शनिवार, 31 दिसंबर 2016

मारण, असाध्‍य बीमारी, मूठ , चौकी , काला जादू की काट, पलट, खात्‍मा का प्र...

प्रत्‍यंगिरा मंत्र विधान एवं स्‍तोत्र का विश्‍वव्‍यापी प्रसारण
मारण, असाध्‍य बीमारी, मूठ , चौकी , नजर , काला जादू की काट, पलट, उलट, व खात्‍मा का प्रत्‍यंगिरा माला स्‍तोत्र ( शास्‍त्रीय मंत्र विधान )
आप यू ट्यूब पर इसे सीधे निम्‍न लिंक पर क्‍ल‍िक करके केवल 3 दिन के लिये नि:शुल्‍क देख एवं डाउनलोड कर सकते हैं , उसके पश्‍चात इस फिल्‍म को देखने , सुनने एवं डाउनलोड करने के लिये शुल्‍क भुगतान करना होगा ।
https://youtu.be/7YV_MbLBxUw
Presented By Gwalior Times
https://gwaliortimes.wordpress.com
http://gwlmadhya.blogspot.in/
http://gtbharatvani.blogspot.in/
http://morenachambal.blogspot.in/
http://gtvachan.blogspot.in/
http://bhindgt.blogspot.in/
http://gttantra.blogspot.in/
ग्वालियर टाइम्स प्रस्तुत करती है
https://facebook.com/Devputrafilms
http://facebook.com/Tomarrajvansh
Twitter:  @gwaliortimes   , @narendra_singh , @narentomar

रविवार, 25 दिसंबर 2016

क्रिसमस दिवस पर विशेष : एक विश मुहब्‍बत की - फिरदौस खान


क्रिसमस पर विशेष
संता से मांगी एक ’विश’ मुहब्बत की
-फ़िरदौस ख़ान
यह हमारे देश की सदियों पुरानी परंपरा रही है कि यहां सभी त्‍यौहारों को मिलजुल कर मनाया जाता है. हर त्यौहार का अपना ही उत्साह होता है- बिलकुल ईद और दिवाली की तरह.  क्रिसमस  ईसाइयों के सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍यौहारों में से एक है. इसे ईसा मसीह के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाता है. क्रिसमस को बड़े दिन के रूप में भी मनाया जाता है. क्रिसमस से 12 दिन का उत्सव क्रिसमसटाइड शुरू होता है. ‘क्रिसमस’ शब्द ‘क्राइस्ट्स और मास’ दो शब्दों से मिलकर बना है, जो मध्य काल के अंग्रेज़ी शब्द ‘क्रिस्टेमसे’ और पुरानी अंग्रेज़ी शब्द ‘क्रिस्टेसमैसे’ से नक़ल किया गया है. 1038 ई. से इसे ‘क्रिसमस’ कहा जाने लगा. इसमें ‘क्रिस’ का अर्थ ईसा मसीह और ‘मस’ का अर्थ ईसाइयों का प्रार्थनामय समूह या ‘मास’ है. 16वीं शताब्दी के मध्य से ‘क्राइस्ट’ शब्द को रोमन अक्षर एक्स से दर्शाने की प्रथा चल पड़ी. इसलिए अब क्रिसमस को एक्समस भी कहा जाता है. भारत सहित दुनिया के ज़्यादातर देशों में क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है, लेकिन रूस, जार्जिया, मिस्त्र, अरमेनिया, युक्रेन और सर्बिया आदि देशों में 7 जनवरी को लोग क्रिसमस मनाते हैं, क्योंकि पारंपरिक जुलियन कैलंडर का 25 दिसंबर यानी क्रिसमस का दिन गेगोरियन कैलंडर और रोमन कैलंडर के मुताबिक़ 7 जनवरी को आता है. हालांकि पवित्र बाइबल में कहीं भी इसका ज़िक्र नहीं है कि क्रिसमस मनाने की परंपरा आख़िर कैसे, कब और कहां शुरू हुई. एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था. 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं है.शोधकर्ताओं का कहना है कि ईसा मसीह के जन्म की निश्चित तिथि के बारे में पता लगाना काफ़ी मुश्किल है. सबसे पहले रोम के बिशप लिबेरियुस ने ईसाई सदस्यों के साथ मिलकर 354 ई. में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया था. उसके बाद 432 ई. में मिस्त्र में पुराने जुलियन कैलंडर के मुताबिक़ 6 जनवरी को क्रिसमस मनाया गया था. उसके बाद धीरे-धीरे पूरी दुनिया में जहां भी ईसाइयों की तादाद ज़्यादा थी, यह त्योहार मनाया जाने लगा. छठी सदी के अंत तक इंग्लैंड में यह एक परंपरा का रूप ले चुका था. 

ग़ौरतलब है ईसा मसीह के जन्‍म के बारे में व्‍यापक रूप से स्‍वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा के मुताबिक़ प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा. गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्‍म देगी और बच्‍चे का नाम जीसस रखा जाएगा. व‍ह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्‍य की कोई सीमाएं नहीं होंगी. देवदूत गैब्रियल, जोसफ़ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्‍चे को जन्‍म देगी, और उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे व उसका परित्‍याग न करे. जिस रात को जीसस का जन्‍म हुआ, उस वक़्त लागू नियमों के मुताबिक़ अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्‍ते में थे. उन्‍होंने एक अस्‍तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्‍म दिया और उसे एक नांद में लिटा दिया. इस प्रकार जीसस का जन्‍म हुआ. क्रिसमस समारोह आधी रात के बाद शुरू होता है. इसके बाद मनोरंजन किया जाता है. सुंदर रंगीन वस्‍त्र पहने बच्‍चे ड्रम्‍स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्‍ट्रा के साथ हाथ में चमकीली छड़ियां  लिए हुए सामूहिक नृत्‍य करते हैं.  

