बुधवार, 25 अप्रैल 2007

स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर खरीफ कार्यक्रम का निर्धारण करें-- कृषि उत्पादन आयुक्त

स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर खरीफ कार्यक्रम का निर्धारण करें--  कृषि उत्पादन आयुक्त

संभागीय समीक्षा बैठक में रबी मौसम में हुए उत्पादन व खरीफ कार्यक्रम निर्धारण की हुई समीक्षा

ग्वालियर 23 अप्रैल 2007

       कृषि उत्पादन आयुक्त श्री इकबाल अहमद ने कहा है कि अंचल की जलवायु और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर खरीफ कार्यक्रम को अन्तिम रूप दें, जिससे किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक खाद और बीज उपलब्ध कराया जा सके । उन्होंने किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए कृषि के साथ-साथ पशुपालन को भी प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये ।

कृषि उत्पादन आयुक्त आज यहाँ सिटी सेण्टर स्थित राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में सम्पन्न हुई संभागीय बैठक में ग्वालियर एवं चम्बल संभाग में वर्ष 2007 के लिए खरीफ कार्यक्रम निर्धारण और इस वर्ष के रबी मौसम में हुए उत्पादन की समीक्षा कर रहे थे । बैठक में प्रमुख सचिव पशुपालन व मत्स्य पालन विभाग श्रीमती रंजना चौधरी, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री प्रवेश शर्मा, ग्वालियर एवं चम्बल संभाग के कमिश्नर डा. कोमल सिंह, पंजीयक सहकारी संस्थायें श्री प्रभात पाराशर, प्रबंधक संचालक एम.पी.एग्रो एवं कमिश्नर उद्यान श्री जे.एन.कंसोटिया, प्रबंध संचालक विपणन संघ श्री एस.के. वशिष्ठ, कृषक कल्याण एवं कृषि विभाग के संचालक श्री संग्राम सिंह, ग्वालियर एवं चम्बल संभाग के जिला कलेक्टर्स व जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों सहित सहकारिता, कृषि, पशुपालन व मत्स्य विभाग के संभाग व जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे ।

कृषि उत्पादन आयुक्त श्री इकबाल अहमद ने कहा कि गांव के आम आदमी की जिन्दगी कृषि पर निर्भर है और खेतीहर मजदूरों की संख्या भी गांव में अधिक है । इसलिए कृषि कार्यक्रमों का निर्धारण करते समय छोटे और लघु सीमान्त कृषकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाय । उन्होंने दोनों संभागों के सभी जिला कलेक्टर्स समेत कृषि तथा अन्य संबधित विभागों के अधिकारियों को हिदायत दी कि खरीफ फसल के रकवे में वृध्दि के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किये जायें । कृषि उत्पादन आयुक्त ने एक बार पुन: विस्तृत सर्वेक्षण व आंकलन के पश्चात सुनियोजित खरीफ कार्यक्रम निर्धारित करने के निर्देश दिये । उन्होंने खरीफ के लिए उन्नत किस्म के बीज व मानक खाद की व्यवस्था करने पर भी बल दिया ।

       कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि ग्वालियर एवं चम्बल अंचल भैस, बकरी पालन में काफी अग्रणी है, यहाँ की उन्नत नस्लों के पशु प्रान्त के अन्य जिलों में भी विक्रय होकर पहुंचते हैं । यहाँ के  दुग्ध उत्पादन की स्थिति में भी काफी सुधार आया है । उन्होने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया और नये मिल्क रूट बनाने की बात कही । प्रमुख सचिव, पशु चिकित्सा सेवायें श्रीमती रंजना चौधरी ने कहा पशुपालन के लिए स्व सहायता समूहों के गठन और उन्हें हर संभव सहयोग देने के निर्देश दिये, जिससे उनकी मेहनत का बाजिव लाभ किसानों एवं पशुपालकों को मिल सके ।

       मत्स्य उत्पादन के लिए शासन की योजनाओं के प्रचार- प्रसार पर जोर देते हुए प्रमुख सचिव ने कहा कि मिल्क रूट की तरह फिश रूट भी विकसित किये जायें । मछुआरों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाते हुए बैंकों के माध्यम से ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करें । उन्होंने बताया कि बैंकों से ऋण उपलब्ध न होने पर मछुआरों को साहूकारों के चंगुल में ऋण लेने के लिए फसना पड़ता है । उन्होंने ग्वालियर चम्बल संभाग सहित म.प्र. में मत्स्य उत्पादन की जानकारी दी और कहा कि मत्स्य बीज उत्पादन बढ़ाने के लिए अधोसरंचना विकास और मछुआ क्रेडिट कार्ड को बढ़ावा दिया जाये । इस दिशा में जिला कलेक्टरर्स विशेष प्रयास करें ।

       किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री प्रवेश शर्मा ने कहा कि कृषि उत्पादन में बढोत्तरी के लिए बीजों के बदलाव पर खास ध्यान दिया जाय । इसके लिए योजनाबध्द कार्यक्रम बनाने पर उन्होंने बल दिया । श्री शर्मा ने जानकारी दी कि सरकार ने उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखने के लिए फर्टिलाइजर मेनेजमेण्ट सिस्टम बनाया है । अत: हर विकास खण्ड के हिसाब से उर्वरक की उपलब्धता व आवश्यकता का आंकलन करें । उन्होंने सभी जिला कलेक्टर्स से कहा कि वे कृषि कार्यक्रमों की साप्ताहिक रूप से समीक्षा कर योजनाओं को गति दिलायें ।

       बैठक में सभी जिला कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये कि वे ग्रीष्म ऋतु में पशुओं के लिए पेयजल और चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करें । इसके लिए प्रत्येक विकास खण्ड में ऐसे राहत केम्प स्थलों का चयन किया जाये, जहाँ पशुओं को सभी सुविधाओं के साथ आभ्य भी मिल सके । बैठक में जिलेवार गौ-भैंस वंशीय परियोजना, दुग्ध उत्पादन , पशु टीकाकरण, नंदी शाला योजना, पशु नस्ल संवर्धन, पशु स्वास्थ्य रक्षक और अंतर्विभागीय समन्वय पर विस्तार से चर्चा की गई ।

       पंजीयक सहकारिता विभाग श्री प्रभात पाराशर ने शत प्रतिशत किसानों के क्रेडिट कार्ड बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने पर बल दिया । एम.पी.एग्रो के प्रबंधक संचालक श्री जे.एन. कंसोटिया ने मधु मक्खी गतिविधियों को गति प्रदान करने के लिए हितग्राहियों को प्रशिक्षित करने और उन्नत कृशि तकनीक के लिए किसानों को अनुदान के आधार पर कृषि उपकरण दिलाने पर जोर दिया ।

 

कोई टिप्पणी नहीं: