सोमवार, 27 जून 2011

फुस्स फटाखा रामदेव और खोखले बांस से मेरा टेसू झईं अड़ा का सुर आलापते अन्ना

फुस्स फटाखा रामदेव और खोखले बांस से मेरा टेसू झईं अड़ा का सुर आलापते अन्ना

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

भाग-1

अभी फेसबुक पर अन्ना और रामदेव कांडों के सारे सिलसिले चलते कुछ मजेदार रोचक बातें जहॉं उभर कर सामने आयीं वहीं देश का नेतृत्व संभाल रहे जिम्मेवार आला नेताओं के भी जोरदार बयान आये, बयान युद्ध से लेकर अनशन संग्राम तक इस देश को पूरा एक लाइव टी.वी. सीरीयल देखने को मिला, देश ने बड़ी तसल्ली से पूरा टी.वी. सीरीयल देखा, सारे पात्रों की गजब की एक्टिंग भी देश ने देखी, सेंसर्ड सीन भी देखे तो अनसेंसर्ड भी जमकर देखा । हॉट बदनाम मुन्नी , हॉट शीला की जवानी भी देखने में आयी तो हॉट आइटम बॉय भी खूब देखने को मिले, कुल मिला कर मल्टी कास्ट मल्टी स्टार मल्टी मसाला फिल्म जनता को फोकट में देखने को मिली, जिसका हर सीन हर पल रोमांच और रोमांस से भरपूर फुल सस्पेन्स से रचा सना था ।

इधर अन्ना ने अपनी तुरही जंतर मंतर पर फूंकी उधर व्यायाम गुरू रामदेव का तन मन डोलने लगा और तमन्नायें बल्ली बल्ली उछल कर अंगड़ाईयां मारने लगीं । पूरी तरह बर्फ में लगी भाजपा को तलाशे तलाशे कोई मुद्दा नहीं मिल रहा था उसके हाथ भी जैसे अलाउद्दीन का चिराग लग गया और लगी दनादन घिसने कि ओये जिन्न निकल, ओये जिन्न निकल , इस सबके दरम्यां केन्द्र सरकार के पहलवान एक एक कर अखाड़े में उतरते रहे और बिना कपड़े उतारे बल ठोकते रहे, कुल मिला कर नतीजा ये निकला कि अन्ना के पहले आंदोलन पर गिड़गिड़ा कर नतमस्तक हुये केन्द्र सरकार के पहलवानों ने चारों खाने चित्‍त होकर सारे अखाड़े का ऐसा तिया पांचा एक किया कि वो भूल गये कि वे सरकार हैं ।

भूल गये कि देश में संसद कहीं है, उन्हें ख्याल ही नहीं रहा कि जंतर मंतर पर जो हो रहा है वो इस देश के लिये , इस देश के संविधान के लिये, लोकतंत्र के लिये खुला चैलेंज है, देश में एक बागी जंतर मंतर पर अपने गिरोह को लेकर देश के लोकतंत्र को, देश की संसद को, भारत की जनता द्वारा चुनी गयी संसद को और सरकार को खुली बगावत कर खुली चुनौती दे रहा है, इससे देश का समूचा संसदीय लोकतंत्र, समूची संवैधानिक व्यवस्था और देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा, सरकार ने उसकी और उसके गिरोह की मांगें मान लीं । एक साझा मसौदा समिति गठित कर डाली, अब यह साझा मसौदा समिति किस कानून के तहत या संविधान के किस अनुच्छेद के तहत गठित हुयी ये देश में किसी को भी नहीं पता यहॉं तक कि खुद सरकार को भी नहीं पता ।

सरकार के इस कदर नैतिक रूप से गिरते ही राजनीतिक सपने और ख्‍वाबों में खोये व्यायाम बाबा की तमन्नाओं को पंख मिल गये और एक ऊंची राजनीतिक परवाज की ओर उनका दिल मचलने लगा, रामदेव की इस हवाई परवाज में आर.एस.एस. और भाजपा ने जम कर हवा भर दी, रामदेव फूल कर गुब्बारा हो गये ।

पूरी सुनियोजित योजना के तहत रामदेव ने दिल्ली में अपना आलीशान 5 स्टार तम्बू रामलीला मैदान में सजा दिया और बाबा का ढाबा का बोर्ड मीडिया ने टांग दिया, बाबा फूल फूल कुप्पा हुये जा रहे थे, मीडिया भाजपा और आर.एस.एस. बाबा की सारी पंक्चर भूल भुला कर दनादन पंपिंग मार मार कर हवा भरने में लगा था , बाबा ने रणनीति के तहत सरकार से बात शुरू की अनपेक्षित रूप से सरकार ने बाबा की सारी मांगें मान लीं और 500 या 1000 के नोट बंद किये जाने की मांग अव्यवाहारिक होने से बातचीत से बाहर कर दी, अब कायदा यह कहता था कि रामदेव समस्या उठाने के साथ समाधान भी साथ लेकर जाते और अपना समाधान सरकार को सुझाव के रूप में सौंपते , मगर रामदेव के पास केवल समस्यायें थीं, समाधान कोई नहीं था ।

कालेधन की बात करते करते रामदेव भूल गये कि जिस काले धन का जिकर वे कर रहे हैं वह धन है कहॉ वो तो खुद रामदेव को भी नहीं पता, फिर भी रामदेव बोले कि 400 लाख करोड़ का कालाधन है जो विदेश में जमा है, रामदेव से सरकार पूछना भूल गयी कि रामदेव ये जो 400 लाख करोड़ धन है जिसका तुम्हें पता है और हमें नहीं पता, जरा उसका पता तो दो कि वह किस बैंक में किस किस खाते में किस किस देश में जमा है जरा खाते नंबर और बैंक का नाम एवं देश का नाम तो बताओ तो लाओ हम कल से ही पड़ताल शुरू करते हैं और कालाधन वापस लाते हैं , सरकार की इस मूर्खता भरी चूक का बहुतों ने फायदा उठाया और सबने कालेधन के बारे में अपने अपने मनगढ़न्त आंकड़े बताने शुरू कर दिये कोई बोला 3000 करोड़ है कालाधन तो कोई बोला कि 50 हजार करोड़ रूपये का कालाधन है .....

क्रमश: जारी .. अगले अंक में                     

 

शुक्रवार, 17 जून 2011

राज्यों के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री का भाषण

राज्यों के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री का भाषण
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने आज राज्यों के सामाजिक और अधिकारिता मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री मुकुल वासनिक ने स्वागत भाषण दिया और सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री नेपोलियन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

प्रधानमंत्री के भाषण का अनूदित पाठ इस प्रकार हैः

"राज्यों के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आज आप सभी के बीच उपस्थित होने की मुझे खुशी है। समाज के सभी वर्गों, खासतौर पर कमज़ोर वर्गों के लिए समान विकास को सुनिश्चित करना सरकार के समावेशी विकास एजेंडा का केंद्रीय बिंदु है।

