शनिवार, 25 दिसंबर 2010

अरे मगर इस चिठ्ठी का मतलब क्‍या है देवी, ये किसके लिये और क्‍यों लिखी है सरकार ....

अरे मगर इस चिठ्ठी का मतलब क्‍या है देवी, ये किसके लिये और क्‍यों लिखी है सरकार ....

       मैंने राजनीति में बहुत लिखा है और मैंने इसे करीब से भी देखा है परंतु .................

       एक अनोखी दुनिया (दैनिक) के सम्पादक जी और कांग्रेस के एक विशेष तबके के चन्द लोगों के साथ हुए महापौर विरोधी गुप्त समझौते की परिणति इतनी बुरी होगी कि हद की परिकाष्टा धारण कर लेगी ये मैंने कभी नहीं सोचा था।

       घिनौनी राजनीति को मैंने बहुत करीब से देखा है। परंतु गरीब तबके की परेशान महिला वर्ग को भोजन के लालच में हथियार बनाकर प्रथम महिला के साथ इतना बड़ा कृत्य कर देना मेरी समझ से परे है।

       शायद राजनीति और अनोखी दुनिया के महारथियों को यह उम्मीद नहीं होगी कि इनका यह कृत्य इन्हें आक्रमण की जगह बचाव की मुद्रा में लाकर खड़ा कर देगा, और इन्हीं की पार्टी के पितामाह इनके कृत्य को अक्षम्य अपराध की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देगें। इनके इस कृत्य पर थू-थू करने वालों की शहर में कोई कमी नहीं थी परंतु महापौर के पक्ष में जब उनकी आवाज उठी तो पूरे भारतवर्ष के महापौरों ने उनके स्वर में स्वर मिलाकर न सिर्फ कठोर भृत्सना और निंदा की बल्की भारत की महामहिम तक को इनके इस कृत्य से अवगत करा दिया।

       तब भी इन्होंने सीख नहीं ली और ग्वालियर की जनता के साथ राष्ट्रपिता महात्मागांधी तक का अपमान उन्हें गंगाजल से धोकर कर डाला क्या बापू ने इनको यह बोला कि तुम शांति की भाषा बोलने वाले सभ्य, सभ्रांत लोगो के साथ बैठी प्रथम महिला और हर तबके से इन्हें सदबुध्दि की मांग करने आई ग्वालियर की जनता जिसने मुझे नमन किया वह अछूत है, हिंसक है,

       क्या ग्वालियर की जनता अब इनके इस कृत्य को माफ करेगी।

(प्रेस को भलाई के लिये इस्तेमाल करो, उगाई के लिए नहीं)

 

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