क्रिसमस का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि ईसा मसीह के जन्म की कहानी का संता क्लॉज की कहानी के साथ कोई रिश्ता नहीं है. वैसे तो संता क्लॉज को याद करने का चलन चौथी सदी से शुरू हुआ था और वे संत निकोलस थे, जो तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप थे. उन्हें बच्चों से अत्यंत प्रेम था और वे ग़रीब, अनाथ और बेसहारा बच्चों को तोहफ़े दिया करते थे.
पुरानी कैथलिक परंपरा के मुताबिक़ क्रिसमस की रात को ईसाई बच्चे अपनी तमन्नाओं और ज़रूरतों को एक पत्र में लिखकर सोने से पूर्व अपने घर की खिड़कियों में रख देते थे. यह पत्र बालक ईसा मसीह के नाम लिखा जाता था. यह मान्यता थी कि फ़रिश्ते उनके पत्रों को बालक ईसा मसीह से पहुंचा देंगे. क्रिसमस ट्री की कहानी भी बहुत ही रोचक है. किवदंती है कि सर्दियों के महीने में एक लड़का जंगल में अकेला भटक रहा था. वह सर्दी से ठिठुर रहा था. वह ठंड से बचने के लिए आसरा तलाशने लगा. तभी उसकी नजर एक झोपड़ी पर पड़ी. वह झोपडी के पास गया और उसने दरवाजा खटखटाया. कुछ देर बाद एक लकड़हारे ने दरवाजा खोला. लड़के ने उस लकड़हारे से झोपड़ी के भीतर आने का अनुरोध किया. जब लकड़हारे ने ठंड में कांपते उस लड़के को देखा, तो उसे लड़के पर तरस आ गया और उसने उसे अपनी झोपड़ी में बुला लिया और उसे गर्म कपड़े भी दिए. उसके पास जो रूख-सूखा था, उसने लड़के को बभी खिलाया. इस अतिथि सत्कार से लड़का बहुत खुश हुआ. वास्तव में वह लड़का एक फ़रिश्ता था और लकड़हारे की परीक्षा लेने आया था. उसने लकड़हारे के घर के पास खड़े फ़र के पेड़ से एक तिनका निकाला और लकड़हारे को देकर कहा कि इसे ज़मीन में बो दो. लकड़हारे ने ठीक वैसा ही किया जैसा लड़के ने बताया था. लकडहारा और उसकी पत्नी इस पौधे की देखभाल अकरने लगे. एक साल बाद क्रिसमस के दिन उस पेड़ में फल लग गए. फलों को देखकर लकड़हारा और उसकी पत्नी हैरान रह गए, क्योंकि ये फल, साधारण फल नहीं थे बल्कि सोने और चांदी के थे. कहा जाता है कि इस पेड़ की याद में आज भी क्रिसमस ट्री सजाया जाता है. मगर मॉडर्न क्रिसमस ट्री शुरुआत जर्मनी में हुई. उस समय एडम और ईव के नाटक में स्टेज पर फर के पेड़ लगाए जाते थे. इस पर सेब लटके होते थे और स्टेज पर एक पिरामिड भी रखा जाता था. इस पिरामिड को हरे पत्तों और रंग-बिरंगी मोमबत्तियों से सजाया जाता था. पेड़ के ऊपर एक चमकता तारा लगाया जाता था. बाद में सोलहवीं शताब्दी में फर का पेड़ और पिरामिड एक हो गए और इसका नाम हो गया क्रिसमस ट्री अट्ठारहवीं सदी तक क्रिसमस ट्री बेहद लोकप्रिय हो चुका था. जर्मनी के राजकुमार अल्बर्ट की पत्नी महारानी विक्टोरिया के देश इंग्लैंड में भी धीरे-धीरे यह लोकप्रिय होने लगा. इंग्लैंड के लोगों ने क्रिसमस ट्री को रिबन से सजाकर और आकर्षक बना दिया. उन्नीसवीं शताब्दी तक क्रिसमस ट्री उत्तरी अमेरिका तक जा पहुंचा और वहां से यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया. क्रिसमस के मौक़े पर अन्य त्यौहारों की तरह अपने घर में तैयार की हुई मिठाइयां और व्यंजनों को आपस में बांटने व क्रिसमस के नाम से तोहफ़े देने की परंपरा भी काफ़ी पुरानी है. इसके अलावा बालक ईसा मसीह के जन्म की कहानी के आधार पर बेथलेहम शहर के एक गौशाले की चरनी में लेटे बालक ईसा मसीह और गाय-बैलों की मूर्तियों के साथ पहाड़ों के ऊपर फ़रिश्तों और चमकते तारों को सजा कर झांकियां बनाई जाती हैं, जो दो हज़ार साल पुरानी ईसा मसीह के जन्म की याद दिलाती हैं.

दिसंबर का महीना शुरू होते ही क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो जाती हैं . गिरजाघरों को सजाया जाता है. भारत में अन्य धर्मों के लोग भी क्रिसमस के उत्सव में शामिल होते हैं. क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं. वे प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं. भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत उत्‍साह के साथ मनाया जाता है. इनमें से ज़्यादातर चर्च भारत में ब्रि‍टिश वऔरपुर्तगाली शासन के दौरान बनाए गए थे. इनके अलावा देश के अन्य बड़े भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ़ कैथेड्रिल, आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस ऑफ़ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्‍डरनेस और हिमाचल में क्राइस्‍ट चर्च, सांता क्‍लाज बैसिलिका चर्च, और केरल का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्‍ट चर्च, महाराष्‍ट्र में माउन्‍ट मेरी चर्च, तमिलनाडु में क्राइस्‍ट द किंग चर्च व वेलान्‍कन्‍नी चर्च, और आल सेंट्स चर्च और उत्तर प्रदेश का कानपुर मेमोरियल चर्च शामिल हैं. बहरहाल, देश के सभी छोटे-बड़े चर्चों में रौनक़ है. 
तीज-त्यौहार ख़ुशियां लाते हैं. और जब बात क्रिसमस की हो, तो उम्मीदें और भी ज़्यादा बढ़ जाती हैं. माना जाता है कि क्रिसमस पर सांता क्लाज़ आते हैं और सबकी ’विश’ पूरी करते हैं. आज के दौर में जब नफ़रतें बढ़ रही हैं, तो ऐसे में मुहब्बत की विश की ज़रूरत है, ताकि हर तरफ़ बस मुहब्बत का उजियारा हो और नफ़रतों का अंधेरा हमेशा के लिए छंट जाए. हर इंसान ख़ुशहाल हो, सबका अपना घरबार हो, सबकी ज़िन्दगी में चैन-सुकून हो. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)

गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

अर्क शास्‍त्र , वैद्य हकीम और गृहणी की रसोई पर अगली फिल्‍म हमारी पहली पेड फिल्‍म होगी

हमारी अगली फिल्‍म होगी '' अर्क शास्‍त्र एवं इसके औषधीय गुण व उपयोग'' तथा वैद्यों , हकीमों , गृहण‍ियों हेतु अति उपयोगी , उत्‍तम व गुणकारी भोजन बनाने , रसोई में खूबियां दिखाने व अपना कमाल दिखाकर महज कुछ सब्‍जीयों, मसालों का करिश्‍मा दिखाने एवं भोजन को औषधीय रूवरूप में पकाने के तरीके एवं केवल एक गृहणी कैसे पूरे घर संसार को सुखी व स्‍वस्‍थ निरोगी एवं समृद्ध रख सकती है'' फिल्‍म को देखने हेतु हमारे चैनल को सबस्‍क्राइब करें
https://www.youtube.com/c/GwaliortimesIntv


प्रिण्‍ट मीडिया पर भारत सरकार के सख्‍त मानदण्‍ड जारी हुये , फर्जी अखबार और फर्जी पत्र पत्रिकायें बंद होंगीं , अब नहीं मिलेंगें सरकारी विज्ञापन


