गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का राष्ट्र को संबोधन
आज गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने राष्ट्र को संबोधित किया । इस अवसर पर राष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है :
कल हमारा देश अपना 59वां गणतंत्र दिवस मना रहा है । मुझे इस अवसर पर देश और विदेश में रह रहे समाज के सभी वर्गों के मेरे देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है । जल,थल और नभ में हमारी रक्षा करने और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अमूल्य सहायता प्रदान करने वाली हमारी सशस्त्र सेनाओं औ अर्धसैनिक बलों का मैं विशेष अभिनन्दन करती हूं । मैं राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार आंतरिक सुरक्षा बलों के साथ-साथ केन्द्रीय और राज्य स्तर की पुलिस को भी बधाई देती हूं ।
आजादी के बाद 26 जनवरी, 1950 को भारत गणतंत्र राज्य बना, यह हमारे देशवासियों के सपने साकार करने के प्रयास में पहली उपलब्धि थी । संविधान ने स्वतंत्रता संघर्ष के हमारे लक्ष्यों, आदर्शों और मूल्यों को अभिव्यक्ति प्रदान की । इसने शासन की नींव रखी और सभी देशवासियों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा सुनिश्चित की । जब से संविधान बना, तब से यह हमारा एक कुशल मार्गदर्शन कर रहा है ।
पिछले साल हमने अपनी स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ मनाई । यह एक ऐतिहासिक घटना थी । यह यात्रा काफी लंबी रही, परन्तु हम काफी आगे बढ चुक़े हैं । अन्य किसी महान यात्रा की तरह, हमारी यात्रा में भी विजय और गौरव के क्षण आए और साथ ही हमारे हिस्से में दुख और तकलीफें भी आईं । हमने हर रूकावट और हरेक बाधा पार की क्योंकि हमें हमारी मातृभूमि, महान और शक्तिशाली सभ्यता, मौलिक एकता और सुनहरे भविष्य वाले भारत में सुदृढ विश्वास था । हमें भारतवासियों की प्रतिभा और ऊर्जा पर पूरा भरोसा था । इस यात्रा के दौरान हमें स्वतंत्रता, सहिष्णुता और बहुलवाद के उन मूल्यों ने प्रेरित किया, जिन्होंने भारत को अनेकता में एकता वाले देश के रूप में पहचान दिलाई है । विभिन्न धर्मों, भाषाओं और रीति रिवाजों वाले लोगों से मिलकर बने हमारे देश भारत को अपनी इस विविधता से सहज ताकत मिलती है । आज, एक राष्ट्र के रूप में , हम सबको भारत की बहुसांस्कृतिक, बहुधार्मिक और बहुजातीय विशेषताओं के प्रति सम्मान और एकता की भावना बनाए रखने की शपथ लेनी चाहिए ।
हमारा देश विश्व के विशालतम और सबसे स्थायी लोकतंत्रों में से एक है । हमारे देश में 14 आम चुनाव हो चुके हैं जिनमें लोगों के जनादेश पर सत्ता विभिन्न राजनैतिक दलों और समूहों में हस्तांतरित होती रही है । एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में हमारी कार्यप्रणाली की दुनिया ने प्रशंसा की है । 1992 में हुए सवैधानिक संशोधन के बाद हमने जमीनी स्तर के लोगों को लोकतंत्र से जोड़ दिया है । आज, गांवों और हमारे हर शहरों और नगरों के आसपास के क्षेत्रों से चुने गए, 32 लाख प्रतिनिधि हैं । यह हमारे लिए गौरव की बात है कि इनमें से 12 लाख महिला प्रतिनिधि हैं । यह अब तक के इतिहास में और विश्व में कहीं भी चुने गए प्रतिनिधियों की विशालतम संख्या है । लोकतंत्र देश के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति और राष्ट्र की गतिविधियों में भाग लेने का अवसर देता है । लोकतांत्रिक सिध्दांतों और मूल्यों की ऊंची परम्पराओं का पालन करना हमारा प्रमुख कर्तव्य है ।
हमारी अर्थव्यवस्था में असाधारण वृध्दि हो रही है । हमें विश्वास है कि हमारे विकास दर का जो लक्ष्य तय किया है हम उसे प्राप्त करने में सफल होंगे । भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रभावशाली वृध्दि के परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया है । यह सदी एशिया की होगी और भारत इसकी एक प्रमुख प्रेरक शक्ति होगा । यहां पर मुझे याद आ रहा है, हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत के उद्भव को एक नए सितारे का उदय कहा था । आज हम देख रहे हैं कि उनके कथन में कितनी सच्चाई थी । हाल ही में कुछ युवा अप्रवासी भारतीयों से हुई मेरी बातचीत के दौरान उन्होंने मुझसे कहा था कि उन्होंने भारत की बढती प्रतिष्ठा के बारे में पढा था पर अपनी भारत यात्रा के दौरान वे भारत की ताकत को महसूस कर रहे हैं । भारत अपने अतिथियों पर कुछ ऐसी ही छाप छोड़ रहा है । भारत के भावी सपनों को साकार करने का समय आ चुका है ।
