शनिवार, 20 दिसंबर 2008

वित्तीय समावेशन के सम्बन्ध में नाबार्ड की कार्यशाला सम्पन्न

वित्तीय समावेशन के सम्बन्ध में नाबार्ड की कार्यशाला सम्पन्न

बैंकर्स स्वसहायता समूहों को प्रोत्साहित करें- श्री जोशी

ग्वालियर 19 दिसम्बर 08। आज स्थानीय सीता  मैनोर होटल में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की वित्तीय समावेशन निधि तथा वित्तीय समावेशन प्रौद्यौगिकी निधि पर केन्द्रित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए नाबार्ड के जिला विकास अधिकारी श्री रामवीर जोशी ने कहा कि बैंकर्स अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते । उन्हें किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर ऋण देना होगा।

       उन्होंने कहा कि जिले में 78 हजार से ज्यादा बीपीएल. परिवार हैं। विभिन्न बैंकों द्वारा अभी जिले में 68543 किसान क्रेडिट कार्ड बनाये जा चुके हैं, मगर अभी लगभग 40 हजार किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाना है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में बैंकिंग अनिवार्य है। सभी गरीबों और किसानों को बैकिंग व्यवसाय से जोड़ा जाना अनिवार्य है। इन्हें खाता , ऋण और बीमा के जरिये संरक्षण देना होगा।

       उन्होंने कहा कि विकास के लिये गरीबों के स्व सहायता समूहों को ऋण, अनुदान, प्रशिक्षण मार्गदर्शन आदि के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना होगा। हर वर्ष एक बैंक शाखा को मात्र एक या दो स्वसहायता समूहों को ही ऋण देने का लक्ष्य दिया जाता है।

       श्री जोशी ने यह भी कहा कि शासन की मंशा है कि बी पी एल. नागरिकों को ऋण देकर उनका जीवन स्तर सुधारा जाये तथा उन्हें बैंक में खाता खोलने और बचत की प्रवृत्ति को विकसित करना होगा। उन्हें आधुनिक तकनीक व प्रौद्यौगिकी का भी पूरा लाभ दिलाना होगा।

       इस अवसर पर चर्चा में भाग लेते हुये केनरा बैक के मैनेजर श्री एस के शर्मा ने कहा कि बैक का दायरा धीरे-धीरे घर तक पहुंच जायेगा। वह दिन अब दूर नहीं जब क्रेडिट कार्ड से सब्जी से लेकर सोना तक खरीदा जायेगा। करेंसी का स्थान क्रेडिट कार्ड लेंगे। उन्होंने कहा कि बिना राशि के गरीबों मजदूरो और खौमचे वालो के खाते खोलकर उन्हें बचत के लिये प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि बचत की प्रवृत्ति विकसित करने के लिये स्वयंसेवी संस्थाओं, पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ शासकीय सेवकों की मदद लेना होगी। हम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। ग्राहकों को रिकरिंग एकाउण्ट के लिए भी प्रेरित करना होगा।

       वामा स्वयंसेवी संस्था की कु. मन्जु गर्ग ने कहा कि गरीबों को लघु ऋण देकर उनका जीवन स्तर सुधारना होगा। उन्हें सामूहिक भावना (टीम भावना) साक्षरता, बचत प्रवृत्ति, काम करने और व्यवसाय करने का  रूझान विकसित करना होगा। उन्हें फिजूलखर्ची से भी बचने की हिदायत देना होगी।

       चर्चा में भाग लेते हुए पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक श्री एन. आर. अग्रवाल ने कहा कि गरीबों का उन्नयन स्वसहायता समूहों के जरिये हो सकता है। उन्हें उनकी रूचि के व्यवसाय में ऋण देना होगा तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रेरित करना होगा।

       इस अवसर पर सहायक परियोजना अधिकारी श्री आर. एस. भदौरिया ने कहा कि स्वसहायता समूहों के माध्यम से ही गरीबों को स्वयं के व्यवसाय से लगाकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना होगा1 इस काम में बैंकर्स की भूमिका अनिवार्य है।

       इस अवसर पर सहकारी बैंक, ग्रामीण विकास बैंक, यूको बैंक, ओरियेण्टल बैंक,     स्टेट बैंक आदि के प्रतिनिधि मौजूद थे।

 

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