गुरुवार, 23 अगस्त 2007

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना को संशोधित करने के निर्देश

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना को संशोधित करने के निर्देश

मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा दो प्रकरणों का एक साथ निपटारा करते हुए आदेश पारित

मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त, श्री पद्म पाणि तिवारी ने शिकायतकर्ता श्री प्रकाश उपाध्याय, एडवोकेट, जबलपुर द्वारा 10 अगस्त 2007 को की गई शिकायत तथा अपीलकर्ता श्री रामनारायण राठौर, सीहोर द्वारा प्रस्तुत अपील का एक साथ निपटारा करते हुए आज एक आदेश पारित किया है।

शिकायतकर्ता श्री उपाध्याय की शिकायत संक्षेप में इस प्रकार है - मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना क्रमांक एफ-11-39-2005-एक-9. दिनांक 13 अक्टूबर, 2005 सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 24(4) के उपबंधों से असंगत है। अधिनियम की धारा 24(4) राज्य शासन को केवल गुप्तचर एवं सुरक्षा संगठनों को ही अधिनियम की परिधि से अलग करने की अधिसूचना जारी करने की शक्तियां देती है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, लोकायुक्त संगठन, सी.आई.डी. जैसी संस्थायें गुप्तचर अथवा सुरक्षा संगठन नहीं हैं। राज्य शासन की उपरोक्त अधिसूचना अधिनियम के स्पष्ट उपबंधों के विपरीत है। अत: अधिसूचना में विधि अनुसार संशोधन कराने हेतु राज्य सूचना आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग करे।

जबकि दूसरे प्रकरण में अपीलकर्ता श्री राठौर, ने विशेष पुलिस स्थापना के लोक सूचना अधिकारी (श्री जी.पी. सिंह, उपमहानिरीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना, मध्यप्रदेश, भोपाल) तथा प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा अपीलार्थी की जानकारी प्राप्त करने की प्रार्थना को खारिज कर देने पर, अपील की है। अपीलार्थी ने दिनांक 18 सितम्बर, 2006 को लोक सूचना अधिकारी को इस आशय का आवेदन फाईल किया कि अधिनियम की धारा 24(4) के परन्तुक के अधीन भ्रष्टाचार से संबंधित जानकारी को छूट, धारा 24(4) के अधीन नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही अपीलार्थी ने उनसे कतिपय जानकारी प्रदाय करने की प्रार्थना की थी।

लोक सूचना अधिकारी द्वारा अपीलार्थी का आवेदन अधिनियम की धारा 8(1) (एच) के अधीन आने के कारण खारिज कर दिया गया। अपीलार्थी ने अपीलीय अधिकारी महानिदेशक, विशेष पुलिस स्थापना को अपील फाईल की जो निरस्त कर दी गई। व्यथित होकर अपीलार्थी ने यह द्वितीय अपील फाईल की है।

लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी के प्रतिवदेन इस प्रकरण में प्राप्त हुये जिसमें उन्होंने लिखा कि धारा 24(4) के अधीन जारी मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना दिनांक 13 अक्टूबर, 2005 क्रमांक एफ-11-39-2005-एक-9, द्वारा लोकायुक्त संगठन एवं लोक सेवकों के अनुपातहीन संपत्ति से संबंधित जानकारी अधिनियम के प्रावधानों की परिधि से अलग रखी गयी है। इसके अलावा उनका यह प्रकथन है कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी अधिनियम की धारा 8(1) (एच) के अधीन होने के कारण भी उसे प्रदाय नहीं की जा सकती।

मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा उक्त दोनों प्रकरण में सुनवाई की गई। उनके द्वारा दिया गया आदेश संक्षेप में इस प्रकार है - लोक सूचना अधिकारी ने अपीलगत आदेश में अथवा आयोग में सुनवाई के समय यह स्पष्ट नहीं किया कि अपीलार्थी को वांछित जानकारी प्रदाय करने से अभियोजन की क्रिया में क्या अथवा कैसे अड़चन पड़ेगी। स्पष्टत: उनका पक्ष कथन अस्पष्ट है। अत: अन्वेषण और अभियोजन के कार्य में किसी अड़चन का प्रश्न नहीं है। दूसरा विचारणीय प्रश्न प्रश्नगत अधिसूचना से संबंधित है। लोकायुक्त संगठन की तत्कालीन सचिव श्रीमती जे.आर. झणाणे और तत्कालीन सचिव श्री रामानंद शुक्ल द्वारा सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को तत्समय लिखे गये पत्रों से यह स्पष्ट होता है कि माननीय लोकायुक्त के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने उपरोक्त अधिसूचना की कंडिका 5 जोड़ा है। माननीय लोकायुक्त उक्त अधिसूचना के अधीन लोकायुक्त संगठन को दी गई सीमित छूट से संतुष्ट नहीं है और वह सूचना के अधिकार अधिनियम से सम्पूर्ण छूट के लिये प्रयासरत हैं।

प्रत्यर्थी ने यह प्रतिपादित किया है कि अधिनियम की धारा 24(4) के अधीन जारी प्रश्नगत अधिसूचना की कंडिका 5 के अधीन लोकायुक्त को लोकसेवकों की अनुपातहीन संपत्ति से संबंधित जानकारी को अधिनियम के प्रावधानों की परिधि से अलग रखा गया है इसलिये अपीलार्थी वांछित जानकारी पाने के हकदार नहीं है। स्वीकृत रूप से अपीलार्थी ने जो जानकारी मांगी थी वह विशेष पुलिस स्थापना से संबंधित है न कि लोकायुक्त संगठन से। मध्यप्रदेश विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1947 के अधीन विशेष पुलिस स्थापना का गठन हुआ है तथा मध्यप्रदेश लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त अधिनियम 1981 के अधीन लोकायुक्त संगठन का। मध्यप्रदेश विशेष पुलिस स्थापना लोक सेवकों के भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों का दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन अन्वेषण और फिर उसी अनुसार कार्यवाही करने वाला एक पुलिस बल है जबकि लोकायुक्त संगठन लोकायुक्त अधिनियम के अधीन लोक सेवकों की जांच कर राज्य शासन को अनुशंसा करने वाला एक निकाय। दोनों अधिनियम पूर्णत: अलग-अलग हैं तथा उनका आपस में कोई संबंध नहीं है। दोनों के कार्यक्षेत्र और कार्य की प्रकृति अलग-अलग है।

यह सुस्पष्ट है कि अधिकथित अधिसूचना से प्रत्यर्थी विशेष पुलिस स्थापना को कोई लाभ नहीं मिलता और यह अधिसूचना मध्यप्रदेश विशेष पुलिस स्थापना को सूचना के अधिकार अधिनियम से कोई छूट नहीं देती।

 

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