नेपाल के लिये हो गया .... अब थोड़ा देश के लिये भी हो जाये
संदर्भ / अपील / किसान / ओलावृष्टिै / 2015/5/13 दिनांक 4 मई 2015
एक विनम्र अपील
समस्त भारत भू भाग के निवासियों एवं विदेशों से
हम संपूर्णत: स्वतंत्र भारत ( महाभारत) के अंतिम व चक्रवर्ती क्षत्रिय राजपूत राजवंश के लोग आप सबसे विनम्र अपील करते हैं कि विगत माह में एवं उससे पूर्व लगातार विगत दस वर्ष से हमारे भारत के , विशेषकर हमारी चम्बलघाटी के किसान , खेत निरंतर प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त हैं , एक ज्ञात आंकड़े के अनुसार विगत 15 वर्ष में भारत में 3 लाख से ज्यादा किसान फसल , खेत, घर , कर्ज आदि जैसे नुकसानों से पीडि़त होकर आत्महत्यायें कर चुके हैं । अकेले म.प्र. में विगत दस वर्षों में इन प्राकृतिक आपदाओं से मरने एवं आत्महत्यायें करने वाले किसानों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है । इस प्रकार से बर्बाद हुये हमारे किसानों को न तो कोई मुआवजा या राहत राशि सरकार की ओर से और न ही किसी अन्य संस्था, संगठन या व्यक्तिो मात्र से आज तक मिली है ।
हमारे संपूर्ण चम्बल क्षेत्र में समस्त कृषि भूमि में सारी फसलों का पूर्णत: ही 100 प्रतिशत नुकसान विगत माह हुई ओलावृष्टिन एवं बरसात के कारण हो गया है । और किसानों के पास खाने को भी एक दाना अनाज शेष नहीं बचा है, उनके भुखमरी में और कंगाली में होने के साथ ही ऊपर से उनकी बेटीयों व बेटों के विवाह भी , बच्चों की पढ़ाई लिखाई आदि शुल्क की व्यवस्था के अभाव में या तो पूरी तरह बंद हो गई है या उनके पिता माता निरंतर आत्महत्यायें कर रहें हैं ।
चूंकि भारत का विशेषकर म.प्र. का सरकारी अमला पूरी तरह भ्रष्ट एवं पत्थर दिल , रहमहीन बेरहम तंत्र के रूप में कार्यरत है । जो कि ए.सी. कमरों में बैठकर फर्जी व काल्पनिक खेत व किसान बर्बादी के आंकड़े गढ़ता रहता है और यदि भूले से कभी कोई किसानों को मिलने वाली राहत या मुआवजा राशि आ भी जाये तो उसे हड़प कर स्वयं को सरसब्ज करता रहता है ।
आप सबने नेपाल के भूकंप पीडि़तों के लिये भारी उदारता व मानवता दिखाकर जो सहयोग किया है , वह हृदय से प्रशंसनीय और सराहनीय है एवं मानवता सदैव इसके प्रति कृतज्ञ रहेगी ।
हम आपसे विनम्र प्रार्थना एवं अपील करते हैं कि हम अपने चम्बल क्षेत्र में बर्बाद हुये , बदहाल किसानों को रोज भूख से मरते, दम तोड़ते , आत्महत्यायें करते देख रहे हैं , यह दुख हमारा असहनीय व वेदनापूर्ण है । अत: जैसी उदारता व मानवता व कृतज्ञता आप सभी ने नेपाल के भूकंप पीडि़तों के लिये दिखाई है , आपसे अनुरोध है कि कृपया उसका मात्र दसवां अंश मात्र सहयोग भी आप हमारे चम्बल के किसानों के लिये कर देंगें तो निसंदेह हमारे चम्बल क्षेत्र के किसानों का वर्तमान संकट हल हो जायेगा और उन्हें भी जीवन प्राप्त हो जायेगा और अगली खेती व फसल तक वे जीवित रह पायेंगें , बेटे बेटियों के विवाह कर सकेंगें , उनकी पढ़ाई लिखाई का शुल्कादि वे दे सकेंगें ।
अस्तु उपरोक्तानुसार अनुरोध है कि कृपया आप जो भी उचित समझें , चम्बल के किसानों के लिये सहायता राशि का चेक/ बैंक पे आर्डर / मनी आर्डर या अन्य प्रकार के किसी माध्यम से हमें भेज दें । हम जिस किसान को आपकी पूरी राशि प्रदान करेंगें , उसका पूरा नाम ब्यौरा , खेत खसरा खाता संख्यादि से आपको अवगत करा देंगें , जिससे आप जब चाहें तब उस किसान से संपर्क कर सकें । भारत का या म.प्र. का या चम्बल का सरकारी तंत्र भ्रष्ट एवं अविश्वसनीय है, अत: निवेदन है कि आप किसी भी किसान की सहायता हेतु सीघा संपर्क किसान से या या सीधे हमसे करें , और सहायता राशि भी तदनुसार प्रदत्त करें या भेजें । विनम्र अनुरोध व हार्दिक अपील के साथ , विनम्रत: धन्यवाद ।
आपका अपना
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’