हमारे काम की सफलता का पैमाना इस बात से तय किया जाएगा कि हम अपने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग, विकलांग और वरिष्ठ नागरिक भाईयों और बहनों हैं को राहत दिलाने में कितने सक्षम हैं। हालांकि विभिन्न सरकारों ने उन लोगों के मूलभूत अधिकारों और गरिमा के संरक्षण के लिए प्रगतिशील कानून बनाए हैं जो एक या अन्य रूप से वंचित हैं, वास्तविक प्रश्न यह है कि इन कानूनों को प्रभावी ढ़ंग से इस प्रकार से कार्यान्वित और लागू किया जाए, और पर्याप्त संसाधनों के ज़रिए इसको परिपुष्ट किया जा सके। यह आवश्यक है कि हम नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को लागू करे। हमें यह सुनिश्चित करने कि ज़रूरत है कि राज्य और ज़िला स्तर पर सतर्कता और निगरानी समिति की नियमित बैठकों का आयोजन हो। इस विषय के संदर्भ में मैंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। मैं आशा करता हूं कि राज्यों के अधिकारिता मंत्री इस पत्र औऱ अधिनियम की भावना को दृढ़ता के साथ लागू करेंगे। इस प्रयोजन के लिए उपलब्ध केन्द्रीय सहायता का लाभ उठाने के लिए मैं आप सभी को आमंत्रित करता हूं जिसमें इस विषय से संबंधित अपराधो की शीघ्र सुनवाई के लिए बडी संख्या में अलग से विशेष न्यायालयों की स्थापना शामिल है। हमारी विकास प्रक्रिया में यह तथ्य एक गहरा धब्बा है कि स्वतंत्रता के 64 वर्षों के बाद भी हाथ से मल निकासी की कुप्रथा समाप्त नहीं हुई है। मैं प्रतिज्ञा लेता हूं कि यह अगले छह महीने के भीतर देश के हर कोने से इस कुप्रथा को खत्म कर दिया जाएगा। शुष्क शौचालयों को एक बार हमेशा के लिए रूपांतरित कर दिया जाना चाहिए।

गृह मंत्रालय का हालिया परामर्श आपके हाथों में एक मजबूत और निषेधात्मक साधन है जिसमें किसी अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को मैला ढोने के लिए मल निकासक के रुप में नियुक्त करना अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 के तहत दंडनीय माना जाएगा। मैं आपसे इसका पूर्ण इस्तेमाल करने का आग्रह करता हूं। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना को जुलाई 2010 में संशोधित किया गया था। विकास के सोपान पर ऊँचा चढ़ने के लिए हमारे समुदाय के वंचित वर्गों का सशक्तिकरण ज़रुरी है, जिसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल विकास तीन बेहद महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं। इसलिए हमारे नागरिकों में इन वर्गों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति का यह प्रावधान काफी महत्व रखता है। इन वित्तीय उत्तरदायित्वों का वहन संपूर्ण पंचवर्षीय योजना के लिए केन्द्र द्वारा किया जाएगा। राज्यों का भाग मात्र तेरहवीं पंचवर्षीय योजना यानि 2017 से देय होगा। अनुसूचित जाति के बच्चे अपेक्षित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सके इसे सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार ने स्वेच्छा से इस अतिरिक्त प्रतिबद्धता को ग्रहण किया है। राज्य सरकारों को हालांकि यह सुनिश्चित करना होगा कि संशोधित योजना का लाभ न सिर्फ अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों तक पहुंचे बल्कि ऐसा इसमे पारदर्शिता अपनाई जाए। ताकि वे तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा समेत तृतीयक शिक्षा में अपनी भागीदारी को सुधारने में सक्षम हो सकें।

पारदर्शिता के कदम के रुप में छात्रों को इस प्रकार प्रदत्त छात्रवृत्ति योजना के भुगतान कार्यक्रम का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जैसा कि (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री) मुकुल वासनिक जी ने उल्लेख किया, हम अन्य पिछडा वर्ग के छात्रों के लिए भी मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रवृत्ति दरों में संशोधन का प्रस्ताव भी रखते हैं। जैसा कि आप जानते हैं अनुसूचित जाति और आम जनता के बीच विकास के अंतर को दूर को संबोधित करने में अनुसूचित जाति उप-योजना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है मैं जानता हूं कि अनुसूचित जाति की जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जाति उप-योजना के तहत निधि निर्धारित करने के लिए राज्यों द्वारा कोशिश की जा रही है। किंतु यह कोशिश प्रारूपों को परिणामों में बदलने में कितनी प्रभावी है? स्पष्ट है कि इसको और अधिक संगठित और प्रत्यक्ष किए जाने की ज़रुरत है। राज्य सरकारों को पूरी तत्परता के साथ अनुसूचित जाति उप-योजना को बनाना और लागू करना चाहिए ताकि इसका लाभ उन लोगों तक पहुंच सके जिन्हें वास्तव में इसकी ज़रूरत है। लाभ को आगे बढ़ाने के लिए अभिसरण आवश्यक है जिससे मौजूदा विकास का अंतर शीघ्र और अधिक प्रभावी रूप से कम हो। केन्द्र सरकार ने पांच राज्यों- असम. बिहार, हिमाचल प्रद्श, राजस्थान और तमिलनाडु में केन्द्र प्रायोजित पायलट योजना "प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना" की शुरुआत की है। यह अनुसूचित जाति जनसंख्या बहुल 1000 गाँवों के समेकित विकास के लिए है। पायलट परियोजना में विश्वास और उत्साहजनक परिणाम के प्राप्त होने पर बारहवीं पंचवर्षीय योजना में इस योजना के विस्तार पर विचार किया जा सकता है। विकलांग व्यक्तियों की चिंताओं को दूर करने के लिए बहुत से कदम उठाए गए हैं। लेकिन मैं यह मानता हूं कि इस संदर्भ में हमें और भी बहुत कुछ करना है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति विकलांगता अधिनियम, 1955 की जगह पर एक नए कानून का मसौदा तैयार कर रही है। राज्य सरकार और अन्य हितधारकों से परामर्श करके इस अधिनियम को संसद में प्रस्तुत करने का प्रस्ताव है। हमारे विकलांग भाईयों और बहनों की एक सतत परेशानी विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त करना है। एक सरल और विकेंद्रीकृत संस्थागत तंत्र के जरिए प्रमाणपत्र जारी करने के लिए विकलांगता अधिनियम के तहत केन्द्रीय नियमों में दिसंबर 2009 में संशोधन किया गया था। मैं राज्य सरकारों से अनुरोध करता हूं कि वे इसका पालन वरीयता के आधार पर करे। कुछ हद तक यह अलग तरह से सक्षम लोगों की पीड़ा को कम करेगा। हमारे वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य-देखभाल, सुरक्षा और कल्याण के लिए कदम उठाए गए हैं। लेकिन इस संदर्भ में हमें कुछ और करने की भी ज़रुरत है। हमने वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर और यात्रा रियायतों को बढ़ाया है। पर जैसा कि मैंने कहा कि और भी बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है। वृद्धों की नाजुक स्थिति और विशेष संरक्षण ज़रूरतों के प्रति संवेदनशीलता बढाने और कानून लागू करने वाले तंत्र के झुकाव को बढाने के लिए पंचायत तथा वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशनों और अन्य समुदाय आधारित समूहों की मदद ली जानी चाहिए। हमारे कमज़ोर तबको को रोजगार प्रदान करने के संदर्भ में सकारात्मक कदमों में वृद्दि करने के लिए यूपीए सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से अनेक पहलों को दिशा दी है। कुछ नतीजे सकारात्मक रहे हैं। प्रभावी सकारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए कई कॉरपोरेट घरानों ने स्वेच्छापूर्वक कुछ नियमों को अपनाया है। एकल बिंदु जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए जांच अधिकारी की नियुक्ति की गई है। उद्यम विकास और अन्य कार्यक्रमों के अंतर्गत लगभग 12 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। पर इस मामले में भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। हम एक वार्षिक स्वैच्छिक प्रकटीकरण व्यवस्था पर भी साथ काम कर रहे हैं। विकलांगों द्वारा चलाए जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम से प्राप्त कुछ प्रतिशत को चिह्नित करने की सरकार की योजना है। साथियो यह महत्वपूर्ण है कि इस सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय पर हो रहा है जब हम बारहवीं पंचवर्षीय योजना को तैयार करने की दहलीज पर खड़े हैं। मैं आप सबसे अनुरोध करता हूं कि सामाजिक न्याय के हमारे इस एजेंडे में, बेहद गंभीर इन मामलों के बारे में की गई प्रगति की समीक्षा करें । मैं आपसे उन क्षेत्रों की पहचान जिसपर कम ध्यान दिया गया है और बारहवी पंचवर्षीय योजना में आगे की राह के रूप में आप क्या देखते हैं इस संबंध में आप सुझाव दें, इसका आग्रह करता हूं।

