जनप्रतिनिधियों को समझायी कर निर्धारण की प्रणाली
ग्वालियर दिनांक- 04.02.2010- नगर निगम परिषद सभागार में आज नवनिर्वार्चित माननीय महापौर एवं सम्मानीय पार्षदगणों को प्रदेश सरकार द्वारा नगर पालिका निगम अधिनियम के तहत जिन करों का निर्धारण किया गया है उसके बारे में जानकारी दी वर्तमान में निगम द्वारा जनता से वसूले जा रहे विभिन्न करों के बारे में बताया एवं प्रदेश के अन्य बडे शहरों की तुलना में ग्वालियर में वसूले जा रहे विभिन्न प्रकार के करों के बारे में जानकारी इकरा मैनेजमेंट कन्सलटेंसी एवं सर्विसेज द्वारा प्रजेन्टेशन के माध्यम से दी। प्रजेटेशन में बताया गया कि ग्वालियर शहर में अन्य शहरों की तुलना में सम्पत्तिकर वसूली में बहुत तेजी से बढोत्तरी हुई है। प्रजेंटेंशन में यह भी जानकारी दी गई कि ग्वालियर शहर में सम्पत्तिकर के साथ-साथ पिछले पांच वर्षों में सम्पत्तिकरदाताओं के भवनों का पंजीकरण भी 13 प्रतिशत बढ़ा है उसके हिसाब से वसूली का प्रतिशत भी बढ़ा है।
कंपनी के सदस्यों ने प्रदेश के चार बडे शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं ग्वालियर की कर निर्धारण पद्वति के बारे में समझाया जिसमें उन्होंने बताया कि कर का निर्धारण दो प्रकार से किया गया है जिसमें एक सम्पत्तिकर तथा दूसरा उपयोगकर्ताकर । कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि प्रदेश में इस समय भोपाल के अलावा ग्वालियर दूसरा ऐसा शहर है जहां शहर की कुल सम्पत्ति में से केवल लगभग 30 प्रतिशत सम्पत्ति पर सम्पत्तिकर वसूला जाता है बाकि सभी सम्पत्तियों से केवल समेकित कर वसूला जाता है। उन्होंने बताया कि भोपाल का ग्वालियर से आगे होने का मुख्य कारण यह है कि भोपाल प्रदेश की राजधानी है तथा वहां ज्यादातर सम्पत्तियां सरकारी हैं इसलिए वह सम्पत्ति की से मुक्त है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में ग्वालियर शहर की लगभग 70 प्रतिशत सम्पत्तियों से समेकित कर वसूला जा रहा है इसलिए इसके पुन: असिस्मेंट की आवश्यकता है क्योंकि पहले की अपेक्षा अब स्थितियां काफी परिवर्तित हुई हैं।
कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्तमान में 6 हजार रुपए से अधिक के वार्षर्िक भाड़ा रेंटल की सम्पत्तियां ही सम्पत्तिकर की श्रेणी में आती हैं बाकि अन्य सम्पत्तियों से केवल समेकित कर वसूला जाता है लेकिन अब ऐसी सभी सम्पत्तियों के पुन: निरीक्षण की आवश्यकता है। वहीं कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि पिछले चार सालों में प्रदेश में सबसे ज्यादा कर ग्वालियर में वसूला गया है। इसके साथ ही कंपनी के प्रतिनिधियों ने कर निर्धारण्ा के प्रगतिशील पहलू एवं सीमाओं के बारे में जानकारी दी जिसमें उनके द्वारा एक सामान्य व्यक्ति द्वारा भी कर निर्धारण का तरीका बताया। कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि कर निर्धारण करते समय प्रमुख बातों का घ्यान रखना चाहिए। जिसमें आमजनता पर ज्यादा भर न पडे तथा प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति उसको अफोर्ड कर सके। वहीं कर निर्धारण पद्वति ऐसी होनी चाहिए जिससे हर वर्ष के कर निर्धारण के लिए एमआईसी में न जाना पडे तथा कर में परिसिथयोंनुसार हर वर्ष अपने आप ही वद्वि हो जाए। इसके साथ ही कर निर्धारण की पद्वति इतनी सरल होनी चाहिए कि कोई भी आम व्यक्ति अपनी सम्पत्ति पर कर निर्धारण कर सके। वहीं उन्होंने बताया कि सम्पत्तिकर का सही निर्धारण होना चाहिए जो कि वर्तमान में 64 फीसदी है इसे कम से कम 85 फीसदी तक पंहुचाने की आवश्यकता हैं। इसके साथ ही कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा संपत्तिकर के निर्धारण के संबंध में तथा करों से विभिन्न छूट प्राप्त संसथाओं के पुन: असिस्मेंट आदि सहित अनेक सुझाव दिए। इसके साथ ही उन्होंने उपयोगकर्ता करों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसमें आने वाले जल आपूर्ति कर के रुप में अभी हम 80 रुपए प्रति कनेक्शन वसूल रहे हैं जबकि इस पर खर्चा 100 रुपए प्रति कनेक्शन आता है। वहीं इसके बाद भी अभी तक यह वसूली केवल 24 प्रतिशत तक ही हो पा रही है। उन्होंने बताया कि जहां जल प्रदाय में निगम का लभग 23 करोड रुपए खर्च होते हैं जबकि वसूली लगभग 6 करोड रुपए तक हो पाती है जबकि इसमें कर्मचारियों का वेतन जोडा नहीं गया है यदि उसे भी जोड दिया जाए तो वसूली का प्रतिशत मात्र 10 फीसदी ही रह जाएगा। इसमें सुधार की काफी आवश्यकता है। वहीं कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि वर्तमान में सीवरेज शुल्क एवं कोई अलग से ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन शुल्क वसूल नहीं किया जा रहा है। इस अवसर पर सभी पार्षदो से सुझाव भी मांगे गए जिसमें कई पार्षदों ने अपने अपने सुझाव दिए। इस अवसर पर महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, सभापति बजेन्द्र ंसिह जादौन, सभी एमआईसी सदस्य एवं सभी पार्षदगण एवं निगमायुक्त डा पवन कुमार शर्मा सहित सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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