गुरुवार, 25 मार्च 2010

सिल्क फेब लोक कला को बचाये रखने की सार्थक पहल - श्रीमती समीक्षा गुप्ता

सिल्क फेब लोक कला को बचाये रखने की सार्थक पहल - श्रीमती समीक्षा गुप्ता

 पांच दिवसीय सिल्क प्रदर्शनी का शुभारंभ

ग्वालियर 24 मार्च 10। मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन द्वारा आयोजित 5 दिवसीय सिल्क प्रदर्शनी '' फेब 2010'' का शुभारंभ आज महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया । प्रदर्शनी का आयोजन तानसेन रेजीडेंसी में 24 से 28 मार्च तक किया जायेगा । उद्धाटन अवसर पर महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता ने कहा कि रेशम गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही इस प्रदर्शनी का लाभ सीधा बुनकरों को प्राप्त होगा । ''सिल्क फबे' लोक कला को बचाये रखने की एक सार्थक पहल है । उद्धाटन अवसर पर महाप्रबंधक मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन श्री आर के  श्रीवास्तव, प्रबंधक हस्त शिल्प निगम श्री तिवारी, उप संचालक हाथ करघा श्री माहोर, सहायक संचालक हाथकरघा श्री आर पी कोरी, प्रबंधक कंबल केन्द्र श्री गुर्जर, सहायक संचालक रेशम श्री परमार, फील्ड आफीसर श्री हरीशंकर सोनी, सहायक प्रबंधक रेशम श्री प्रमोद पाठक एवं फील्ड आफीसर श्री अरूण श्रीवास्तव सहित अन्य सबंधित अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।

       महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता ने कहा कि रेशम गतिविधियों से संबध्द आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के जीवन स्तर में सुधार हेतु सिल्क फेडरेशन द्वारा सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से जहां बुनकरों की कला का प्रचार प्रसार होता है वहीं बिचौलियों के बिना व्यापार करने से आर्थिक लाभ भी बुनकरों को प्राप्त होगा । उन्होंन कहा कि सिल्क और उससे बने उत्पाद हमारे देश की प्राचीन परम्पराओं में शुमार है । देश में बड़े पैमाने पर इन उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है । उन्होंने कहा कि सिल्क फेब का आयोजन प्रदेश के अन्य शहरों में भी किया जाना चाहिये तथा इनका व्यापक प्रचार प्रसार किये जाने की आवश्यकता है ।

       महाप्रबंधक श्री श्रीवास्तव ने कहा कि बुनकरों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से फेडरेशन द्वारा सिल्क फेब का आयोजन किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि इसी परिप्रेक्ष्य में फेडरेशन द्वारा उत्पादित वस्त्रों के स्थापित नाम प्राकृत से एक '' सिल्क फेब 2010 '' प्रदर्शनी सह विक्रय का आयोजन 24 से 28 मार्च तक तानसेन रेजीडेंसी ग्वालियर में किया जा रहा है । संस्थान का उद्देश्य बुनकरों द्वारा उत्पादित पारम्परिक कला के उत्कृष्ट उत्पादों के विपणपन की सुनिश्चित व्यवस्था करना है। यह प्रदर्शनी प्रदेश सरकार की उस नीति का विस्तार है जिसमें लोककला को बचाये रखने के  साथ साथ गरीब महिलाओं को रोजगार देने की वचनबध्दता देना है ।

       उन्होंने बताया कि सिल्क मार्क आर्गेनाइजेशन आफ इंडिया द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार उत्पादित वस्त्रों की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करती है । प्राकृत द्वारा रेशम वस्त्रों की वृहद श्रंखला उत्पादित की जाती है जिसमें मुख्यत: साड़ली, सलवार सूट, ड्रेस मटेरियल, शॉल, दुपट्टा, स्टोल्स एवं मेन्स रेशम, टाई, कुर्ता, जेकेट्स तथा वेस्टर्न आउटफिट शामिल है । उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में रेशम वस्त्रों की वृहद श्रंखला में सुंदर मलबरी सिल्क, इरी सिल्क तथा रीच टसर सिल्क के वस्त्रों पर प्राकृतिक रंगों में पारम्परिक प्रिंट तथा विश्व विख्यात चंदेरी एवं महेश्वरी की सुंदर डिजायन प्रस्तुत की जा रही है । उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेशन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मानक गुणवत्ता युक्त रेशम उत्पादन करने में अपनी पहचान स्थापित की गई है । देश के अन्य राज्यों के रेशम वस्त्र उत्पादकों द्वारा भी मध्यप्रदेश के रेशम का उपयोग किया जाता है । उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विश्व रेशम बाजार पर हमारा आधिपत्य होगा ।

 

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