ऋण गारंटी योजना के तहत महिलाओं दारा संचालित सूक्ष्म एवं लघु उपक्रमों के लिए गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी किया गया
ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी योजना के तहत सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के
सूक्ष्म , लघु एवं मझौले उपक्रम मंत्रालय देश में सूक्ष्म, लघु और मझौले उपक्रमों (एमएसएमई) के विकास के लिए संवर्धनात्माक योजनाएं चला रहा है।
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिए ऋण प्रवाह में वृद्धि
सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) को ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए सरकार ने अगस्त, 2005 में ' सूक्ष्म एवं लघु उपक्रम के लिए ऋण प्रवाह तेजी पालिसी पैकेज ' की घोषणा की थी जिसका उद्देश्य पांच सालों में इस क्षेत्र के लिए ऋण प्रवाह को दोगुना करना है। फलस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिए ऋण प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और लंबित ऋण मार्च, 2005 के 67,800 करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च, 2010 के अंत में 2,78,398 करोड़ रुपए (अंनतिम) हो गया।
कौशल विकास
सरकार ने उपकरण कक्षों की प्रशिक्षण कुशलता में वृद्धि, एमएसएमई विकास संस्थान और मंत्रालय के अन्य संस्थानों जैसे उपायों के माध्यम से कौशल विकास को उच्च प्राथमिकता दी है। मंत्रालय की एजेंसियों ने 2009-10 के दौरान 3.13 लाख लोगों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया और 2010-11 के लिए 4.16 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिये जाने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्रालय अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को मुफ्त में प्रशिक्षण देता है।
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम
सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम (एनएमसीपी) के तहत एमएसएमई के लिए अखिल भारतीय अभियान शुरू किया है जो इस क्षेत्र के उपक्रमों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए विशेष अवयव है।
इस कार्यक्रम के दस तत्व हैं जो इस प्रकार हैं-
1. एमएसएमई के लिए लीन विनिर्माण प्रतिस्पर्धा योजना
2. एमएसएमई विनिर्माण क्षेत्र की डिजाइन विशेषज्ञता के लिए डिजाइन क्लीनिक योजना
3. विपणन सहायता एवं विपणन प्रौद्योगिकी
4. गुणवत्ता प्रबंधन मानक (क्यूएमएस) और गुणवत्ता प्रौद्योगिकी उपकरण (क्यूटीएस) के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाना
5. एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता उन्नयन
6. एमएसएमई क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को संवर्धन
7. पीपीपी माध्यम से मिनी टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना
8. एमएसई को विपणन सहायता/सहयोग (बार कोड)
9. एमएसएमई के लिए बौद्धिक संपदा जागरूकता
10. एसएमई के लिए इनक्यूबेटर्स के माध्यम से उद्यमिता और प्रबंधकीय विकास के लिए सहायता योजना
एमएसई कलस्टर विकास कार्यक्रम
