लोगों को सही न्याय प्रदान करना प्रशासकीय अधिकारियों का दायित्व - मुख्य न्यायाधिपति श्री पटनायक
न्यायालय की अवमानना तथा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही संबंधी कानूनों पर कार्यशाला
कानून में विश्वास रखने वाले प्रशासकीय अधिकारी स्वयं कानूनों का पालन कर लोगों को सही न्याय उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी का निर्वहन करें। इस आशय के उद्गार म.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति श्री ए.के. पटनायक ने आज आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी भोपाल में प्रशिक्षु आई.ए.एस. तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिये 'न्यायालय की अवमानना तथा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही संबंधी कानूनों' के संबंध में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुये व्यक्त किये। कार्यक्रम में नई दिल्ली के वरिष्ठ अभिभाषक श्री संतोष रूंगटा, प्रशासन अकादमी महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना के अलावा न्यायाधीशगण, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आदि उपस्थित थे।
कार्यशाला को संबोधित करते हुये मुख्य न्यायाधिपति श्री पटनायक ने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था विधि सम्मत रूप से संचालित की जाती है। किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से उसकी स्वतंत्रता का हनन होता है। अत: प्रशासनिक अधिकारी फील्ड की सही जानकारी प्राप्त करके ही प्रतिबंधात्मक कानूनों का उपयोग करें। जनता की शाँति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा करने वाले व्यक्तियों के विरूध्द ही पूरी सतर्कता बरतकर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जाये। श्री पटनायक ने कहा कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के संबंध में न्यायालय द्वारा जारी आदेश का समय पर पालन नहीं करने पर न्यायालय की अवमानना का चार्ज लगता है। अत: ऐसी परिस्थिति से बचने के लिये प्रशासनिक अधिकारी न्यायालय द्वारा दिये गये आदेशों का समय पर पालन सुनिश्चित करें और करायें।
कार्यशाला को अभिभाषक श्री संतोष रूंगटा ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत में प्रजातांत्रिक प्रणाली लागू की गई है और संविधान में लोगों को अनेक मौलिक अधिकार दिये गये हैं जिसमें स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है। प्रतिबंधात्मक कानून लोगों के मौलिक अधिकार के साथ मानव अधिकारों का हनन भी करते हैं। अत: जब तक अत्यावश्यक ना हो प्रतिबंधात्मक कानूनों के उपयोग से प्रशासनिक अधिकारियों को बचना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश को एकजुट रखने एवं क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूर्ण करने प्रतिबंधात्मक कानूनों का प्रावधान किया गया है। प्रशासनिक अधिकारी मानव जीवन की सुरक्षा एवं अधिकारों में सामंजस्य स्थापित कर ही ऐसे कानूनों का उपयोग करें। श्री रूंगटा ने कहा कि न्यायालय की अवमानना से बचने के लिए न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा में कार्यवाही नहीं कर सकने की स्थिति में अंतिम तिथि से पूर्व न्यायालय में समयावधि बढ़ाने हेतु आवेदन करें और न्यायालय के मार्गदर्शन में कार्यवाही को अंजाम दें।
प्रारंभ में प्रशासन अकादमी महानिदेशक डॉ संदीप खन्ना ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, आमंत्रित अधिकारीगणों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों के लिये यह कार्यशाला उपयोगी होगी।
मुख्य न्यायाधिपति श्री ए.के. पटनायक ने कार्यक्रम में प्रशासन अकादमी महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना द्वारा लिखित ''सरलीकृत अवमानना अधिनियम' नामक पुस्तक का विमोचन भी किया। प्रशासन अकादमी के संचालक श्री एम. के. वार्ष्णेय ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त जस्टिस श्री आर.डी. शुक्ला, प्रमुख सचिव विधान सभा श्री ए.के. पयासी, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग श्री सुदेश कुमार, कमिश्नर भोपाल डॉ. पुखराज मारू के अलावा न्यायाधीशगण, सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रशिक्षु आय.ए.एस. एवं राज्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।
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