अर्थव्यवस्था विकास का लाभ हमारी जनसंख्या के सभी वर्गों तक नहीं पहुंच रहा है । अगर ईमानदारी से देखा जाए तो समाज के कमजोर और वंचित तबकों की जरूरतों, खासतौर से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों और दूसरे गरीब वर्गों के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिए बिना हमें भविष्य की बात नहीं करनी चाहिए। हमें ध्यान देना चाहिए कि उन्हें भी प्रगति और विकास का पूरा फायदा मिले । उच्च विकास दर के लक्ष्य की ओर बढते हुए हमारे प्रयास और सोच ऐसी होनी चाहिए कि हमारे सभी देशवासी इससे लाभान्वित हों सकें । हमारा संकल्प तब तक अधूरा रहेगा, जैसा कि गांधी जी ने कहा था, जब तक हम हर आंख के आसूं नहीं पोंछ देंगे ।
सरकार ने 2007 से 2012 तक की अवधि की 11वीं पंचवर्षीय योजना में केवल तीव्र ही नहीं बल्कि और अधिक सम्मिलित विकास को भी ध्यान में रखा है । यह सभी के समग्र विकास और समृध्दि के लिए बहुत जरूरी है । सरकार ने भी लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए अनेक प्रमुख कार्यक्रम तैयार किए हैं जैसे - भारत निर्माण, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन और सर्व शिक्षा अभियान । परन्तु इन्हें अमल में लाना एक चुनौती है । हमें यह प्रश्न पूछना चाहिए कि हमारी कार्यान्वयन प्रणाली कितनी प्रभावशाली है और इनमें क्या कमियां हैं ? हमें इसके सही उत्तर खोजने होंगे । मुझे विश्वास है कि कार्यक्रमों और परियोजनाओं को पूरी तरह अमल में लाने के लिए लोगों की भागादारी जरूरी होती है । स्थानीय स्वशासन निकायों को इन कार्यक्रमों में शामिल करके इनके बेहतर लाभ मिल सकते हैं क्योंकि कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने में इनका बहुत योगदान होता है । संपूर्ण सरकारी तंत्र को लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काम कना चाहिए । मैं विकास कार्यक्रमों से जुड़े हर व्यक्ति का आह्वान करती हूं कि वे जन कल्याण की योजनाओं को निर्धारित समय में पूरा करें और साथ ही ईमानदारी और जवाबदेही के साथ काम करें ॥ जब हम देश के विकस के लिए काम करते हैं तो यह केवल काम ही नहीं बल्कि एक मिशन होता है जिसे हमें प्राप्त करना होता है । विकास कार्य के लिए ऐसी भावना की जरूरत होती है ।
मैने देखा है कि कल्याण और विकास बढाने में सहायक योजनाओं के बारे में लाभार्थियों को कम जानकारी होती है । इसका अर्थ है कि वे इनके लाभ हासिल नहीं कर पाते । जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए इस स्थिति में सुधार लाना चाहिए । हमें सामाजिक कार्यकर्ताओं और सभ्य समाज के एक ऐसे निष्ठावान समूह की जरूरत है जो कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दे और सरकार के साथ मिलकर इन्हें अमल में लाने की जिम्मेदारी ले सकें ।
भ्रष्टाचार एक बुराई है जो हमारी व्यवस्था को बिगाड़ती है और हमें इसे समाप्त करना चाहिए । विकास के लिए रखा गया एक रूपया भी जब भ्रष्टाचार के कारण व्यवस्था से बाहर चला जाता है तो हमारे विकास कार्यक्रमों के लिए धन की कमी हो जाती है । विकास के लिए जरूरी संसाधों का नुकसान देश के लिए ठीक नहीं है । हमें बेहतर पारदर्शिता द्वारा भ्रष्टाचार खत्म करने के प्रयासों को सुदृढ बनाना चाहिए ।
25 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा में बोलते हुए , बाबा साहेब अम्बेडकर ने जोर देकर कहा था कि आजादी से हमारी जिम्मेदारी बढी है और आजादी हासिल करने के बाद हमारे या अन्य किसी के पास अपनी नाकामियों के लिए दूसरों को दोषी ठहराने का बहाना नहीं होगा । प्रत्येक देशवासी भारत की प्रगति और भविष्य के लिए जिम्मेदार है, इसी तरह प्रत्येक व्यक्ति कमियों और बुराइयों के लिए दोषी माना जाएगा । अक्सर मैं कहती रही हूं कि सरकार, सभ्य समाज, गैर सरकारी संगठनों और प्रत्येक नागरिक को समाज के विकास और राष्ट्र की तरक्की के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए । हमें यह समझना चाहिए कि जिस तरह हम अपने अधिकारों के प्रति जागरुक रहते हैं उसी तरह हमें अपने कर्तव्यों को निभाने की जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए । जैसे गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन को नैतिक मूल्यों पर अधिष्ठित करके चलाया था, उसी प्रकार हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक, प्रशासनिक और शैक्षणिक सारे ही कार्य नैतिक मूल्यों पर अधिष्ठित करके आगे बढाने चाहिए । तब हमारे देश की प्रगति में और भी सुखद, कोमल मानवता का स्पर्श आएगा ।
देश नक्सलवाद और आतंकवाद के अंदरुनी खतरों का सामना कर रहा है । चाहे उनकी कोई भी शिकायतें हों, लेकिन बन्दूकों का इस्तेमाल करने वाले और हिंसक विचारधारा से जुड़े लोगों ने सही रास्ता नहीं चुना है । लोकतंत्र में हिंसक गतिविधियों के लिए कोई स्थान नहीं है । नक्सलवादी देश के पिछड़े क्षेत्रों के लोगों की असंतुष्ट भावनाओं को भुना रहे हैं । सरकार, सम्मिलित विकास की अपनी नीति के एक भाग के रूप मे हमारी जनजातियों और गरीब किसानों के कल्याण पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रतिबध्द है । इसके साथ ही बढते हुए नक्सलवाद से हमें दृढता से निपटना चाहिए ।
हमारी 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है । मैं किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने से बहुत चिंतित हूं । मुझे उम्मीद है कि उनकी समस्याएं दूर करने के लिए सरकार जो कदम उठा रही है, उनसे हालात सुधारेंगे । हालांकि कृषि क्षेत्र का धीमा विकास एक चिंता का विषय है, परन्तु मैं इसकी क्षमता के प्रति बहुत आस्थावान हूं । हरित क्रांति ने साबित कर दिया था कि अपने प्रयासों से हम खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकते हैं और फिर बाद मे दूध उत्पादन में भी हमने अपनी यही कामयाबी दोहराई । आज, एक बार फिर हमें उत्पादकता बढाने के लिए कृषि पर अधिक ध्यान देने और अपने ग्रामीण क्षेत्रों को कृषि प्रसंस्करण और उससे जुड़े उद्योगों का केन्द्र बनाने की जरूरत है । हमारे पास दुनिया में सबसे अधिक कृषि योग्य भूमि है और मुझे विश्वास है कि खेती के बेहतर तरीकों, भूमि और जल प्रबंधन के जरिए देश में कृषि एक विशेष भूमिका निभाती रहेगी । सहकारी आंदोलन को ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का मार्गदर्शन करके और किसानों का सहयोगी बन कर ज्यादा तेजी और सक्रियता से काम करना चाहिए । मैं कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों और इससे जुड़े सभी लोगों से अनुरोध करती हूं कि वे देश में दूसरी हरित क्रांति लाने की दिशा में तेजी से काम करें ।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नति विश्व का भविष्य तय करेगी और इससे विश्व और अधिक ज्ञानवान बनता जाएगा । हालांकि हम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ रहे हैं लेकिन हमें अनुसंधान और विकास मे निवेश और अपने शैक्षिक संस्थानों का निर्माण जारी रखना चाहिए । विद्यार्थियों को बुनियादी विज्ञान की पढार्ऌ करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और विद्यार्थियों में विज्ञान विषयों के प्रति रुचि जागृत करने के लिए हर प्रांत की सरकारों तथा शिक्षा संस्थाओं को विशेष प्रयास करने चाहिए । शिक्षा किसी भी देश के लोगों को सशक्त बनाने का सबसे अहम साधन है । ज्ञान की खोज हमेशा से हमारे देश की परंपरा का एक अंग रही है । यही कारण है कि स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा के लिए हम एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करने का अनवरत प्रयास कर रहे हैं । 2010 तक सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के कार्य के साथ-साथ हमें उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों की संख्या बढाने का लक्ष्य भी बनाना चाहिए । मुझे पूरा यकीन है कि प्रत्येक व्यक्ति, पुरुष और महिला, बालक और बालिका तक आधुनिक शिक्षा का लाभ जरूर पहुंचेगा । मैं अपने देश के बच्चों और युवाओं से यह संकल्प लेने का आह्वान करती हूं कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए वे खूब पढार्ऌ करे और ज्ञान अर्जित करें ।
