शनिवार, 14 फ़रवरी 2009

सहकारिता: सामूहिक विकास का मार्ग

सहकारिता: सामूहिक विकास का मार्ग

       सहकारिता सह अस्तित्व को मान्य करते हुए सामूहिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। साहूकार, बिचौलिये एवं दूकानदारों के चंगुल से ग्रामीण गरीब लोगों को मुक्त कराने में सहकारिता एक सशक्त माध्यम है। सहकारिता के द्वारा आमलोगों को अच्छी गुणवत्ता की सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध होती है तथा सहकारी संस्था को होने वाले लाभ को सदस्यों में लाभांश के रूप में वितरित कर दिया जाता है। सहकारी आन्दोलन ने देश के किसानों की तकदीर ही बदल दी है। उन्हें कृषि कार्यों के लिये खाद, बीज, कृषि उपकरण, काम एवं कम ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है। वहीं दूसरी ओर उचित मूल्य की दूकानों से सस्ती दर पर खाद्यान भी सुलभ होता है।

       ग्रामीण क्षेत्रों में साहूकारों द्वारा ऊंची ब्याज दर पर गरीबों को ऋण दिया जाता है, जिससे वे कर्ज में डूब जाते हैं और साहूकार उनकी जमीन हड़प लेते हैं। इससे गरीब और अधिक गरीब होते गये। कहीं -कहीं यह भी परंपरा थी कि ग्रामीण थोड़ी -थोड़ी पूंजी एकत्रित करके रखते थे, जिससे गांवों में किसी के यहां शादी आदि के कार्यक्रम होने पर उसे आवश्यक राशि मुहैया करा दी जाती थी और उस व्यक्ति से किश्तों में राशि वसूल करली जाती। इस राशि पर मामूली ब्याज लिया जाता था, जिससे वह राशि और बढ़ती रहती। इस प्रकार आपसी सहयोग के द्वारा लोग बड़े से बड़े कार्य कर लेते थे। इसी आधार पर सहकारी आन्दोलन की शुरूआत हुई है।

      अब इस आन्दोलन में सहकारिता अधिनियम के अन्तर्गत सहकारी समितियों का पंजीयन जिले के पंजीयक कार्यालय में होता है। समिति का अपना बायलॉज (उपनियम) होता हैं, जिसके अनुसार संस्था कार्य करती है। इसमें गठन के समय निर्धारित संख्या में सदस्य संख्या होती है तथा ये सदस्य अंशपूंजी के रूप में निर्धारित राशि एकत्रित कर बैंक में खाता खोलते हैं। संस्था के प्रारंभ में एक संचालक मण्डल का गठन होता है, जिसका वार्षिक आमसभा में निर्वाचन होता है। साधारण सभा की बैठक वर्ष में एक बार होती है, जिसमें संस्था के सभी सदस्यों को आमंत्रित किया जाता है। संचालक मण्डल की बैठक प्रत्येक माह में एक बार होती है। संस्था के संचालक मण्डल का निर्वाचन प्रत्येक 5 वर्ष में होता है। इनका सहकारिता विभाग के अंकेक्षकों द्वारा वर्ष में एक बार अंकेक्षण किया जाता ह,ै लेकिन बड़ी संस्थाओं का आडिट सतत रूप से होता है। साधारण सभा की बैठक में संस्था का लेखा-जोखा एवं अंकेक्षण टीप सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत कर अनुमोदन लेलिया जाता है।

      सहकारी संस्थाएं अनेक प्रकार की होती हैं। कृषि संस्थाएं-कृषकों को खाद, बीज, कृषि उपकरण एवं कृषि सामग्री के रूप में ऋण देती हैं। इसके अलावा खेती के कार्यों के लिये नगद ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है। इसी प्रकार उचित मूल्य की दूकान संचालित करने वाली संस्थाओं से उपभोक्ताओं को खाद्य सामग्री एवं केरोसिन सस्ती दर पर प्रदाय किया जाता है। उपभोक्ता भण्डारों से गृह उपयोगी विभिन्न प्रकार की सामग्री क्रय की जा सकती है। विपणन सहकारी संस्थाएं भी मशीनरी एवं कृषि का सामान विक्रय करती हैं। गृह निर्माण सहकारी समितियों से सस्ती दर पर भूखण्ड विक्रय किये जाते हैं तथा आवास संघ से मकान बनाने के लिये ऋण मुहैया कराया जाता है। औद्यौगिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किये जाते हैं। इनके अलावा मछली पालन, श्रमिक संस्थाएं तथा विभिन्न प्रकार की सहकारी संस्थाओं द्वारा अपने सदस्यों को अनेक तरीकों से लाभान्वित किया जाता है।

