बुधवार, 8 जून 2011

बाबा का आंदोलन एक राजनीतिक मुहिम: बाबा के पीछे है आर.एस.एस.एस – गृहमंत्री

बाबा का आंदोलन एक राजनीतिक मुहिम: बाबा के पीछे है आर.एस.एस.एस गृहमंत्री

बाबा रामदेव के विरोध प्रदर्शन से संबंधित घटनाक्रम के बारे में श्री पी चिदम्‍बरम का वक्‍तव्‍य

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदम्‍बरम ने इस महीने के शुरू में बाबा रामदेव द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन से संबंधित घटनाक्रम के बारे में आज नई दिल्‍ली में संवाददाताओं को सम्‍बोधित किया। इस अवसर पर गृह मंत्री का वक्‍तव्‍य इस प्रकार है-

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प्रारंभ में, मैं बड़े दुःख के साथ बताना चाहता हूँ कि अस्‍पताल में भर्ती श्रीमती राजबाला की दशा बहुत गंभीर बनी हुई है। उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आईं हैं। उनके तथा उनके परिवार के प्रति मेरा मन बहुत दुःखी है। सरकार उनके परिवार के संपर्क में रही है तथा उनका सर्वोत्तम इलाज कराने और उन्‍हें हर प्रकार से सहायता प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। उनका परिवार काफी परेशानी में है और मुझे आशा है कि मुझे इस परिवार से मिलकर अपनी सहानुभूति प्रकट करने तथा उनको सहायता और मुआवजा प्रदान करने का अवसर मिलेगा।

भारत स्‍वाभिमान ट्रस्‍ट को 1.6.2011 से 20.6.2011 तक रामलीला मैदान में 4000-5000 व्‍यक्तियों के लिए योग प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। जब इस अनुमति की शर्तों का उल्‍लंघन होते देखा गया तथा इसे भारत स्‍वाभिमान ट्रस्‍ट के ध्‍यान में लाया गया तो उन्‍होंने दिनांक 28.5.2011 के पत्र के तहत यह पुष्टि की कि ''आवासीय योग शिविर के सिवाय और कोई कार्यक्रम नहीं होगा''

तथापि, श्री बाबा रामदेव ने 1.6.2011 को हुई अनेक बैठकों में यह घोषणा की कि वे 4.6.2011 से आमरण अनशन करेंगे।

इससे पूर्व, सरकार ने 10-13 मार्च, 2011 को पुत्तूर, कर्नाटक में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (आर एस एस से संबंधित) द्वारा पारित संकल्‍प; संरक्षक के रूप में श्री बाबा रामदेव तथा संयोजक के रूप में श्री के.एन. गोविन्‍दाचार्य के साथ मिलकर 'भ्रष्‍टाचार-रोधी मोर्चा' के गठन के बारे में आर एस एस की घोषणा; ''यूथ अगेन्‍स्‍ट करप्‍शन'' के नाम से एक संगठन तैयार करने तथा श्री बाबा रामदेव के साथ समन्‍वय करने के बारे में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिनांक 12.5.2011 के निर्णय; तथा श्री बाबा रामदेव के अभियान में हर-संभव सहयोग करने के लिए सभी स्‍वयंसेवकों को आर एस एस के श्री सुरेश जोशी द्वारा दिनांक 20.05.2011 के परिपत्र को ध्‍यान में रखा था। इसी प्रकार के अनुदेश विश्‍व हिन्‍दू परिषद के श्री अशोक सिंघल द्वारा दिनांक 28.5.2011 को विश्‍व हिन्‍दू परिषद के सभी पदाधिकारियों को जारी किए गए।

यह निर्णय लिया गया कि श्री बाबा रामदेव को रामलीला मैदान में कोई विरोध प्रदर्शन करने या आमरण अनशन आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और यदि वह ऐसा करने का प्रयास करते हैं तो उन्‍हें दिल्‍ली से बाहर चले जाने का निदेश दे दिया जाएगा।

सरकारी प्रतिनिधियों ने दिनांक 01.06.2011 और 04.06.2011 के बीच श्री बाबा रामदेव से बातचीत की। दिनांक 04.06.2011 की देर शाम यह स्‍पष्‍ट हुआ कि श्री बाबा रामदेव अपने आश्‍वासनों से पीछे हट गए हैं और अपने आमरण अनशन के कार्यक्रम को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

दिल्‍ली पुलिस ने रामलीला मैदान से श्री बाबा रामदेव को हटाने संबंधी निर्णय को लागू करने का निश्‍चय किया। दिल्‍ली पुलिस के अनुसार जब श्री बाबा रामदेव को आदेश की तामील की गई तो उन्‍हें चाहिए था कि वे आदेश का पालन करते और दिल्‍ली से बाहर चले जाते। इसके विपरीत उन्‍होंने आदेश की अवहेलना की। इसके बाद जो कुछ भी हुआ और जिस प्रकार उन्‍होंने इस आदेश की अवहेलना की वह कैमरे में कैद है और सभी लोगों को इसकी जानकारी है। दिल्‍ली पुलिस के अनुसार स्थिति को नियंत्रित करने और श्री बाबा रामदेव को गिरफ्तार करने तथा उन्‍हें दिल्‍ली से बाहर ले जाने के लिए कम-से-कम बल का इस्‍तेमाल किया गया। दिल्‍ली पुलिस ने दिनांक 5.6.2011 को एक संक्षिप्‍त प्रेस वक्‍तव्‍य जारी किया, तत्‍पश्‍चात विशेष पुलिस आयुक्‍त ने मीडिया को संबोधित किया। मैं इस समय इसके अतिरिक्‍त कुछ और नहीं कहना चाहता। दिल्‍ली पुलिस को उच्‍चतम न्‍यायलय से एक नोटिस प्राप्‍त हुआ है और वह अपने शपथ पत्र में घटनाक्रम और की गई कार्रवाई को स्‍पष्‍ट करेगी।

दिल्‍ली पुलिस के अनुसार, 4/5.6.2011 की रात को रामलीला मैदान में 20,000 से भी अधिक व्‍यक्ति थे जिनमें से 43 आम नागरिक घायल हुए। प्राथमिक उपचार/ चिकित्‍सीय जांच के बाद 39 लोगों को छुट्टी दे दी गई। दो व्‍यक्तियों की हडि्डयां के टूटने का इलाज किया गया और छुट्टी दे दी गई। दो व्‍यक्तियों को गंभीर चोटें आईं, दोनों का ऑपरेशन किया गया और उनमें से एक (सुशील कुमार) की हालत स्थिर है तथा स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार हो रहा है। दूसरी श्रीमती राजबाला है। 32 पुलिस कार्मिक भी घायल हुए किन्‍तु उन्‍हें प्राथमिक उपचार/चिकित्‍सीय जांच के बाद छुट्टी दे दी गई।

मैं मानता हूँ कि व्‍यक्तियों तथा संगठनों को लोकतंत्र में शान्तिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है। समग्र कानून और व्‍यवस्‍था तथा सुरक्षा की स्थिति को ध्‍यान में रखकर ही पुलिस शान्तिपूर्वक विरोध की अनुमति देती है। उदाहरणार्थ, भा ज पा को दिनांक 5/6.6.2011 को सत्‍याग्रह की अनुमति दी गई थी, श्री अन्‍ना हजारे व अन्‍य को आज राजघाट पर 10.00 बजे प्रात: से 6.00 बजे सायं तक अनशन करने की अनुमति दी गई है। कभी-कभी, अनुमति के लिए इन्‍कार कर दिया जाता है। रामलीला मैदान संवेदनशील इलाके में है। दिल्‍ली एक विशाल महानगर है और दिल्‍ली में कानून और व्‍यवस्‍था बनाए रखना तथा किसी प्रकार की गड़बड़ी या संघर्ष को रोकना एक कठिन कार्य है। एक छोटी सी चिंगारी किसी अग्निकांड में परिवर्तित हो सकती है। अनुमति देने अथवा न देने संबंधी निर्णय पुलिस प्राधिकारियों द्वारा लिये जाते हैं। दिल्‍ली पुलिस अधिनियम की धारा 65 के अंतर्गत निर्देश जारी करने तथा उन्‍हें लागू करने के निर्णय भी पुलिस प्राधिकारियों द्वारा लिये जाते हैं। मैं आम जनता से अपील करूंगा कि वे इन कठिनाइयों तथा मुश्किल हालातों को समझें जिनमें दिल्‍ली पुलिस को अपने कार्यों और जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करना पड़ा। वास्‍तव में, दिल्‍ली और दिल्‍ली पुलिस के बारे में जो बात सही है, वही अन्‍य महानगरों तथा बड़े शहरों और ऐसे शहरों के पुलिस प्राधिकारियों के बारे में भी सत्‍य है।''

 

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