प्रिण्‍ट मीडिया पर भारत सरकार के सख्‍त मानदण्‍ड जारी हुये , फर्जी अखबार और फर्जी पत्र पत्रिकायें बंद होंगीं , अब नहीं मिलेंगें सरकारी विज्ञापन
- नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''
सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का विजन राष्‍ट्र को सतत विकास के पथ पर अग्रसर करना है। सरकार ‘सुधार, प्रदर्शन एवं बदलाव’ के मंत्र के साथ देश में रूपांतरणीय बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस विजन को भारत सरकार के कैलेंडर 2017 में दर्शाया गया है। इस कैलेंडर की थीम यह है: ‘मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है।’ उन्‍होंने भारत सरकार का कैलेंडर 2017 जारी करने के अवसर पर अपने सम्‍बोधन में यह बात कही। इस अवसर पर श्री नायडू ने भारत में प्रेस संबंधी रिपोर्ट 2015-16 भी जारी की, जिसे भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक ने तैयार की है। सूचना एवं प्रसारण राज्‍य मंत्री कर्नल राज्‍यवर्धन राठौर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
सरकार इस साल 25 दिसम्‍बर से ‘सुशासन’ की थीम पर देश भर में 100 दिनों का एक अभियान चलायेगी। इस दौरान मंत्रीगण एवं सांसद देश भर की यात्रा कर सरकार के उन महत्‍वपूर्ण कदमों पर प्रकाश डालेंगे जो पिछले ढाई वर्षों में उठाये गये हैं। सुशासन दिवस पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर मनाया जाता है। इस संदर्भ में उन्‍होंने कहा कि सरकार वितरण प्रणालियों की बेहतरी के लिए प्रयासरत है और इसके साथ ही डिजिटल बदलाव को बढ़ावा देने तथा सभी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी क्रांति को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
प्रिंट मीडिया क्षेत्र में बदलते आयामों के मद्देनजर नीतियों को अद्यतन करने की जरूरत के परिणामस्‍वरूप आरएनआई के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया गया है, ताकि देश में प्रकाशनों की अद्यतन सूची को बनाये रखा जा सके। इस तंत्र के विकसित होने से अवैध प्रकाशनों को समाप्‍त करने में भी मदद मिली, जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अड़चन साबित हो सकते हैं। नई प्रिंट विज्ञापन नीति की रूपरेखा का उल्‍लेख करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि डीएवीपी में समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के पैनल के लिए सर्कुलेशन सत्यापन प्रक्रिया की व्‍यवस्‍था इसमें की गई है। इस प्रक्रिया में आरएनआई द्वारा प्रमाणन शामिल है, बशर्ते कि सर्कुलेशन प्रति प्रकाशन दिवस पर 45,000 प्रतियों से अधिक हो जाये। पूरी खबर देखने हेतु निम्‍न लिंक पर क्‍ल‍िक करें
http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=56746

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

बिस्‍म‍िल संग्रहालय मुरैना - चम्‍बल की एक बानगी







भारत के क्रान्‍त‍िकारी योद्धा , स्‍वतंत्रता संग्राम के महानायक पं. रामप्रसाद बिस्‍म‍िल की शहादत दिवस 19 दिसम्‍बर के अवसर पर विशेष फिल्‍म प्रस्‍तुति - बिस्‍म‍िल संग्रहालय - मुरैना ( म.प्र.)  चम्‍बल का भव्‍य  इतिहास , महाभारत व भारत , शांतनु, दुष्‍यन्‍त की जन्‍म स्‍थली , चम्‍बल भव्‍य व आलीशान इतिहास से लेकर आज तक के बदलाव व विकास , शेरों ( सिंहों ) की वीर प्रसूता जननी चम्‍बल तब से अब तक
स्‍वर व उच्‍चारण - नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''
कैमरा ( फोटो एवं फिल्‍म का वीडियो , मूवी शूट ) - असलम खान
इस फिल्‍म के विश्‍व स्‍तरीय प्रसारण को निम्‍न लिंक पर सीधे देखें -
https://youtu.be/3hMFKhr3uZQ
Presented By Gwalior Times
https://gwaliortimes.wordpress.com
ग्वालियर टाइम्स प्रस्तुत करती है
https://facebook.com/Devputrafilms
यू ट्यूब पर हमारे चैनल को सीधे सबस्‍क्राइब करने हेतु निम्‍न लिंक पर क्‍लि‍क करें
https://www.youtube.com/c/GwaliortimesIntv

बुधवार, 27 जुलाई 2016

ग्वालियर टाइम्स के सी.ई.ओ. नरेन्द्र सिंह तोमर को गूगल इंकारपोरेशन ने अपना लोकल गाइड नियुक्त किया

देवपुत्र पायवेट लिमिटेड ग्रुप ऑफ कम्पनीज के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं लीगल एडवाइजर, चम्बल की आवाज तथा ग्वालियर टाइम्स के सी. ई. ओ. नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' को गूगल मैप्स इंकारपोरेशन ने गूगल मैप के लिये अपना लोकल गाइड बनाया
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' को गूगल ( इन्कार्पोरेशन ) कम्पनी ने स्थानीय गाइड नियुक्त किया , सभी स्थानीय फोटो , थ्री डी फोटो , वीडियो सहित , उसका नाम , इतिहास , और पृष्ठभूमि , विचार, सतर्कता , सावधानियां सहित सभी प्रकार के व्यू और रिव्यू लिखने के सर्वाध‍िकार कम्पनी ने तोमर को सौंपें
ग्वालियर / मुरैना 19 जुलाई 2016 । गूगल कम्पनी ने अपने बहुत बड़े व संपूर्ण विश्व तक फैले महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट '' गूगल मैप '' के लिय मुरैना के गांधी कालोनी के विख्यात व प्रसिद्ध समाजसेवी एवं पुराने अति अनुभवी नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''' को अपना लोकल गाइड नियुक्त किया है ।
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' को गूगल की ओर से नियुक्त‍ि पत्र प्राप्त हो गया है , साथ ही गूगल ने बहुत बड़ा काम करने जा रहे श्री तोमर को बहुत बड़ा अवार्ड देने की भी घोषणा की है ।
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' अब न केवल किसी व्यक्त‍ि विशेष पर बल्क‍ि स्थल विशेष पर भी गूगल की ओर से काम करेंगें , किसी स्थल विशेष या व्यक्त‍ि विशेष को गूगल मैप में जोड़ सकेंगें, फर्जी या असत्य को हटा व डिलीट कर सकेंगें , लापता भवनों को तलाश सकेंगें, ऐतिहासिक स्थलों , किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान, व्यवसाय , होटल , खानपान, लॉजिंग , मंदिर , मस्जिद , चर्च , ढाबा अदि को चिह्न‍ित कर सकेंगें , उस पर ब्यौरा दजकर सकेंगें , उसे गेड दे सकंगें , डी ग्रेड कर सकेंगें ।
इसके अलावा किसी भी फोटो , वीडियो , थ्री डी वीड‍ियो या थ्री डी फोटो को गूगल मैप पर अपलोड कर सकेंगें , सभी ऐतिहासिक प्रृष्ठभूमि के स्थल अपलोड कर सकेंगें उनके इतिहास व ब्यौरे लिखें सकेंगें , स्थानीय स्कूलों , कालोजों के, चिकित्सा सुविधाओं, पेट्रोल पम्पों , सार्वजनिक सुविधाओं, होटलों आदि के नाम , चित्र वीडियो ब्यौरे ग्रेड , डीग्रेड , व्यू , रिव्यू लिख सकेंगें , जोड सकेंगें , हटा सकेंगें , किसी हस्ती विशेष , व्यक्त‍ि विशेष , युग पुरूष व ऐतिहासिक व्यक्तित्व पर ब्यौरा चित्र वीडियो आदि जोड़ या हटा या बदल सकेंगें ।
असली सड़कों के , असली भवनों की व असल अधोसंरचना की , नगर के स्तरीय हालात व असल नगरीय हालात व स्थ‍िति के चित्र व वीडियो अपलोड कर सकेंगें , या हटा सकेंगें , संपादन व क्रियेशन , डिलीशन आदि सभी कार्य नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' गूगल मैप की ओर से तथा गूगल कम्पनी की ओर से करेंगें ।
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द '' ने ग्वालियर चम्बल सहित राजस्थान के लोगों से कहा है कि वे अपने सड़को , बिजली संरचना , अन्य अधोसंरचना आदि के चित्र व वीडियो  आदि भेजते समय अपने कैमरे का जी.पी.एस. इन्फो ऑन रखें और , सारे जी.पी.एस. सूचनाओं की रिकार्डिंग कैमरे को ही करने दें , जिससे आपका फोटो या वीडियो स्वत: आटोमेटिक रूप से जियो टेग हो जायेगा और खुद ब खुद सही जगह गुगल मैप में स्वत: सेट हो जायेगा । अपने चित्र या वीडियो के साथ संपूर्ण ब्यौरा अवश्य भेंजें , उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभ्ज्ञूमि अवश्य भेजें , यदि किसी ऐतिहासिक स्थल से संबंधी वीडियो या चित्र भेज रहे हैं तो उसका संदर्भ ग्रंथ , प्रमाण‍िकता सहित संपूर्ण अतिहास व वंशावली आदि अवश्य भेजें ।
चम्बल के लोगों से बिजली , सडक व खेतों की हालत तथा अन्य इन्फ्रा स्ट्रक्चर संबधी वीडियो व चित्र भेजने की अपेक्षा की गयी है , जो गुगल के लोकल गाइड नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' द्वारा गुगल मैप में दर्ज किया गया जायेगा , केवल वही चित्र , वीडियो व ब्यौरा ही संपूर्ण विश्व में दिखेगा । 

