64वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन की मुख्य विशेषताएं
Ø यह सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए कि ऐसा समग्र विकास हो जिससे सभी लोग समृध्द बनें।
Ø राजनीतिक दृष्टिकोण, आर्थिक प्रगति और वैज्ञानिक तरक्की को मानव कल्याण, सहनशीलता, आपसी सम्मान और निस्वार्थ भावना के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
Ø युवा राष्ट्र के भविष्य के निर्माता हैं। हमें उनमें बलिदान, समर्पण, देशभक्ति और राष्ट्र सेवा की भावना का संचार करना चाहिए।
Ø वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था का लचीलापन इस बात का प्रमाण था कि हम अनेक दूसरे देशों की तुलना में इस संकट से बेहतर ढंग से निपट सकें। हमारा भविष्य बहुत सी संभावनाओं और इरादों से भरपूर है।
Ø समावेशी विकास राष्ट्र की आर्थिक इमारत के स्तम्भों में से एक है। हम केवल तभी प्रतिस्पध्र्दा कर सकेंगे जब कोई भी भूखे पेट न सोए, जब कोई फुटपाथ पर न सोए और जब हर बच्चा स्कूल जाए।
Ø शिक्षा, क्षमता निर्माण, आवास, स्वास्थ्य देखरेख और पोषण सरकार के कार्यक्रम की प्राथमिकता हैं।
Ø शिक्षा के अधिकार के कानून ने मुपऊत और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा बच्चे का मूल अधिकार बना दिया है।
Ø माध्यमिक शिक्षा का भी सार्वभौमिकरण महत्वपूर्ण है जो राष्ट्र को बौध्दिक शक्ति उपलब्ध कराएगी।
Ø सभी क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा देश को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के मामले में अग्रणी बनाया जाएगा।
Ø भौतिक ढांचागत सुविधाओं के निर्माण में तेजी लाने की ज़रूरत है।
Ø उद्योगों को निरंतर विकास करना चाहिए। भारतीय कम्पनियों को कुशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्ध्दी बनने के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए।
Ø दूसरी हरित क्रान्ति की दिशा में आगे बढने क़े लिए नई दिशाओं और ताजा विचारों की ज़रूरत है ताकि कृषि उत्पादन, उत्पादकता और मुनाफा बढ सक़े।
Ø उद्योगों को कृषि के साथ जोड़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को आधार उपलब्ध होगा तथा कृषि संबंधी व्यापार को भी बढावा मिलेगा।
Ø दक्षता विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और समाज कल्याण कार्यक्रमों के जरिए ग्रामीण गरीबों और कृषि श्रमिकों की सहायता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
Ø महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के कार्यान्वयन में विशेष स्थानीय हालात को ध्यान में रखने की ज़रूरत है तथा ग्रामीण विकास में प्रगति लाने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं को आपस में जोड़ने के लिए नवप्रयासों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
Ø भ्रष्टाचार कतई सहन न करने और जन सेवा के उच्च मानदंडों को अपनाने से कार्यदक्षता बढेग़ी और विकास एवं तरक्की को प्रोत्साहन मिलेगा।
Ø नागरिकों को राष्ट्र के भविष्य को सुदृढ आैर उज्ज्वल बनाने में योगदान देना चाहिए।
Ø नागरिकों को कानून का पालन करना चाहिए और नैतिक उत्थान के लिए काम करना चाहिए। मजबूत पारिवारिक संबंध कमजोर होते जाना, दूसरों के प्रति असंवेदनशीलता बढना और सामाजिक जागरूकता में गिरावट चिंता का कारण है और इस स्थिति को बदला जाना चाहिए।
Ø राष्ट्र निर्माण के लिए सामंजस्य की भावना ज़रूरी है। यह तभी संभव है जब बातचीत को संवाद का माध्यम चुना जाए। एक-दूसरे की बात सुनकर, एक-दूसरे के नज़रिए का आदर करके और एक-दूसरे को समझने से हम अपने समक्ष मौजूद मुद्दों का समाधान तलाश सकते हैं।
Ø उग्र विचारधाराओं के प्रवर्तकों और वामपंथी उग्रवाद के रास्ते पर चलने वालों को हिंसा का रास्ता छोड़ देना चाहिए। उन्हें तरक्की और विकास के राष्ट्र के प्रयासों में शामिल होना चाहिए।
Ø आतंकवाद विश्व की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसे पराजित करने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि आतंकवादियों को कहीं कोई आश्रय, प्रशिक्षण की जगह, कोई वित्तीय साधन, कोई ढांचागत सहायता और उनकी विचारधारा की तरफदारी करने वाला न हो।
Ø हमारे पास महान राष्ट्र का निर्माण करने की प्रतिभा है। सामूहिक इच्छा शक्ति एवं कड़ी मेहनत से हम इसे हासिल कर लेंगे।
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