सोमवार, 31 अगस्त 2009

रिहायशी कॉलोनियों के पास सेल फोन टॉवर स्थापित करने की अनुमति न देने की अनुशंसा

रिहायशी कॉलोनियों के पास सेल फोन टॉवर स्थापित करने की अनुमति न देने की अनुशंसा:

छतों पर लगे मोबाइल फोन टॉवर हटाये जायें मानव अधिकार आयोग

Bhopal:Sunday, August 30, 2009

म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने नगरीय क्षेत्रों में सेल फोन टॉवर स्थापित करने के लिये कम से कम ऐसे भूखंडों का चयन करने को प्राथमिकता देने की अनुशंसा की है जिनका आकार ढाई सौ फुट× ढाई सौ फुट हो। इन भूखंडों पर सेल फोन टॉवर के लिये स्थापित की जाने वाली मशीनों और जनरेटर से 100 फुट की त्रिज्या में कोई भी रिहायशी आवास न हो। टॉवर स्थापित करने के लिये जनरेटर की चिमनी की ऊँचाई न्यूनतम 30 फुट अथवा पास की ऊँचे आवासीय भवन से 20 फुट अधिक होना चाहिये।

आयोग ने सिफारिश की है कि ढाई हजार वर्ग फुट तक के आवासीय भूखंडों पर स्थापित टॉवर तत्काल हटाये जाने चाहिये। रिहायशी कॉलोनियों में मकानों की छत पर स्थापित टॉवरों से लोगों की जान और माल की क्षति का खतरा बना रहता है। वैसे भी ये भवन डायनामिक इम्पेक्ट फोर्स से डिजायन नहीं होते हैं इसलिये छतों पर स्थापित टॉवरों को भी हटा देना चाहिये। आयोग ने कहा है कि राज्य का अधिकांश भू-भाग भूकंप संभावित क्षेत्र है, इसलिये टॉवरों की ऊँचाई इतनी हो कि उनके गिरने से कोई जनहानि न हो। आयोग ने कहा है कि भारतीय टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग संस्थान दिल्ली द्वारा जारी मार्गदर्शी सिद्धांतों व निर्देर्शों का टॉवर की स्थापना में पालन कराया जाये। आयोग ने ये अनुशंसाएं खण्डवा के एक स्ट्रक्चरल इंजीनियर श्री राजेन्द्र तिवारी की शिकायत पर विभिन्न संबंधित संस्थाओं से जानकारियां लेने और विचार-विमर्श करने के बाद की हैं।

आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि सेल फोन टॉवर्स का निर्माण एवं स्थापना घनी आबादी वाली बस्तियों के निकट न किया जाये। टॉवर स्थापित किये जाने वाले स्थान को वायर फेंसिंग और चारीदीवारी बनाकर सुरक्षित रखा जाना चाहिये ताकि उन तक किसी व्यक्ति की पहुंच न हो सके। आयोग ने यह भी कहा है कि विद्युत या डीजल जनरेटर से संचालित होने वाले टॉवरों में ध्वनि प्रदूषण न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये। म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने यह शिकायत प्राप्त होने के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से टॉवर स्थापना की अनुमति देने के संबंध में शासन की नीति की जानकारी प्राप्त की। नीति से यह स्पष्ट हुआ कि सेल फोन टॉवर स्थापना की अनुमति देने की शर्तों में जन-सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव न पड़े इस संबंध में कोई खास शर्तें नहीं रखी गई हैं। आयोग की पहल पर शासन ने सेल फोन टॉवर से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय विकिरणों के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिये सात सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति में गाँधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के एटामिक मेडिसिन्स विभाग के डॉ. करण पीपरे, सूचना एवं प्रौद्योगिकी के ओ.एस.डी. डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, बी.एस.एन.एल. के श्री मनोज कुमार, नगरीय प्रशासन के अधीक्षण यंत्री श्री के.के. श्रीवास्तव, रिलायंस और एयरटेल कम्पनियों के एक-एक प्रतिनिधि को सम्मिलित किया गया।

समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ये विद्युत चुम्बकीय विकिरणें गर्भवती माताओं, गर्भस्थ शिशुओं और बालकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती हैं। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि सेल फोन टॉवरों का निर्माण करने की अनुमति केवल खुले सार्वजनिक स्थानों पर ही दी जानी चाहिये। निर्मित भवनों की छतों पर टॉवर स्थापित करने से कभी भी दुर्घटनाएं घटित हो सकती हैं। विभिन्न कम्पनियों को सेल फोन टॉवरों के साझा उपयोग पर सहमति बनाने के प्रयत्न होने चाहिये। भविष्य में बनने वाली रिहायशी कॉलोनियों में सेल फोन टॉवर स्थापित करने के लिये स्थान आरक्षित कराये जाने चाहिये।

शिकायतकर्ता श्री राजेन्द्र तिवारी, स्वयं स्ट्रक्चरल इंजीनियर हैं। उन्होंने भी सेल फोन टॉवर्स के बारे में जो अध्ययन किये हैं उनके संदर्भ प्रस्तुत करते हुए आयोग को काफी जानकारियां दी हैं। श्री तिवारी ने फ्रांस के एक शोध पत्र का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि सेल फोन टॉवर के पास रहने वाले लोगों को खून की कमी, दृष्टिदोष, सिरदर्द तथा अनिद्रा जैसे संत्रास हो सकते हैं। इसलिये सेल फोन के बेस स्टेशन को मानव बसाहट से कम से कम 300 मीटर दूर रखना उचित होगा। आस्ट्रिया के वियना विश्वविद्यालय के पर्यावरण स्वास्थ्य चिकित्सा संस्थान के एक शोधपत्र जो इंटरनेट पर उपलब्ध है में स्पष्ट किया गया है कि विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का मानव स्वास्थ्य पर तात्कालिक प्रभाव भले ही न दिखे लेकिन लम्बे समय तक विकिरणों के प्रभाव से मानव शरीर पर दुष्परिणाम के उदाहरण मिले हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में किये गये एक अध्ययन में भी बताया गया है कि सेल फोन टॉवर और सेल फोन दोनों को एक सुरक्षित दूरी पर रखना आवश्यक है। अन्य स्थिति में इनके अहितकारी परिणाम बूढ़ों, बच्चों, गर्भवती माताओं और कमजोर लोगों पर प्रकट होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सेल फोन टॉवर स्थापित करने के संबंध में पूर्ण सावधानी और सतर्कता के सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी है।

 

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