बुधवार, 27 मई 2009

किसान के पास आय का अतिरिक्त साधन होना जरूरी : सुश्री रंजना चौधरी

किसान के पास आय का अतिरिक्त साधन होना जरूरी : सुश्री रंजना चौधरी

खरीफ का रकबा तथा उत्पादन बढ़ेगा, दुग्ध जाँच प्रयोगशाला की होगी स्थापना

ग्वालियर 25 मई 09। खरीफ फसल का कार्यक्रम निर्धारण तथा रबी की समीक्षा के लिये आज स्थानीय स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान में उत्पादन आयुक्त सुश्री रंजना चौधरी की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में ग्वालियर-चम्बल संभाग के रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ किसान को अतिरिक्त आय का साधन सुलभ कराने तथा क्षेत्र के दुग्ध उत्पादन में गुणात्मक सुधार लाने व मिलावटखोरी को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया गया। मिलावटखोरी को समाप्त करने के लिये जहां 6 माह के भीतर ग्वालियर में प्रयोगशाला स्थापित करने पर सहमति बनी वहीं दुग्ध संघ शिवपुरी तथा श्योपुर में दुग्ध संग्रहण कार्य को बढ़ावा देगा। नये चिलिंग प्लांट लगाये जायेंगे। श्योपुर जिले के गोरस ग्राम से गाय का दूध संग्रहित कर शुध्द गाय का दूध भी नागरिकों को सुलभ कराया जायेगा। ग्वालियर चंबल संभाग के पुराने बगीचों की सुध ली जायेगी, ऐसे खस्ताहाल बगीचों का जीर्णोध्दार  होगा। ड्रीप सिंचाई योजना का लाभ अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाया जायेगा। दोनों संभागों में भेड़-बकरी पालन, कुक्ट पालन तथा मत्स्य पालन पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। आज दो सत्रों में सम्पन्न इस बैठक में प्रमुख सचिव श्री मनोज गोयल, दुग्ध संघ की प्रबंध निदेशक श्रीमती शिखा दुबे, आयुक्त सहकारिता श्री विश्वमोहन उपाध्याय, संचालक वेटनरी डा. पी एस. जाट, प्रबंधक निदेशक लाईव स्टाक डॉ. बी एन. सिंगल, संचालक मत्स्य पालन श्री एच एस. सिधु, संचालक उद्यानिकी श्री ए के. सिंह, संचालक कृषि श्री शर्मा, प्रबंध संचालक अपेक्स बैंक श्री सुशील मिश्रा, मुख्य महाप्रबंधक मार्कफेड श्री आर के. चौकसे, बीज निगम के महाप्रबंधक , ग्वालियर संभाग के संभागायुक्त डॉ. कोमल सिंह, चम्बल संभाग के आयुक्त श्री एस डी. अग्रवाल सहित ग्वालियर-चम्बल डिवीजन के सभी जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, कृषि, पशु-पशुपालन, सहकारिता, मत्स्य पालन एवं सभी संबंधित विभागों के संभागीय तथा जिला अधिकारी उपस्थित थे।

      कृषि उत्पादन आयुक्त सुश्री चौधरी ने विगत वर्ष के कृषि उत्पादन की सराहना करते हुए आगामी फसल के लिये निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्त हेतु अभी से कृषि आदानों के पुख्ता बन्दोबस्त कराने की हिदायत दी। ग्वालियर संभाग में खरीफ 2009 में 846.80 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। गत वर्ष 758.32 हजार हेक्टेयर में ही खरीफ फसल बोई जा सकी थी। ग्वालियर संभाग में खरीफ 2009 में 1161.85 हजार मी.टन कृषि उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गत वर्ष खरीफ में 910.48 हजार मी.टन खाद्यान उत्पादन हुआ था।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने खाद्यान्नों के उत्पादन में बढ़ोतरी की अनिवार्यता को रेखांकित करते हुये इसे सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र निरूपित किया । उन्होंने कहा कि बजट का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र पर लगाया जा रहा है ताकि कृषि उत्पादन में भी अपेक्षित वृध्दि दर अर्जित की जा सके । उन्होंने सभी जिला कलेक्टर्स से व्यक्तिगत रूचि लेकर विभागीय अमले को सही नेतृत्व देने की अपील की । उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन वृध्दि के साथ-साथ कृषि आधारित अन्य व्यवसाय अपना-कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी समृध्दि लाई जावे। साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, फूड सिक्यूरटी मिशन तथा वॉटर रिस्ट्रक्चरिंग जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के लचीलेपन का लाभ लेकर स्थानीय प्राथमिकता आधारित योजनाओं द्वारा प्राथमिक सेक्टर को मजबूत किया जावे।

