आप कुछ कर सकते हैं तो करते क्यों नहीं ? कब तक देश को गर्त में ले जायेंगें ? बड़ी देर हुयी निशाना साधते .. अब तो गुलेल चला ही दो जानेमन ....
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
अगर पिछले कुछ समय के राजनीतिक दौर पर गौर करें तो तकरीबन हर बड़े नेता ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बेहद व काफी चिन्ता जताई है , हद यहॉं तक है कि देश की न्यायपालिका की सर्वोच्च शीर्ष संस्था सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर लम्बे समय से चिन्ता जाहिर करती आ रही है ।
देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुल कर कहा कि देश में भ्रष्टाचार है , पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि हम एक रूपया यहॉं से भेजते हैं , नीचे आखरी छोर पर केवल १५ पैसे पहुंचते हैं, सोनिया गांधी ने भी अनेक बार यही चिंता जताई । विपक्ष के नेता भी गाहे बगाहे इसी चिन्ता से ग्रस्त नजर आते हैं ।
उमाभारती ने साफिया ऐलान कर दिया कि वे भाजपा में नहीं लौटेंगीं कारण बताया भ्रष्टाचार, आज फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र का भी बयान छप चुका है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और नेताओं की लूट खसोट से उनका राजनीति से मोह भंग हो गया है और उन्होंनें राजनीति को अलविदा कह दिया है ।
इसी दरम्यान खबर है कि प्रणव ने खण्डन कर दिया है कि सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने के लिये कोई अध्यादेश लाने वाली है जिसका सीधा अर्थ समझा जाये तो यह है कि सरकार अभी भ्रष्टाचार खत्म करने के मूड में नहीं है । कुछ समय पहले वीरप्पा मोइली ने भी बड़े जोर शोर से भ्रष्टाचार के खिलाफ या यूं कहिये कि भष्टाचार खत्म करने के लिये तगड़ी मुहिम चलाने के लिये धांसू एक्शन प्लान लाने का ऐलान किया यहॉं तक घोषित किया वे सरकारी कर्मचारी अफसरों को संरक्षण देने वाले संविधान के अनुच्छेदों को खत्म करेंगें साथ ही दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रोटेक्शनों को भी हटायेंगें ।
इतना वक्त इतना अर्सा गुजर गया सुनते सुनते कि अब बस कर रहे हैं, अब बस होने वाला है भ्रष्टाचार का खात्मा , अब बस घिसने वाला है अलादीन का चिराग ... निकलेगा जिन्न और खत्म हो जायेगा भ्रष्टाचार । देश के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अभी कुछ दिन पहले कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हर घर से जंग शुरू होना चाहिये । देश इतना सहनशील , मजबूर दयालु ओर डरपोक है कि देश का हर घर चाहता है कि भगत सिंह देश में फिर से पैदा हो लेकिन पड़ौसी के घर में । कोई नहीं चाहता कि वह खुद भगत सिंह बने , कोई नहीं चाहता कि उसके खुद के घर में भगत सिंह पैदा हो ।
जो कर सकते हैं , वे करना नहीं चाहते न सरकार पक्ष के लोग और न विपक्ष के लोग , आखिर करें भी क्यों उनको जीवन इसी भ्रष्टाचार से मिलता है , जब तक भ्रष्टाचार है वे जीवित हैं, पालित है, पोषित हैं । भ्रष्टाचार खत्म हुआ तो वे खत्म हो जायेंगें । भ्रष्टाचार की जन्मदात्री भ्रष्टोत्री राजनीतिक दलों से प्रांरंभ होती है , राजनेता उसके प्रवाह स्त्रोत हैं , अफसर और कर्मचारी उसके छोटे बड़े जलाशय , जलस्त्रोत और ताल तलैयां हैं । हम कमाते हैं खून पसीना एक कर के दिन रात हाड़ मांस जला कर , हमसे टैक्स व मंहगाई के दाम पर हमसे छीन कर हमें नंगा कर दिया जाता है और भ्रष्ट राजनीतिज्ञों, अफसरों व कर्मचारियों के घर लक्ष्मी से भरते रहते हैं , देश में एक बेरोजगार के पास हाड़ तोड़ मेहनत करने के बावजूद महीने भर में दो हजार रूपये की जुगाड़ भी नहीं हो पाती और भ्रष्टों को छठे वेतन के नाम पर अस्सी हजार और एक लाख रूपये महीना देकर हमने देश में दो वर्ग खड़े कर दिये हैं सीधे सीधे गरीब और अमीर वर्ग । देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने एक नारा दिया था गरीबी हटाओ , मगर आज छठे वेतन ने और गैर सरकारी कर्मचारी या आम जनता या आम आदमी के लिये इसका सीधा साधा एक संदेश कायम कर दिया है और वह है गरीबी लाओ ....... जय हिन्द ... जय श्रीकृष्ण
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