रविवार, 21 अक्टूबर 2007

मुरैना पुलिस अधीक्षक के बयान पर भड़के चम्‍बलवासी, चौतरफा निन्‍दा और आक्रोश

मुरैना पुलिस अधीक्षक के बयान पर भड़के चम्‍बलवासी, चौतरफा निन्‍दा और आक्रोश

पुलिस के खिलाफ बोलने वालों को सफेदपोश अपराधी मानकर जेल भेजेंगें एस.पी.साहब

एस.पी ने कहा चम्‍बल के हर दूसरे घर में और हर तीसरा आदमी डकैत है

मुरैना 21 अक्‍तूबर 2007 । मुरैना के पुलिस अधीक्षक डॉ हरी सिंह यादव द्वारा कल तथाकथित डकैती की योजना बनाते तथाकक्थित डकैतों की गिरफतारी पर समूची चम्‍बल को डकैत और चम्‍बल की संस्‍कृति को डकैत संस्‍कृति कहने पर चम्‍बल के लोग भड़क गये हैं , साथ ही पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस की बुराई / निन्‍दा करने वालों को सफेदपोश अपराधी और डकैतों का सहयोगी साथी बताने पर भी लोगों का गुस्‍सा चरम पर है ।

आज मुरैना जिला में हुये क्षत्रिय सम्‍मेलनों तथा अन्‍य दशहरा मिलन समारोहों में पुलिस अधीक्षक का बयान न केवल छाया रहा बल्कि लोगों ने घोर निन्‍दा और आलोचना करते हुये पुलिस अधीक्षक के पुन: परीक्षा में बैठने और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की जॉंच की मांग कर डाली ।

उल्‍लेखनीय है कि पुलिस के खिलाफ बोलने या लिखने वालों को सफेद पोश अपराधी व डकैतों का साथी घोषित कर उन्‍हें फर्जी केसों में फंसा कर जेल भिजवाने की अप्रत्‍यक्ष धमकी भी पुलिस अधीक्षक ने दे डाली थी जिससे चम्‍बल के मीडिया में भी खासा आक्रोश फैल गया है ।

आज क्षत्रिय समाज और आम जनता ने खुले आम पुलिस अधीक्षक के प्रति खुलकर आक्रोश व्‍यक्‍त किया और उन्‍हें दम्‍भी अहंकारी और फर्जी कार्यवाहीयों का स्‍पेशलिस्‍ट घोषित कर दिया । क्षत्रिय समाज और पत्रकारों ने पुलिस अधीक्षक को सम्‍मेलनों में खुली चुनौती दी, यदि श्रीमान बहादुर हैं तो मुरेना में क्‍या कर रहे हैं भारत पाक सीमा पर डयूटी लगवा लें पता चल जायेगा, कि बहादुर चम्‍बल के बेटे हैं जो वहॉं जान पर खेलकर देश की रक्षा कर रहे हैं या देशभक्‍त नौजवानों को अपराधी कहने और मारने की धमकी देने वाला एक पागल अफसर , क्षत्रियों ने कहा देश भक्ति, देश पर मर मिटने की तमन्‍ना, अन्‍याय के खिलाफ जंग, न्‍यायप्रियता और अत्‍याचार के खिलाफ बुलन्‍द आवाज चम्‍बल की संस्‍कृति है, और रामप्रसाद विस्मिल इसके सबूत हैं, रचनात्‍मकता यहॉं का रिवाज है महाराजा मानसिंह तोमर इसके उदाहरण हैं, म.प्र. हाईकोर्ट के मुख्‍यन्‍यायाधीश ए.के. पटनायक तक ने मुरैना आकर केवल एक सवाल पूछा था कि अगर पुलिस ठीक काम कर रही है और अदालत ठीक काम कर रही है तो लोग क्‍यों लेते हैं चम्‍बल में बदला 1

चम्‍बल की संस्‍कृति डकैती नहीं बगावत है और बगावत, विद्रोह व विरोध का दूसरा नाम है जो अत्‍याचार के खिलाफ खुली ऐलानी जंग है ।     

लोगों में गुस्‍सा इतना अधिक था कि, पुलिस अधीक्षक के फेवर में बोल पड़े कुछ लोगों की मौके पर ही लोगों ने धुनाई कर दी ।        

 

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2007

सिंधिया एक तराशा हुआ हीरा और मैं जौहरी- दिग्विजय सिंह

सिंधिया एक तराशा हुआ हीरा और मैं जौहरी- दिग्विजय सिंह

याहू हिन्‍दी समाचार

म.प्र. सरकार के खिलाफ कॉग्रेस की रैलीयां फिर से होगीं शुरू

एक मंच पर दिखे दिग्विजय और ज्योतिरादित्य

 

Oct 17, 11:28 pm

गुना। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव तथा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा स्थानीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे अरसे बाद सभी मतभेद भुलाकर एक मंच पर नजर आए तथा इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे से मतभेद होने संबंधी समाचारों को गलत बताया।

बुधवार को यह मौका था स्थानीय बाइपास रोड पर कांग्रेस के भूमि पूजन का। इस कार्यक्रम में सिंह मुख्य अतिथि थे जबकि सिंधिया ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर सिंधिया ने सिंह को एक बुजुर्ग नेता बताते हुए कहा कि वे बडे़ हैं और इस नाते वे उन्हे डांट भी सकते हैं। उन्होंने कहा, कुछ लोग हम दोनों के बीच आकर गलतफहमी पैदा कर देते हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस एक है और एक ही रहेगी।

सिंधिया ने कांग्रेस को मजबूत बनाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि भाजपा के खिलाफ होने वाली रैलियों में आगे भी दोनों एक मंच पर मौजूद रहेंगे। सिंह ने इस अवसर पर स्वयं को राजनीति का जौहरी बताते हुए कहा कि हीरे की परख उन्हें हैं और सिंधिया एक तराशा हुआ हीरा है।

 

शनिवार, 13 अक्टूबर 2007

खेद सूचना विण्‍डोज अपडेट से ग्‍वालियर टाइम्‍स के कम्‍प्‍यूटर्स खराब समाचार अपडेशन विलम्‍ब

खेद सूचना विण्‍डोज अपडेट से ग्‍वालियर टाइम्‍स के कम्‍प्‍यूटर्स खराब समाचार अपडेशन विलम्‍ब

हम अपने प्रिय सुधी पाठकों से क्षमा चाहते हैं, हमारे कम्‍प्‍यूटरों में विण्‍डोज अपडेट तथा इण्‍टरनेट एक्‍सप्‍लोरर 7 अपग्रेडेशन के पश्‍चात अचानक आयी खराबी से समाचार अपडेशन यूनिट अपना काम पिछले दो दिन से नहीं कर पायी । हालांकि विण्‍डोज अपडेट अब सभी सेटों में से ऑफ कर दी गयी है, लेकिन इस दरम्‍यान सारे सेट फारमेट करने पड़े जिससे समाचार अपडेशन एकदम ठप्‍प हो गया । हालांकि विण्‍डोज अपडेट की इस समस्‍या से समूचे विश्‍व में आधुनिक उपयोक्‍ताओं को इस समस्‍या से जूझना पड़ रहा है और ताजा खबर के अनुसार विण्‍डोज विस्‍टा अपडेट भी आटोमेटिक डिस्‍टर्ब हो गया है । खैर अभी हमारी साइटों का अपडेशन कुछ समय तक धीमा रहेगा जब तक कि सारे कम्‍प्‍यूटर पुन: अपना काम शुरू नहीं कर देते । हमें इसके लिये खेद है । जिन पाठकों द्वारा या संवाददाताओं द्वारा पिछले एक सप्‍ताह से जो फोटोग्राफ या समाचार आदि भेजे गये हैं वे कृपया उन्‍हें दोबारा प्रेषित कर दें, कॅम्‍प्‍यूटर फारमेटिंग की वजह से सारा माल साफ हो गया हे । पॉप ई मेल क्‍लाइण्‍ट विण्‍डोज अपडेट के बाद एकदम ठप्‍प हो जाने से वेब ई मेल पर अभी कुछ समय काम करना पड़ सकता है, कृपया स्‍मरण रखें ।         

 

इस वर्ष बराड़ा में फुंकेगा देश का सबसे ऊंचा रावण

इस वर्ष बराड़ा में फुंकेगा देश का सबसे ऊंचा रावण

रामलीला क्लब, बराड़ा, जिला अम्बाला         संस्थापक अध्यक्ष- तेजिन्द्र सिंह चौहान

 

       अम्बाला, (निर्मल रानी- स्‍तम्‍भ लेखिका ग्‍वालियर टाइम्‍स)     अक्तूबर, भले ही देश कितनी ही तरक्ंक़ी क्यों न कर रहा हो, अमेरिकी डॉलर के मुंकाबले में भारतीय मुद्रा दिन-प्रतिदिन मंजबूत क्यों न होती जा रही हो, भारतीय सूचकांक नई ऊंचाईयों को भले ही क्यों न छूता जा रहा हो, धार्मिक प्रवचनों की चारों ओर बौछार सी होती क्यों न दिखाई दे रही हो। परन्तु इन सभी सकारात्मक संकेतों के बावजूद यह भी सच है कि बुराई, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, अत्याचार, अराजकता, आतंकवाद, जातिवाद तथा साम्प्रदायिकता भी दिन-प्रतिदिन अपने चरम पर पहुंचती ही जा रही है।

              प्रत्येक वर्ष दशहरा के अवसर पर बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक स्वरूप रावण जैसे अहंकार एवं आतंक के प्रतीक का पुतला पूरे देश में जलाया जाता है। इस अवसर पर अम्बाला ंजिले के बराड़ा ंकस्बे में आयोजित किया जाने वाला दशहरा अपने आप में कई मायने में अनूठा है। रामलीला क्लब बराड़ा के संस्थापक अध्यक्ष तेजिन्द्र सिंह चौहान के निर्देशन तथा संरक्षण में आयोजित किए जाने वाले रामलीला के इस दस दिवसीय आयोजन में उच्च स्तरीय मंचन के दृश्य तो देखने को मिलते ही हैं, इसके अतिरिक्त रामलीला की स्टेज की साज-साा भी इतनी आकर्षक, भव्य तथा सुन्दर है कि हरियाणा तथा आसपास के राज्यों में इसका मुंकाबला नहीं किया जा सकता।

              उधर 21 अक्तूबर को विजयदशमी के दिन बराड़ा में फूंके जाने वाले विशालकाय रावण के विषय में तेजिन्द्र सिंह चौहान का कहना है कि जैसे-जैसे देश में बुराई, आतंकवाद व साम्प्रदायिकता बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे हम प्रत्येक वर्ष बुराई के प्रतीक रावण की ऊंचाई को भी बढ़ा देते हैं। गत् वर्ष बराड़ा में चौहान के निर्देशन में तैयार किया गया रावण देश में दूसरे स्थान का सबसे ऊंचा रावण था। गत् वर्ष इसकी ऊंचाई लगभग 95 ंफुट थी। परन्तु बीते वर्ष में पानीपत (समझौता एक्सप्रेस), हैदराबाद तथा अजमेर में हुए बम विस्ंफोटों से फिर यह जाहिर हुआ कि आतंकवाद अभी भी निरंतर बढ़ता ही जा रहा है अत: इस वर्ष रावण की ऊंचाई और भी बढ़ा दी गई है। चौहान का दावा है कि इस वर्ष बराड़ा में तैयार होने वाला रावण देश का सबसे ऊंचा रावण होगा।

              बराड़ा का यह रावण जहां लगभग 110 ंफुट की ऊंचाई के आसपास पहुंचकर अपना राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाने का प्रयास करेगा, वहीं साम्प्रदायिक सौहार्द्र स्थापित करने में भी इस रावण की कम भूमिका नहीं है। तेजिन्द्र चौहान के निमंत्रण पर इस बार पहली बार आगरा से बारह मुस्लिम कारिगरों का एक जत्था रावण बनाने हेतु बराड़ा आया हुआ है। मोहम्मद उस्मान के नेतृत्व में आए मुस्लिम कारिगरों का कहना है कि बराड़ा में आकर उन्हें कला के प्रति जो प्रेम तथा साम्प्रदायिक सद्भाव का जो दृश्य देखने को मिला, उन्होंने पहले कभी कहीं नहीं देखा। यह सभी मुस्लिम कारिगर तेजिन्द्र चौहान के समर्पण व कला प्रेम के भी ंकायल हैं तथा उनका कहना है कि चौहान के इसी प्रेम के चलते हम सभी बराड़ा आ सके हैं। जहां बराड़ा में देश का सबसे ऊंचा रावण बन रहा है, वहीं रावण के साथ मेघनाथ व कुम्भकर्ण की भी विशालकाय आकृतियां इन्हीं मुस्लिम कारिगरों के हाथों तैयार की जा रही हैं।