     

      संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं श्री के के. शर्मा ने बताया कि ग्वालियर चंबल संभाग में सहकारिता अधिनियम के तहत 1454 दोनों संभागों में  पंजीबध्द हैं। जिले ग्वालियर में 179 संस्थाएं पंजीबध्द है, दतिया में 52, शिवपुरी में 143, गुना में 19, अशोकनगर में 8, मुरैना में 62, श्योपुर में 14 और भिण्ड में 185 संस्थाएं पंजीबध्द हैं। इसके अलावा ग्वालियर चंबल संभाग में राज्य सहकारी बैंक एक, सहकारी कृषि एवं ग्रामीण बैंक एक, विपणन संघ 7, उपभोक्ता संघ एक, बुनकर संघ एक और तिलहन संघ की 7 संस्थाएं संचालित हैं। इसके अलावा मुरैना तहसील के कैलारस में एक शक्कर कारखाना और गुना जिले के नारायणपुर में एक शक्कर कारखाना सहकारी समितियों द्वारा कार्यरत है।

      ग्वालियर चंबल संभाग में उचित मूल्य की 2517 दुकानें हैं ये दुकानें उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उपभोक्ता सामग्री मुहैया कराती हैं। ग्वालियर जिले में उचित मूल्य की 586, दतिया में 217, शिवपुरी में 698, गुना में 212 अशोक नगर में 198, मुरैना में 292, श्योपुर में 184 और भिण्ड में 530 दुकानें हैं।

      ग्वालियर -चंबल संभाग में अभी तक 3 लाख 96 हजार 6 सौ क्रेडिट कार्ड बनाये जा चुके हैं। क्रेडिटकार्ड धारी किसानों को सहकारी और और व्यवसायिक बैंकों द्वारा रियायती ब्याज दर पर ऋण दिये जा रहे हैं। ग्वालियर जिले में अभी तक 50 हजार 709 किसानों को विभिन्न बैंकों द्वारा शिविर लगाकर क्रेडिट कार्ड जारी किये जा चुके है। इसी प्रकार दतिया में 55 हजार 76 , शिवपुरी में 62 हजार 255, गुना में 38 हजार 321, अशोकनगर में 21 हजार 115, मुरैना में 54 हजार 71, श्योपुर में 31 हजार 885 और  भिण्ड में 83 हजार 168 क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं। सर्वाधिक क्रेडिट कार्ड भिण्ड जिले में बनाये गये हैं।

       ग्वालियर चंबल संभाग में चालू रबी में 34 हजार 7 सौ टन यूरिया खाद का वितरण किया गया। सीजन में ग्वालियर में 7 हजार 862 टन, दतिया में 6 हजार 715 टन, शिवपुरी में 4 हजार 876, गुना में 3 हजार 707 अशोक नगर में 1 हजार 174, भिण्ड में 4 हजार 72, मुरैना में 6 हजार 310, श्योपुर में 3 हजार 314 टन यूरिया का वितरण किया गया। यूरिया की सर्वाधिक खपत ग्वालियर जिले में हुई तथा दूसरा स्थान दतिया जिले का रहा। किसानों को उचित समय पर उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराया गया।

ग्वालियर चंबल संभाग में किसानों को 43 हजार 922 टन डी. ए. पी. खाद का वितरण किया गया। इसी प्रकार ग्वालियर जिले में 10 हजार 729 टन डीएपी खाद का वितरण किया गया। इसीप्रकार दतिया जिले में चालू रबी सीजन में 5 हजार 623 टन, शिवपुरी में 5 हजार 899 टन, गुना में 4 हजार 472 टन, अशोकनगर में 1 हजार 387 टन, भिण्ड में 8 हजार 357 टन, मुरैना में 5 हजार 744 टन, श्योपुर में 1 हजा 712 टन डीएपी खाद का वितरण किया गया।

ठीक ही कहा गया है कि  बिना सहकार, नहीं उध्दार।

 

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