राजनीति का शिवपुरी अखाड़ा बनाम ए न्यू लेसन फार बिगनर्स
ऐलानिया मैदाने जंग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क किसके बाप की
नरेन्द्र सिंह तोमर 'आनन्द'
राजनीति जो करवा दे सो सब फेयर है, कहावत है कि 'एवरीथिंग इज फेयर इन लव एण्ड पॉलिटिक्स' शिवपुरी में विगत दो दिनों से चल रही मैदानी रस्साकशी ने अब जंग का रूप धारण कर लिया है और कल तक पोहरी विधायक हरिवल्लभ शुक्ला के खिलाफ दर्ज मामलों की टक्कर में गुना शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ भी मामला दर्ज कर दिया गया है । आरोप है कि सिंधिया ने मंच से शुक्ला को जान से मारने की धमकी दी और हवाई फायर किये वगैरह वगैरह, शुक्ला ने सिंधिया पर कल बकौल दैनिक भास्कर लूट का आरोप भी लगाया था ।
उललेखनीय है कि सिंधिया यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई मामूली शख्सियत नहीं है, और हाल ही में कॉंग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति में भी सिंधिया को जिम्मेवारी और वजनदारी दी गयी है, और सबसे बड़ी बात है कि वे ग्वालियर रियासत के आधुनिक परिभाषा के मुतल्लिक पूर्व युवराज या महाराजा हैं और ग्वालियर चम्बल संभाग वासीयों की नजर में आज भी महाराजा हैं । ऊपर से सांसद वर्तमान तो है हीं, सिंधिया की बुआ राजस्थान की मुख्यमंत्री और दूसरी बुआ भाजपा सांसद हैं, नेपाल नरेश के यहॉं ननसार और कांग्रेस के प्रमुख नेता डॉं. कर्ण सिंह प्रमुख रिश्तेदार हैं ।
सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया पर भी पूर्व में अपने ही घर में डकैती डालने का मामला दर्ज किया गया था ।
शिवपुरी में घटे इस राजनीतिक घटनाक्रम का सिंहावलोकन अगर किया जाये तो चन्द हास्यास्पद तथ्यों के अलावा जो महत्वपूर्ण बात उभर कर सामने आती है कि देश में राजनीति अपने घटिया और निम्नतम स्तर तक आकर देश के कानून के खोखलेपन और हास्यास्पद होने की कहानी खुद बयॉं करती है ।
अव्वल तो यह कि सिंधिया परिवार एक राजपरिवार है, यह दीगर बात है कि लोकतंत्र को आत्मसात कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया तले यह परिवार चुनाव आदि लड़ कर ही राजनीतिक अस्तित्व को बनाये सहेजे है । वैसे इस परिवार से कोई चुनाव न भी लड़े तो अनुमानत: उनके वर्चस्व में कोई कमी नहीं हो जाने वाली, यह अलग बात है कि राजनीतिक परेशानीयां काफी बढ़ जायेंगीं । वैसे ताजा दर्ज मामले को देखें तो यह विशुद्ध राजनीतिक मामला ही है ।
ज्योतिरादित्य के पिता स्व. माधवराव पर भी ऐसे राजनीतिक मामले दर्ज हुये जिसमें हवाला काण्ड तक में सिंधिया को घसीट लिया गया था । और बाद में मामला टॉंय टॉंय फिस्स हो गया ।
मजे की बात यह है कि देश में भले ही विधि का शासन हो, कई बातें ऐसी हैं जहॉं आज भी विधि असफल शासन का दम्भ भरती है, मसलन जितने भी देश में पुराने राजा महाराजा और जागीरदार व जमीन्दार ठिकाने हैं इनका वजूद, अस्तित्व, प्रभाव, रूतबा एवं वर्चस्व लोगों के दिलों में माकूल कायम है, जिसे खत्म नहीं किया जा सका और न खत्म किया जा सकता है, लोग श्रद्धा और श्रेष्ठता से अभिभूत और नवनत होकर आज भी इनके वर्चस्व के प्रभाव में हैं । यह कटु सत्य है ।