              ज्ञातव्य है कि गत् एक दशक से भी अधिक समय से बराड़ा में आयोजित होने वाला दशहरा एवं इसमें निर्मित होने वाला रावण स्वयं तेजिन्द्र सिंह चौहान द्वारा अपने ही निर्देशन में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर तैयार किया जाता था। परन्तु इस वर्ष पहली बार चौहान के निमंत्रण पर मुस्लिम कारिगर आगरा से बराड़ा आए हैं तथा दिन-रात मेहनत कर देश के सर्वोच्च रावण बनाए जाने की तैयारी में जुटे हैं। चौहान का मानना है कि दशहरा सहित सभी ऐसे त्यौहार जोकि बुराईयों पर अच्छाई की विजय के प्रतीक स्वरूप मनाए जाते हों अथवा वे जो साम्प्रदायिक एकता व सद्भाव की मिसाल पेश करते हों, उन समस्त त्यौहारों को चाहे वे किसी भी धर्म एवं सम्प्रदाय के क्यों न हों, सामाजिक त्यौहार के रूप में मनाया जाना चाहिए। ऐसा करने से हर धर्मों के लोग हर धर्मों के त्यौहारों में आसानी से शरीक हो सकेंगे तथा देश में साम्प्रदायिक सद्भाव मंजबूत होगा। रामलीला क्लब

 

 

दो दर्जन कर्मचारियों पर निलम्बन और वेतन राजसात करने की कार्रवाई

पहाडगढ़ की शालाओं का आकस्मिक निरीक्षण

 

दो दर्जन कर्मचारियों पर निलम्बन और वेतन राजसात करने की कार्रवाई

 

मुरैना 12 अक्टूबर 2007 // कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने कार्य के प्रति लापरवाही और अनियमिततायें पाये जाने पर जिले के आदिवासी विकास खण्ड पहाढगढ़ में पदस्थ शिक्षा विभाग के दो दर्जन कर्मचारियों के विरूध्द कठोर कार्रवाई की है । इसमें से चार कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है तथा 10 कर्मचारियों के विरूध्द एक-एक माह और दो कर्मचारियों का 15-15 दिन का वेतन राजसात करने की कार्रवाई की गई है ।

       यह कार्रवाई कलेक्टर के निर्देश पर जिला परियोजना समन्वयक श्री ए.के. त्रिपाठी एवं अन्य अधिकारियों द्वारा 5 अक्टूबर को विभिन्न शालाओं के किये गये निरीक्षण के दौरान पाई गई गंभीर अनियमिततायें और लापरवाही के कारण की गई है । कलेक्टर ने बताया कि आकस्मिक निरीक्षण की यह कार्रवाई जारी रहेगी और अनियमितता पाये जाने पर सम्बंधितों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी ।

       निरीक्षण के दौरान शालाओं के संचालन और मध्यान्ह भोजन वितरण की अनियमितता और शिक्षकों एवं छात्रों की अनुपस्थिति पाये जाने पर कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी पहाडगढ़ श्री ददई सिंह, जन शिक्षक (सीएसी) श्री शिवकुमार पाण्डे और श्री राजेन्द्र सविता तथा प्राथमिक विद्यालय खौरा के सहायक शिक्षक श्री देवेन्द्र सिंह भदौरिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है । निलंबन अवधि में इन कर्मचारियों का मुख्यालय शासकीय माध्यमिक विद्यालय कन्हार रहेगा।

       इसी प्रकार शाला से लगातार अनुपस्थित रहने के कारण प्राथमिक विद्यालय धौंधा के शिक्षा कर्मी वर्ग-3 श्री संजय कुमार शाक्य और श्री वृजकिशोर वाथम, प्राथमिक विद्यालय जडेरू के शिक्षा कर्मी वर्ग -3 श्री मुकेश वाथम और सहायक शिक्षक श्री भरत सिंह चौधरी तथा माध्यमिक विद्यालय धौंधा के शिक्षा कर्मी वर्ग-2 श्री सिरिल टोप्यो का एक-एक माह का वेतन राजसात करते हुए दो वेतन वृध्दियां रोकने हेतु कारण बताओं सूचना पत्र जारी किया गया है।

