयी नेतृत्व कर सकती है ।
इसमें कोई शक ही नहीं भारत में वह क्षमता है जो समूचे विश्व को एक झटके में संकट से बाहर निकाल कर विश्व बंधुत्व एवं ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत के रूप में विकसित कर सकता है । मगर अफसोस यह है कि आज के भारत में हमें कोई नेता दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा जो भारत की इस असल शक्ति से युक्त हो विश्व नेतृत्व की चुनौती स्वीकार कर सके ।
क्रमश: जारी रहेगा अगले अंक में  


कोई टिप्पणी नहीं: