भ्रष्टाचार से निपटने और नागरिकों को तय समय पर सेवाएं प्रदान करने के लिए ऐतिहासिक विधेयक लाए गए
वार्षिक समीक्षा
कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय
कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने भ्रष्टाचार से निटपने और नागरिकों को तय समय पर सेवाएं प्रदान करने के लिए ऐतिहासिक विधेयक पेश किए। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों को जवाबदेह बनाने के भी उपाय किए गए। मंत्रालय की वर्ष के दौरान प्रमुख पहल/उपलब्धियां इस प्रकार हैं :
लोकपाल विधेयक-2011
सरकार ने लोकसभा में लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 2011 पेश किया। इसका उद्देश्य केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्तिकरना है। प्रस्तावित स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय, लोकपाल और लोकायुक्त के पास आरंभिक जांच के लिए निरीक्षण और निर्देश देने, जांच के लिए प्रेरित करने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए किसी कानून के अंतर्गत दर्ज शिकायतों के संबंध में जुर्म के निष्पादन का अधिकार होगा। विधेयक में केन्द्र और राज्यों के लिए एक समान सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी खाका तैयार करने का प्रावधान है। विधेयक में जांच को मुकदमे से अलग करने और दक्षता और विशेषज्ञता का दायरा बढ़ाने में हितों के टकराव को दूर करना शामिल है।
शिकायत निवारक विधेयक-2011
सरकार ने तय समय पर सेवाएं प्रदान करने और नागरिकों की शिकायतें दूर करने के लिए नागरिक अधिकार विधेयक 2011 हाल ही में संसद में पेश किया। विधेयक के अंतर्गत्प्रत्येक नागरिक प्राधिकार को एक सिटीजन चार्टर प्रकाशित करना होगा, जिसमें माल की आपूर्तिकी श्रेणी का विस्तृत विवरण देना होगा, नियत समय की जानकारी देनी होगी जिसमें माल की आपूर्तिकी गयी या सेवाएं दी गयी और नागरिकों से प्राप्त शिकायतों के बारे में पूछताछ करने और उसे दूर करने के लिए सभी जन प्राधिकारों में शिकायत निवारण अधिकारियों (जीआरओ) की नियुक्तिका प्रावधान है। विधेयक में जीआरओ के फैसले और माल और सेवाएं प्रदान करने के लिए नामजद अधिकारी के अपने काम में विफल रहने की स्थितिमें जुर्माना लागू करने के फैसले के खिलाफ अपीलों के लिए राज्य लोक शिकायत निवारण आयोग और केन्द्रीय लोक शिकायत निवारण आयोग के गठन का प्रावधान है। निचले स्तर पर नियुक्त अधिकारी के पास जिला और उप जिला स्तर पर अधिकतर शिकायतों को दूर करने का अधिकार होगा।
विदेशों में रिश्वतखोरी विधेयक
विदेशों में सार्वजनिक अधिकारियों और सार्वजनिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अधिकारियों के रिश्वत लेने से रोकने संबंधी विधेयक 2011 को संसद के मानसून सत्र में पेश किया गया और इस समय यह विभाग की संसद की स्थाई समितिके समक्ष है। प्रस्तावित कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति'जो विदेश में विधायी, कार्यकारी, प्रशासनिक या न्यायिक अधिकारी के पद पर है' यदिउसे भारत में ठेका प्राप्त करने के लिए रिश्वत लेते हुए या देते हुए पाया जाता है तो उसे भारत में सात साल की सजा दी जाएगी। प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत इस तरह के अपराधों के लिए 'उकसाने' को भी अपराध माना जाएगा।
भ्रष्टाचार से निपटने के लिए मंत्रियों का समूह
सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के उपायों पर विचार करने के लिए जनवरी 2011 में मंत्रियों के एक समूह का गठन किया। मंत्री समूह ने अपनी पहली रिपोर्ट दे दी है जिसे सरकार ने कुछ मामूली बदलाओं के बाद स्वीकार कर लिया है। स्वीकृत सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार ने कदम उठाया है।
समूह ए केन्द्रीय सेवा अधिकारियों के आईपीआर सार्वजनिक
सरकार ने फैसला किया किप्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के लिए अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों और संगठित समूह ए केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारियों की 01 जनवरी, 2011 तक की अचल संपत्तिके वार्षिक ब्यौरे सार्वजनिक किया जाए।
केन्द्रीय लोक सेवा/पदों के सभी सदस्यों के लिए सतर्कता की मंजूरी के बारे में दिशा निर्देशों में संशोधन किया गया है। किसी अधिकारी को सतर्कता को मंजूरी नहीं दी जाएगी अगर वह पिछले वर्ष के लिए अपनी वार्षिक अचल संपत्तिका ब्यौरा अगले वर्ष 31 जनवरी तक नहीं देता।
