आत्मा का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ
कृषि गतिविधियों को प्रभावी बनाने में ''आत्मा'' मील का पत्थर सिद्व होगा-कलेक्टर अली
भिण्ड 1 सितम्बर 2007
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ है इसे मजबूध्द बनाने में आत्मा (एग्रीकल्चर मैनेजमेंट ट्रेनिंग एजेन्सी ) मिल का पत्थर सिद्व होगी, इसके माध्यम से कृषि प्रक्रियाओं और अधिक उपयोगी बनाया जा सकेगा। यह बात कलेक्टर श्री सुहेल अली ने कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम की दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कहीं। कार्यक्रम में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती सोनाली वायंगणकर, कृषि वैज्ञानिक, उपसंचालक पशु चिकित्सा, डा. यादव, उपसंचालक कृषि श्री के.पी.अहिरवार सहित कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, मत्स्यपालन, सहकारिता विभाग का मैदानी अमला उपस्थित था।
कलेक्टर श्री अली ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, देश की 70 प्रतिशत से अधिक आवादी कृषि व कृषि आधारित व्यवसायों पर निर्भर है लेकिन गत 10 वर्षो में कृषि पर से युवा पीढी का ध्यान कम हुआ है, इसके साथ मौसमी बदलाओं के कारण भी कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ है,कृषि व्यवसाय घाटे का सौदा बनता जा रहा है। इन सभी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए भारत सरकार के माध्यम से कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रमों का क्रियान्वयन प्रारंम्भ किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम (आत्मा) के तहत कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, मत्यपालन जैसी गतिविधियों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार कारगर बनाया जावेगा। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के चहुमुखी विकास हेतु आत्मा के माध्यम से विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया जावेगा। उन्होंने सभी प्रशिक्षार्थियों से कार्यक्रम को प्रभावी बनाने की अपील भी की।
जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती सोनाली वायगणकर ने कहा कि कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम की भिण्ड जिले में महति आवश्यकता है, उन्होंने कहा कि भिण्ड पूर्णतय: कृषि प्रधान जिला है यहां पर पशु पालन उद्यानिकी व मत्स्य पालन को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्षाकी घटती मात्रा के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इसलिए मैदानी अमला कृषिकों को कम वर्षा और कृषि तकनीकियों पर आधारित कृषि उपजों के विषय में बतलाये।
उप संचालक कृषि श्री अहिरवार ने कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम के तहत आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य कृषि सेवाओं में आमूल चूल परिवर्तन करने, नवीन कृषि तकनीकियों से अवगत कराने, तथा इन कार्यो के लिए कृषि विभाग के मैदानी अमले को तैयार करना है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से सम्पूर्ण जिले में कृषि गतिविधियों के विस्तार और प्रभावी बनाने के लिए 5 वर्षीय कार्य योजना तैयार की जावेगी। कार्य योजना तीन माह में बनाकर तैयार की जावेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें