प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों में मौजूद शिक्षा से संबंधित छोटी से छोटी हर जानकारी अब एक ही स्थान पर मिल सकेगी। यह जानकारी जिला सूचना प्रणाली के जरिये एकत्रित की जाएगी। राज्य शिक्षा केन्द्र ने सभी जिलों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। जानकारी नहीं देने वाले विद्यालयों की शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता भी समाप्त की जा सकती है।
यह प्रक्रिया प्रदेश में जिलेवार शिक्षा सुविधा की उपलब्धताए छात्र संख्याए शाला भवनए शिक्षण कक्षए शिक्षकों का विस्तृत विवरणए वित्तीय जानकारी शाला में उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं जैसे- श्यामपट, पेयजल, खेल मैदान, शौचालय, रेम्प आदि की जानकारियाँ प्राप्त करने के लिये अपनाई गई है। यह सब प्रदेश में स्कूली शिक्षा के लोक-व्यापीकरण के लिये अत्यंत आवश्यक है। इस प्रक्रिया में निर्धारित प्रारूप में जानकारी प्रदान न करने वाले स्कूलों के विरुद्ध शिक्षा का अधिकार अधिनियम में मान्यता समाप्ति की कार्यवाही भी की जा सकती है।
डाइस के नाम से प्रचलित एकीकृत जिला सूचना प्रणाली के माध्यम से प्रदेश में संचालित कक्षा-एक से 12 तक की समस्त शालाओं की जानकारी 30 सितम्बर की स्थिति में एकत्रित की गई है। यह जानकारी समस्त शासकीय मान्यता प्राप्त निजी शासकीय सहायता प्राप्त एवं गैर-शासकीय सहायता प्राप्त शालाओं, मदरसा, संस्कृत शालाए नवोदय विद्यालयए सैनिक विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय (¼KVS), ICSE और CBSE के अंतर्गत संचालित शालाओं से एकत्रित की गई है। भरे हुए प्रपत्रों की एन्ट्री कम्प्यूटर में यूनीफाइड डाइस सॉफ्टवेयर के माध्यम से करने के पश्चात डाटा भारत शासन को भेजा जाएगा।
इस तरह प्राप्त जानकारियों के आधार पर ही राज्य और देश की शैक्षिक नीतियों तथा कार्यक्रमों का निर्धारण करने में सहायता प्राप्त होगी। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिलों को उक्त कार्य समय-सीमा में पूर्ण गुणवत्ता के साथ करने के निर्देश दिये हैं। इस संबंध में विकासखण्ड स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी किए जायेंगे। जिला-स्तर पर प्रशिक्षणों और समस्त कार्यवाही के लिये राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जिला परियोजना समन्वयक एवं सहायक जिला परियोजना समन्वयक के साथ ही सर्व शिक्षा अभियान के जिला प्रोग्रामर्स को जवाबदार बनाया गया है।
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