गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011

डी ए पी वितरण व्यवस्था निर्धारित, किसानों को सलाह एन पी के व सुपर फास्फेट भी बेहतर विकल्प

डी ए पी वितरण व्यवस्था निर्धारित, किसानों को सलाह एन पी के व सुपर फास्फेट भी बेहतर विकल्प
 
ग्वालियर 12 अक्टूबर 2011/ वर्तमान रबी मौसम में गेहूँ की बोनी के पहले उर्वरक की पूर्ति के लिये ''एन पी के कॉम्पलेक्स'' तथा सुपर फास्फेट को भी कृषि अधिकारियों ने बेहतर विकल्प बताया है। यह सलाह खासकर उन किसानों के लिये दी गई है, जो डी ए पी खाद को ही गेहूँ फसल के लिये एक मात्र उर्वरक मान बैठे हैं।
       किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री आर के दीक्षित ने बताया कि वर्तमान में डीएपी उर्वरक की देशव्यापी कमी के मद्देनजर राज्य सरकार ने किसानों को खाद आपूर्ति के लिये विशेष रणनीति बनाई है। इस परिपालन में जिले में खाद वितरण व्यवस्था पर विशेष नजर रखी जा रही है। साथ ही राज्य शासन के निर्देशों के तहत किसानों को डीएपी उर्वरक मुहैया कराया जा रहा है। जिसके तहत सेवा सहकारी समिति पर उपलब्ध डीएपी एवं अन्य कॉम्पलेक्स उर्वरक की एक तिहाई मात्रा अऋणी कृषकों को नकद भुगतान पर वितरित होगी। सहकारी समिति द्वारा विक्रय की गई मात्रा को कृषकों की ऋण पुस्तिका में भी आवश्यक रूप से दर्ज कराना होगा। ऐसा न करने वाली संस्थाओं के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश राज्य शासन ने दिए हैं।
       कृषकों को अधिकतम 100 किलोग्राम डीएपी या 150 किलो एनपीके कॉम्पलेक्स प्रति हैक्टेयर के मान से (न्यूनतम 50 किलो) रबी फसल के दौरान मुहैया कराया जायेगा। कृषकगण उक्त उर्वरक की शेष मात्रा की पूर्ति सुपर फस्फेट से कर सकेंगे। किसानों को सलाह दी गई है एनपीके कॉम्पलेक्स में भी डीएपी की भाँति तीनों तत्व संतुलित मात्रा में मौजूद रहते हैं।

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