बरेह का शेर कुम्हेर सि‍ंह तोमर


सखी


फिल्म - योगेश्वरी (भााग- 4) महा काली कवच


सोमवार, 13 जून 2016

योगेश्वरी फिल्म ( भाग - 2) ग्वालियर टाइम्स ( देवपुत्र फिल्म्स एंड मीडिया प्रायवेट लिमिटेड )


ट्रेलर फिल्म योगेश्वरी


भारत एक फिल्म ( भाग - 1) देवपुत्र फिल्म्स एंड मीडिया प्रायवेट लिमिटेड


योगेश्वरी फिल्म (भाग - 1) देवपुत्र फिल्म्स एंड मीडिया प्रायवेट लिमिटेड


योगेश्वरी फिल्म एक परिचय


रविवार, 24 अप्रैल 2016

69 साल से जहर पी रहे हैं मुरैना वासी , सरकार पिला रही है , फिर भी न बन पाये महादेव

69 साल से जहर पी रहे हैं मुरैना वासी , सरकार पिला रही है , फिर भी न बन पाये महादेव

https://youtu.be/tBsH79qugRY
मुरैना के लोग पानी के नाम पर रोज कितना जहर पीते हैं , इस फिल्म में स्वयं देख लीजिये , 69 वर्ष से मुरैना शहर यह जहर रोजाना पी रहा है , कई नेता आये और चले गये , चम्बल को लूट कर माल्या की तरह भाग गये , यह फिल्म आज ही की है , हालिया निर्मित इस फिल्म में देख लीजिये कि कितना जहरीला हार्ड वाटर हम मुरैना वाले रोज पीते हैं । साथ में यह सबूत भी देख लीजिये कि विगत वर्ष सन 2015 मुरैना नगर निगम के चुनावों में म.प्र. का मुख्यमंत्री कितना झूठ बोला , कितनी फर्जी घोषणायें कर गया , और नगर निगम बना कर , चुनाव जीत कर भाग गया , किसानों की ओलावृष्ट‍ि से बर्बादी का मामला हो या उनकी आत्महत्याओं का , महा नौटंकीबाज लगातर झूठ असत्य व मिथ्यावादी घोषणाबाज मुख्यमंत्री शि‍वराज सिंह चौहान कितना झूठा , फर्जी व असत्यवादी एवं नौटंकीबाज है , यह फिल्म इस बात का सबूत है कि एक साल पहले मुरैना नगर निगम को करोड़ों रूपये देकर गया मुख्यमंत्री , आज एक साल गुजरने के बाद भी ...... असल मुकम्मल आलम और हालात ये है सरकार ..... मुरैना मेयर की मजेदार बात यह है कि .... वह मुरैना का लगातार 6 बार सांसद रहा है ..... और अब मुरैना नगर निगम का मेयर है , कुल मिला कर कब से मुरैना को जहर पिला पिला कर मार रहा है , खुद ही हिसाब लगा लीजिये , हमने असल हकीकत , असल माजरा इस फिल्म के माध्यम से प्रस्तुत कर दिया और मामले के दोनों पक्ष व पहलू प्रस्तुत कर दिये , अब आप खुद ही फैसला करिये ..... ऐसे नेताओं के सिरों पर नारियल फोड़ कर, धूप दीप , अगरबत्ती लगा कर इनकी पूजा अर्चना की जाये या इनके श्रद्धा सुमन अर्पण की तैयारी की जाये  , असत्य वायदे कर वोट जैसी अमूल्य संपत्त‍ि का हरण करना या हड़पना ...... आई.पी.सी. की धारा 463 से लेकर 471 एवं 420 तथा 120 बी एवं धाा 34 का अपराध है , इसके अलावा खुला निर्वाचन अपराध है ..... और इन नेताओं को कानूनन जेल भेजने में एक घंटे से ज्यादा का विलंब नहीं किया जाना चाहिये , किंतु पुलिस इनकी, कानून इनका , अदालत इनकी ...... फैसला करेगा कौन ..... इनके विरूद्ध फर्जीवाड़ा करने और कूटरचित वायदे , मतदाताओं के साथ छल धोखाधड़ी करने का अपराध कायम कौन करेगा और कौनसी अदालत इन्हें जेल भेजेगी । ..... मामला आपके सामने ..... फैसला आपके हाथ 
Presented By Gwalior Times
https://gwaliortimes.wordpress.com
ग्वालियर टाइम्स प्रस्तुत करती है
*
http://gwlmadhya.blogspot.in/
*
https://youtu.be/tBsH79qugRY

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

मुगल बाबर से पानीपत में राजपूतों की पहली टक्कर और ग्वालियर सम्राट महाराजा विक्रमादित्य सिंह तोमर का शहादत दिवस आज

पानीपत के प्रथम युद्ध के वीरता पूर्वक लड़ते हुये युद्ध के मैदान में वीरगति पाकर मुगल बाबर से युद्ध करते हुये ग्वालियर सम्राट महाराजा विक्रमादित्य सिंह तोमर एवं 16 हजार राजपूत वीर योद्धाओं की शौर्य व पराक्रमशाली शहादत को गौरवपूर्ण सादर नमन व प्रणाम
तोमर राजवंश , तोमर राजपरिवार एवं समस्त तोमर राजपूत तथा भारत के समस्त क्षत्रिय व राजपूत
( क्षमा करें , हमें यह दुखद खेद है कि मुरैना में कल से पूरे दिन व आज लगातार बिजली कटौती के चलते , शहीदों की यह गौरवशाली व सादर नमन प्रणाम की पोस्ट डालने में , व्यापम व आरक्षण की औलादों , जातिवादीयों व महाभ्रष्टों गुलामों व वर्णसंकरों की हरकतों के कारण विलंब हुआ )  


शनिवार, 16 अप्रैल 2016

फेसबुक बना ई व्यापार और ऑनलाइन खरीदी बिक्री का सबसे बड़ा माध्यम

अब फेसबुक के जरिये हर चीज व हर सेवा खरीदिये बेचिये , फेसबुक बना ई व्यापार और ऑनलाइन खरीदी बिक्री का सबसे बड़ा माध्यम
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
व्हाटस एप्प द्वारा एण्ड टू एण्ड सिक्योरिटी देने के बाद , सारी सामग्री एनक्रिप्शन कर देने के बाद अब जहॉं खुद व्हाटस एपप कंपनी भी किसी के द्वारा किसी को या किसी ग्रुप के सदस्य न होते हुये उस सामग्री को पढ़ नहीं सकती , वहीं अब पुलिस व साइबर सेल की पकड़ से भी व्हाटस एप्प बाहर निकल गया है , इसके साथ ही व्हाटस एप्प अकाउंट हैक करने वालों और दूसरे के मोबाइल नंबर से अकाउण्ट ऑपरेट करने वालों और हैकिंग की जद से भी व्हाटस एप्प बाहर निकल गया है । कंपनी द्वारा इसके लिये व्हाटस एप्प एप्लीकेशन के लिये अपडेटस विगत सप्ताह मंगलवार को जारी कर , मंगलवार से ही यह सुविधा लागू कर दी गयी थी ।
फेसबुक ने भी अपनी सिक्योरिटी बढ़ाते हुये , डाटा एन्क्र‍िप्शन के साथ ही ई व्यापार और ऑन लाइन खरीदी बिक्री की बहुत बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सेवा शुरू की है , अब पूरे विश्व में कहीं से भी कुछ भी फेसबुक के जरिये खरीद और बेच सकते हैं ।
फेसबुक पर कुछ खरीदने बेचने के लिये , ई व्यापार या ऑनलाइन खरीदी बिक्री के लिये आपको फेसबुक की निम्न लिंकों पर जाकर , निम्न खरीदी बिक्री समूहों का सदस्य बनना होगा , इसके साथ ही आप अपने घर से बैठकर ही या अपने मोबाइल फोन के जरिये ही जो कुछ भी आपके पास बेचने के लिये या खरीदने के लिये हो , खरीद बेच सकते हैं , यहॉं तक कि पूरे विश्व में जहॉं भी जो कुछ सस्ता , अच्छा या दुर्लभ से दुर्लभ चीज या वस्तु या सेवा उपलब्ध करा सकते हैं या बेच सकते हैं या खरीद सकते हैं ।
फेसबुक के इन खरीद बिक्री समूहों के लिये निम्न में से किसी भी समूह को दोनों समूहों को ज्वाइन कर लें , इसके बाद आपके लिये फेसबुक पर खरीदने एवं बिक्री करने का  आप्शन खुद ब खुद खुल जायेगा , और पैसे सीधे आपके बैंक खाते में पहुँचने लगेंगें ।
http://www.facebook.com/groups/Gwaliorsale/
*
http://www.facebook.com/groups/evaapar/

Narendra Singh Tomar " Anand"

गुरुवार, 31 मार्च 2016

जब दिल में उल्फत हो , दूर दूर तक ना नफरत हो , तब होती है ऐसी यारी रिश्तेदारी

जब दिल में उल्फत हो , दूर दूर तक ना नफरत हो , तब होती है ऐसी यारी रिश्तेदारी
And Something Special for You. This Holi Special . The Super Popular Baaghi Sardar of Chambal Late. Madho Singh ( Madho Singh - Mohar Singh Giroh) Son, Mr. Sahdev Singh Bhadoriya Playing Holi with Me. ... A super Shot at my House. होली विशेष : चम्बल के मशहूर बागी सरदार स्व. माधौ सिंह ( माधौ सिंह - मोहर सिंह गिरोह) के बागी सरदार स्व. माधौ सिंह के सुपुत्र श्री सहदेव सिंह भदौरिया के साथ अबकी बार खेली गई हमारी होली का एक सुपर चित्र - यूं कि ये रंग रोगन सहदेव सिंह को हमीं ने पोता है .. जरा दिल से , जरा तबियत से - नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' , मुरैना म.प्र.

सोमवार, 14 मार्च 2016

भारत सरकार के माननीय केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ , सांसद , जयपुर ग्रामीण क्षेत्र

All India Broadcasted By : भारत सरकार के माननीय केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ , सांसद , जयपुर ग्रामीण क्षेत्र .   Through Gwalior Times.

- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''  
  ( वर्ल्ड वाइड ब्राडकास्ट बाइ ग्वालियर टाइम्स )
*  http://gwaliortimes.wordpress.com/
*  http://gwlmadhya.blogspot.in/
*  http://morenachambal.blogspot.in/
*  http://bhindgt.blogspot.in/
* ऐ दुश्मन तुझे डरने की जरूरत क्या है, तू आगे है और हम गोली पीछे चला रहे हैं , शेरों का क्या , कुत्ता भी हो सामने , पत्थर आगे नहीं , हम तो पीछे को फेंक रहे हैं
...........................................................................................................................................................................................................................

Download Linkedin Application
https:lnkd.in/bBQQX7d/ 

मशहूर फिल्म अभि‍नेत्री आभा परमार ने लाइक कीं कई पोस्ट नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' की

मशहूर फिल्म अभि‍नेत्री आभा परमार ने लाइक कीं कई पोस्ट नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''  की
ग्वालियर टाइम्स , 14 मार्च 2016 , ग्वालियर की मूलत: निवासी और ख्याति नाम मशहूर फिल्म अभि‍नेत्री आभा परमार ने आज फेसबुक के ग्रुप चम्बलघाटी में नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' की कई पोस्ट और वीडियो , एक साथ लाइक किये , जिसमें उनका महाभारत योद्धा अर्जुन के वंशज होने एवं आरक्षण पर जारी वीडियो भी शामिल है ।
उल्लेखनीय है कि मूलत: ग्वालियर की निवासी आभा परमार अनेक बड़े बैनर की  फिल्मों जिसमें अमिताभ बच्चन की मशहूर फिल्म ''मैं आजाद हूँ '' तथा अन्य अनेक बड़े हीरोज की फिल्में शामिल हैं , में काम कर चुकीं हैं , इसके साथ ही वर्षों से वे टी.वी. की मशहूर एक्ट्रेस भी हैं , और उनके तमाम सीरियल दूरदर्शन सहित तमाम चैनलों पर आ चुके हैं जिसमें बंगाली पृष्ठभूमि पर प्रसिद्ध सीरियल , चन्द्रकान्ता , सहित सैकड़ों टी.वी. सीरियल शामिल हैं , दोपहर में दूरदर्शन पर दिखाये जाने वाले ''घण्टा प्रसाद , घण्टा वाले'' में भी एक प्रमुख में नजर आईं ।
यह भी स्मरणीय है कि आभा परमार और नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' न केवल एक साथ ही एक ही स्कूल में ग्वालियर में पढ़े हैं और केवल एक कक्षा जूनियर व सीनियर रहे हैं , बल्क‍ि ग्वालियर में आकाशवाणी ग्वालियर से कई सुपर हिट कार्यक्रम भी साथ साथ दे चुके हैं , अनेक ड्रामा व नाटकों में साथ साथ काम कर चुके हैं । एक्टिंग के अनेक मैडल्स भी साथ साथ जीत चुके हैं , आभा परमार और नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' दोनों एक दूसरे के स्कूल के समय से फेन रहे हैं , आभा परमार ग्वालियर से लेकर बंबई और मुंबई तक का लंबा सफर तय करके अभि‍नय की दुनियां की , फिल्मी व टी.वी. पर्दे की आज बहुत बड़ी स्टार हैं , जबकि नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' वहीं अपने ग्वालियर चम्बल में जहॉं की तहॉं जमे और डटे हैं ।
आभा परमार की फेसबुक के चम्बलघाटी ग्रुप में ढेर सारी लाइकिंग से प्रसन्न नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' ने केवल इतना कहा कि , जब हम आमने सामने कभी मिलेंगें , सही आनंद तो उस दिन आयेगा , लेकिन आभा ने अपनी व्यस्तता में से समय निकाल कर भी फेसबुक पर न केवल हमें जमकर पढ़ा वरन फिल्म दुनियां के नामी गिरामी हस्त‍ियों , हीरोज व हीरोइन को भी लगातार हमारी इसी तारतम्य में रखा और चंबल पर पान सिंह तोमर पर बरसों पहले लिखी हमारी एक आलेखनुमा स्टोरी पर पूरी फिल्म ''पान सिंह तोमर'' ही बनवा दी , इसके लिये हम आभा के कृतज्ञ व आभारी हैं । आभा ने बंबई में ग्वालियर और चम्बल को जिन्दा रखा , यहॉं की भाषा व संस्कृति को जिन्दा रखा , यह हमारे लिये फख्र की बात है ।

तोमर राजवंश के महाराजाओं की प्रतिमायें मुरैना जिला में लगेंगीं , महाभारत कालीन इतिहास से सरसब्ज व समृद्ध विषयों को लेकर ऐतिहासिक फिल्में बनेंगीं ।

तोमर राजवंश के महाराजाओं की प्रतिमायें मुरैना जिला में लगेंगीं , महाभारत कालीन इतिहास से सरसब्ज व समृद्ध विषयों को लेकर ऐतिहासिक फिल्में बनेंगीं ।
सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि मुरैना जिला के प्रमुख स्थानों पर महाभारत के सम्राट रहे दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की भव्य प्रतिमा मुरैना के बैरियर चौराहे पर लगा कर उसे नये रंग रूप में संवार कर भारत व महाभारत की थीम , प्राण , जान व आत्मा के रूप में अति आकर्षक रूप में सुसज्ज‍ित करके बनाया जायेगा , इसी प्रकार हल्दीघाटी के परमवीर वीरगति पाकर महाराणा प्रताप की ओर से अकबर की सेना से लड़ते हुये अपने तीन पुत्रों और एक पुत्र के साथ शहीद हुये राजा रामशाह सिंह तोमर व उनके पुत्रों , महाराणा प्रताप के बहिनोई , एवं राजा रामशाह सिंह तोमर के इकलौते पौत्र व महाराणा प्रताप के भानजे की प्रतिमायें लगा कर मुरैना शहर में ही एक अन्य पंच पराक्रमी हल्दीघाटी वीर चौराहे और हल्दीघाटी के युद्ध में शहीद हुये कुल 450 लोगों में से चम्बल के 423 तोमरों का स्मारक स्तम्भ भी बनवाया जायेगा ।
इसी प्रकार जिला मुरैना में ही ऐसाह गढ़ी , अम्बाह व पोरसा में भी महाराजा अनंग पाल सिंह तोमर , राव घाटमदेव सिंह तोमर, ऐसाह गढ़ी के 27 बरस राजा रहे और  ग्वालियर पर तोमर साम्राज्य के संस्थापक परमवीर व महापराक्रमी  महाराजा देववरम सिंह तोमर ( वीरम देव सिंह तोमर), पानीपत के मैदान में बाबर से लड़ते हुये परमवीर वीरगति प्राप्त शनीचरा में शनि मंदिर के निर्माता महाराजा विक्रमादित्य सिंह तोमर की भी प्रतिमा व चौराहा आदि बनवाये जायेंगें , इसी प्रकार अन्य तोमर राजाओं के नाम पर भी पार्क व उद्यान बनवाये जायेंगें ।   
मुरैना जिला में फैली पसरी समस्त महाभारतकालीन विरासतों को लेकर भी ऐतिहासिक फिल्में सरकार बनवायेगी, कुन्तलपुर , ककनमठ , सिंहोनिया व ऐसाहगढ़ी , मितावली चौंसठ योगनी मंदिर आदि पर फिल्मों का निर्माण होगा । यह सारी फिल्में ओपन थि‍येटर के जरिये , हमेशा खुली प्रदर्शन की जायेंगीं ।     
   

कन्हैया कुमार के विरूद्ध ग्वालियर न्यायालय में आपराधि‍क मामला पेश , परिवाद पर सुनवाई 21 मार्च को

कन्हैया कुमार के विरूद्ध ग्वालियर न्यायालय में आपराधि‍क मामला पेश , परिवाद पर सुनवाई 21 मार्च को
ग्वालियर , 14 मार्च 2016 , वाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय के कन्हैया कुमार के विरूद्ध एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया की शि‍कायती क्रिमिनिल परिवाद पत्र पर , दिल्ली के कन्हैया कुमार के विरूद्ध भारतीय सेना के मामले में आपराधि‍क व राष्ट्राद्रोही टीका टिप्पणी , बयानादि को लेकर , ग्वालियर न्यायालय ने कन्हैया कुमार के विरूद्ध केस दर्ज किया है । इस क्रिमिनस केस की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी ।
ज्ञातव्य है कि कन्हैया कुमार के विरूद्ध इंदौर न्यायालय में भी एक क्रिमिनल कंपलैण्ट परिवाद पत्र के रूप में एडवोकेट अमित सिंह सिसोदिया द्वारा प्रस्तु की गयी है , जो कि देश में और न्यायालय में अशांति फैलाने , भड़काऊ भाषण आकद देने तथा लोगों की आस्थाओं व निजी धार्मिक विश्वास पर हमला करने व चोट पहुँचाने को लेकर दायर किया गया है , एकाध दिन में यह मामला भी गैर जमानती संज्ञेय अपराध के रूप में रजिस्टर होने वाला है ।
सुनने में आ रहा है कि ऐसा ही कोई क्रिमिनल केस परिवाद पत्र कन्हैया कुमार व उसके समर्थकों के विरूद्ध चम्बल की एक अदालत में अन्य आपराधि‍क  कारणों पर प्रस्तुत किया जाने वाला है । या संभवत: सीधे ही पुलिस में एफ.आई. आर. दर्ज कराई जा सकती है ।
ऐसी सूरत में कन्हैया कुमार व उसके समर्थकों को देश भर की अलग अलग जेलों में डिटेन्शन में राजबन्दी के रूप में रखा जा सकता है , जहॉं हर जगह से उसे अलग जमानत लेनी अनिवार्य होगी । क्रिमिनल केसों की राजनीतिक सूरत ऐसी है कि यदि अन्य राज्यों में भी कुछ प्रकरण दर्ज हुये तो , कन्हैया कुमार व उसके साथि‍यों को जमानत लेने में पसीने छूट जायेंगें , कानूनन तब जमानत संभव नहीं होगी । कन्हैया का समर्थक की परिभाषा में प्रत्यक्षत: व अप्रत्यक्षत: या किसी सोशल मीडिया या व्हाटस एप्पादि के जरिये समर्थन देने व देशद्रोहात्मक या राष्ट्रविरोधी कन्हैया कुमार का किसी भांति समर्थन किया है ।

ऐ दुश्मन तुझे डरने की जरूरत क्या है, तू आगे है और हम गोली पीछे चला रहे हैं , शेरों का क्या , कुत्ता भी हो सामने , पत्थर आगे नहीं , हम तो पीछे को फेंक रहे हैं

हमें लौटना होगा दोबारा पुरानी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ओर
...................................................................................
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
काफी चिन्तन के बाद एक निष्कर्ष तो लगभग तय है कि तथा कथि‍त अर्थशास्त्रीयों द्वारा तय की गई आधुनिक व आज की भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है , यद्यपि अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण ( ग्लोबलाइजेशन) और रूपये का प्रसार व फैलाव बढ़ाना तो ठीक बात है लेकिन इसके कारण बढ़ती मुद्रा स्फीति का बेलगाम होना और देश भर में मंहगाई का सुरसा के मुँह की तरह फैलना बेशक ही सोचनीय व चिन्तनीय बात है और इस जगह आकर ही आप साबित कर देते हैं कि भारत की प्राचीन ग्रामीण अर्थव्यवस्था संबंधी प्रणाली बेहद पुख्ता और सुदृढ़ रही है जिसमें मुख्य विनिमय आधार पारस्परिक सेवा विनिमय या वस्तु विनिमय रहा है और बीच में ''रूपया'' जैसे माध्यम के लिये बहुत ही संकीर्ण और लगभग '' ना'' के बराबर स्थान रहा है । जब से अर्थव्यस्था के सुदृढ़ीकरण के नाम पर बीच में माध्यम यानि ''रूपया'' डाला गया है, तब से बेशक ही तथाकथि‍त विदेशों में जाकर पढ़ लिख कर समय व धन बर्बाद करके आये अर्थशास्त्री देश के लिये या भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये  स्वत: ही अपरिचित , अन्जाने एवं अप्रासंगिक हो गये और उनके लिये यह भारत देश एक अर्थशास्त्र के प्रयोगों को करने की प्रयोगशाला मात्र बनकर रह गया । प्रयोगधर्मिता व ''विकासशील'' के नाम पर किये गये सारे ही प्रयोग भारत के ढांचे के अनुसार असफल और विनाशकारी ही सिद्ध हुये , हमने मुद्रास्फीति बढ़ाकर हमेशा सोचा कि हम विकास दर बढ़ा कर आगे जा रहे विकासशील देश हैं और कभी सोचा कि हम मुद्रास्फीति घटा कर विकास दर बढ़ा रहे हैं , आदमी की या साधारण आदमी की क्रय शक्त‍ि घटाते बढ़ाते रहने के फार्मूले में हमने इतने कीमती वर्ष गंवा दिये और आज हम अपने देश को गंवा देने और विदेशी धन के देश में विनियोग की या किसी भीख मांगते भि‍खारी की तरह दयनीय हालत में पहुँच चुके हैं । आज प्रदेशों व राज्यों की हालत बहुत नाजुक एवं खस्ता है , वे किसी अमीर उद्योगपति या औद्योगिक घरानों के तलुये चाट चाट कर पूरा राज्य लाल कारपेट बिछा कर उसे बदले में देने को तैयार हैं भले ही विधि‍ की सत्ता की यह अवधारणा हो कि ''राज्य जनता व वहॉं रहे प्रत्येक प्राणी की अमूल्य निधि‍ व संपत्त‍ि है, लेकिन राजनेताओं को विधि‍ की सत्ता की इस अवधारणा से कुछ लेना देना नहीं , वे अपने बाप का माल समझ कर पूरे प्रदेश को जैसे चाहे जिसे चाहे , जब चाहें सौंप देते हैं , इसके लिये उन्हें लगता है कि जनता ने उन्हें 5 साल के लिये खुद को और खुद की सारी निधि‍यों व संपत्त‍ि को ( जिसमें जनता की सामूहिक व निजी व्यक्त‍िगत प्रतिष्ठा एवं सम्मान भी शामिल है) किसी को भी सौंप देने का लायसेन्स दे दिया है और वे सब कुछ कर सकते हैं । उनकी अज्ञानता , अनुभवहीनता व विशेषज्ञता हीनता उन्हें स्वयं कुछ सोचने समझने विचारने की शक्त‍ि से विहीन करके उन्हे किराये के टट्टू  सुझाव देने वाले सलाहकार या किसी अन्य बैसाखी लगा कर चलने वाले पंगु व मतिहीन की तरह बाध्य कर देती है । लिहाजा पहले तो इसका उसका परामर्शदाता , सलाहकार सुझाव मंडल , परामर्शदाता मंडल चाहिये , यानि कि आपके पास स्वयं का दिमाग नहीं और ऊपर से आप चीख चीख कर साबित करते हैं कि आपके आसपास खड़ी करोड़ों कर्मचारीयों और अफसरों से भरी पड़ी , सातवें वेतनमान ( जनसंपत्ति‍ ) से पल पोस कर बढ़ रही पूरी की पूरी फौज बेमतलब की , नाकारा व मतिहीन , दिमाग विहीन तथा योजना परियोजना विहीन , वैसे ही यूं ही नियुक्त कर लिये गये गधों व टट्टूओं की फौज है , लिहाजा हर काम के लिये आपको कंसल्टैण्ट चाहिये , फिर ये सरकारी अफसरों व कर्मचारीयों की अनावश्यक सरकारी सातवें वेतनमान की इस फौज का मतलब भी क्या है , हटाइये इसे और कंसल्टैण्ट ही पालिये , कुल मिलाकर धारणा अवधारण तोड़कर पूरी तरह से पंगु हो चुकी राजनीति में आज हालत इतनी दयनीय व नाजुक है कि हर कोई यानि कि राज्य सरकार से लेकर देश की सरकार तक किसी न किसी को यह देश दे देने या सौंपने को हर पल तैयार है ।
पूर्णत: आश्रित स्थति से गुजर रहा आज की तारीख में यह भारत देश अभी तक ''विकासशील '' देश है , जबकि सच कुछ अलग व जुदा है , भारत तो बर्षों वर्ष पहले से विकसित देश रहा है और पूरे विश्व का पालनहार देश रहा है , पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का हजारों लाखों साल तक संचालन कर चुका देश है । विकासशील तो 70 साल का बुढ्ढा भी सदा रहता है वह 71 की ओर बढ़ रहा विकासशील है और 69 की तुलना में वह विकसित है , हम हमेशा बगल वाले किसान के खेत की फसल देख कर ही उसे उन्नत समझते आये हैं औ और वह किसान हमारे खेत की फसल देख कर हमें उन्नत समझता रहा है लेकिन शब्द विकासशील का तात्पर्य है अपने से बड़े की ओर देखना व हमेशा खुद को विकासशील कहना , विकसित का अर्थ है हमेशा अपने से छोटे की ओर देखना और खुद को विकसित कहना, हमने अपनी नसों में या तथाकथि‍त अर्थशास्त्रीयों ने देश को इतनी दयनीय व नाजुक हालत में पहुँचा दिया है कि हम हमेशा ही ''विकासशील'' देश ही बने रहेंगें और कभी विकसित देश नहीं बन पायेंगें , दूसरी भाषा में इसे ही 99 का फेर कहा जाता है , जो हमेशा पूरे 100 होने की प्रतीक्षा में सदैव ही ''विकासशील'' बना रहता है और वह कभी पूरा 100 नहीं बन पाता ।
जिहाजा कुल मिला कर जाहिर है कि जिन मस्त‍िष्क विहीन पंगु राजनेताओं ने पूरे के पूरे देश को ही प्रयोगशाला बना कर बर्बादी के कगार में इस कदर झोंक दिया हो कि उस देश में सरकारें वस्तुत: निर्वाचित नेताओं के हाथ में नहीं , बल्क‍ि किसी व्यापारिक व्यक्ति‍यों द्वारा या औद्योगिक घरानों के विनियोग या कुछ दे देने के लिये 24 घंटे भीख मांगने की हालत में पहुँच चुकी हों और प्रदेश व देश बेच देने के लिये पूरी तरह आतुर व रहम की पात्र बन चुकीं हों , बेशक जहॉं तीन चार पीढ़ीयां  पूरी तरह से बेरोजगार बैठीं हों , जिनके घरों का पालन पोषण बाप या दादा की पेंशन पर आश्रित होकर चल रहा हो , उन्हें कितना और बातों के बतासे बांट कर बहला बहला कर ये राजनेता वक्त गुजार सकेगें यह तो वही जानें , किन्तु इतना तो जाहिर है कि असल बेरोजगारी देश में 90 फीसदी से ऊपर जा चुकी है और पेंशनधारी भी कब तक जिन्दा रहेंगें , कब तक इस देश में लोगों के चूल्हे पेंशन पर जलते रहेंगें , एक आदमी की पेंशन में आठ दस लोग जिन्दा हैं , यह दशा कब तक इस देश में बनी रहेगी । यह तो ईश्वर ही जाने मगर यह तो जाहिर है कि इंतहा की भी सरहदें समाप्त हो चुकीं हैं और आने वाले दौर में या वक्त में कुछ ठोस नहीं हुआ तो भारत को जो कि आतंकवाद की प्रयोगशाला भी साथ ही साथ पनप कर बनता चला जा रहा है बेशक वह दिन दूर नहीं जब प्रयेग कर सरकारें बदल बदल कर बार बार उम्मीद लगा रही जनता का अंदरूनी आक्रोश फूट पड़े और ये सब्स‍िडी वो सब्स‍िडी , ये कार्ड , वो कार्ड के सारा खेल खत्म होकर गृहयुद्ध भारत देश में छिड़ जाये , विधि‍ की सत्ता पूर्णत: समाप्त हो जाये और लोग सड़कों पर आ जायें , एक दूसरे को खुलेआम लूटने मारने लगें , यह दिन दूर नहीं , इस लिहाज से आज एक ललित मोदी या विजय माल्या पी खा कर उड़ा कर बाहर भागने के रास्ते टटोलता फिर रहे हैं , पता लगे कि सारे ही नेता देश छोड़ छोड़ कर भाग गये , और जनता के पास उन्हें लूटने के लिये भी कुछ नहीं छोड़ गये । मंजर खतरनाक है , सचेत हो जाईये , सब्जबागों के दिखाते चले जाने से किसी के पेट नहीं भरते , हर फिल्म को एक निश्च‍ित वक्त पर समाप्त होना है , भारतवासी भूखे हैं उन्हें रोटी और रोजगार चाहिये , अवसरों की भरमार चाहिये , वरना खत्म हो यह लंबा इंतजार चाहिये ।       

ऐ दुश्मन तुझे डरने की जरूरत क्या है, तू आगे है और हम गोली पीछे चला रहे हैं , शेरों का क्या , कुत्ता भी हो सामने , पत्थर आगे नहीं , हम तो पीछे को फेंक रहे हैं
...........................................................................................................................................................................................................................
आज की राजनीति में उपरोक्त उदाहरण व दृष्टांत प्रासंगिक व स्मरणीय हो गये हैं जहॉं जरा सा पद पा कर ही मानव इतराने इठलाने लगता है और स्वयंभू ईश्वर स्वयं को मानने लगता है तथा अन्य प्राणीमात्र का उपहास उड़ाने लगता है या अहंकार , गर्व व मद से चूर होकर उसे पीड़ा देने लगता है । अंतत: परिणाम यह होता है कि वह स्वयं ही सबके लिये उपहास व पीडि़त रहने या होते रहने का पात्र बना लेता है । बेशक यह वाक्य उन राजनीतिज्ञों के लिये है जिन्हें मदांधता या पदांधता हो गई है और सबको उपहास का पात्र मानने लगा है ।
अब इस आलेख के शीर्षक पर आते हैं , अपने भाईयों से हम कहना चाहेंगें कि , राजनीति में किसी व्यक्त‍ि विशेष पर ज्यादा पोस्ट लिखने की जरूरत नहीं है और संभवत: इससे ज्यादा आपकी बेवकूफी का इससे बेहतरीन इस टॉपिक का शीर्षक संभव भी नहीं । जिस व्यक्त‍ि विशेष से केवल कांग्रेस संसद में ही लड़ सकते हैं , बाहर वालों के लिये उस व्यक्त‍ि का नाम लेना अब पूरी तरह से बीती बात हो चुकी है , और आपके सांसद लोकसभा व राज्यसभा में मौजूद हैं , और आप कहीं के भी सांसद नहीं हैं , आपके लिये केवल विधानसभा की लड़ाई ही फिलवक्त बेहतर है , फिलवक्त संसद में बैठे व्यक्त‍ि आपके टारगेट नहीं , अभी आपको तीन साल संसद में बैठे व्यक्त‍ि को टारगेट करने के लिये बेसब्री से प्रतीक्षा करनी है , उससे पहले फिलहाल किसी व्यक्त‍ि विशेष को छोड़ , जो कि अप्रांसगिक और इस वक्त असमय हैं  या अपरिपक्व बुद्धि के लिये हर समय बारहों महीने 24 घण्टे जो टेन्शन हैं , फिलहाल जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उन्हें टारगेट करिये , जो दुश्मन आगे है , उसी पर पत्थर व गोलियां चलाईये या फेंकिये , संसद में बैठा व्यक्त‍ि विशेष तो बहुत पीछे रह गया टारगेट हैं जो दो साल पहले टारगेट थे या तीन साल बाद टारगेट होंगें , अभी आपके टारगेट हालिया हो रहे व आगे होने वाले प्रदेशों के विधानसभा के चुनाव हैं । जिसमें व्यक्त‍ि विशेष से पहले होने वाला म.प्र. विधानसभा का भी चुनाव है । हमें बड़ी हैरत है कि आपके टारगेट पीछे हैं , यानि आप हाथ में आये पत्थर पीछे की ओर फेंक रहे हैं , और आगे खड़ा दुश्मन न केवल मस्ती से मुस्करा रहा है , बल्क‍ि आपकी बेवकूफी का पूरा आनंद भी ले रहा है , और बड़ी आसानी से हर जगह जीत दर जीत दर्ज कराता जा रहा है । आप पीछे की ओर गोलियां चला रहे हैं , या पत्थर फेंक रहे हैं और आपके पीछे आप ही के लोगों की फौज यानि सेना है । कुल मिला कर पीछे की ओर पत्थर फेंकने या गोली चलाने से कुछ होना जाना नहीं , इसी लिये आपके पीछे कोई नहीं है , पीछे की कतार खाली है , आपके पीछे आने से या चलने से हर आदमी डरता है क्योंकि बकौल आपकी रणनीति आपकी बहुत पुरानी आदत है पीछे की ओर बंदूक कर गोली चलाना या पत्थर फेंकना और अपने पीछे चल रही अपनी ही सेना के जवानों या अपनी ही फौज के लोगों का शि‍कार करना , और सामने चढ़े व खड़े दुश्मन से मुस्करा कर हाथ मिलाना व बात करना । इसलिये हर आदमी छाती ठोक कर आपके आगे आने को तैयार है , आपके पीछे आने को कोई तैयार नहीं ।