सोमवार, 15 सितंबर 2008

निजी नर्सिंग होमों को मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश

निजी नर्सिंग होमों को मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश

ग्वालियर 10 सितम्बर 08। ग्वालियर नगर के विभिन्न नर्सिंग होम एवं चेरिटेबल हॉस्पिटल को भी मच्छर जनित मलेरिया, चिकगुनिया एवं डेंगू बुखार की रोकथाम के लिए सभी प्रतिबंधात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए लिखित में सचेत किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चना शिंगवेकर ने पत्र जारी कर निजी स्वास्थ्य संस्थाओं के संचालकों से कहा है कि मरीजों का एक बड़ा समूह नर्सिंग होम व चेरिटेबल हॉस्पिटल में उपचार के लिए पहुंचता है, अत: खासतौर पर डेंगू बुखार से बचने के लिए पर्याप्त सावधानियाँ बरतें। अर्थात मच्छरों को पनपने से रोकने के पुख्ता प्रबंध संस्था परिसर में किये जायें। साथ ही यदि निजी चिकित्सालय में कोई डेंगू मरीज भर्ती होता है तो इसकी सूचना तत्समय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय तथा मेडीकल कालेज को अवश्य दें।

       उल्लेखनीय है कि संभावित डेंगू मरीजों की त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई के सिलसिले में मेडीकल कॉलेज को सेण्टीनेटल सर्वेलेन्स साइट बनाया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शिंगवेकर ने बताया कि यहां पर चिकिनगुनिया व डेंगू के लक्षण वाले मरीज के आने पर माइक्रो बाइलॉजी विभाग में नमूने लिये जायेंगे।

       नर्सिंग होम संचालकों से कहा गया है कि मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए परिसर में एक ही स्थान पर तीन दिन से अधिक पानी एकत्रित न होने दें। मच्छरों का मुख्य उद्गम स्थल कूलर एवं पानी के अनुउपयोगी कन्टेनर्स है अत: परिसर के सभी कूलर, में से शीघ्र पानी निकलवाकर उसकी टंकी की दीवालों को रगड़कर साफ कर सुखवाया जाना अत्यंत आवश्यक है। यदि कूलर चालू रखना आवश्यक हो तो प्रत्येक तीन दिवस के अन्तराल में अनिवार्यत: सफाई एवं उसे सुखाने के बाद ही पुन: भरा जावे। इसी प्रकार खाली डिब्बे टूटे बर्तन, टूटे गमले, अनुपयोगी टायर इत्यादि में भी यदि पानी एकत्रित हो तो उसे शीघ्र साफ कराकर सुखाना अत्यंत आवश्यक है। परिसर के निकट यदि कोई गड्डा हो तो उसमें से पानी को खाली कराया जाना आवश्यक है। परिसर में यदि घास इत्यादि हो तो उसे छोटा किया जाना तथा उसकी नियमित साफ सफाई की व्यवस्था आवश्यक है जिससे कि मच्छर इनमें निवास न करें। खिड़कियों में उचित मापदण्ड की मच्छरजाली का लगाया जाना अत्यंत उपयोगी है। मटके, नाद, टंकी में पानी को इस प्रकार ढक कर रखा जावे कि उनमें मच्छर प्रवेश न करें, एवं पैदा न हों। रूके एवं अनुपयोगी पानी मे मच्छर के लार्वा को नष्ट करने के लिए टेमोफॉस का उपयोग किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत 10 लीटर जल में 2.5 मिली. टेमोफॉस मिलाकर घोल बनाया जाता है ऐसे बनाये हुए एक लीटर घोल को 50 लीनियर मीटर क्षेत्र में छिड़काव भी किया जा सकता है। वयस्क मच्छरों को नष्ट करने के लिए कक्षों इत्यादि में पैराथ्रम का छिड़काव भी किया जा सकता है। निकटवर्ती पर्यावरण को स्वच्छ रखें तथा किसी भी स्थिति में कचड़ा इत्यादि एकत्रित न होने दें। नीम की सूखी पत्तियों अथवा नारियल के खोल को जलाकर धुंआ करने से भी मच्छरों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आधुनिक साधन के रूप में कमरों में उचित कीटनाशकों इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है। निवासरत/कार्यरत व्यक्तियों को ऐसे परिधानों के उपयोग के लिये प्रोत्साहित किया जावे जिसमें कि शरीर का अधिकांश भाग ढ़क जाये। मच्छरदानी का उपयोग प्रोत्साहित किया जावे, उपयोग दिन में या रात में दोनों समय सोते समय किया जाना उचित है। मच्छर नष्ट करने वाली मच्छरदानी भी प्रचलन में है अत: मच्छरदानी क्रय करने में इन मच्छरदानियों का क्रय प्रोत्साहित किया जाना उचित होगा जिससे कि मच्छरों से बचाव एवं उनका परस्पर विनिष्टीकरण भी हो सके। मच्छरों को पनपने से रोकने से, उनका विनिष्टीकरण एवं उनसे संक्रमित होने से बचने हेतु अपेक्षित जनजागरूकता एवं जनसहयोग अत्यंत आवश्यक है अत: इन उपयों से सभी को अवगत कराया जाना उचित होगा।

 

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