       माध्यमिक विद्यालय धौंधा के संविदा शिक्षक श्रेणी -3 श्री दशरथ सिंह मीणा, माध्यमिक विद्यालय जडेरू के संविदा शिक्षक  श्रेणी -2 श्री जगमोहन राठौर और श्री मनोज कुमार शाक्य प्राथमिक विद्यालय ओरेठी की संविदा शिक्षक श्रेणी -3 श्रीमती सीमा शाक्य तथा शिक्षा गारंटी शाला शिकारी का पुरा की संविदा शिक्षक श्रेणी -3 श्रीमती गीता शाक्य के विरूध्द एक-एक माह का वेतन राजसात करने की कार्रवाई की गई है। इन कर्मचारियों को भविष्य में अनियमितताओं की पुनरावृति पाये जाने पर पद से पृथक करने की कार्रवाई हेतु सचेत किया गया है ।

       शिक्षा गारंटी शाला सहरैयन का पुरा के गुरूजी श्री नरेश शर्मा और श्री प्रकाशचन्द्र जाटव का 15-15 दिवस का वेतन राजसात किया गया है तथा भविष्य में अनियमितता की पुनरावृति पाये जाने पर पद से हटाने की चेतावनी दी गई है । प्राथमिक विद्यालय ओरेठी के सहायक शिक्षक श्री वनवारी पुरी का एक दिन की अनुपस्थिति का वेतन काटने के निर्देश दिए गये हैं । जन शिक्षक (सीएसी) श्री अरविन्द्र सिंह चौधरी को निरीक्षण के दौरान स्कूल बंद मिलने के कारण दो वेतन वृध्दि रोकने का नोटिस दिया गया है । शिक्षकों की कमी के दृष्टिगत शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय पहाढगढ़ में सम्बध्द कुमारी अंतिमा शर्मा को उनके मूल पदस्थापना स्थान प्राथमिक विद्यालय खौरा में भेजने के निर्देश मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पहाडगढ़ को दिए गए हैं। पहाडगढ़ के बी आर सी श्री रविन्द्र सिंह तोमर के विरूध्द भी अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की गई है । 

       रामसुमरन दास स्व सहायता समूह को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण हटा दिया गया है और इसके स्थान पर नवीन वी.पी.एल.महिला आदिवासी स्व सहायता समूह को मध्यान्ह भोजन व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपने के निर्देश दिए गए हैं । सचिव जय शिव शंकर स्व सहायता समूह गहतोली और सचिव जय अम्बे स्व सहायता समूह कन्हार को मीनू के अनुसार मध्यान्ह भोजन नहीं देने के कारण सात दिवस में व्यवस्थाओं को सुधारने का नोटिस दिया गया है । व्यवस्था में सुधार नहीं आने पर संबंधितों से राशि वसूली की कार्रवाई की जायेगी ।

 