जन शिकायतें
प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग ने वर्ष के दौरान जन शिकायतों को दूर करने के संबंध में कुछ प्रमुख कदम उठाए हैं। सेवोत्तम तैयार किया गया और प्रकाशित किया गया। इसके अलावा सेवोत्तम को लागू करने के लिए दिशा निर्देश सितम्बर में तैयार किए गए। ये दस्तावेज विभाग की वेबसाइट www.darpg.gov.in पर भी उपलब्ध है। केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों/और राज्य सरकारों में केन्द्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली को मजबूत करने के लिए वर्ष के दौरान अनेक कदम उठाए गए हैं :
· सरकार के 62 मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
· प्रणाली से जुड़े फील्ड अधिकारियों की संख्या बढ़ाकर 1500 से 6000 कर दी गयी।
· स्थानीय भाषा के साथ अंतराफलक स्थापित किया गया और राजस्थान सरकार ने इसे व्यवहारिक बनाया। राज्य के मुख्य मंत्री ने इस प्रणाली का उद्घाटन किया।
सेवोत्तम के लिए क्षमता निर्माण के बारे में कार्यशाला
केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों के लिए क्षमता निर्माण के बारे में दो कार्यशालाएं और सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए दो कार्यशालाए आयोजित की गयीं। सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार दिए गए। इनमें चण्डीगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली, तमिलनाडु में कार्यकलाप आधारित ज्ञान, गुजरात में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, कर्नाटक में आईसीडीएस, केरल में ग्राम पंचायत का सिटीजन चार्टर, निगम मामलों के मंत्रालय में एमसीए 21, प्रारंभिक शिक्षा में जवाबदेही, सीबीडीटी में सेवोत्तम और सीबीईसी में सेवोत्तम शामिल है। चार कार्यशालाओं में कुल मिलाकर केन्द्र, राज्य/केन्द्रशासित प्रशासन के 450 अधिकारियों ने भाग लिया।
सरकारी कार्यालयों का आधुनिकीकरण
वर्ष के दौरान प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए 9 मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों के लिए 6.50 करोड़ रुपये जारी किये। इससे लाभांवित होने वाले संगठनों के साथ नियमित बैठकें की जाती हैं ताकितय समय के अनुसार इन्हें लागू किया जा सके।
ई-गवर्नेंस की दिशा में कदम
विभाग और महाराष्ट्र सरकार ने संयुक्त रूप से औरंगाबाद में ई-गवर्नेंस के बारे में 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में 'ग्रामीण ई सेवा देने : स्थितिऔर चुनौतियां' विषय पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया। सम्मेलन के दौरान ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अंतर्गत ई-कार्यालय मिशन मोड परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना का केन्द्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के कामकाज में सुधार लाना है। ई-मैनुअल जरिए फाइलों और दस्तावेजों का तेजी से निपटारा किया जा सकता है।
सीएपीएएम नेतृत्व विकास कार्यक्रम
विभाग ने 2011 में राष्ट्रमंडल लोक प्रशासन एवं प्रबंधन संघ (सीएपीएएम) नेतृत्व विकास कार्यक्रम का भारतीय लोक प्रशासन संस्थान में आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य आज के प्रतिस्पर्धात्मक विश्व में कुशल नेतृत्व का विकास करना था जो कि सीखने की प्रायोगिक पद्धति पर आधारित था और जिसका उद्देश्य फैसलों में स्व-जागरूकता, भावनात्मक कुशाग्रता तथा रणनीतिक विचार विकसित करना था। इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागियों को भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय मंत्रालयों व विभागों तथा राज्य सरकारों से चुना गया था।
सम्मेलन का आयोजना
मुख्य सचिवों का दूसरा वार्षिक सम्मेलन फरवरी 2011 में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन ने केन्द्र और राज्यों के विचारों के पारस्परिक आदान प्रदान के लिए स्थायी मंच की भूमिका निभाई।
सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनिक सुधारों पर सचिवों का तीसरा सम्मेलन सितंबर 2011 में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं में सुधार, प्रशासन को प्रभावी, पारदर्शी तथा जवाबदेह एवं नागरिकों के अनुकूल बनाने के लिए राज्यों द्वारा किए गए सुधारों एवं पहल के उनके अनुभवों को बांटने के लिए एक राष्ट्रीय मंच तैयार करना था।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
