संभाग आयुक्त ने लिया मोतीमहल के जीर्णोद्धार कार्य का जायजा
ग्वालियर की ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहरों में शुमार “मोतीमहल” की
मुख्य इमारत को फिर से पुराने वैभव में लाया जा रहा है। मोतीमहल के
जीर्णोद्धार का काम तेजी से जारी है। संभाग आयुक्त श्री एस एन रूपला ने
सोमवार को इस कार्य का जायजा लिया।
ज्ञात हो वर्ष 2014 में हुई अग्नि दुर्घटना से मोतीमहल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसी क्षतिग्रस्त हिस्से का जीर्णोद्धार कर पुन: हैरीटेज स्वरूप बहाल करने के लिये पुरातत्व विभाग द्वारा एक करोड़ 60 लाख रूपए की राशि मंजूर की गई है। देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र मोतीमहल जल्द ही अपने पुराने वैभव में लौटेगा। मोतीमहल के जीर्णोद्धार के लिये एक साल की समय-सीमा निर्धारित की गई है।
संभागीय आयुक्त श्री एस एन रूपला ने अपना पदभार ग्रहण करने के साथ ही मोतीमहल को पुराने स्वरूप में लाने हेतु प्रयास प्रारंभ कर दिए थे। उन्हीं के प्रयास से पुरातत्व विभाग द्वारा डीपीआर तैयार की गई और जिसके तहत भोपाल की आधारशिला कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया है। श्री रूपला ने अधिकारियों और कंपनी के इंजीनियर्स को निर्देशित किया कि भवन के पुन: निर्माण का कार्य समय-सीमा और गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया जाए। इसके साथ ही भवन को पुराने स्वरूप में लाने के कार्य में किसी प्रकार की कोई कोताही न बरती जाए।
श्री रूपला ने अधिकारियों से कहा कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद मोतीमहल जैसा था, वैसा ही दिखना चाहिए। इसके लिये कंपनी और विभागीय अधिकारी किए जा रहे कार्यों की निरंतर मॉनीटरिंग करें। निर्माण के दौरान अगर कोई दिक्कत या समस्या आती है तो तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाए।
उल्लेखनीय है कि मोतीमहल का निर्माण सिंधिया रियासतकाल में सन् 1872 में कराया गया था। इस परिसर में 1100 कमरे हैं। आजादी के बाद मध्यभारत राज्य की विधानसभा भी इसी महल में लगती थी। वर्तमान में भी मोतीमहल परिसर में कई शासकीय कार्यालय संचालित हैं।
समय-सीमा में और गुणवत्ता के साथ कार्य पूर्ण करने के दिए निर्देश
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ग्वालियर | 27-फरवरी-2017 |
ज्ञात हो वर्ष 2014 में हुई अग्नि दुर्घटना से मोतीमहल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसी क्षतिग्रस्त हिस्से का जीर्णोद्धार कर पुन: हैरीटेज स्वरूप बहाल करने के लिये पुरातत्व विभाग द्वारा एक करोड़ 60 लाख रूपए की राशि मंजूर की गई है। देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र मोतीमहल जल्द ही अपने पुराने वैभव में लौटेगा। मोतीमहल के जीर्णोद्धार के लिये एक साल की समय-सीमा निर्धारित की गई है।
संभागीय आयुक्त श्री एस एन रूपला ने अपना पदभार ग्रहण करने के साथ ही मोतीमहल को पुराने स्वरूप में लाने हेतु प्रयास प्रारंभ कर दिए थे। उन्हीं के प्रयास से पुरातत्व विभाग द्वारा डीपीआर तैयार की गई और जिसके तहत भोपाल की आधारशिला कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया है। श्री रूपला ने अधिकारियों और कंपनी के इंजीनियर्स को निर्देशित किया कि भवन के पुन: निर्माण का कार्य समय-सीमा और गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया जाए। इसके साथ ही भवन को पुराने स्वरूप में लाने के कार्य में किसी प्रकार की कोई कोताही न बरती जाए।
श्री रूपला ने अधिकारियों से कहा कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद मोतीमहल जैसा था, वैसा ही दिखना चाहिए। इसके लिये कंपनी और विभागीय अधिकारी किए जा रहे कार्यों की निरंतर मॉनीटरिंग करें। निर्माण के दौरान अगर कोई दिक्कत या समस्या आती है तो तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाए।
उल्लेखनीय है कि मोतीमहल का निर्माण सिंधिया रियासतकाल में सन् 1872 में कराया गया था। इस परिसर में 1100 कमरे हैं। आजादी के बाद मध्यभारत राज्य की विधानसभा भी इसी महल में लगती थी। वर्तमान में भी मोतीमहल परिसर में कई शासकीय कार्यालय संचालित हैं।
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