ऐसी अवस्था में सिंधिया किसी को धमकी दें, या हवाई फायर करें या किसी को लूटें यह बातें कुछ हास्यास्पद सी ही हैं । क्योंकि सिंधिया पर इतना पैसा है कि, भारत की स्वतंत्रता पश्चात रियासतों के भारत में विलय वक्त सबसे अधिक धन सिंधिया राजघराने ने ही 54 करोड़ रूपये उस वक्त भारत सरकार को दिया था ।
सिंधिया की हुक्मफरमानी यह है कि उन्हें न हवाई फायर की जरूरत है न धमकियाने की, उनके ऊपर ऑंच आने या उनका इशारा मात्र से अंचल में तबाही का मंजर नजर आ सकता है, स्व. माधवराव सिंधिया के काल में ठाकुरों यानि राजपूतों ने सिंधिया से दूरी बनाये रखी थी लेकिन ज्योतिरादित्य के साथ तो ठाकुर भी हैं और राजपूतों को अहमियत देकर काफी बलवान भी हो गये हैं, ऐसे में क्या हो सकता है किसी से छिपा नहीं है ।
सिंधिया ने जेल जाने को सौभाग्य माना है और जेल जाने को उद्यत वक्तव्य देकर सरकारी मुसीबत में इजाफा कर दिया है, कौन उन्हें अरेस्ट करेगा और करेगा तो कम से कम ग्वालियर चम्बल में तो ऊधम तय ही है । यदि सिंधिया अरेस्ट होने के लिये जानबूझ कर आमंत्रण दे रहे हैं तो इसमें सिंधिया की मंशा साफ है ' कि बहुत हुआ चलो एक बार शक्ति प्रदर्शन हो ही जाये' ।
हरिबल्लभ शुक्ला जो कि सिंधिया के विरूद्ध उठ खड़े हुये हैं, आखिर किस दम पर इतनी तगड़ी तोप उठा बैठे हैं यह समझ से परे है, क्योंकि उनकी खुद की राजनीतिक पार्टी भाजपा भी चन्द कदम साथ रह कर उनका साथ आखिर छोड़ ही देगी और फिर मुकाबला केवल आमने सामने का ही रह जायेगा । इस युद्ध में किसके हाथ क्या रहेगा यह सबको पता है । हालॉंकि सिंधिया को लोकतंत्र और कानून के सामने समानता और भीतर घातीयों से मिल कर ही उन्हें उलझाया मात्र जा सकता है, लेकिन सिंधिया को तो उल्टे इससे बल ही मिलेगा और प्रभाववृद्धि ही होनी है यह किससे छिपा है ।
अब जबकि अगले साल म.प्र. में चुनाव होने हैं, और ताजा परिदृश्य के मुताबिक कॉंग्रेस सत्ता में प्रवेश की दहलीज पर खड़ी है, इससे (ऐसी घटनाओं से) कॉंग्रेस को तो बेशुमार ताकत हासिल होगी । और यह भी किसी से छिपा नहीं कि अगली सरकार के गठन में सिंधिया बहुत बड़ी भूमिका निभा कर बहुत शक्तिशाली होकर उभरेंगें ।
जहॉं अजय सिंह राहुल को म.प्र. का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाना या प्रोजेक्ट किया जाना तय है वहीं अजय सिंह राहुल और सिंधिया की जुगल जोड़ी पूरे मध्यप्रदेश में राजनीति का एक नया अध्याय लिखेगी यह भी किसी से नहीं छिपा । जहॉं सिंधिया का लगभग आधा मंत्रिमण्डल होगा वहीं खुद सिंधिया भी केन्द्र में मंत्रालय तक पहुँचेंगे इसमें भी शक नहीं ।
ऐसी अवस्थाओं में यह ऊल जलूल हरकत कर स्थानीय नेता आखिर किस मकसद से ऐसा कर रहे हैं यह समझ से परे बात है, जहॉं भाजपा के मुख्यमंत्री दनादन लागों के नजदीक पहुँचने और जनता को रेवडि़यॉं बॉट बॉंट कर भाजपा को सत्ता में दोबारा लाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं और अभी उनके पास वक्त भी है संभवत: ला भी सकते हैं । लेकिन भाजपा के नेता कार्यकर्ता ऐसी हरकतें कर भाजपा की जड़ों को मठठा ही पिला रहे हैं ।
भईया भाजपा वालो एक बात बताओ यार आखिर कब तक अपनी बोतल में दूसरे की शराब भरते रहोगे । आखिर सबको पता है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना केन्द्र सरकार की योजना है और इसमें बनने वाली सड़कें केन्द्र सरकार के पैसे बनती हैं, और मजे की बात यह है कि इसके शिलान्यासों, पूजनों और लोकार्पणों में केन्द्र सरकार का नाम कहीं नहीं आता, अगर हालात देखें तो हर जगह यही खुदा मिलता है कि इस फिल्म के प्रोडयूसर, डायरेक्टर, फायनेन्सर, एक्टर, सिंगर म.प्र. के अलां फलां हैं, और केवल सड़क ही क्यों केन्द्र सरकार की हर योजना के हर निर्माण की यही हालत है, पैसा केन्द्र का और केन्द्र लापता । आखिर अपने लेबल चिपका कर विकास दिखाना कम से कम मेरे गले तो नहीं उतरी ।
मैंने आपकी विकास शिविरों में बंटी सामग्री का गहन अध्ययन किया, उसमें सरासर झूठ और खोखलेपन के सिवा कुछ नहीं, आखिर आप किससे झूठ बोल रहे हैं, अपनी पार्टी से या अपने नेताओं से, इससे तो जनता उल्टा आपका उपहास ही उड़ा रही है, जिसने भी इन किताबों और पेम्पलेटस को पढ़ा वही ठठा कर हँस पड़ा । मैं आपको मुरैना का एक जोरदार किस्सा बताता हूँ, एक कहावत है कि आजकल मुरैना में पॉंच महाभ्रष्ट अधिकारी हैं, कुछ समय पहले नौ थे, पहले एक चटका, फिर राम राम कह कर दूसरा, फिर बड़ी मुश्किलों से तीसरा विकेट चटका और रामभरोसे चौथा भी निबटा, अब पॉंच बचे हैं जो थोड़ा कर्रे पड़ रहे हैं, ऊपर वाले की मेहरबानी के चलते इनका भी तिया पॉंचा हो ही जायेगा, और अगर नहीं हुआ तो अगर सरकार बदली तो कुनबा का कुनबा ही सूपड़ा साफ होगा और साले जेल जायेंगें । भईया भाजपा सरकार ये मेरे शब्द या वाक्य नहीं बल्कि आम जनता के हैं । आप समझ सकते हैं कि पानी सिर के ऊपर है या नीचे । खैर ये आपकी सरकार है, आपको जनता ने चुना है, अपने हिसाब से चलाईये फिर सो नौ कर दीजिये, क्या फर्क पड़ता है, हॉं उनमें से एक भ्रष्ट का फोटो हमने वेबसाइट पर चला दिया था वह भी उनके विदाई समारोह का, वह चिपकू जैसे सीट से चिपका था हमारी वेबसाइट पर ही चिपक गया था और पठठा पॉंच छह दिन तक हटा ही नहीं, हमने ढेर सारे यानि लगभग 15-20 फोटो अपडेट कर डाले लेकिन वह फोटो हमारे वेबसाइट से फिर भी नहीं हटा, लोगों ने ठहाका मारा और बोले चिपकू यहॉं भी चिपक गया और उस चिपकू को हटाने के लिये पूरी वेबसाइट के रिसोर्स कोड ही बदलने पड़े ।
खैर केन्द्र की योजनाओं पर अपना विकास प्रदर्शन न केवल शर्मनाक ही है चाहे वो कोई भी सरकार क्यों न करे, कॉंग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार के वक्त केन्द्र राज्य को कोई मदद भी नहीं करता था और उल्टे हाथ खींच खींच कर तंग करता था, आप कम से कम इस मामले में भाग्यवान हैं जो केन्द्र सरकार आपको सौतेली नजर से नहीं देखती और जरा ज्यादा ही इमदाद दे रही है । इन योजनाओं निर्माणों और शिलान्यास पर अपने पत्थर गाड़ने से या लेबल चिपकाने से कुछ नहीं होना जाना, जनता पढ़ी लिखी है, बाबू ये पब्लिक है, सब जानती है ।
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