हमारी आधी आबादी महिलाओं की है फिर भी वे अनेक चुनौतियों का सामना कर रही हैं । महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाने चाहिए और इससे भी जरूरी है कि उनका प्रभावी कार्यान्वयन हो । हमें बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, कन्या शिशु हत्या और दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों पर ध्यान देना चाहिए । मैं, शराब और नशीली दवाओं से व्यक्ति, परिवारों और समाज पर पड़ रहे बुरे प्रभाव से चिंतित हूं । विशेषकर देश की महिलाओं और युवाओं से मैं कहना चाहूंगी कि वे इन सामाजिक बुराइयों को समाज से नष्ट करने की चुनौती स्वीकार करें तथा समाज की सोच और नज़रिया बदलने की दिशा में कार्य करें ।
जैसे-जैसे विकास हो रहा है, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा उद्देश्य केवल धन अर्जित करना ही नहीं है । हमें एक मानवतावादी समाज का निर्माण करना है । हम संकीर्णतावादी सोच नहीं रख सकते और न ही हम एक दूसरे की जरूरतों के प्रति लापरवाह हो सकते हैं । इस संदर्भ में, मैं उल्लेख करना चाहूंगी कि विकलांगों को हमारे देश में पूरे लाभ और अवसर मिलने चाहिए ताकि वे गरिमामय जीवन जी सकें । सरकार ने हाल ही में विकलांगों को हर वर्ष एक लाख नौकरियां देने के लिए 1800 करोड़ रुपये के एक पैकेज की घोषणा की है । समाज को विकलांगों और वृध्दि नागरिकों की मदद करनी चाहिए और उनके प्रति सकारात्मक सोच रखनी चाहिए ।
हमें अपनी समृध्द सांस्कृतिक विरासत और इसके संवेदनशील तथा सौहार्दपूर्ण मूल्यों का संरक्षण और उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए । हमें पीढी दर पीढी, सदियों से विरासत में मिलती आई गीत और नृत्य, चित्रकारी और मूर्तिकला और साहित्य और कला की सर्वोत्तम विशेषताओं को खोजना और आत्मसात करना चाहिए ।
भारत ने हमेशा विश्व को एक दृष्टि और एक संदेश दिया है । सभ्यता के प्रारंभ से हमारा यह विश्वास रहा है कि विश्व एक है और संपूर्ण मानवजाति एक कुटुम्ब है । भारत सभी देशों के साथ मैत्री और सहयोगपूर्ण संबंध बनाने के लिए प्रतिबध्द है । आर्थिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में विश्व के साथ भारत के संबंध घनिष्ठ हो रहे हैं । भारत एक ऐसा देश है, जिसने इस क्षेत्र और विश्व में शांति व स्थिरता स्थापित करने में योगदान दिया है और निरंतर देता जा रहा है । आतंकवाद आज संसार के लिए एक गंभीर खतरा है । लगातार हो रहे आतंकवादी हमले अंतराष्ट्रीय बिरादरी को एकजुट होकर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । भारत, आतंकवाद, गरीबी, रोग, अशिक्षा और असमानता से मुक्त बेहतर विश्व के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ मिलकर काम करता रहेगा ।
महाकवि कालिदास रचित पंक्तियो में की गई जन कल्याण की मंगल कामना के साथ एक बार फिर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देती हूं ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
सर्व: कामान् आप्नीतु
सर्व: सर्वत्र नन्दतु
अर्थात,
सभी लोग खुश रहें,
सब इच्छाएं पूर्ण हों,
सर्वत्र खुशहाली रहे ।
कल गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया जाएगा । आइए हम उज्ज्वल भविष्य वाले महान राष्ट्र के नागरिक होने के नाते हम सब अपनेर् कत्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाने का संकल्प लें ।
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