संदर्भ / अपील / किसान / ओलावृष्टिै / 2015/5/13 दिनांक 4 मई 2015
एक विनम्र अपील
समस्त भारत भू भाग के निवासियों एवं विदेशों से
हम संपूर्णत: स्वतंत्र भारत ( महाभारत) के अंतिम व चक्रवर्ती क्षत्रिय राजपूत राजवंश के लोग आप सबसे विनम्र अपील करते हैं कि विगत माह में एवं उससे पूर्व लगातार विगत दस वर्ष से हमारे भारत के , विशेषकर हमारी चम्बलघाटी के किसान , खेत निरंतर प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त हैं , एक ज्ञात आंकड़े के अनुसार विगत 15 वर्ष में भारत में 3 लाख से ज्यादा किसान फसल , खेत, घर , कर्ज आदि जैसे नुकसानों से पीडि़त होकर आत्महत्यायें कर चुके हैं । अकेले म.प्र. में विगत दस वर्षों में इन प्राकृतिक आपदाओं से मरने एवं आत्महत्यायें करने वाले किसानों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है । इस प्रकार से बर्बाद हुये हमारे किसानों को न तो कोई मुआवजा या राहत राशि सरकार की ओर से और न ही किसी अन्य संस्था, संगठन या व्यक्तिो मात्र से आज तक मिली है ।
हमारे संपूर्ण चम्बल क्षेत्र में समस्त कृषि भूमि में सारी फसलों का पूर्णत: ही 100 प्रतिशत नुकसान विगत माह हुई ओलावृष्टिन एवं बरसात के कारण हो गया है । और किसानों के पास खाने को भी एक दाना अनाज शेष नहीं बचा है, उनके भुखमरी में और कंगाली में होने के साथ ही ऊपर से उनकी बेटीयों व बेटों के विवाह भी , बच्चों की पढ़ाई लिखाई आदि शुल्क की व्यवस्था के अभाव में या तो पूरी तरह बंद हो गई है या उनके पिता माता निरंतर आत्महत्यायें कर रहें हैं ।
चूंकि भारत का विशेषकर म.प्र. का सरकारी अमला पूरी तरह भ्रष्ट एवं पत्थर दिल , रहमहीन बेरहम तंत्र के रूप में कार्यरत है । जो कि ए.सी. कमरों में बैठकर फर्जी व काल्पनिक खेत व किसान बर्बादी के आंकड़े गढ़ता रहता है और यदि भूले से कभी कोई किसानों को मिलने वाली राहत या मुआवजा राशि आ भी जाये तो उसे हड़प कर स्वयं को सरसब्ज करता रहता है ।
आप सबने नेपाल के भूकंप पीडि़तों के लिये भारी उदारता व मानवता दिखाकर जो सहयोग किया है , वह हृदय से प्रशंसनीय और सराहनीय है एवं मानवता सदैव इसके प्रति कृतज्ञ रहेगी ।
हम आपसे विनम्र प्रार्थना एवं अपील करते हैं कि हम अपने चम्बल क्षेत्र में बर्बाद हुये , बदहाल किसानों को रोज भूख से मरते, दम तोड़ते , आत्महत्यायें करते देख रहे हैं , यह दुख हमारा असहनीय व वेदनापूर्ण है । अत: जैसी उदारता व मानवता व कृतज्ञता आप सभी ने नेपाल के भूकंप पीडि़तों के लिये दिखाई है , आपसे अनुरोध है कि कृपया उसका मात्र दसवां अंश मात्र सहयोग भी आप हमारे चम्बल के किसानों के लिये कर देंगें तो निसंदेह हमारे चम्बल क्षेत्र के किसानों का वर्तमान संकट हल हो जायेगा और उन्हें भी जीवन प्राप्त हो जायेगा और अगली खेती व फसल तक वे जीवित रह पायेंगें , बेटे बेटियों के विवाह कर सकेंगें , उनकी पढ़ाई लिखाई का शुल्कादि वे दे सकेंगें ।
अस्तु उपरोक्तानुसार अनुरोध है कि कृपया आप जो भी उचित समझें , चम्बल के किसानों के लिये सहायता राशि का चेक/ बैंक पे आर्डर / मनी आर्डर या अन्य प्रकार के किसी माध्यम से हमें भेज दें । हम जिस किसान को आपकी पूरी राशि प्रदान करेंगें , उसका पूरा नाम ब्यौरा , खेत खसरा खाता संख्यादि से आपको अवगत करा देंगें , जिससे आप जब चाहें तब उस किसान से संपर्क कर सकें । भारत का या म.प्र. का या चम्बल का सरकारी तंत्र भ्रष्ट एवं अविश्वसनीय है, अत: निवेदन है कि आप किसी भी किसान की सहायता हेतु सीघा संपर्क किसान से या या सीधे हमसे करें , और सहायता राशि भी तदनुसार प्रदत्त करें या भेजें । विनम्र अनुरोध व हार्दिक अपील के साथ , विनम्रत: धन्यवाद ।
आपका अपना
नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’
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