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2007

बी.एस.एन.एल. मुरैना में एन.एफ.टी.ई आन्‍दोलन के तीसरे चरण का धरना प्रदर्शन

बी.एस.एन.एल. मुरैना में एन.एफ.टी.ई आन्‍दोलन के तीसरे चरण का धरना प्रदर्शन मुरैना 10 अक्‍टूबर 2007 – भारत संचार निगम लिमिटेड के मुरैना स्थित परिसर में आज एन.एफ.टी.ई. बी.एस.एन.एल. सी.एच.क्‍यू. के राष्‍ट्रव्‍यापी आव्‍हान पर किये जा रहे आन्‍दोलन की प्रथम व द्वितीय चरण की विशिष्‍ट सफलता के उपरान्‍त इसी आन्‍दोलन के क्रम में तीसरे चरण के तहत धरना व प्रदर्शन का आयोजन मुरैना बी.एस.एन.एल. के कर्मचारीयों द्वारा आयोजित किया गया । जिसमें भारी संख्‍या में बी.एस.एन.एल. कर्मचारी सम्मिलित हुये ।
इस आन्‍दोलन का नेतृत्‍व एवं धरना प्रदर्शन में मुख्‍य भूमिका कामरेड गण सर्व श्री डी.एस. भदोरिया- जिला सचिव, गजेन्‍द्र सिंह यादव – प्रभारी जिला सचिव, व्‍ही.एन.एस. चौहान, अमर सिंह यादव, एस.आर.एस. तोमर, आर.के. जैन, आर.के. श्रीवास्‍तव, वाय.एस. भदौरिया, ए.एस. भदौरिया, वी.पी.एस. नरवरिया आदि ने निभाते हुये धरना प्रदर्शन में सक्रिय रूप से सम्मिलित हुये ।
उल्‍लेखनीय है कि बी.एस.एन. एल कर्मीयों द्वारा की जा रही प्रमुख मागों में दूसरा वेतन समझौता लागू करने, 5 प्रमोशन,, 1 जनवरी 2007 से 5000 रू. की अंतरिम राहत देने,, अनुकम्‍:पा नियुक्ति में सीलिंग समाप्‍त करने, सभी ट्रेड यूनियनों को ट्रेड यूनियन सुविधायें देने, स्‍थानान्‍तरण नीति, पेंशन वायदा खिलाफी न किये जाने, नये वेतन समझौते से पहले वेतन विसंगतियों का निराकरण किये जाने,, सी.डी.ए. नियम 2006 में संशोधन किये जाने, कैण्‍टीन टेलीकॉम फैक्‍ट्री, सिविल, इलेक्ट्रिकल, की समस्‍यायें शीघ्र निराकृत किये जाने को लेकर यह आन्‍दोलन चलाया जा रहा है ।
आज कार्यालयीन लंच समय में धरना देने वाले अन्‍य प्रमुख कर्मचारीयों में सर्व श्री विश्राम सिंह, सुनील राना, कोक सिंह, एन.के.जैन, गंगाराम दौहरे, आदि भी सम्मिलित थे, जिन्‍होंने प्रदर्शन में भी भाग लिया ।
आन्‍दोलन के समापन कार्यक्रम में श्री जी.एस. यादव ने कर्मचारीयों द्वारा आन्‍दोलन को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने व एकता प्रदर्शन के प्रति आभार प्रदर्शन किया और आने वाले समय में सी.एच.क्‍यू. एन.एफ.टी.एल. के निर्देश पर और बड़े आन्‍दोलन तथा संघर्ष के लिये तैयार रहने का आव्‍हान किया ।

मंगलवार, 9 अक्टूबर 2007

संयुक्त वन प्रबंधन

संयुक्त वन प्रबंधन

श्रीमती कल्पना पाल्कीवाला

भारत में भूमि उपयोग की दृष्टि से कृषि के बाद दूसरा स्थान वानिकी का है। देश के 7,74,770 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन हैं, जो कुल भूमि उपयोग का 23.57 प्रतिशत हैं। सकल घरेलू उत्पाद में वन क्षेत्र का योगदान 1 प्रतिशत से कुछ अधिक है। किंतु, पारिस्थितिकी प्रणाली सेवाओं के रूप में इस क्षेत्र का अनौपचारिक योगदान कई गुणा अधिक है। भारत में करीब 27.5 करोड़ ग्रामीण निर्धन अपनी आजीविका के लिए आंशिक रूप से वनों पर निर्भर हैं। 8.9 करोड़ जनजातीय आबादी और 47.1 करोड़ मवेशियों के वनों में रहने और 30 करोड़ घनमीटर ईंधन की लकड़ी वनों से निकाले जाने के कारण वनों पर भारी जीवीय (वाइऑटिक) दबाव बढ़ गया है। ग्रामीण लोग ईंधन की लकड़ी, चारा, लट्ठा और अनेक गैर-इमारती वन उत्पादों, जैसे फल, फूल और औषधीय पौधों से धन कमाते हैं।  ग्रामीण भारत की 70 प्रतिशत आबादी घरेलू उर्जा की जरूरतें पूरी करने के लिए ईंधन की लकड़ी की जरूरत पूरी करने के लिए वनों पर निर्भर है। भारत के 8.9 करोड़ जनजातीय लोगों में से आधे वन क्षेत्रों में रहते हैं।

