शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

लाडली लक्ष्मी योजना में ढिलाई पर पर्यवेक्षकों की वेतनवृध्दि रोकने के निर्देश

लाडली लक्ष्मी योजना में ढिलाई पर पर्यवेक्षकों की वेतनवृध्दि रोकने के निर्देश

महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा बैठक संपन्न

ग्वालियर, 3 फरवरी 2010 / लाडली लक्ष्मी योजना में उदासीनता बरतने पर कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने बाल विकास परियोजना घाटीगाँव में पदस्थ सभी पर्यवेक्षकों की दो-दो वेतन वृध्दियाँ रोकने के निर्देश दिये हैं। उन्होने जिले की उन बाल विकास परियोजना अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की हिदायत भी दी है जिनमें लाडली लक्ष्मी योजना की प्रगति गत वर्ष की अपेक्षा धीमी है  

       श्री त्रिपाठी आज राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे । बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विनोद शर्मा ,महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती सीमा शर्मा सहित जिले के सभी बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक मौजूद थी ।

       आंगनबाड़ी केन्द्रों के सतत भ्रमण पर जोर देते हुये कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने निर्देश दिये कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की  उपस्थित बढ़ाने के लिये विशेष प्रयास किये जायें । उन्होंने नई पोषण आहार नीति के तहत आंगनबाड़ियों में पोषण आहार वितरण के लिये शुरू किये गये सांझा चूल्हा कार्यक्रम के गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन पर भी विशेष बल दिया । श्री त्रिपाठी ने कहा कि सांझा चूल्हा के तहत निर्धारित मीनू के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों एवं गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषण आहार मुहैया कराना सुनिश्चित करें । उन्होंने स्पष्ट किया कि जो स्व-सहायता समूह ठीक ढंग से सांझा चूल्हा का पोषण आहार तैयार नहीं कर रहे हैं, उन्हें बदला जाये और उनकी धनराशि की कटोत्री भी करें ।

       बाल शक्ति योजना के तहत जिले में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्रों की भी कलेक्टर ने समीक्षा की । उन्होंने कहा कि पोषण एवं पुनर्वास केन्द्रों में लाभान्वित कराये गये बच्चों का फॉलोअप भी अवश्य करायें, जिससे उन बच्चों से पूर्ण रूप से कुपोषण दूर हो सके ।

       उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ठाठीपुर, डबरा व मोहना अस्पताल परिसर में पोषण एवं पुनर्वास केन्द्र सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं । हस्तिनापुर में भी यह केन्द्र जल्द शुरू होने जा रहे हैं । पोषण- पुनर्वास केन्द्रों से अब तक जिले के 684 कुपोषित बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।

 

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