मंत्रालय ने कम खर्च पर सूक्ष्म और लघु उद्यम के समग्र विकास के लिए कलस्टर दृष्टिकोण अपनाया है। मृदु प्रयास (कलस्टर इकाइयों के लिए तकनीकी सहायता, कौशल विकास, बाहर घुमाने ले जाना, विपणन विकास, विश्वास निर्माण आदि) कठिन प्रयास ( परीक्षण प्रयोगशाला, डिजायन केंद्र, उत्पादन केंद्र, निस्सारी शोधन संयंत्र, प्रशिक्षण केंद्र, अनुसंधान एवं विकास केंद्र, कच्चा माल बैंक आदि जैसी परिसंपत्तियों का निर्माण) और अवसरंचना प्रयास ( भूमि का विकास, जलापूर्ति, निकास, बिजली वितरण, सड़क निर्माण आदि) मौजूदा कलस्टरों/नये औद्योगिक इलाकों/संपदा या मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों एवं संपदा में किय जाते हैं। 471 कलस्टर इन प्रयासों के लिए मंजूर किये गए हैं जिनमें से 66 के लिए कठिन प्रयास किए जाएंगे।
ऋण गारंटी योजना
सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यम खासकर सूक्ष्म उद्यमों को बिना किसी तीसरे पक्ष की गारंटी के 100 लाख रुपए तक के ऋण के लिए गारंटी कवर के माध्यम से ऋण प्रवाह को आसान बनाने के लिए सूक्ष्म एवं लघु ऋण गारंटी कोष योजना चला रही है। इस योजना को ऋणदाताओं और ऋणधारकों दोनों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए कई बदलाव किए गए है जिनमें (अ.) ऋण सीमा 100 लाख रुपए तक बढ़ाना (ब.) पांच लाख तक के लिए गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 85 फीसदी करना (स.) पूर्वोत्तर क्षेत्र में महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिए ऋण पर गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी किया जाना आदि कई कदम शामिल हैं।
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिए ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी योजना (सीएलसीएसएस)
सीएलसीएसएस के तहत प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए 100 लाख रुपए तक ऋण के लिए 15 फीसदी की पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाती है और सुस्थापित और उन्नत प्रौद्योगिकी अपनाने पर बल दिया जाता है। अबतक 49 उत्पाद और उप क्षेत्र 1400 सुस्थापित प्रौद्योगिकियों और मशीनों को अपनाने पर सब्सिडी के लिए चुने गए हैं। हाल ही में दवा क्षेत्र के लिए 179 नई प्रौद्योगिकियां इस सूची में जोड़ी गयी हैं। यह योजना एसआईडीबीआई, नाबार्ड, एसबीआई, बीओबी, पीएनबी, आंध्र बैंक, एसबीबीजे , केनरा बैंक, टीआईआईसी जैसी एजेंसियों के माध्यम से लागू की जा रही है।
आईएसओ 9000/ आईएसओ 14001 / एचएसीसीपी भुगतान योजना
सरकार ने अपने प्रौद्योगिकी उन्नयन/ गुणवत्ता सुधार और पर्यावरण प्रबंधन के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरु की है। इसके तहत आईएसओ9000/140001/एचएसीसीपी (या समतुल्य प्रमाण पत्र) हासिल करने के लिए एक बारगी भुगतान किया जाता है जो कुल लागत का 75 प्रतिशत या अधिकतम 75000 रुपए हो सकता है। यह योजना मंत्रालय के विकास आयुक्त द्वारा लागू की जाती है लेकिन पहली अप्रैल, 2007 से इसका विकेंद्रीकरण कर दिया गया है और एमएसएमई विकास संस्थान के निदेशकों को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले एमएसएमई के भुगतान संबंधी दावों पर विचार करने और उन पर भुगतान करने का अधिकार दिया गया है। सरकार ने यह योजना ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना तक के लिए बढ़ा दी है।
वर्ष 1994 से अबतक यानी 31 मार्च, 2010 तक 20065 इकाइयों को 97.81 करोड़ रुपए भुगतान किए गए हैं। वर्ष 2010 के दौरान नवंबर, 2010 तक 609 इकाइयों को 3.07 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार
राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 30 अगस्त,2010 को नई दिल्ली में सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। पुरस्कार की तीन श्रेणियां (अ.) उत्कृष्ट सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (उद्यमिता, अनुसंधान एवं विकास तथा गुणवत्तापूर्ण उत्पाद) (ब.) खादी एवं ग्रामोद्योग और (स.) क्वायर उद्योग तथा महिला एवं अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों को ऋण देने में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बैंकों को विशेष पुरस्कार। विभिन्न श्रेणियों के तहत छह बैंकों समेत कुल 171 उद्यमियों को पुरस्कार दिए गए। 28 उद्यमियों को राष्ट्रपति से पुरस्कार मिले जबकि शेष पुरस्कार विजेताओं को सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम राज्यमंत्री श्री दिनशा पटेल ने पुरस्कार प्रदान किए।
एमएसएमई प्रदर्शनी-2010
14-27 नवंबर, 2010 के दौरान नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के दौरान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एक्सपो का आयोजन किया गया। देश भर के सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों की प्रदर्शनी लगाई गई। इसके अलावा, इस व्यापार मेले में एनएसआईसी ने भी टेकमार्ट-2010 के माध्यम से इन उद्यमों की तकीनीकी क्षमताएं एवं प्रदर्शित की। खादी और ग्रामोद्योग के उत्पाद भी खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रदर्शित किए गए तथा क्वायर बोर्ड ने भी अपने उत्पाद प्रदर्शित किए।
विपणन सहायता योजना
इस योजना का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु तथा मझौले उद्यमों की विपणन प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, व्यक्तियों या संगठनों के साथ संवाद के लिए मंच उपलब्ध कराना, उन्हें बाजार के मौजूदा रुख की जानकारी देना और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मंच प्रदान करना है। एनएसआईसी एमएसएमई को नये बाजारी अवसर हासिल करने में उनके विपणन प्रयासों के संवर्धन तथा प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि के लिए सहायक की भूमिका निभाता है , इसके लिए विभिन्न घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियां और व्यापार मेले, खरीददार विक्रेता मेले, सघन अभियान, संगोष्ठी आदि आयोजित किए जाते हैं।
वर्ष 2010-11 लिए के बजट अनुमान 10.00 करोड़ रुपए है और 13 अंतरराष्ट्रीय एवं 70 राष्ट्रीय प्रदर्शनियों और मेलों के आयोजन का लक्ष्य है।
निष्पादन एवं क्रेडिट रेटिंग योजना
एनएसआईसी सरकार की ओर से सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए '' निष्पादन एवं क्रेडिट रेटिंग योजना '' चला रहा है। इसे छह प्रत्यायित रेंटिंग एजेंसियों- क्रिसिल, एसएमईआरए, ओएनआईसीआरए, सीएआरए, एफआईटीसीएच और आईसीआरए के माध्यम से चलाया जा रहा है। योजना का लक्ष्य सूक्ष्म लघु तथा मझौले उद्यमों को मौजूदा संचालन में उनकी ताकत तथा उनकी कमियों के बारे में जागरुक बनाना तथा उन्हें अपने संगठनात्मक ताकत तथा क्रेडिट पात्रता बढ़ाने का अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत रेटिंग सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों की क्षमता तथा क्रेडिट दक्षता पर भरोसेमंद तीसरे पक्ष का मत व्यक्त किया जाता है। एक प्रत्यायित एजेंसी द्वारा स्वतंत्र रेटिंग की बैंकों, वित्तीय संस्थानों, ग्राहकों/खरीददारों में अच्छी स्वीकृति मिलती है। इस योजना के तहत पहले वर्ष के लिए रेटिंग शुल्क पर सब्सिडी दी जाती है जो शुल्क का 75 फीसदी या 40000 रुपए तक , जो भी कम हो, हो सकता है। 2010-11 के लिए बजट अनुमान 35.00 करोड़ रुपए है और इसके तहत 9400 इकाइयों को रेटिंग प्रदान करने का लक्ष्य है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजना
मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही यह मौजूदा योजना नौंवी योजना की स्कीम है जो ग्यारहवीं योजना के साथ चल रही है। सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों के प्रौद्योगिकी उन्नयन और अथवा उन्ययन, उनका आधुनिकीरण, तथा निर्यात का संवर्धन इसके मुख्य उद्देश्य हैं-
इस योजना में प्रमुख गतिविधियां इस प्रकार हैं-
1. प्रौद्योगिकी उन्नयन, संयुक्त उपक्रम, उत्पाद के लिए के बाजार में सुधार, विदेशी सहयोग की संभावनाएं तलाशने के लिए अन्य देशों में एमएसएमई व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भेजना।
2. देश और देश के बाहर एमएसएमई का अंतरराष्ट्रीय प्रदशर्नियों, व्यापार मेलों और खरीददार-विक्रेता सम्मेलनों में हिस्सा लेना।
3. एमएसएमई के विषयों पर सम्मेलन एवं संगोष्ठी का आयोजना।
वर्ष 2010-11 का बजट अनुमान दो करोड़ रुपए का है और करीब डेढ़ सौ उद्यमियों को 30 अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लेने के लिए सहयोग किया जाएगा।
प्रशिक्षण संस्थानों को सहायता
इस योजना के अंतर्गत मौजूदा और नये प्रशिक्षण संस्थानों को उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआई) की स्थापना एवं अपने प्रशिक्षण अवसंरचना में मजबूती के लिए सहायता प्रदान की जाती है। मंत्रालय मैचिंग बेसिस पर सहायता प्रदान करता है जो परियोजना लागत का 50 फीसदी या 150 लाख , जो भी कम हो, होता है। लेकिन अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप के लिए यह 90 फीसदी या 270 लाख रुपए, जो भी कम हो, है । हालांकि इसमें भूमि की लागत तथा वर्किंग पूंजी शामिल नहीं है।
अब इस योजना में प्रशिक्षण का एक नया अवयव जोड़ा गया है। योजना के तहत निम्नलिखित संस्थानों को उद्यमिता विकास कार्यक्रम तथा उद्यमिता सह कौशल विकास कार्यक्रम तथा प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सहायता दी जाती है-
• राष्ट्रीय स्तरीय ईडीआई (उसकी शाखाएं भी शामिल हैं।)
• राष्ट्रीय स्तर के ईडीआई के साथ साझेदारी से स्थापित प्रशिक्षण संस्थान।
• एनएसईसी के प्रशिक्षण एवं निर्माण केंद्र।
• एनएसईसी के फ्रैंचाईजी द्वारा प्रशिक्षण सह निर्माण केंद्र।
वर्ष 2010-11 के लिए बजट अनुमान 54.25 करोड़ रुपए है तथा चार मौजूदा/नये ईडीआई को तथा 40 हजार व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान करने का लिए सहायता प्रदान करने का लक्ष्य है।
राजीव गांधी उद्यमी मित्र योजना
इस योजना का उद्देश्य पहली पीढ़ी के उन उद्यमियों को सहायता प्रदान करना है जिन्होंने पहले ही उद्यमी मित्र जैसी जानी मानी एजेंसियों से उद्यमिता विकास प्रशक्षिण कार्यक्रम/कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम/ उद्यमिता सह कौशल विकास कार्यक्रम/ व्यासायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और नये उद्यम की स्थापना और प्रबंधन संबंधी गुर सीख चुके हैं ।
मुफ्त एक उद्यमी हेल्पलाईन नंबर 1800-180-6763 पहली पीढ़ी के उद्यमियों के लिए शुरू की गई है और उन्हें इसके माध्यम से सरकार की विभिन्न संवर्धनात्मक योजनाओं, उद्यम स्थापित करने और उसे चलाने की प्रक्रियागत औपचारिकताएं, बैंक से ऋण लेने तथा अन्य तौर तरीके आदि के बारे में बताया जाता है।
वर्ष 2010-11 के लिए अनुमानित बजट 7.75 करोड़ रुपए है और इसके तहत चार हजार नये उद्यमियों को सहायता पहुंचाया जाने का लक्ष्य है।
एआरआई क्षेत्र
मंत्रालय कृषि और ग्रामीण उद्योग के क्षेत्र (एआरआई) में भी कृषि एवं ग्रामीण आधारित उद्योग के विकास पर विशेष बल दे रहा है ताकि गांवों में रोजगार के अधिक अवसर खासकर गैर कृषि क्षेत्र में पैदा हों । इन उद्यगों के लिए कच्चा माल और कौशल गांवों मिल जाता है। मंत्रालय खादी एवं ग्रामाद्योग आयोग (केवीआईसी) तथा क्वायर बोर्ड के माध्यम से मुख्यत: खादी और ग्रामोद्योग तथ क्वायर उप क्षेत्रों में काम करता है और इस क्षेत्र में सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री की रोजगार सृजन कार्यक्रम समेत नयी योजनाओं के क्रियान्वयन में हाथ बंटाता है।
केवीआईसी और क्वायर बोर्ड के तहत मुख्य परियोजनाएं इस प्रकार हैं-
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
अगस्त, 2008 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम एक विशेष पहल है और इसके तहत आकर्षक सब्सिडी दी जाती है। पीएमआरवाई और आरईजीपी को मिलाकर इसे तैयार किया गया है। इसके तहत 4735 करोड़ रुपए का योजना लागत है । ग्यारहवीं योजना में 2008-09 से लेकर 2011-12 के दौरान इसके तहत 38 लाख अतिरिक्त रोजगार अवसर सृजित किये जाने का अनुमान है। कार्यक्रम के तहत सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपए तक के सूक्ष्म उद्यम तथा विनिर्माण के क्षेत्र में 25 लाख रुपए तक के उद्यम की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत सहायता ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी के रूप में 25 फीसदी सहायता (कमजोर तबके के लिए 35 फीसदी) तथा शहरी क्षेत्रों में 15 फीसदी सहायता (कमजोर तबके के लिए 25 फीसदी) दी जाती है।
खादी शिल्पकारों के लिए वर्कशेड योजना
खादी शिल्पकारों को काम के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए वर्कशेड के निर्माण के लिए जुलाई, 2008 में यह योजना शुरू की गयी। वर्ष 2009-10 के दौरान केवीआईसी को इस मद में 13.95 करोड़ रुपए जारी किए गए ।
खादी उद्योग और शिल्पकार उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्धा उन्नयन योजना
यह योजना जुलाई 2008 में मंजूर की गयी और इसका उद्देश्य 200 खादी संस्थानों को पुरानी मशीनों और उपकरणों के स्थान पर नयी मशीनें और उपकरण लगाने तथा बाजार के अनुरूप ज्यादा प्रतिस्पर्धा और लाभकारी उत्पादन में सहायता प्रदान करना है। वर्ष 2010-11 के लिए 21 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।
मौजूदा कमजोर खादी संस्थानों की अवसंरचना को मजबूत करना और विपणन अवसंरचना में सहायता
यह कार्यक्रम हाल ही शुरू किया गया है जिसके तहत 30 खादी बिक्री केंद्रों को नया रूप प्रदान करना तथा मौजूदा 100 कमजोर खादी संस्थानों का अवसंरचना मजबूत करना है। इसके लिए वर्ष 2010-11 के लिए पांच करोड़ रुपए का बजटीय अनुमान है।
उत्पाद विकास, डिजायन प्रयास और पैकेजिंग (पीआरओडीआईपी)
इसे खादी एवं ग्रामोद्योग के तहत उत्पादों के विकास एवं उन्हें विविधता प्रदान करने तथा विभिन्न उत्पादों के पैकेजिंग में सुधार के लक्ष्य के साथ नवंबर, 2002 में शुरू किया गया था। पिछले वित्त वर्ष में 169 परियोजनाओं को सहायता दी गयी थी और इस वित्त वर्ष 213 को सहायता पहुंचाने का लक्ष्य है।
खादी और खादी उत्पादों की बिक्री में सवंर्धन के लिए विपणन विकास सहायता योजना
खादी तथा पोलीवस्त्रों के उत्पादन और बिक्री में संवर्धन के लिए यह योजना इस वित्त वर्ष में शुरू की गयी।
खादी सुधार कार्यक्रम
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग ने समग्र खादी सुधार कार्यक्रम को तीन सालों में लागू करने के लिए 150 मिलियन डालर की सहायता के लिए एशियाई विकास बैंक के साथ हाथ मिलाया है। इस सुधार पैकेज के तहत खादी क्षेत्र की संपोषणीयता, आय में वृद्धि, रोजगार के अवसर में तेजी आदि के लिए खादी क्षेत्र में फिर से जान फूंका जाएगी । प्रारंभ में 300 खादी संस्थानों का कायाकल्प किया जाएगा। इसके क्रियान्वयन के लिए 96 करोड़ रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिकीकरण संस्थान
यह संस्थान महाराष्ट्र के वर्धा में जमनालाल बजाज केंद्रीय अनुसंधान संस्थान को नया रूप देकर स्थापित किया गया है और इस कार्य में आईआईटी दिल्ली ने सहयोग दिया है। इस संस्थान की स्थापना का लक्ष्य खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करना है। संस्थान को वर्ष2008-09 में तीन करोड़, वर्ष 2009-10 में भी तीन करोड़ और इस वित्त वर्ष में छह करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
क्वायर बोर्ड
क्वायर बोर्ड क्वायर उद्योग के संर्वांगीण विकास तथा इस पारंपरिक उद्योग में लगे कामगारों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए क्वायर बोर्ड अधिनियम के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है। बोर्ड में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और 39 अंशकालिक सदस्य होते हैं। क्वायर उद्योग के कल्याण में दिलचस्पी रखने वाले सभी पक्ष इस बोर्ड में हैं। इस बोर्ड के कामो में क्वायर उद्योग के क्षेत्र में वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक शोध एवं विकास गतिविधियां, क्वायर और क्वायर उत्पादों के र्नियात एवं घरेलू खपत पर सांख्यिकी संग्रहण, नये उत्पादों और डिजायनों का विकास, र्नियात एवं आतंरिक बिक्री बढ़ाने के लिए प्रचार, आदि शामिल हैं।
बोर्ड ने दो संस्थानों- केंद्रीय क्वायर अनुसंधान संस्थान, कलावूर अल्लीप्पे तथा केंद्रीय क्वायर प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलूरू को इस उद्योग के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया है। क्वायर बहुत ही श्रम सघन उद्योग है और नारियल उत्पादक राज्यों में करीब साढ़े छह लाख कामगार इस उद्योग में कार्यरत हैं। रेशा निष्कर्षण और बुनाई क्षेत्र में करीब 80 प्रतिशत कामगार महिलाएं हैं। इस उद्योग की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह निर्यातोन्मुखी है और यह अपशिष्ट से (नारियल के भूसे से) धन का रास्ता निकालता है।
क्वायर बोर्ड द्वारा निर्यात संवर्धन, घरेलू बाजार संवर्धन, उत्पादन अवसंरचना विकास योजना, महिला क्वायर योजना, क्वायर उद्योग पुनरूद्धार , आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी उन्नयन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
पारंपरिक उद्योग पुनर्विकास योजना
यह योजना खादी, गांवों और क्वायर उद्योग में 100 क्लस्टर तैयार करने के लक्ष्य के साथ अक्तूबर, 2005 में शुरू की गयी थी। इसमें 97.25 करोड़ रुपए की लागत से इन उद्योगों को और उत्पादक और प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना है।
इसके तहत जरूरत के आधार पर उत्पादन उपकरण के स्थान पर नये उपकरण लाने, साझा सुविधा केंद्र की स्थापना, उत्पाद विकास, गुणवत्ता सुधार, विपणन में सुधार आदि के लिए जरूरत के हिसाब से सहायता प्रदान की जाती है। फिलहाल 105 कलस्टरों (29 खादी, 50 ग्रामोद्योग तथा 26 क्वायर) पर काम चल रहा है।
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