गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के संबंध में कार्यशाला सम्पन्न लाड़ली लक्ष्मी योजना कन्या भ्रूण हत्या रोकने का एक कारगर उपाय

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के संबंध में कार्यशाला सम्पन्न लाड़ली लक्ष्मी योजना कन्या भ्रूण हत्या रोकने का एक कारगर उपाय

ग्वालियर 18 फरवरी 09। आज स्थानीय शेल्टर होटल में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के संबंध में जागृति लाने के लिए एक विशाल कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशला का उद्धाटन महापौर श्री विवेक शेजवलकर ने किया इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या एक अक्षम्य अपराध है इससे आने वाले समय में सामाजिक संतुलन बिगड़ेगा और हमारी सभ्यता एवं संस्कृति खतरे में पड़जायेगी। इस कार्य का सर्वाधिक प्रभावकारी ढंग से महिलाएं कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी रोक लगना चाहिए। राज्य शासन की लाडली लक्ष्मी योजना और मुख्य मंत्री कन्यादान योजना के कारण इस कन्या भ्रूण हत्या और लड़कियों के संबंध में मानसिकता में बदलाव परिलक्षित हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य शासन ने महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देकर महिलाओं में नई जागृति पैदा की है।

       कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या एक ज्वलंत समस्या है, इसके प्रति समाज में सवेदनशीलता की जरूरत है इसके उचित समाधान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल संभाग में यह समस्या और भी जटिल हो गई है। इसके पीछे सामंतवादी सोच मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों में कन्याओं के प्रति अच्छी मानसिकता है वे कन्या को देवी का रूप मानते हैं। उन्होने यह भी कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों में प्रवचन देते हए धर्म गुरूओं को कन्या भ्रूण हत्या रोकने का उपदेश देते हुए कन्या के महत्व का आमजन के मन में उतार देना चाहिए। कन्याओं के प्रति सामाजिक बदलाव की जरूरत है।

       इस अवसर पर प्रो. ए पी एस. चौहान ने कहा कि वेदों और पुराणों में स्त्रियों के महत्व को प्रतिपादित करते हुए लक्ष्मी को धन की देवी, दुर्गा को शक्ति की देवी, और काली को रक्षा मंत्री का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूरा समाज पुरूष प्रधान समाज है इसमें बदलाव अब शुरू हो गया है मगर इसमें और भी समय लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को शिक्षित किया जाय, उन्हें व्यवसायिक शिक्षा दी जाये। तथा समाज में और सम्पत्ति में उन्हें बराबरी का दर्जा दिया जाये। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य जब जंगल में रहता था, उस समय महिलाओं और पुरूषों में कोई भेद नहीं था। मगर धीरे धीरे महिलाएं बच्चों और रसोई तक सीमित हो गई और पुरूषों का महत्व बढ़ता गया। पुरूषोचित मानसिकता का दुष्परिणाम है ,कन्या भ्रूण हत्या।

       इस अवसर पर स्वयंसेवी संस्था ''धरती'' के संयोजक श्री देवेन्द्र भदौरिया ने कहा कि स्त्री गर्भ के अंदर और बाहर दोनों तरफ असुरक्षित है। गर्भ निर्धारण तकनीक का दुरूपयोग हो रहा है। इस अपराध में चिकित्सक और कन्या के माता-पिता तीनों शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कन्या भ्रूण हत्या बंद नहीं हुई तो महिला हिंसा, बलात्कार, बहु-पति-प्रथा, महिलाओं की खरीद-फरोख्त आदि में चिंताजनक बढ़ोत्तरी होगी।

इस अवसर पर समाज सेवी श्रीमती मीरा डाबर ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या के मामले में ज्यों-ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए समाजिक चेतना और परस्पर समझाइश की सख्त जरूरत है तथा समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित होते रहना चाहिए।

       कार्यक्रम को डॉ. अर्चना शिंगवेकर, डॉ. कल्पना जैन, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्रीमती सीमा शर्मा ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ उपेन्द्र गुप्ता के अलावा बड़ी संख्या में के. आर. जी. कॉलेज की छात्राएं और बड़ी संख्या में महिला सुपरवाइजर्स उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संचालन परियोजना अधिकारी श्रीमती इंदिरा साहनी ने किया।

 

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