रविवार, 15 अप्रैल 2007

गरीबों के जीवन स्तर सुधार की योजनाओं के लाभ गरीबों तक पहुंचें-ग्रामीण विकास मंत्री

गरीबों के जीवन स्तर सुधार की योजनाओं के लाभ गरीबों तक पहुंचें-ग्रामीण विकास मंत्री

 

ग्रामीण विकास मंत्री, डा0 रघुवंश प्रसाद सिंह ने ग्रामीण विकास का कार्य देख रहे राज्य सचिवों के साथ ग्रामीण विकास योजनाओं की निधियों का सम्पूर्ण और समयानुसार उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बैठक की ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए योजनाओं के लाभ गरीब लोगों तक पहुंचें मंत्री, 12-13 अप्रैल, 2007 को मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्य निष्पादन समीक्षा समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे डा0 सिंह ने कहा कि चूंकि समीक्षा समिति की बैठक नए वित्त वर्ष के आरंभ में हो रही है, जोकि 11वीं योजनावधि का आरंभ काल भी है, इसलिए इसका महत्व बढ जाता है क्योंकि इससे पिछले वर्ष के कार्य निष्पादन की समीक्षा कर पाने के अतिरिक्त भावी विकास लक्ष्यों के लिए भी दिशा और गति तय हो सकती है

       ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए 11वीं योजना के पहले वर्ष का परिव्यय 41060 करोड़ रु0 है, जबकि पिछले वर्ष (2006-07) के लिए 31,444 करोड़ रु0 का प्रावधान था । इसका अर्थ यह है कि इसमें लगभग 30% की वृध्दि हुई है 10वीं योजनावधि के लिए ही रिलीज 1,14,068 करोड़ रु0 थी जबकि परिव्यय राशि 76,774 करोड़ रु0 थी इसका अर्थ यह है कि परिव्यय की तुलना में रिलीज 48.6% अधिक थी इस पृष्ठभूमि में मंत्रालय ने राज्य सचिवों से अनुरोध किया कि 10वीं योजनावधि के दौरान अधिक उपलब्धियां प्राप्त करने की प्रवृत्ति और गति को और अधिक बेहतर बनाया जाना चाहिए

       अपने उद्धाटन भाषण में डा0 सुभाष पाणि, सचिव (ग्रा0 वि0) ने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम की परिधि में और नए जिलों को लाया गया है इसलिए भागीदारों की आवश्यकता के अनुसार और साथ ही प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता के अनुसार बेहतर पध्दतियों के आदान-प्रदान प्रचलित संचार व्यवस्था को विकसित करने की आवश्यकता है । उन्होंने सभी ग्रामीण विकास योजनाओं की ऑन लाइन निगरानी महत्ता पर भी बल दिया ताकि वास्तविक और वित्तीय निष्कर्षों का तेजी से पता लगाया जा सके और यह कि ये निर्धारित रुपरेखा के अनुसार हैं ।

       इन दो दिनों में सचिव (ग्रा0वि0) द्वारा राज्य-वार आधार पर 2006-07 के लिए रिलीज की गई निधियों और वित्तीय एवं वास्तविक उपलब्धियों की योजनावार समीक्षा, 2007-08 की कार्ययोजना और मुद्दों को उठाया गया था ।

      राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एनआरईजीए)

       हालांकि एनआरईजीए 200 जिलों में शुरू किया गया था, परंतु 2007-08 से एनआरईजीए कार्यक्रम में 130 और जिलों को शामिल किया गया है । यद्यपि 1.4.07 को 113 नए जिलों के लिए अधिसूचना जारी की गई है, शेष 17 जिलों के लिए अधिसूचना उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव के पश्चात जारी की जाएगी ।

       अतिरिक्त जिलों के लिए अधिसूचना जारी होने के फलस्वरुप, ग्रामीण विकास राज्य सचिवों को इस निष्पादन समीक्षा बैठक के दौरान इस पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया, ताकि एनआरईजीए कार्य नए जिलों में अविलंब, बेहतर हो कि मानसून शुरू होने के पूर्व, शुरू किया जा सके । अग्रिम तैयारी के लिए इन 113 नए जिलों को 345 करोड़ रु0 की राशि रिलीज की जा चुकी है । 2007-08 के दौरान एनआरईजीए के लिए कुल योजनागत आबंटन 12000 करोड़ रु0 है।

