शुक्रवार, 27 जुलाई 2007

कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई के लिये एक कारगर उपाय

कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई के लिये एक कारगर उपाय

ग्वालियर 26 जुलाई 2007

कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई हो सके इस मकसद से सरकार द्वारा माइक्रो इरीगेशन योजना के अंतर्गत ड्रिपस्प्रिकलर पध्दति को बढ़ावा दिया जा रहा है । इस पध्दति से सिंचाई करने से वर्षा की भांति पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है । योजना के तहत सरकार द्वारा कुल इकाई लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी प्रदान किया जाता है ।

       उप संचालक उद्यानिकी विभाग श्री एम.एस. तोमर ने बताया कि ड्रिपस्प्रिंकलर प्रतिस्थापन के लिये अधिकतम 5 हैक्टेयर क्षेत्र हेतु प्रति हितग्राही अनुदान की पात्रता होती है । योजना का लाभ सभी वर्ग के हितग्राहियों को दिया जाता है, परन्तु कुल हितग्राहियों में 25 प्रतिशत लघु सीमान्त कृषक, 30 प्रतिशत महिला, 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं 8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को शामिल किया जाना अनिवार्य है । योजनान्तर्गत ड्रिपस्प्रिंकलर पध्दति में लगने वाली सामग्री की प्रदायगी स्टेट माइक्रो इरीगेशन कमेटी द्वारा पंजीकृत निर्माता कंपनियां करती हैं ।

       उप संचालक उद्यानिकी ने बताया कि माइक्रो इरीगेशन योजना के अंतर्गत इस वर्ष जिले को ड्रिप व ड्रिपस्प्रिंकलर सिंचाई पध्दति से 40-40 किसानों को लाभान्वित कराने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है । इकाई लागत की 50 प्रतिशत राशि किसान द्वारा स्वयं अथवा उसे बैंक ऋण के माध्यम से वहन करनी होगी। शेष 50 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दी जायेगी ।

सिंचाई पध्दति का करें व्यापक प्रचार - कलेक्टर

       कम वर्षा वाली जलवायु होने की वजह से ग्वालियर जिले के लिये ड्रिपस्प्रिंकलर सिंचाई पध्दति विशेष उपयोगी है । इसलिये इस सिंचाई पध्दति का व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिससे अधिकाधिक किसान इसे अपना सकें । यह निर्देश कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव ने किसान कल्याण एवं कृषि विकास तथा उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को दिये हैं । कलेक्टर ने यह भी निर्देश दिये है कि इस योजना से उन किसानों को पहले लाभान्वित करायें जो पूर्व से बागवानी से जुड़े हैं, ताकि उनकी सफलता से अन्य किसान भी प्रेरित हो सकें । उन्होंने ड्रिपस्प्रिंकलर प्रतिस्थापन के लक्ष्य की पूर्ति कलस्टर (समूह ) में करने के निर्देश भी दिये हैं।

 

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