सोमवार, 13 जून 2011

अब विधायक भी जारी कर सकेंगे ‘इज्ज़त’ मासिक सीज़न टिकट के लिए आय प्रमाण पत्र

अब विधायक भी जारी कर सकेंगे 'इज्ज़त' मासिक सीज़न टिकट के लिए आय प्रमाण पत्र
रेल मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा सदस्यों द्वारा जारी किया जाने वाले आय प्रमाण-पत्र, असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों के लाभ के लिए मासिक सीज़न टिकट (एमएसटी) 'इज्ज़त' जारी करने के लिए भी स्वीकार किया जाएगा। यह प्रणाली 1 जुलाई, 2011 से लागू होगी। 'इज्ज़त' योजना के अंतर्गत यह सुविधा पहले से उपलब्ध पांच प्रकार के प्रमाण-पत्रों के साथ उपलब्ध होगी।

'इज़्ज़त' योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराए जाने वाला यह मासिक सीज़न टिकट असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत प्रतिमाह 1500 रुपए प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को 25 रुपए प्रतिमाह पर प्रति व्यक्ति उपलब्ध कराया जाता है, जो कि उनके निवास स्थान के रेलवे स्टेशन से 100 किलामीटर तक की यात्रा के लिए मान्य होता है। वर्तमान में 'इज़्ज़त' (एमएसटी) इन्हें दिखाने पर जारी किया जाता है (1) जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आय प्रमाण-पत्र, (2) संसद सदस्य द्वारा जारी आय प्रमाण-पत्र (3) केंद्रीय मंत्री या राज्य सभा सदस्य द्वारा डीआरएम को दिया गया संस्तुति पत्र, (4) बीपीएल कार्ड या किसी गरीबी उपशमन कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा जारी कोई अन्य प्रमाण-पत्र तथा (5) विशेष परिस्थितियों में, डीआरएम भी आय प्रमाण-पत्र जारी कर सकते हैं।

एक जुलाई, 2011 'इज़्ज़त' एमएसटी जारी करने के लिए विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा सदस्यों द्वारा जारी किया जाने वाले आय प्रमाण-पत्र निम्न स्थितियों में स्वीकार्य होगा:

1. विधानसभा सदस्य केवल अपने चुनाव क्षेत्र से संबंधित व्यक्ति को ही आय प्रमाण-पत्र जारी करेंगे।

2. आय प्रमाण-पत्र का प्रारूप इस संलग्न के अनुसार होगा।

3. विधानसभा सदस्यों द्वारा जारी आय प्रमाण-पत्र केवल एक बार ही उपयोग किया जा सकेगा अर्थात् एमएलए द्वारा जारी आय प्रमाण-पत्र 'इज़्ज़त' एमएसटी जारी करते समय रेलवे अधिकारियों द्वारा अपने पास रख लिया जाएगा।

4. प्रत्येक बार 'इज़्ज़त' एमएसटी प्राप्त करते समय संबंधित एमएलए द्वारा जारी नया आय प्रमाण-पत्र आवश्यक होगा।

5. यह व्यवस्था आरंभिक रूप से तीन महीने के लिए लागू होगी।

7000 करोड़ की गंगा सफाई की योजना, कल होंगे समझौते पर हस्‍ताक्षर

7000 करोड़ की गंगा सफाई की योजना, कल होंगे समझौते पर हस्‍ताक्षर
गंगा को स्‍वच्‍छ बनाने के एक समझौते पर भारत सरकार और विश्‍व बैंक मंगलवार को दस्‍तखत करेंगे। अनुमान है कि इस परियोजना की लागत करीब 7,000 करोड़ रुपए होगी। इसमें भारत सरकार की हिस्‍सेदारी करीब 5,100 करोड़ रुपए की तो देश के पांच राज्‍यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारों की 1,900 करोड़ रुपए की होगी। विश्‍व बैंक, भारत सरकार को तकनीकी सहायता और वित्त मुहैया कराएगा। 80.1 करोड़ अमरीकी डॉलर की सहायता आईबीआरडी से लोन के रूप में मिलेगी तो आईडीए से 19.9 करोड़ डॉलर की सहायता क्रेडिट के रूप में मिलेगी।

देश की एक-चौथाई आबादी से जुड़ी गंगा घाटी में वृहत जनसंख्‍या निवास करती है। तेजी से बढ़ रही आबादी, नगरीकरण और औद्योगिक विकास गंगा के समक्ष मुख्‍य चुनौती हैं। राष्‍ट्रीय गंगा नदी घाटी परियोजना (एनजीआरबीए) विश्‍व बैंक की सहायता से लागू की जा रही है। यह परियोजना केंद्र और राज्‍य के स्‍तर पर एनजीआरबीए से संबंधित संस्‍थाओं के निर्माण और उसके सुदृढ़ीकरण पर ध्‍यान केंद्रित करेगा। विश्‍वस्‍तरीय गंगा ज्ञान केंद्र की स्‍थापना, नदी घाटी प्रबंधन को मजबूत बनाना और प्रदूषण घटाने के लिए चुनिंदा निवेशों को धन मुहैया कराना इसका उद्देश्‍य होगा। औद्योगिक प्रदूषण, ठोस कचरा प्रबंधन और नदीमुख प्रबंधन, आवश्‍यक सीवेज निस्‍तारण आदि समस्‍याओं का भी समाधान ढूंढा जाएगा।

शुक्रवार, 10 जून 2011

इंटरनेट सोसायटी ने विश्वा आईपीवी 6 दिवस मनाया

इंटरनेट सोसायटी ने विश्‍व आईपीवी 6 दिवस मनाया
आईपीवी 6 गतिविधियों पर इंडिया आईपीवी 6 कार्य बल न्‍यूजलेटर और विव‍रणिका जारी सचिव (दूरसंचार) श्री आर. चंद्रशेखर ने 8 जून, 2011 को विश्‍व आईपीवी 6 दिवस के अवसर पर संचार भवन में एक समारोह में आईपीवी गतिविधियों पर पहले इंडिया आईपीवी 6 (इंटरनेट प्रोटोकोल वर्जन 6) कार्य बल न्‍यूजलेटर और तकनीकी विवरणिका को जारी किया। इस अवसर पर श्री आर. चंद्रशेखर ने कहा कि आईपीवी 6 न्‍यूजलेटर से भारत द्वारा किए गए प्रयासों और प्रगति की जानकारी मिलेगी तथा टेलीकॉम इंजीनियर सेंटर द्वारा संकलित तकनीकी विवरणिका देश में आईपीवी 6 कार्यान्‍वयन के लिए सुविधाजनक एवं उपयोगी होगा।

इंटरनेट सोसायटी दुनिया भर में हर साल 8 जून को विश्‍व आईपीवी 6 दिवस मनाती है। इसका लक्ष्‍य आईपीवी 4 के स्‍थान पर आईपीवी 6 को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए तैयार होने के लिए उद्योग के संगठनों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, हार्डवेयर निर्माताओं, आप्रेटिंग सिस्‍टम विक्रेताओं और वेब कंपनियों को प्रोत्‍साहित करना है।

भारत में 18 करोड़ से अधिक डाटा यूज़र को करीब एक करोड़ 85 लाख आईपीवी 4 एड्रेस उपलब्‍ध हैं तथा प्रत्‍येक डाटा यूज़र को कम से कम एक आईपी एड्रेस उपलब्‍ध कराने की आवश्‍यकता है। इसके मद्देनजर भारत सरकार ने जुलाई 2010 में आईपीवी 6 नीति जारी की थी। इस नीति के अनुसार सभी प्रमुख सेवा प्रदाताओं को दिसंबर 2011 तक आईपीवी 6 सेवाएं उपलब्‍ध करानी होंगी। इस नीति के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित सभी केंद्रीय और राज्‍य सरकार के मंत्रालय एवं विभाग मार्च 2012 तक आईपीवी 6 सेवाओं का उपयोग शुरू कर देंगे।

भारत के पहले क्रूज लाइनर का जलावतरण

भारत के पहले क्रूज लाइनर का जलावतरण

 केन्‍द्रीय जहाजरानी मंत्री श्री थि‍रू जे.के. वासन ने कल चैन्‍नई में देश के पहले क्रूज लाइनर (पोतवि‍हार) एवं ऑन बोर्ड प्रशि‍क्षण जहाज एम.वी. एमेट मजेस्‍टी का झंडा दि‍खाकर जलावरण कि‍या ।

इस अवसर पर मंत्री महोदय ने कहा कि‍क्रूज जहाजरानी वि‍श्‍व में पर्यटन उद्योग के तेजी से बढ़ते हुए हि‍स्‍सों में से एक है। सरकार नदी क्रूज सहि‍त भारतीय फ्लैग क्रूज को प्रोत्‍साहन देने के अलावा आने वाले वर्षों में भारत तें इनके पर्यटकों की संख्‍या बढ़ाने की भी तैयारी कर रही है । क्रूज पर्यटकों के लि‍ए भारत को आकर्षक पर्यटन स्‍थल के रूप में दर्शाने के साथ-साथ इसकी लम्‍बी एवं सुन्‍दर तटीय रेखा, अछूते वनों, शांत द्वीपों, समृद्ध ऐति‍हासि‍क एवं सांस्‍कृति‍क वि‍रासत को भी लुभावने रूप में दर्शाने पर ध्‍यान केन्‍द्रीत कि‍या जायेगा । सरकार यह भी योजना बना रही है कि‍भारत में क्रूज जहाजरानी उद्योग अन्‍तर्राष्‍टीय मुकाबले का हो जाए और वह वि‍देशी मुद्रा अर्जि‍त करने, आय बढ़ाने, नि‍योजन एवं व्‍यापार के अवसर बढ़ाने में योगदान कर सके ।

क्रूज जहाजरानी नीति‍तैयार है, जि‍समें क्रूज जहाजरानी सहि‍त जहाजरानी क्षेत्र में 100 प्रति‍शत वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश (एफडीआई) की अनुमति‍है, इसके अलावा वि‍देशी क्रूज जहाजों/पोतों को एमएस अधि‍नि‍यम का धारा 407(।) के प्रावधानों में छूट देकर भारत के वि‍भि‍न्‍न बंदरगाहों के मध्‍य तटीय यात्रा करने की अनुमति‍भी दी गई है । उद्योग में प्रशि‍क्षि‍त मानव शक्‍ति‍की कमी के बारे में बताते हुए, उन्‍होंने कहा कि‍मंत्रालय द्वारा उठाए गए अनेक कदमों से न केवल प्रशि‍क्षि‍त मानव शक्‍ति‍में वृद्धि‍होगी, बल्‍कि‍प्रशि‍क्षण की गुणवत्‍ता भी सुधरेगी । 2008 में भारतीय समुद्रीय वि‍श्‍ववि‍द्यालय की स्‍थापना की गई।

इस उद्योग के वि‍कास में सही कदम है, समुद्रीय कार्यसूची में दि‍ए गए अनुसार भारतीय समुद्री यात्रि‍यों का हि‍स्‍सा बढ़ाने के लि‍ए अन्‍य कदम भी उठाए जायेंगे । उन्‍होंने कहा कि‍अगले दो सप्‍ताह में तूति‍कूडि‍कोलम्‍बो पैसेंजर फैरी सर्वि‍स को भी शुरू कर दि‍या जायेगा ।

स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

स्‍वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

शांति एवं सौहार्द्र कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवक

राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) ने स्वयंसेवकों का नेटवर्क बनाने के लिए शांति और सौहार्द्र के लिए स्वयंसेवक (वी फॉर पीस-एन-हारमनी) कार्यक्रम शुरू किया है। स्वयंसेवकों का नेटवर्क स्थापित करने की प्रेरणा मुख्य रूप से गांधीवादी अवधारणा से प्राप्त हुई, जिसने शांति और सौहार्द्र का वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2011 में वी फॉर पीस-एन-हारमनी की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाए जा रहे स्वयंसेवकों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष आईवाईडब्ल्यू की 10वीं जयन्ती के अवसर पर हुई है। यह स्वयंसेवकों को एक मंच उपलब्ध करायेगा और अच्छे उद्देश्य के लिए प्रतिष्ठान की पहुंच भी बढ़ायेगा, क्योंकि अनेक व्यक्तियों ने प्रतिष्ठान के साथ स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने की इच्छा प्रकट की है।

कार्यक्रम के उद्देश्य हैं- सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए एक परिवर्तन एजेंट सुविधा प्रदायक के रूप में कार्य करने के लिए नेटवर्क तैयार करना, जो समुदायों के मध्य जब शांति और सामाजिक सम्बद्धता भंग होने पर कार्य करें और शांति के समय समग्र विकास में योगदान देना। समुदायों एवं आस-पडौसी में शांति और मेलजोल के प्रति जागरूकता पैदा करना। देश के नागरिकों के मध्य अनेकता में एकता की सोच को मजबूत करना और प्रत्येक वर्ष 19 से 25 नवम्बर तक देश में मनाए जाने वाले साम्प्रदायिक सौहार्द्र अभियान में क्रियात्मक रूप से भाग लेना। शांति, अहिंसा एवं वसुधैव कुटम्बकम् की अवधारणा में विश्वास करने वाले भारतीय नागरिक का इसमें स्वागत है, हालांकि पहले चरण में एनएसएस, एनवाईकेएस, एनवाईसी, एनसीसी, नागरिक सुरक्षा, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों से जुड़े छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया जाएगा। स्वयंसेवकों की न्यूनतम आयु 15 वर्ष और कम से कम शैक्षिक योग्यता 10वीं पास है। एनएफसीएच की स्थापना गृहमंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था के रूप 1992 में हुई थी। प्रतिष्ठान शांति एवं मेलजोल प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के साथ-साथ साम्प्रदायिक, जातीय या आतंकवादी हिंसा से प्रभावित बच्चों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है।

 

हेडली, राणा और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय अदालत में आरोप पत्र दाखिल होगा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी, हेडली, राणा और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने का फैसला करेगी

 सरकार ने मुंबई आतंकी हमलों में सामान उपलब्ध कराने की साजिश के मुकद्दमे में अमरीका की एक अदालत द्वारा तहव्वुर हुसैन राणा को बरी किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की है।

उल्लेखनीय है कि अमरीका की एक अदालत द्वारा राणा को तीन में से जिन दो मामलों में दोषी पाया गया है वे हैं- (1)डेन्मार्क में आतंकवाद की एक साजिश के लिए साज-सामान की सहायता उपलब्ध कराना और (2) लश्करे तैयेबा को सामान मुहैया कराना, लेकिन उपरोक्त अदालत ने राणा को मुंबई आतंकी हमलों के लिए सामान उपलब्ध कराने के आरोप से बरी कर दिया है। सरकार ने अमरीकी अदालत के इस फैसले का संगीन नोटिस लिया है।

याद रहे कि अमरीकी अदालत को इस बात के साक्ष्य दिए गए थे कि डेविड हेडली ने राणा को सलाह दी थी कि भारत में महत्वपूर्ण निशानों का पता कराया जाए और यह कि हेडली ने अपनी करतूतों को छुपाए रखने के उद्देश्य से फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज का कार्यालय खोलने के लिए राणा की मंजूरी हासिल की थी और यह कि हेडली और राणा ने इस बात की समीक्षा की थी कि हेडली ने किस तरह उन लक्ष्यों पर निगाह रखी थी, जिन्हें मुंबई आतंकी हमलों में निशाना बनाया गया था। इसके अलावा यह सबूत भी पेश किये गये थे कि राणा ने हेडली से कहा था कि मुंबई आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों को मरणोपरांत, पाकिस्तान के शीर्ष सैनिक सम्मान से नवाजा जाए। भारत सरकार ने कहा है कि उसे मुंबई आतंकी हमलों में साज-सामान उपलब्ध कराने के मामले में राणा को अमरीकी की अदालत द्वारा बरी किए जाने से घोर निराशा हुई है।

महिलाओं की बहादुरी से सरकार खुश : महिलाओं के लिए सेना में और अधिक अवसर बढ़ाए जाएंगे- एंटनी रक्षा मंत्री

महिलाओं के लिए सेना में और अधिक अवसर बढ़ाए जाएंगे- एंटनी रक्षा मंत्री

श्री ए.के. एंटनी ने हिमालय की ऊंची चोटी एवरेस्‍ट पर देश और भारतीय वायु सेना का झंडा फहराने वाले पर्वतारोही दल को और विशेष रूप से दल में शामिल महिलाओं को बधाई देते हुए कहा है कि महिलाओं की इस सफलता से उन्‍हें आम तौर से समाज और विशेष रूप से सशस्‍त्र बल के विभिन्‍न भागों में और अधिक प्रतिनिधित्‍व दिया जा सकेगा।

श्री एंटनी ने एवरेस्‍ट के पर्वतारोही दल के सम्‍मान में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्‍होंने कहा कि यह बात सराहनीय है कि भारतीय वायु सेना द्वारा महिला अधिकारियों को पर्वतारोहण जैसे जोखिम भरे खेल-कूद में समान अवसर उपलब्‍ध कराये जा रहे हैं, जबकि पहले इस तरह के खेलों पर पुरुषों की ही दावेदारी समझी जाती थी। श्री एंटनी ने कहा कि उन्‍हें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि वायु सेना के इस पर्वतारोही दल में वायु सेना की तीन महिला अधिकारी भी शामिल हैं।

अगर सूचना नहीं दी तो जुर्माना 1000 रू. आप पर और कंपनियों पर 5000 य. रोजाना का दंड : सांख्यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 को अधिसूचित

सरकार ने सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 के तहत सांख्‍यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 को अधिसूचित किया

संसद द्वारा 7 जनवरी, 2009 को सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 बनाया किया गया था । यह 11 जून, 2010 से लागू हुआ । यह अधिनियम बनने से सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 1953 निरस्‍त हो गया । अधिनियम की नियमावली अर्थात सांख्‍यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 को 16 मई, 2011 को अधिसूचित किया गया ।

सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 की कतिपय मुख्‍य विशेषताएं तथा इसके अंतर्गत बनाए गए नियम निम्‍नानुसार हैं -

इस अधिनियम में न सिर्फ औद्योगिक तथा वाणिज्‍यिक प्रतिष्‍ठानों बल्‍कि व्‍यक्‍तियों और परिवारों से भी आर्थिक, जनसांख्‍यिकी , सामाजिक, वैज्ञानिक तथा पर्यावरण पहलुओं से जुड़ी सांख्‍यिकी संग्रहीत करने का प्रावधान है ।

केन्‍द्र /राज्‍य सरकारों, संघ शासित प्रदेश प्रशासनों तथा पंचायतों एवं नगर पालिकाओं जैसे स्‍थानीय शासन को किसी भी प्रकार की सांख्‍यिकी का संग्रहण करने का अधिकार दिया गया है । इनमें से कोई भी आंकड़ा संग्रहण के प्रत्‍येक विषय के लिए /अथवा प्रत्‍येक भौगोलिक इकाई के लिए सांख्‍यिकी अधिकारी को नियुक्‍त कर सकता है ।

सर्वेक्षणों की द्विरावृत्‍ति एक चिंताजनक विषय रहा है, क्‍योंकि इससे न सिर्फ सर्वेक्षण कार्य से संबंधित संसाधनों का अपव्‍यय होता है बल्‍कि इससे विरोधाभासी सांख्‍यिकी भी तैयार होने लगती है । यह अधिनियम केन्‍द्र सरकार को द्विरावृत्‍ति रोकने के लिए नियम बनाने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई नियमावली में केन्‍द्र तथा प्रत्‍येक राज्‍य /संघ शासित प्रदेश में नोडल अधिकारी नामित करने का प्रावधान है । नोडल अधिकारी संबंधित मंत्रालयों को अनावश्‍यक द्विरावृत्‍ति रोकने के बारे में कदम उठाने का सुझाव देता है ।

इस अधिनियम में मौखिक साक्षात्‍कार तथा इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से रिटर्न भरने के साथ-साथ आंकड़ा संग्रहण की समस्‍त पद्धतियों का प्रावधान है ।

इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी सूचनादाता द्वारा प्रदान की गई सूचना का प्रयोग इस अधिनियम के अंतर्गत अभियोजन अथवा सांख्‍यिकीय प्रयोजन के अलावा और किसी कार्य के लिए नहीं किया जा सकता है । दूसरे शब्‍दों में, अन्‍य किसी भी कानून के तहत अभियोजन के लिए संग्रहीत सूचना का प्रयोग साक्ष्‍य के रूप में नहीं किया जा सकता है ।

यह अधिनियम सूचना देने से मना करने अथवा इसकी उपेक्षा करने पर दंड का प्रावधान करता है । व्‍यक्‍तियों के लिए दंड 1000 रूपए तक का है (कंपनियों के मामले में 5000 रूपए है ) ।

इससे भी महत्‍वपूर्ण बात यह है कि, इस अधिनियम के अंतर्गत सूचना देने की बाध्‍यता किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध हो जाने के बाद भी समाप्‍त नहीं हो जाती । यदि संबंधित व्‍यक्‍ति दोष सिद्धि की तिथि से 14 दिन पूरे होने के बाद भी सूचना देने से मना करता है अथवा इसकी उपेक्षा करता है, तो उस पर प्रथम दिन को छोड़कर तब तक आगे और 1000 रूपए (कंपनियों के मामले में 5000 रूपए) प्रतिदिन के जुर्माने का दंड लगाया जा सकता है, जब तक कि वह सूचना प्रदान नहीं कर देता ।

इस अधिनियम तथा इसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली में आंकड़ों का संग्रहण आऊटसोर्सिंग द्वारा कराए जाने के मामले में संग्रहीत आंकड़ों के लिए पर्याप्‍त गोपनीयता तथा उचित सुरक्षा का प्रावधान है । इस अधिनियम के अंतर्गत किसी व्‍यक्‍ति से प्राप्‍त सूचना को व्‍यक्‍ति के पहचान संबंधी विवरण को बिना छुपाए प्रकट करने की अनुमति नहीं है ।

किए गए अपराध के लिए अधिनियम के अंतर्गत अभियोजन संक्षिप्‍त विचारण के रूप में किया जाएगा ।

स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

स्‍वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

शांति एवं सौहार्द्र कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवक

राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) ने स्वयंसेवकों का नेटवर्क बनाने के लिए शांति और सौहार्द्र के लिए स्वयंसेवक (वी फॉर पीस-एन-हारमनी) कार्यक्रम शुरू किया है। स्वयंसेवकों का नेटवर्क स्थापित करने की प्रेरणा मुख्य रूप से गांधीवादी अवधारणा से प्राप्त हुई, जिसने शांति और सौहार्द्र का वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2011 में वी फॉर पीस-एन-हारमनी की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाए जा रहे स्वयंसेवकों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष आईवाईडब्ल्यू की 10वीं जयन्ती के अवसर पर हुई है। यह स्वयंसेवकों को एक मंच उपलब्ध करायेगा और अच्छे उद्देश्य के लिए प्रतिष्ठान की पहुंच भी बढ़ायेगा, क्योंकि अनेक व्यक्तियों ने प्रतिष्ठान के साथ स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने की इच्छा प्रकट की है।

कार्यक्रम के उद्देश्य हैं- सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए एक परिवर्तन एजेंट सुविधा प्रदायक के रूप में कार्य करने के लिए नेटवर्क तैयार करना, जो समुदायों के मध्य जब शांति और सामाजिक सम्बद्धता भंग होने पर कार्य करें और शांति के समय समग्र विकास में योगदान देना। समुदायों एवं आस-पडौसी में शांति और मेलजोल के प्रति जागरूकता पैदा करना। देश के नागरिकों के मध्य अनेकता में एकता की सोच को मजबूत करना और प्रत्येक वर्ष 19 से 25 नवम्बर तक देश में मनाए जाने वाले साम्प्रदायिक सौहार्द्र अभियान में क्रियात्मक रूप से भाग लेना। शांति, अहिंसा एवं वसुधैव कुटम्बकम् की अवधारणा में विश्वास करने वाले भारतीय नागरिक का इसमें स्वागत है, हालांकि पहले चरण में एनएसएस, एनवाईकेएस, एनवाईसी, एनसीसी, नागरिक सुरक्षा, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों से जुड़े छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया जाएगा। स्वयंसेवकों की न्यूनतम आयु 15 वर्ष और कम से कम शैक्षिक योग्यता 10वीं पास है। एनएफसीएच की स्थापना गृहमंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था के रूप 1992 में हुई थी। प्रतिष्ठान शांति एवं मेलजोल प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के साथ-साथ साम्प्रदायिक, जातीय या आतंकवादी हिंसा से प्रभावित बच्चों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है।

 

स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

स्‍वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

शांति एवं सौहार्द्र कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवक

राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) ने स्वयंसेवकों का नेटवर्क बनाने के लिए शांति और सौहार्द्र के लिए स्वयंसेवक (वी फॉर पीस-एन-हारमनी) कार्यक्रम शुरू किया है। स्वयंसेवकों का नेटवर्क स्थापित करने की प्रेरणा मुख्य रूप से गांधीवादी अवधारणा से प्राप्त हुई, जिसने शांति और सौहार्द्र का वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2011 में वी फॉर पीस-एन-हारमनी की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाए जा रहे स्वयंसेवकों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष आईवाईडब्ल्यू की 10वीं जयन्ती के अवसर पर हुई है। यह स्वयंसेवकों को एक मंच उपलब्ध करायेगा और अच्छे उद्देश्य के लिए प्रतिष्ठान की पहुंच भी बढ़ायेगा, क्योंकि अनेक व्यक्तियों ने प्रतिष्ठान के साथ स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने की इच्छा प्रकट की है।

कार्यक्रम के उद्देश्य हैं- सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए एक परिवर्तन एजेंट सुविधा प्रदायक के रूप में कार्य करने के लिए नेटवर्क तैयार करना, जो समुदायों के मध्य जब शांति और सामाजिक सम्बद्धता भंग होने पर कार्य करें और शांति के समय समग्र विकास में योगदान देना। समुदायों एवं आस-पडौसी में शांति और मेलजोल के प्रति जागरूकता पैदा करना। देश के नागरिकों के मध्य अनेकता में एकता की सोच को मजबूत करना और प्रत्येक वर्ष 19 से 25 नवम्बर तक देश में मनाए जाने वाले साम्प्रदायिक सौहार्द्र अभियान में क्रियात्मक रूप से भाग लेना। शांति, अहिंसा एवं वसुधैव कुटम्बकम् की अवधारणा में विश्वास करने वाले भारतीय नागरिक का इसमें स्वागत है, हालांकि पहले चरण में एनएसएस, एनवाईकेएस, एनवाईसी, एनसीसी, नागरिक सुरक्षा, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों से जुड़े छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया जाएगा। स्वयंसेवकों की न्यूनतम आयु 15 वर्ष और कम से कम शैक्षिक योग्यता 10वीं पास है। एनएफसीएच की स्थापना गृहमंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था के रूप 1992 में हुई थी। प्रतिष्ठान शांति एवं मेलजोल प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के साथ-साथ साम्प्रदायिक, जातीय या आतंकवादी हिंसा से प्रभावित बच्चों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है।

 

स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

स्‍वयंसेवकों का राष्ट्रीय नेटवर्क बनायेगा एन एफ सी एच, वी फॉर पीस एन हारमॅनी योजना शुरू