       एनआरईजीए कार्यक्रम की राज्यवार समीक्षा में 2006-07 के दौरान, निम्नलिखित वित्तीय और वास्तविक निष्पादन संकेतक दर्शाए गए हैं ।

वित्तीय संकेतक :  

1.        रिलीज :

                                                             i.      क.         केन्द्रीय - 8263.21 करोड़ रु0 + 113 नए जिलों के लिए 345                            करोड़ रु0 (अग्रिम तैयारी के लिए)

ग.                  राज्य - 675.76 करोड़ रु0

2.        कुल उपलब्ध निधियां - 11792.72 करोड़ रु0

3.        व्यय (28.2.2007 तक) - 6947.27 करोड़ रु0

वास्तविक संकेतक:

1.        (त्) मांगा गया रोजगार (परिवार) - 1.87 करोड़

2.       (त्त्) दिया गया रोजगार (परिवार) - 1.83 करोड़

3.       (त्त्त्) सृजित श्रम दिवस - 72.94 करोड़ (अनुसूचित जाति - 18.01 करोड़, अनुसूचित जनजाति - 27.51 करोड़, महिलाएं - 29.74 करोड़ )

4.       (त्ध्) चल रहे कार्य - 4.17 लाख

5.       (ध्) पूरे हो चुके कार्य - 2.99 लाख

6.       (ध्त्) शुरू किए गए कुल कार्य - 7.16  लाख

7.       (ध्त्त्) जल और मिट्टी संरक्षण से जुड़े कार्य - 5.11 लाख (71#)

2007-08 के लिए योजनागत आवंटन 12000 करोड़ रु0 है ।

संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई)

       उन जिलों में, जहां एनआरईजीए लागू किया गया है, इस योजना को एनआरईजीए के साथ मिला दिया गया है । इस प्रकार यह योजना वर्ष 2006-07 के दौरान 388 जिलों में चल रही थी ।

       2006-07 में, 2911.54 करोड़ रु0 की आवंटित राशि की तुलना में राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों को एसजीआरवाई के अंतर्गत 3464.84 करोड़ रु0 रिलीज किए गए हैं जिसमें अनाज की कमी के बदले में नकद राशि शामिल हैं ।  इसके अलावा, राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों को 17 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न भी रिलीज किए गए हैं । राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, फरवरी 2007 तक 2984.92 करोड़ रु0 के खर्च से और 10.21 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के उपयोग से 32.77 करोड़ श्रम दिवस सृजित किए गए हैं और 6.28 लाख कार्य पूरे किए गए हैं । संपूर्ण वर्ष के लिए अंतिम स्थिति सामने आने के बाद इसमें और बढोत्तरी होने की संभावना  है ।

       2007-08 में, 1884.27 करोड़ रु0 की आवंटित राशि में से पात्र एसजीआरवाई जिलों को 2 अप्रैल 2007 की स्थिति के अनुसार 248.92 करोड़ रु0 रिलीज किए गए हैं ।

हरियाली

       2006-07 के दौरान, समेकित बंजर भूमि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 485 करोड़ रु0, सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम के अंतर्गत 359 करोड़ रु0 रिलीज किए गए थे जबकि मरुभूमि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 269 करोड़ रु0 रिलीज किए गए थे ।

       इन तीनों कार्यक्रमों के कार्य निष्पादन समीक्षा के दौरान कुछ हित चिन्ता के क्षेत्र सामने आए हैं जोकि इस प्रकार हैं  :

·         राज्य अंशों की रिलीज में विलंब

·  जिला पंचायतों और जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों द्वारा परियोजनाओं के लिए कार्य योजनाएं बनाने तथा उन्हें अनुमोदित करने में विलंब

· 50% वित्तीय निष्पादन पूरा होने की वजह से राज्यों द्वारा परियोजनाओं के मध्यावधि मूल्यांकन में विलंब