भारत और सिंगापुर के बीच कार्मिक प्रबंधन एवं लोक प्रशासन के क्षेत्र में नवंबर 2011 में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये। एमओयू में निम्नलिखित बिंदु सम्मिलित थे। (i) क्षमता विकास एवं कौशल सुधार, लोक सेवा वितरण प्रणाली में सुधार (ग्राहकों उन्मुखी सेवाएं, कुल गुणवत्ता प्रबंधन, सिटीजन चार्टर पहल, लोक शिकायत निवारण तंत्र) (ii) मानव संसाधन प्रबंधन (iii) सार्वजनिक क्षेत्र सुधार (iv) नेतृत्व/प्रतिभा विकास
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और रायल सिविल सर्विस कमीशन, भूटान के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये जिसमें लोक सेवा मामलों पर अनुभवों का आदान प्रदान किया जाएगा। यूपीएससी और कनाडा लोक सेवा आयोग के बीच भी एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय आदान प्रदान के द्वारा बेहतर परम्पराओं को प्रोत्साहित करना एवं एक दूसरे से बांटना है।
खाली आरक्षित पदों को भरने के लिए विशेष अभियान का आरंभ
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग तथा शारीरिक विकलांगों के लिए आरक्षित खाली पड़े पदों को भरने के लिए सरकार ने एक अभियान शुरू किया। खाली पड़े पदों की संख्या 57947 है, जिसमें अनुसूचित जाति के लिए 15323, अनुसूचित जनजाति के लिए 20301, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 15323 और शारीरिक विकलांगों के लिए 7000 पद हैं। सभी मंत्रालय एवं विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे उक्त श्रेणियों के पदों को 31 मार्च 2012 तक भरें।
भर्ती
लोक सेवा (प्रारंभिक) परीक्षाओं के लिए सिलेबस और पैटर्न में 2011 में संशोधन किया गया जिसके मुताबिक अब वस्तुनिष्ठ प्रकार (बहुविकल्पीय) के दो प्रश्नपत्र होंगे। प्रत्येक प्रश्नपत्र 200 अंकों के होंगे और प्रत्येक के लिए दो घंटे का समय निर्धारित होगा।
यूपीएससी ने इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के लिए फरवरी 2011 से आवेदन आनलाइन स्वीकार करना शुरू कर दिया है। आनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाने से न केवल समय की बचत हो रही है बल्कि फार्म में दिए गए विवरण के अधिक सटीक होने की संभावना है क्योंकि सभी जानकारियां आवेदक स्वयं भरता है।
यूपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए आवेदकों के लिए 2011 से केवल आनलाइन मोड में ही फार्म उपलब्ध कराना शुरू किया है।
आयोग ने सभी प्रकार की परीक्षाओं के संपन्न होने के बाद प्रश्नपत्रों के आदान-प्रदान की व्यवस्था शुरू की है। परीक्षा में सफल एवं असफल आवेदकों को मूल्यांकन प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद प्राप्त अंकों की विवरण की जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी शुरू की है।
आयोग ने हाल ही में ई-एडमिट कार्ड के लिए सरल साफ्टवेयर विकसित किया है जिससे आयोग की वेबसाइट पर जाकर आवेदक अपने प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकेंगे। यह प्रणाली जल्दी ही काम करना शुरू कर देगी।
इस साल के दौरान कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने अखिल भारतीय स्तर पर 9 मुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया। इन परीक्षाओं में रिकार्ड 19,42,289 लोगों ने आवेदन किया और 13,83,281 आवेदक परीक्षा में सम्मिलित हुए। एसएससी ने सभी के परिणाम घोषित किए और 67,861 आवेदकों की नियुक्तियों की सिफारिश की।
एसएससी को सीपीओ में 53,188 कांस्टेबलों (जीडी) की भर्ती के लिए कहा गया है। एसएससी ने बहुत ही कम समय में इस चुनौती को स्वीकार किया है और भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विविध
विभाग द्वारा 21 अप्रैल 2011 को छठें नागरिक सेवा दिवस का आयोजन किया गया। इस दिन सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए लोक सेवक स्वयं को नागरिकों के प्रति एक बार फिर समर्पित करने का व्रत लेते हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए वर्ष 2009-10 में तीन श्रेणियों (व्यक्तिगत, समूह एवं संगठन) में पुरस्कार वितरित किए।
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति से विचार विमर्श के बाद प्रशासन, संसद सदस्य और राज्य विधानसभाओं के बीच आधिकारिक कामकाज के लिए दिशा-निर्देश में संशोधन किया गया।