शांति एवं सौहार्द्र कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवक

राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान (एनएफसीएच) ने स्वयंसेवकों का नेटवर्क बनाने के लिए शांति और सौहार्द्र के लिए स्वयंसेवक (वी फॉर पीस-एन-हारमनी) कार्यक्रम शुरू किया है। स्वयंसेवकों का नेटवर्क स्थापित करने की प्रेरणा मुख्य रूप से गांधीवादी अवधारणा से प्राप्त हुई, जिसने शांति और सौहार्द्र का वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2011 में वी फॉर पीस-एन-हारमनी की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाए जा रहे स्वयंसेवकों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष आईवाईडब्ल्यू की 10वीं जयन्ती के अवसर पर हुई है। यह स्वयंसेवकों को एक मंच उपलब्ध करायेगा और अच्छे उद्देश्य के लिए प्रतिष्ठान की पहुंच भी बढ़ायेगा, क्योंकि अनेक व्यक्तियों ने प्रतिष्ठान के साथ स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने की इच्छा प्रकट की है।

कार्यक्रम के उद्देश्य हैं- सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए एक परिवर्तन एजेंट सुविधा प्रदायक के रूप में कार्य करने के लिए नेटवर्क तैयार करना, जो समुदायों के मध्य जब शांति और सामाजिक सम्बद्धता भंग होने पर कार्य करें और शांति के समय समग्र विकास में योगदान देना। समुदायों एवं आस-पडौसी में शांति और मेलजोल के प्रति जागरूकता पैदा करना। देश के नागरिकों के मध्य अनेकता में एकता की सोच को मजबूत करना और प्रत्येक वर्ष 19 से 25 नवम्बर तक देश में मनाए जाने वाले साम्प्रदायिक सौहार्द्र अभियान में क्रियात्मक रूप से भाग लेना। शांति, अहिंसा एवं वसुधैव कुटम्बकम् की अवधारणा में विश्वास करने वाले भारतीय नागरिक का इसमें स्वागत है, हालांकि पहले चरण में एनएसएस, एनवाईकेएस, एनवाईसी, एनसीसी, नागरिक सुरक्षा, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों से जुड़े छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया जाएगा। स्वयंसेवकों की न्यूनतम आयु 15 वर्ष और कम से कम शैक्षिक योग्यता 10वीं पास है। एनएफसीएच की स्थापना गृहमंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था के रूप 1992 में हुई थी। प्रतिष्ठान शांति एवं मेलजोल प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के साथ-साथ साम्प्रदायिक, जातीय या आतंकवादी हिंसा से प्रभावित बच्चों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है।

 

गुरुवार, 9 जून 2011

म.प्र.में बिजली सप्लाइ ठप्प : चंबल में बिजली कटौती फिर सिर चढ़ कर बोली ..........

म.प्र. में बिजली सप्लाइ ठप्प : चंबल में बिजली कटौती फिर सिर चढ़ कर बोली ..........

मुरैना 9 जून 2011 । मुरैना एवं भिण्‍ड जिला में प्रतिदिन की जा रही साढ़े सात घण्‍टे की डिक्‍लेयर्ड बिजली कटौती के बाद अब भीषण गर्मी के मौसम में अतिरिक्‍त बिजली कटौती का चम्‍बल संभाग के निवासियों को और अधिक सामना करना पड़ रहा है ।

आजकल जहॉं रात में शाम 5 बजे  से रात 12 बजे तक की अतिरिक्‍त बिजली कटौती की जा रही है वहीं इस भीषण गर्मी में प्रात: साढ़े पांच बजे से काटी गयी बिजली कटौती इस समाचार के लिखे और प्रकाशित किये जाने के वक्‍त तक समूचे चंबल संभाग में बिजली कटोती जारी है । वर्तमान में शहर में बिजली का शट डाउन चल रहा है । उल्लेखनीय है कि चम्‍बल के ६५ फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में बिजली है ही नहीं वहीं जहॉं हैं वहॉं दो दिन छोड़ कर महज ४ घण्‍टे के लिये मात्र बिजली दी जा रही है । ऐन भीषण गर्मी में की जा रही अनाप शनाप भारी बिजली कटौती से जनता में भारी रोष व आक्रोश व्याप्‍त हो गया है । स्‍मरणीय है मुरेना शहर चम्बल संभाग का संभागीय मुख्‍यालय है । इस दरम्‍यान बिजली घर का शिकायत दर्ज कराने का फोन नंबर ०७५३२- २३२२४४ सहित सभी अधिकारीयों एवं कर्मचारीयों के फोन बन्‍द चल रहे हैं जो कि हरदम बिजली शट डाउन करने से पूर्व आउट ऑफ क्रेडल एवं स्विच आफॅ कर लिये जाते हें ।  

 

बुधवार, 8 जून 2011

टैक्स चोरों को पकड़ने के लिये भारत सरकार ने समति गठित की

टैक्स चोरों को पकड़ने के लिये भारत सरकार ने समति गठित की

नई दिल्ली। काले धन के मामले में उचित कार्रवाई नहीं करने को लेकर सामाजिक संगठनों के विरोध का सामना कर रही सरकार ने बुधवार को एक और समिति गठित करने की घोषणा की, जो कर न चुकाने वाले डिफाल्टरों का पता लगाने, उनकी पहचान सार्वजनिक करने तथा कर वसूली के रास्ते सुझाएगी।

नई समिति का गठन वित्त मंत्रालय में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड [सीबीडीटी] ने किया है। समिति स्थाई चूककर्ताओं के नाम सार्वजनिक करने की संभावना पर भी विचार करेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जब सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने योग गुरु रामदेव के अनुयायियों के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में राजघाट पर अनशन किया है। उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल विधेयक के कार्यान्वयन को लेकर प्रदर्शनों की शुरुआत हजारे ने ही की थी।

सरकार का कहना है कि आयकर महानिदेशक [प्रशासन] अनिता कपूर की अध्यक्षता वाली यह समिति करदाताओं से कर वसूली के रास्ते सुझाएगी, जो पकड़ में नहीं आ रहे हैं। समिति इस तरह के करदाताओं तथा उनकी अघोषित संपत्ति का पता लगाने के लिए बाहरी एजेंसियों की मदद लेने की संभावना पर भी विचार करेगी।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले माह भी एक उच्च स्तरीय समिति गठित की तथा जो कालेधन को जब्त करने तथा उसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के उपाय सुझाएगी।

 

वि‍शेष लेख : तीर्थ : अमरनाथ यात्रा 2011 – उलटी गि‍नती शुरु

वि‍शेष लेख : तीर्थ : अमरनाथ यात्रा 2011 – उलटी गि‍नती शुरु

 

अशोक हांडू*

 

    कश्‍मीर स्‍थि‍त श्री अमरनाथ की पवि‍त्र गुफा की तीर्थयात्रा इस वर्ष 29 जून से आरंभ हो रही है। यात्रा 13 अगस्‍त यानी श्रावणी पूर्णि‍मा तक चलेगी। इसी दि‍न रक्षा बंधन भी है। तीर्थयात्रि‍यों के लि‍ए राज्‍य सरकार द्वारा सभी प्रबंध पूरे कर लेने के साथ ही यात्रा की उलटी गि‍नती शुरु हो गई है।

श्री अमरनाथ यात्रा 5000 वर्षों से चल रही है और केवल कुछ ही दि‍न चलती थी। उसमें दि‍न प्रति‍ दि‍न लोगों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। अब यह यात्रा डेढ़ महीने से अधि‍क समय तक जारी रहती है और प्रति‍ वर्ष चार लाख से ज्‍यादा लोग यात्रा में हि‍स्‍सा लेते हैं। 'पहले आओ, पहले जाओ' के आधार पर यात्रा के लि‍ए पंजीकरण शुरु कर दि‍या गया है। शुरु के कुछ दि‍नों में ही दो लाख से अधि‍क संख्‍या में तीर्थयात्रि‍यों ने पंजीकरण करवाया है।

     श्री अमरनाथ की पवि‍त्र गुफा हि‍मालय पर्वतमाला में स्‍थि‍त है और हि‍माच्‍छादि‍त पर्वतों से घि‍री है। पवि‍त्र गुफा श्रीनगर से 96 कि‍लोमीटर दूर है और यात्रा का आधार शि‍वि‍र पहलगाम के मनोहारी पर्यटन स्‍थल में है। तीर्थयात्रि‍यों के रहने के लि‍ए यात्रा के दौरान तंबुओं वाला एक वि‍शाल नगर‑सा यहां बन जाता है। पहलगाम से पवि‍त्र गुफा की दूरी 46 कि‍लोमीटर है। तीर्थयात्री यहीं से पारंपरि‍क रास्‍ते पर चार दि‍नों की यात्रा पर नि‍कलते हैं और चंदनवाड़ी, शेषनाग तथा पंचतरणी में रात्रि‍ वि‍श्राम करते हैं। पहलगाम से चंदनवाड़ी की दूरी तीन कि‍लोमीटर है और यहां से आगे की यात्रा पैदल करनी पड़ती है। बुजुर्गों के लि‍ए घोड़े और बीमार व अक्षम व्यक्‍ति‍यों के लि‍ए पालकी उपलब्‍ध है, जि‍से चार लोग कंधों पर लेकर चलते हैं। सभी तरफ 'बाबा अमरनाथ की जय' का घोष सुनाई देता रहता है। रास्‍ते में सबसे ऊंचा स्‍थान महागुन आता है, जो समुद्री सतह से लगभग 14500 फीट ऊंचा है। पवि‍त्र गुफा थोड़ा नीचे यानी लगभग 1300 फीट की ऊंचाई पर स्‍थि‍त है।

आधि‍कारि‍क रूप से यात्रा का आयोजन राज्‍य सरकार श्री अमरनाथ यात्रा न्‍यास के सहयोग से करती है। यात्रा के दौरान सरकारी एजेंसि‍यां रास्‍ते भर में आवश्‍यक सुवि‍धाएं प्रदान करती हैं। इन सुवि‍धाओं में घोड़ों की व्‍यवस्‍था, जलापूर्ति‍, संचार सुवि‍धा, अलाव की व्‍यवस्‍था और सस्‍ते राशन की दुकानें शामि‍ल हैं। देश भर के कई स्‍वयंसेवी संगठन पूरे रास्‍ते में पांडाल, भोजन और अन्‍य सुवि‍धाओं की व्‍यवस्‍था करते हैं।

तीर्थयात्रा के महत्‍व के बारे में कई कथाएं हैं। सबसे महत्‍वपूर्ण कथा यह है कि‍ इस पवि‍त्र गुफा में भगवान शि‍व ने अपनी पत्‍नी माता पार्वती को अमरत्‍व का रहस्‍य बताया था। दो कबूतरों ने इस वार्तालाप को सुन लि‍या और अमर हो गए। ये दोनों कबूतर आज भी श्रावणी पूर्णि‍मा के दि‍न पवि‍त्र गुफा में प्रकट होते हैं। यह आश्‍चर्य का वि‍षय है कि‍ जि‍स जलवायु में कहीं कोई पक्षी नजर नहीं आता, कबूतरों का यह जोड़ा कैसे जीवि‍त रहता है। श्रावणी पूर्णि‍मा के दौरान पवि‍त्र गुफा में प्राकृति‍क बर्फ का शि‍वलिंग अपने आप आकार लेता है जो चंद्रमा की कलाओं के साथ स्‍वयं भी घटता‑बढ़ता है। बर्फ के दो और आकार वहां वि‍द्यमान हैं, जो माता पार्वती और भगवान गणेश के स्‍वरूप हैं। पुराणों में भी पवि‍त्र गुफा का उल्‍लेख मि‍लता है।

दूसरी कथा के अनुसार प्राचीन काल में कश्‍मीर घाटी एक बड़ी झील के भीतर स्‍थि‍त थी। कश्‍यप ऋषि‍ ने झील के जल को कई धाराओं द्वारा बाहर नि‍काल कर घाटी बसाई थी। उन दि‍नों, भृगु ऋषि‍ हि‍मालय की यात्रा पर घाटी में आए थे और वह पहले व्‍यक्‍ति‍ थे, जि‍सने पवि‍त्र गुफा की खोज की थी।

 

     एक अन्‍य कथा के अनुसार एक कश्‍मीरी गड़रि‍या बूटा मलि‍क, जब उस क्षेत्र में जानवर चरा रहा था तो उसने पवि‍त्र गुफा की खोज की थी। पवि‍त्र गुफा में जो चढ़ावा चढ़ता है, उसका एक हि‍स्‍सा आज भी मलि‍क परि‍वार को प्राप्‍त होता है।

अपने कश्‍मीर वृत्‍तांत, जि‍से कल्‍हण द्वारा रचि‍त 'राजतरंगणी' की उत्‍तर कथा कहा जाता है, जोनराजा ने कहा है कि‍ सुल्‍तान जैनुल आबदीन (1420‑1470) ने लि‍द्दर नदी के बाएं कि‍नारे पर नहर बनवाते समय श्री अमरनाथ की यात्रा की थी।

कश्‍मीर के लोगों के लि‍ए इस तीर्थयात्रा का खास महत्‍व है। घाटी में  सदि‍यों से साथ‑साथ रहने वाले हि‍न्‍दुओं और मुसलमानों के आपसी भाईचारे को यात्रा ने मजबूत कि‍या है। यद्यपि‍ यह हि‍न्‍दुओं की तीर्थयात्रा है, लेकि‍न मुसलमान, तीर्थयात्रि‍यों को सभी जरूरी सेवाएं उपलब्‍ध कराकर समृद्ध पंथनि‍रपेक्ष परंपराओं का नि‍र्वहन करते हैं। इन सेवाओं में घोड़ों व पि‍ट्ठुओं (बुजुर्गों और बीमार लोगों को पालकी में बि‍ठाकर ले जाना) की सेवाएं शामि‍ल हैं। कुछ वर्षों पहले की बात है, जब खराब मौसम में तीर्थयात्री फंस गए थे, तब अनन्‍तनाग क्षेत्र के मुसलमानों ने उन्‍हें अपने यहां पनाह दी थी।

2006 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बावजूद, यात्रा के उत्‍साह में कोई कमी नहीं आई है। वास्‍तवि‍कता यह है कि‍ यात्रि‍यों की संख्‍या लगातार बढ़ ही रही है। यह तीर्थयात्रा घाटी में हि‍न्‍दू‑मुस्‍लि‍म एकता का प्रतीक है।