  सकारात्मक दृष्टि से, कार्य निष्पादन समीक्षा से निम्नलिखित बातों का पता चला है :

·जनजातीय, मरुभूमि, सूखा प्रवण ब्लॉकों आदि जैसे चिरकालिक     बेरोजगारी और गरीबी से त्रस्त क्षेत्रों में रोजगार का सृजन

· कार्यों के माध्यम से महिलाओं एवं उपेक्षित वर्गों को अधिकार संपन्न   बनाना

· वनरोपण के साथ मृदा संरक्षण का समेकन और वाटरशेड में वनभूमि का           उध्दार

· स्पष्ट शब्दों में परिभाषित इक्जिट प्रोटोकॉल मेकेनिज्म में परियोजना के            पूरा होने के पश्चात् परिसंपत्तियों के हस्तांतरण और वाटरशेड विकास   निधि से परिसंपत्तियों के रख-रखाव की व्यवस्था ।

             यह निर्णय किया गया है कि सभी क्षेत्र विकास कार्यक्रमों की व्यापक रूप से आधारित अवधारणात्मक और समेकन के लिए आईडब्ल्यूडीपी, डीपीएपी, डीडीपी योजनाओं को  " समेकित वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम के रूप में समेकित किया जाए"

   स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई)

 

समीक्षा से यह पता चलता है कि उपलब्ध निधियों का उपयोग 66.76 # है (फरवरी, 2007 तक) । जिन राज्यों की उपलब्धि 50 # से कम है, वे हैं - त्रिपुरा (43#), अरूणाचल प्रदेश (43#), जम्मू व कश्मीर (38#), नगालैंड (35#), लक्षद्वीप (11#) और मणिपुर (8#)   अनेक राज्यों में स्व-सहायता समूह के विषय में, विशेषकर प्रशिक्षण और विपणन में अच्छा कार्य हुआ है । मंत्रालय राष्ट्रीय ग्रामीण उत्पाद विपणन एजेंसी की योजना बना रहा है ।   

इंदिरा आवास योजना (आईएवाई)

      ग्रामीण आवास देश की ग्रामीण आधारभूत सुविधाओं के आधार पर बढाने के लिए तैयार किए गए भारत निर्माण कार्यक्रम  के 6 घटकों में से एक है ।  भारत निर्माण के लक्ष्य के अनुसार 2005-09 तक 60 लाख मकान बनाए जाने हैं । इस प्रकार प्रतिवर्ष 15 लाख मकान बनाने होंगे । भारत निर्माण का आवास कार्यक्रम इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है । वर्ष 2006-07 के दौरान आईएवाई के लिए 2920 करोड़ रु. उपलब्ध कराए गए थे जिनमें से 15.33 लाख मकानों के निर्माण के लक्ष्य को ध्यान में रखकर 2907.53 करोड़ रु. की राशि डीआरडीए को रिलीज के लिए आबंटित की गई थी ।  अब तक राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार 10.50 मकान बना दिए गए हैं और 8.86 लाख मकान निर्माणाधीन हैं । जिन राज्यों ने 75 # से अधिक वास्वतिक उपलब्धि प्राप्त की है, वे  हैं - आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, उत्तराखंड , पश्चिम बंगाल और लक्षद्वीप । अधिकांश राज्यों में स्थायी आईएवाई सूची तैयार करने का कार्य लगभग अंतिम अवस्था में है । 

      21-27 लाख मकानों के निर्माण के लिए 2007-08 में 4032.70 करोड़ रु. आबंटित किए गए हैं ।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)

