शनिवार, 14 अप्रैल 2007

लघु उद्योग क्षेत्र को बढावा देने के उपाय

लघु उद्योग क्षेत्र को बढावा देने के उपाय

       सरकार के राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम (एनसीएमपी) के तहत शासन के छह आधारभूत सिध्दांतों में सतत रोजगार पैदा करने वाला आर्थिक विकास के सिध्दांत का महत्वपूर्ण स्थान है । एनसीएमपी में लघु उद्योगों को सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र कहा गया है ।

       भारत में लघु उद्योगों (कुटीर उद्योगों और लघु स्तर सेवा और व्यापार सहित) का रोजगारोन्मुखी आर्थिक विकास के संवर्धन का लंबा इतिहास रहा है । ये चारों ओर फैले हुए हैं और इसीलिए विशिष्ट हैं ।

       इसे कृषि के बाद रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र कहना ठीक ही है । एक साधारण विश्लेषण से पता चलता है कि इस क्षेत्र (पंजीकृत इकाइयां) में अचल संपत्ति में हर 1.49 लाख रुपये निवेश पर एक व्यक्ति को रोजगार मिलता है जब कि बड़े संगठित क्षेत्र में 5.56 लाख रुपये के निवेश पर एक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध होता है । इसमें रोजगार की वृध्दि दर भारत की जनसंख्या (1.5 प्रतिशत) से अधिक है, जबकि बड़े उद्योग क्षेत्र में यह दर (0.85 प्रतिशत) है ।

       देश की आर्थिक शक्ति में इस क्षेत्र का योगदान कम मत्वूपर्ण नहीं है । सकल विनिर्माण का लगभग 39 प्रतिशत और देश के निर्यात का 34 प्रतिशत इस क्षेत्र के उद्योगों से होता है । दसवीं पंचवर्षीय योजना के पिछले चार वर्षों में इस क्षेत्र की वृध्दि दर वार्षिक 8.87 प्रतिशत पहुंच गई है । इस क्षेत्र में विनिर्मित छह हजार से अधिक उत्पादों में से कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं, जिनका उपयोग परमाणु ऊर्जा, प्रक्षेपास्त्र और अंतरिक्ष कार्यक्रम, सूचना प्रोद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी आदि उच्च प्रौद्योगिकी वाले क्षेत्रों में होता है । इस क्षेत्र का निर्यात स्तर भी विश्व बाजार की समग्र प्रतिस्पर्धा पर खरा उतरता है ।

       इसके बावजूद इस क्षेत्र में समरूपता नहीं है तथा बड़ी संख्या में इसकी यूनिटों को चुनौतियों का समाना करना पड़ता है ।

       सरकार ने माइक्रो, स्माल एंड मीडियन इंटरप्राइजेज डेवलेपमेंट एक्ट-2006 पारित करके लंबे समय से चली आ रही इस क्षेत्र की एक आवश्यकता को हाल ही में पूरा किया है । इस अधिनियम में इन उद्यमों के संवर्धन और विकास तथा प्रतिस्पर्धा को बढावा देने की व्यवस्था है । इसमें पहली बार उद्यम की धारणा को कानूनी रूप से मान्यता देने (विनिर्माण और सेवाओं सहित) और इन उद्यमों के माइक्रो, लघु और मध्यम तीनो को एकीकृत करने की बात है ।

       सरकार ने लघु और मध्यम उद्यमों को त्रऽण देने की नीति पैकेज की घोषणा की है, जिसमें साल-दर-साल त्रऽण प्रवाह में 20 प्रतिशत की बढोतरी होगी ।

       प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है । इसका लाभ उठाने वाली यूनिटों की संख्या में अचानक तेजी आ गई है ।

       इस क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए एनसीएमपी में कहा गया है कि इसको त्रऽण, प्रौद्योगिकी उन्नयन, विपणन और ढांचागत उन्नयन के क्षेत्र में पूर्ण समर्थन के लिए एक बडे संवर्धन पैकेज की घोषणा की जाएगी ।

       एनसीएमपी में किए गए वायदे के मुताबिक सरकार ने 27 फरवरी, 2007 को संवर्धन पैकेज की घोषणा कर दी

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