मध्यप्रदेश: भट्टा बैठा मध्यप्रदेश का, अंधेरगर्दी अराजकता और अनसुनेपन का बोलबाला – ये है हकीकत ए मध्यप्रदेश – भाग- 1
संभागीय मुख्यालयों पर घोषित बिजली कटौती १६ घण्टे हुयी, प्रदेश का सूक्ष्म व लघु व्यवसाय चौपट , बर्फ में लगा सूचना का अधिकार , सरकारी योजनाओं में करोड़ों के खुले भ्रष्टाचार और लीपापोती
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
मध्यप्रदेश का सच – मध्यप्रदेश डायरी
Part- 88
मुरेना / भिण्ड ६ दिसम्बर २०१० बदहाली अराजकता और शोषण में डूबे मध्यप्रदेश में विकट भ्रष्टाचार तो ५ साल पहले जैसे भाजपा साकार के शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री पद पर आगमन के साथ ही दस्तक दे चुका था ।
हालांकि जनता के अनसुनेपन और नाकारा और बेईमान अफसरों की फौज का जाल स्वयं भ्रष्ट और नाकारा मुख्यमंत्री तथा उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों ने प्रदेश में काफी पहले ही फैला दिया था । अब हालात ये हैं कि मध्यप्रदेश में चारों ओर त्राहि त्राहि मची है और अराजकता का माहौल ऐसा कि जनता की शिकायतें व सुनवाई ठोक बजा कर बंद हो चुकीं हैं ।
बर्फ में लगा सूचना का अधिकार - सूचना का अधिकार का म.प्र. में आलम ये है कि म.प्र. की एक भी स्वयंसेवी संस्था ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा ४ का पालन नहीं किया हैं, मध्यप्रदेश सरकार की अंधेरगर्दी की कृपापात्रता के चलते करोड़ों के मोटे अनुदान झटक रहीं स्वयंसेवी संस्थायें ऐग लेग और पैग के दम पर सूचना के अधिकार की धारा ४ को ताक पर रख चुकीं हैं मजे की बात ये है कि शराब औरतों और रिश्वत के दम पर , अनुदान राशि के बंटवारे के हिसाब से म.प्र. सरकार के नुमाइंदे स्वयंसेवी संस्थाओं को केवल अनुदान ही नहीं दिलाते अपितु सूचना का अधिकार का पालन न करने और जालसाजी के लिये भी पूरी छूट देते हैं । अंजाम ये कि सूचना का अधिकार लागू होने के चोखे ५ साल गुजरने के बाद भी आज तक सूचना का अधिनियम की धारा ४ के तहत म.प्र. की एक भी स्वयंसेवी संस्था की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है । फर्जीवाड़े का आलम ये है कि न तो असल हितग्राही हैं और न असल कर्मचारी और समाजसेवी बस केवल चंद अय्याश और दरूओं के दम पर म.प्र. का स्वयंसेवी आंदोलन गर्त में डूबकर रह गया है जिनके पास उजागर करने के नाम पर कुछ भी नहीं है ।
अधिनियम की धारा 6 में मिलने वाले आवेदनों का आलम ये है कि म.प्र. में किसी को भी सूचना के अधिकार में सूचना मिलती हो तो यह दुनियां का आठवां आश्चर्य होगा ।
हालात इतने बदतर हैं कि म.प्र. सरकार के खुद सरकारी कार्यालयों और विभागों ने ही सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा ४(१)(अ) का पालन अधिनयम को लागू हुये ५ साल गुजरने के बाद भी आज तक नहीं किया है ।
क्रमश: जारी अगले अंक में ...........
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