ग्वालियर तथा चंबल संभाग में पशुपालन को बढ़ावा देने पर बल देते हुये उन्होंने पशु नस्ल संवर्धन, पशु स्वास्थ्य रक्षा, उपलब्ध संसाधनों के उचित दोहन तथा अंर्तविभागीय समन्वय पर विशेष बल दिया । उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बकरी पालन के कार्य को प्राथमिकता से बढ़ाया जाना चाहिये । सुश्री चौधरी ने कहा कि राजस्थान जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में न केवल बकरी पालन अपितु दुग्ध उत्पादन व्यवसाय को भी परिणाममूलक ढंग से किया जा सकता है तो कोई कारण नहीं कि हम ग्वालियर तथा चंबल संभाग में इस दिशा में सफल न हो । वैसे भी गौ-भैंस वंश की दृष्टि से ग्वालियर तथा चंबल संभाग में प्रदेश का सर्वाधिक 47.17 प्रतिशत पशुधन है । साथ ही दुग्ध उत्पादन में भी मुरैना तथा श्योपुरकंला प्रदेश का अग्रणी क्षेत्र है जहां से प्रदेश का 23.19 प्रतिशत दूध प्राप्त होता है । पशुओं की नस्ल सुधार की दृष्टि से भी उन्होंने सभी प्रयासों को तेजी से करने की हिदायत दी । उन्होंने कहा कि पशुपालन ऐसा व्यवसाय है जिसके लिये सदा बाजार मौजूद रहता है ।

मध्यप्रदेश में वनों से सटे ग्रामों का उल्लेख करते हुये उत्पादन आयुक्त ने कहा कि प्रदेश के 55000 ग्रामों में से लगभग 20000 ग्राम वनों से सटे 5 किलोमीटर के दायरे वाले बफर जोन में आते हैं । इन क्षेत्रों की ज्वाइंट फोरेस्ट मैनेजमेंट कमेटियों के सदस्य जैविक खेती को बढ़ावा देने सहित क्षेत्र विकास में सहयोगी हो सकते हैं । उन्होंने जिला कलेक्ट्ररों से वन विभाग के अधिकारियों के माध्यम से इनका भी उपयोग क्षेत्र के प्राथमिक सेक्टर को मजबूत करने की दिशा में करने की बात कही ।

 बैठक में संभागायुक्त ग्वालियर डॉ. कोमल सिंह ने किसान को आधारभूत ईकाई मानकर उनकी खेती योग्य भूमि के अलावा उपलब्ध भूमि में उद्यानिकी, वनीकरण अथवा अन्य जो भी उपयोग किया जा सकता हो उसके लिये प्रेरित करने पर जोर दिया। उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा गरीबी रेखा से नीचे वाले कृषकों को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के तहत कृषि उपयोगी कार्यों में संसाधन सुलभ कराने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने बीमा, क्रेडिट कार्ड तथा बैंकों से लिंक करने को भी प्राथमिकता से पूरा करने की बात कही। संभागायुक्त ने रबी तथा खरीफ की तर्ज पर ग्रीष्मकालीन जायद फसलों की भी योजना बनाने पर बल दिया ताकि फसल सघनता का प्रतिशत बढ़ाया जा सके। उन्होंने इन्टर क्रापिंग पर भी विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।

बैठक में दोनों संभागों के जिला कलेक्ट्ररों ने अपने-अपने क्षेत्र की कृषि विशेषताओं तथा आवश्यकताओं की तरफ ध्यान दिलाते हुये उन्नत किस्म के बीजों की व्यवस्था का आग्रह किया। उत्पादन आयुक्त ने गुना जिले में हर गांव खेत की मिट्टी परीक्षण के कार्य करवा लिये जाने के प्रयास की सराहना की । उन्होंने उद्यानिकी विभाग की योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की तथा उनके क्रियान्वन को परिणाममूलक बनाने के लिये जरूरी हिदायतें दी । बैठक में उर्वरक की माकूल व्यवस्था, कृषि ऋण तथा किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने के काम की भी समीक्षा की गई।

संभागायुक्त डॉ. कोमल सिंह ने कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, मत्स्य पालन आदि विभागों के अधिकारियों को जिला कलेक्ट्रर तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के सतत संपर्क में रहकर काम करने की हिदायत दी । उन्होंने कहा कि टीम भावना से संयुक्त प्रयासों द्वारा ही लक्ष्य अर्जित किया जा सकता है । साथ ही डॉ. सिंह ने प्रदेश की कृषि उत्पादन आयुक्त को विशेष गंभीरता से समीक्षा करने, कृषि आधारित व्यवसायों को बढ़ाने का मार्ग सुझाने तथा श्रेष्ठ मार्गदर्शन के लिय न केवल आभार व्यक्त किया अपितु उन्हें लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में ठोस प्रयासों का भी आश्वासन दिया ।

 

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