शनिवार, 21 अप्रैल 2007

वर्षा जल का संरक्षण और संचय

वर्षा जल का संरक्षण और संचय

       देश में हालांकि वर्ष भर में लगभग 1170 मि.मी. बारिश होती है लेकिन अलग-अलग जगहों पर बारिश की मात्रा और पैटर्न में काफी अंतर होता है। पानी के संरक्षण के उद्देश्य से देश में जल संसाधनों के विकास संबंधी कई परियोजनाएं शुरू की गई है। आजादी के बाद से बड़ी, मझौली और लघु सिंचाई स्कीमों के जरिए देश में जल संसाधनो के विकास में काफी प्रगति हुई है। देश में पूरी हो चुकी बांध परियोजनाओं की कुल मौजूदा जल भंडारण क्षमता 213 अरब घन मीटर है जबकि आजादी के समय यह क्षमता मात्र 15.6 अरब घन मीटर  थी। इसके अलावा, मौजूदा मूल्यांकन के अनुसार, निर्माणाधीन विभिन्न परियोजनाओं की अनुमानित भंडारण क्षमता लगभग 76 अरब घन मीटर है। साथ ही, राज्य सरकारों ने अन्वेषण और नियोजन के लिए कई अन्य स्कीमों की पहचान की है। इन स्कीमों की अनुमानित भंडारण क्षमता लगभग 108 अरब घन मीटर है।

      एक अनुमान के अनुसार देश में वार्षिक नमी औसतन 4000 अरब घन मीटर है। वाष्पीकरण आदि जैसी प्राकृतिक प्रक्रिया को भी शामिल कर लिया जाए तो देश में जल की वार्षिक उपलब्धता औसतन 1869 अरब घन मीटर है। अनुमान है कि भौगोलिक, जल वैज्ञानिक तथा अन्य बाधाओं की वजह से देश में केवल 1123 अरब घन मीटर जल ही इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है। शेष जल के बारे में यह कहा जा सकता है कि यह बहकर समुद्र में चला जाता है।

      भारत सरकार त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), कमान क्षेत्र विकास तथा जल प्रबंध (सीएडीडब्ल्यूएम) कार्यक्रम, कृषि से सीधे जुड़े जल निकायों की मरम्मत, पुनरोध्दार तथा पुनर्बहाली के लिए राष्ट्रीय परियोजना आदि जैसी स्कीमों तथा कार्यक्रमों के जरिए राज्य सरकारों को केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करा रही है। केन्द्र सरकार जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संचय और भूजल की प्रतिपूर्ति को भी प्रोत्साहन दे रही है। संबंधित राज्य सरकारें जल संसाधनों के विकास और प्रबंध के लिए कई कदम उठा रही हैं जिनमें जलाशयों का निर्माण, जल निकायों का पुनरोध्दार, वर्षा जल संचय, मानवीय प्रयासों से भूजल की भरपाई और जल प्रबंध के  बेहतर तौर तरीके अपनाना शामिल है। राज्य सरकारें जल संसाधनों के इस्तेमाल के लिए बड़ी, मझौली और लघु स्कीमों (सतही तथा भूजल दोनों) के लिए योजना बनाती है और इन्हें कार्यान्वित करती हैं।

 

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