      प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 2006-07 के दौरान (फरवरी, 07 तक) के दौरान 8000 बसावटों को बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराया गया है और 25000 कि.मी. लंबाई की सड़कें बनाने का काम पूरा किया गया है । हालांकि राज्यों द्वारा उपयोग में लाई गई राशि की क्षमता 2004-05 में 3025 करोड़ रु. से बढक़र 2006-07 के दौरान (फरवरी, 07 तक) 6100 करोड़ रु. हो गई है, विशेष रूप से असम, बिहार छतीसगढ, झारखंड उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे सड़क संपर्क कार्य में पीछे रह गए राज्यों को 2009 तक भारत निर्माण के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाइयों की संख्या में पर्याप्त मात्रा में वृध्दि करने को कहा गया । राज्यों को यह भी कहा गया कि वे मानक बोली दस्तावेज, जिसमें कार्यक्रम में संयुक्त उद्यमों और बड़ी निर्माण एजेंसियों द्वारा भाग लेने की अनुमति दी गई है, में संशोधन करके अपनी संविदा क्षमता को बढाने के उपाय करें ।  सड़कों की गुणवत्ता हर कीमत पर रखी जानी है । मंत्रालय ने ग्रामीण सड़क विजन 2025 तैयार किया जिसे 2007 के मई माह में शुरू किया जाएगा। सरकार के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में कार्यरत सभी भागीदारों  को राष्ट्र स्तरीय ग्रामीण सड़क कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है ।

बीपीएल सूची

      आठ राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों ने अभी तक नई बीपीएल सूची को अंतिम रूप नहीं दिया है । इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई । बीपीएल सूची को ग्राम सभा से अनुमोदित कराकर तैयार करने में पारदर्शिता का सुनिश्चय करने और उसका व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करने जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया ।

      डा0 सिंह ने सभी राज्यों से यह कहा है कि वे इसको देखने के लिए विशेष प्रयास करें कि दो महीने की अवधि के भीतर अनिवार्य रूप से बीपीएल सूची को अंतिम रूप दे दिया जाएगा । राज्यों को स्पष्ट शब्दों में यह बता दिया गया है कि यदि समय पर सूची तैयार नहीं की जाएगी तो मंत्रालय निधियों की रिलीज को बीपीएल सूची तैयार करने के साथ जोड़ते हुए और अधिक कड़ी कार्रवाई करेगा ।

  सतर्कता एवं निगरानी समितियां

      राज्यों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि तिमाही आधार पर राज्य और जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठकें की जाएंगी ।  वर्ष 2006-07 के दौरान 16 राज्यों ने राज्य स्तर पर 26 बैठकें और 426 जिलों ने जिला स्तर पर 596 बैठकें आयोजित कीं ।

.   डा0 सिंह ने यह उल्लेख करते हुए कहा कि लगभग सभी डीआरडी एजेंसियों में सड़क संपर्क की उपलबधता को देखते हुए उन्हें ऑन-लाइन रिपोर्टें भेजनी चाहिए और ये रिपोर्टें समय पर प्रत्येक माह के पहले पखवाड़े में प्राप्त होनी चाहिए ।

      ऑन-लाइन रिपोर्टिंग में उल्लेखनीय सुधार देखने में आया है परंतु अभी भी कुछ राज्य पिछड़े हुए हैं और उनसे सुधार की  आशा की जाती है । मंत्री ने सृजित संपत्तियों और शुरू की गई योजनाओं के वास्तविक सत्यापन की आवश्यकता पर जोर दिया है । यह सलाह दी गई थी कि राज्यों को अधिकारियों, डीआरडीए प्रशासन और ब्लॉक प्रशासन स्तर से प्रगति का सत्यापन शुरू करना चाहिए । 

      आईईसी क्रियाकलापों की व्यवस्था करने की आवश्यकता पर इस दृष्टि से प्रकाश डाला गया कि कार्यक्रमों के लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बारे में अवगत कराया जाए ।

      सचिव (ग्रा.वि.) ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि चूंकि देश में प्रत्येक राज्य और जिले के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सभी मॉडल के लिए एक आकार का स्वरूप नहीं हो सकता, इसलिए योजनाओं की सफलता के प्रतिशत को बढाने के लिए क्षेत्र विशिष्ट योजनाओं और कार्यान्वयन नीतियों को तैयार किए जाने की आवश्यकता होगी ।

      यह उल्लेखनीय है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ऐसी आवधिक समीक्षाएं करता है इस तथ्य को ध्यान में रखकर इसका महत्व और बढ जाता है कि उनसे न केवल की गई वास्तविक और वित्तीय प्रगति को क्रमबध्द करने अपितु कार्यावधि के दौरान उपचारी कार्रवाई करने में तथा यथावश्यक तेजी से जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है ।

 

 

 

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