आने वाले सभी टूरिस्टों को चंबल की इस धरती मुरैना संसदीय क्षेत्र का सादर प्रणाम , होली के शुभ अवसर पर वंदन, अभिवादन, स्वागत (कुछ पंक्तियां होली पर दिल से आप लोगों के स्वागत गीत में )
ना हम तीरथ, ना हम ताजमहल या महल पिकनिक धाम कोई ।
पर किस्मत ही कुछ ऐसी अपनी कि सैलानी फिर भी आते हैं ।
अरे ना कोई रंज दिल में है, ना खुशियों की है बात कोई ।
अपनी तो वो हालत है जैसे हो ना हो अब साथ कोई ।
ये न मायूसियों के मंजर, है न हंसी खुशी की बात यहॉं ।
न स्याही है काली रातों की, न उजले दिन की धूप यहॉं ।
परिंदे यहॉं बसेरे करते हैं सुबह कभी और शाम यहॉं ।
जब तक दिल हो ठहरा करते, जब दिल हो उड़ जाते हैं ।
मेरा यह दिल बस एक बसेरा है, धर्मशाला हुआ शहर मेरा ।
टूरिस्ट यहॉं आया करते, घूम घाम सैर सपाटा कर जाते ।
लड़ते हैं खुद की तकदीरों से, हम दुर्भागी कुछ भाग लिये ऐसे ।
सबने बस हमको केवल समझा है, हम होटल लॉज हुये जैसे ।
माना सबकी अपनी अपनी हसरत हैं, अपनी हसरत कोई नहीं ।
हर विदेशी राज करे दिल पर, जैसे अंग्रेजों का उपनिवेश बना ।
ऐ भारत, कब बदलेगी तकदीर तेरी ऐ भारत देश मेरे ।
जो किस्सा है मेरी धरती का, वही है कुछ मेरे दिल का ।
दिल और देश , जन्मभूमि तक सभी गुलाम अभी तक हैं ।
आते हैं राज करें इन पर , पी खा घूम सैर कर चले गये ।
ना बदली तकदीर कभी दिल की, ना देश की आदत बदली ।
ना जन्मभूमि धरती की मेरी , नहीं कभी किस्मत बदली ।
(बुरा ना मानो होली है )
........ नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
- शुभ प्रभात मित्रवर ....... जय श्री कृष्ण .... जय जय श्री राधे
ना हम तीरथ, ना हम ताजमहल या महल पिकनिक धाम कोई ।
पर किस्मत ही कुछ ऐसी अपनी कि सैलानी फिर भी आते हैं ।
अरे ना कोई रंज दिल में है, ना खुशियों की है बात कोई ।
अपनी तो वो हालत है जैसे हो ना हो अब साथ कोई ।
ये न मायूसियों के मंजर, है न हंसी खुशी की बात यहॉं ।
न स्याही है काली रातों की, न उजले दिन की धूप यहॉं ।
परिंदे यहॉं बसेरे करते हैं सुबह कभी और शाम यहॉं ।
जब तक दिल हो ठहरा करते, जब दिल हो उड़ जाते हैं ।
मेरा यह दिल बस एक बसेरा है, धर्मशाला हुआ शहर मेरा ।
टूरिस्ट यहॉं आया करते, घूम घाम सैर सपाटा कर जाते ।
लड़ते हैं खुद की तकदीरों से, हम दुर्भागी कुछ भाग लिये ऐसे ।
सबने बस हमको केवल समझा है, हम होटल लॉज हुये जैसे ।
माना सबकी अपनी अपनी हसरत हैं, अपनी हसरत कोई नहीं ।
हर विदेशी राज करे दिल पर, जैसे अंग्रेजों का उपनिवेश बना ।
ऐ भारत, कब बदलेगी तकदीर तेरी ऐ भारत देश मेरे ।
जो किस्सा है मेरी धरती का, वही है कुछ मेरे दिल का ।
दिल और देश , जन्मभूमि तक सभी गुलाम अभी तक हैं ।
आते हैं राज करें इन पर , पी खा घूम सैर कर चले गये ।
ना बदली तकदीर कभी दिल की, ना देश की आदत बदली ।
ना जन्मभूमि धरती की मेरी , नहीं कभी किस्मत बदली ।
(बुरा ना मानो होली है )
........ नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
- शुभ प्रभात मित्रवर ....... जय श्री कृष्ण .... जय जय श्री राधे