मानव वन संबंध

       मानव और वनों का संबंध सदियों पुराना है। वर्तमान परिस्थितियों में वनों के संरक्षण और उन्हें स्थायित्व प्रदान करने के लिए सक्षम प्रबंधन एवं प्रभावकारी दीर्घकालिक योजना तैयार करना अनिवार्य है। पश्चिम बंगाल में अराबारी जंगलों, हरियाणा में सुखोमाझड़ी परियोजना और चुहापुर हर्बल नेचर पार्क, कर्नाटक में चित्रदुर्ग रेंज में जोगीमाटी आरक्षित वन क्षेत्र, उड़ीसा में अंगुल घुम्सर और भांजानगर वन क्षेत्र, राजस्थान में चंदेलकलां और भानपुरकलां के जंगल, उत्तरांचल में चोपड़ा गांव, कर्नाटक में बीदर, छत्तीसगढ़ में कटांडिह आदि वन परियोजनाओं की सफलताओं और साथ ही देश के कई भागों में स्वयं पहल करने वाली संस्थाओं, स्वयंसेवी वन संरक्षण समितियों के प्रयासों के रूप में भागीदारी पूर्ण प्रबंधन सिध्दांतों की आवश्यकता को समझा गया है। औद्योगिक वानिकी पर प्रारंभिक ध्यान केन्द्रित किए जाने की आवश्यकता को देखते हुए वनों के संरक्षण, प्रबंधन और विकास के तौर तरीकों में परिवर्तन की आवश्यकता है। 80 के दशक में सामाजिक वानिकी के अनुभवों से धीरे धीरे स्थानीय लोगों की भूमिका को औपचारिक रूप से समझा गया और ''देखभाल एवं हिस्सेदारी'' के सिध्दांतों पर आधारित प्रबंधन को अपनाया गया। राष्ट्रीय वन नीति (एनएफपी) 1988 में संशोधित की गयी, जिसमें वन प्रबंधन लक्ष्यों में व्यापक बदलाव किए गए। ईंधन की लकड़ी, चारा और लघु इमारती लकड़ी संबंधी ग्रामीण और जनजातीय आबादी की जीविका की आवश्यकताओं के संबंध में नीति में प्रथम परिवर्तन किया गया। 1990 में राज्य वन विभागों को निर्देश दिए गए थे कि वे वन प्रबंधन व्यवस्थाओं में स्थानीय समुदायों को प्रत्यक्ष रूप से शामिल करें।

      इस पध्दति को आम तौर पर संयुक्त वन प्रबंधन (जेएफएम) का रूप दिया गया।

संयुक्त प्रयास

      सरकार समय समय पर दिशा-निर्देश जारी करती है। वह प्रारंभ में बुनियादी ढांचा प्रदान करती है, जिसके अंतर्गत वन भूमि तक पहुंच, वृक्षों की बिक्री से होने वाले लाभ में हिस्सेदारी, फलों से संबध्द वृक्षों, झाड़ियों, घासों और औषधीय पौधों के रोपण पर बल देने जैसे उपाय शामिल हैं। इन प्रयासों की परिणति आज महिलाओं की भागीदारी, संयुक्त वन प्रबंधन के बेहतर क्षेत्रों में विस्तार और संसाधनों के पुन: सृजन में योगदान के रूप में हुई है।

      सभी राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों ने केन्द्रीय रणनीति के रूप में संयुक्त वन प्रबंधन की नीति को अपनाया है। वन विभागों और ग्राम समितियों को गांवों के स्तर पर संयुक्त वन प्रंबंधन समितियों में भागीदार बनाया गया है। संयुक्त वन प्रबंधन के अंतर्गत फिर से हरे-भरे बनाए गए वन क्षेत्रों से प्राप्त होने वाले अंतिम एवं आवर्तक उत्पादों के संदर्भ में निश्चित हिस्सा प्रदान किया जाता है। यह हिस्सा सदस्यों को राजस्व बंदोबस्त पर मूल वनों के अंतर्गत उनकी परंपरागत हकदारी के रूप में मिलने वाली हिस्सेदारी से कहीं अधिक होता है।

      देश में आज 16,000 जेएफएम समितियां हैं, जो 2.2 करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र का प्रबंधन करती हैं।

      संयुक्त वन प्रबंधन का अर्थ है, स्थानीय समुदायों और वन विभागों द्वारा संयुक्त रूप से प्रयास करना। इस पध्दति में प्रबंधन लक्ष्यों में बदलाव दिखायी देता है, जिनमें राजस्व अर्जित करने की बजाय पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी सुरक्षा पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इससे लोगों और वनों के बीच संबंध बहाल करने में मदद मिलती है। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह व्यवस्था कानूनी सहायता प्रदान करती है।

      संयुक्त वन प्रबंधन समिति ग्राम स्तरीय लोकतांत्रिक संस्थान का प्रतिनिधित्व करती है। समिति के सामान्य सभा में गांव के सभी इच्छुक व्यस्क सदस्य शामिल होते हैं, और उसकी अध्यक्षता बहुमत के आधार पर चुने गए अध्यक्ष द्वारा की जाती है। संयुक्त वन प्रबंधन समिति की रोजमर्रा की कार्यप्रणाली के लिए सदस्यों द्वारा कार्यकारिणी का चुनाव किया जाता है। सामान्य सभा का अध्यक्ष कार्यकारिणी का भी अध्यक्ष होता है। महिलाओं और समाज के अन्य कमजोर वर्गों की प्रभावकारी एवं सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नीति-दिशा निर्देशों में प्रचुर प्रावधान होते हैं। विभिन्न राज्यों में संयुक्त वन प्रबंधन समिति को अलग अलग नाम से जाना जाता है, जैसे वन संरक्षण समिति (एफपीसी), ग्राम वन समिति (वीएफसी), वन संरक्षण समिति (वीएसएस) आदि।

      जेएफएमसी द्वारा एक बृहत् योजना तैयार की जाती है, जिसमें एक दस्तावेज प्रस्तुत किया जाता है। इसमें गांव के बारे में बुनियादी आंकड़े शामिल होते हैं और अलग पांच या दस वर्षों में प्रस्तावित गतिविधियों का उल्लेख किया जाता है। यह दस्तावेज स्थानीय समुदायों द्वारा चुनी गयी गतिविधियों के अनुसार तैयार किया जाता है।

संयुक्त वन प्रबंधन समिति संरक्षण, संरक्षा, वनरोपण के विभिन्न मॉडल, नर्सरी तैयार करने, मृदा एवं नमी संरक्षण कार्य, जागरूकता पैदा करने संबंधी कार्य, वन संरक्षण से संबध्द प्रबंधन प्रवेश बिंदु गतिविधियां, आजीविका सुधार ओर वनों के विकास जैसी विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का संचालन करती है।

संवर्ध्दनात्मक गतिविधियां

      प्रवेश बिंदु गतिविधियों का संबंध संवर्ध्दनात्मक गतिविधियों के साथ है, जिनकी शुरूआत लोगों का विश्वास प्राप्त करने के साथ की जाती है। इन गतिविधियों में सिंचाई, पेयजल की आवश्यकता के लिए रोकबांध जैसे जल संरक्षण ढांचों का निर्माण, मृदा नमी क्षेत्र में सुधार, पेयजल आपूर्ति के लिए कुओं की खुदाई, सड़कों और पुलियों का निर्माण, सहायक ढांचे का निर्माण, स्कूल भवन, सामुदायिक भवन बनाना और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना, आदि शामिल हैं।

लाभ

संयुक्त वन प्रबंधन से बड़े पैमाने पर लोगों को अनेक लाभ हुए हैं। ईंधन की लकड़ी और इमारती लकड़ी की जरूरतें पूरी करना आसान हो गया है। इससे होने वाले अन्य फायदों में पारिस्थितिकी के प्रत्यक्ष लाभ, दिहाड़ी कार्य के जरिए रोजगार के अवसर, परिसंपत्तियों का निर्माण, गरीबी उन्मूलन और आजीविका के विकल्प उपलब्ध कराना शामिल है। इसके अतिरिक्त फूलों, फलों का उत्पादन और अंतिम उत्पादन में 50 से 100 प्रतिशत तक भागीदारी का प्रावधान भी इसमें शामिल है।

      परोक्ष फायदों में पारिस्थितिकी संतुलन बहाल करना प्रमुख है। इससे वन आच्छादित क्षेत्र में वृध्दि होती है और मृदा नमी क्षेत्र में निरंतर सुधार होता है। वन क्षेत्रों के आसपास के खेतों में फसल के संरक्षण और भूमि कटाव रोकने में भी मदद मिलती है।

      संयुक्त वन प्रबंधन के जरिए आजीविका सुरक्षित करने में मदद मिलती है। जेएफएमसी के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाता है, ताकि आजीविका में सुधार के लिए सदस्यों के कौशल और संसाधनों का भलीभांति दौहन किया जा सके। कई गांव में पत्तों की प्लेटें बनाने, रेशम कीट पालने, बांस से टोकरियां और अनुषंगी वस्तुएं बनाने, वर्मी कम्पोस्टिंग और पारिस्थितिकी-पर्यटन जैसी गतिविधियां संचाािलत की जा रही हैं।

वरिष्ठ मीडिया एवं संचार अधिकारी, पीआईबी, दिल्ली