रविवार, 31 अगस्त 2008

पूरी हुई धनवन्ती की आगे पढ़ने की मुराद

पूरी हुई धनवन्ती की आगे पढ़ने की मुराद

ग्वालियर,30 अगस्त 08/ जिले की जनपद पंचायत भितरवार के अन्तर्गत दूरस्थ ग्राम सकतपुरा की निवासी कुमारी धनवन्ती ने अपने गाँव के स्कूल से पांचवी की परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन आगे की पढ़ाई उसके लिए दूर की कोंड़ी थी । उसके छोटे से गाँव में आगे की शिक्षा का माकूल बन्दोबस्त नहीं था । उसके परिजनों की माली हालत भी ऐसी नहीं थी कि वे अपने बेटी को शहर के किसी आवासीय विद्यालय में दाखिला दिला सकें। इतने पर भी धनवन्ती की आगे पढ़ने की मुराद बिना कठिनाई के पूरी हो ही गई। उनकी मुराद पूरा करने में शासकीय कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय मोहनगढ़ वरदान साबित हुआ है ।

       धनवन्ती अपनी सहेलियों के साथ मोहनगढ़ में संचालित आवासीय विद्यालय में पढ़ती हैं और वहीं छात्रावास में निवास भी करती हैं । इसी प्रकार की कहानी ग्राम रमजीपुर की कुमारी सुमन, खेड़ा की कुमारी रचना एवं ग्राम रायपुरसानी की कुमारी रानी तथा इस विद्यालय में अध्ययनरत अन्य ग्रामीण बालिकाओं की है । गौरतलब है कि शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। ग्वालियर जिले के अन्तर्गत जनपद पंचायत भितरवार में मोहनगढ़, घाटीगाँव में मोहना, डबरा में गैडोल कला और मुरार के हस्तिनापुर ग्राम में यह आवासीय विद्यालय संचालित हैं। आवासीय विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को नि:शुल्क गणवेश व पाठय पुस्तक सहित रहने खाने आदि की व्यवस्था भी सरकार द्वारा नि:शुल्क की गई है।

       सरकार द्वारा संचालित कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय लगातार लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं । जिले में जब आवासीय विद्यालय शुरू हुए थे तब अभिभावकों ने काफी समझाने बुझाने के बाद ही अपनी बेटियों को विद्यालय में भर्ती कराया था । लेकिन अब ग्रामीण बालिकाओं के अभिभावक स्वयं सम्पर्क कर अपनी बच्चियों को आवासीय विद्यालयों में दाखिला दिला रहे हैं । मोहनगढ़ में संचालित कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय की अधीक्षिका श्रीमती चन्द्रकला बड़ोदकर कहती हैं कि ऐसा बीते वर्षो में आवासीय विद्यालय के सफल संचालन से हुआ है। यहाँ पढ़ने वाली बालिकायें जब छुट्टी पर अपने गाँव गईं तब उन्होंने आवासीय विद्यालयों में मिलने वाली सुविधाओं का जिक्र सबके बीच किया, जिससे इन विद्यालयों की जन मानस में सकारात्मक छवि बनी । ग्रामीण बालिकाओं के आवासीय विद्यालयों की ओर बढ़ते हुए रूझान को ध्यान में रखकर अब जिले के सभी आवासीय विद्यालयों की क्षमता को दो गुना कर दिया गया है अर्थात वे 100-100 सीटर हो गए हैं ।

       कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय में इस वर्ष छठवी कक्षा में दाखिला लेने वाली ग्राम कमलापुरा की कुमारी जूली व ज्योति, पलायछा की कुमारी भारती, खेड़ा की कुमारी सरिता तथा बानगढ़ की कुमारी हेमा चहक कर कहती हैं कि हमें साथ रहने वाली दीदियों (सीनियर छात्राओं) का पूरा सहयोग मिलता है । वे अपनी गणित की टीचर श्रीमती अनीता योगी से भी काफी प्रभावित हैं और उनके पढ़ाने की विधि की खुलकर तारीफ करती हैं। जब उनसे पूँछा गया कि आपको यहाँ घर की याद नहीं आती तो वे कहने लगी कि नहीं । हम यहां अपनी सहेलियों के साथ रहते हैं, साथ खाते हैं, साथ खेलते हैं। यहां होने वाली छोटी-मोटी कठिनाइयों को तब भूल जाते हैं जब उमस भरी गर्मी में विद्यालय के मैदान में खड़े पेड़ों की घनी छॉव तले एक साथ पढ़ने बैठते हैं ।

 

कोई टिप्पणी नहीं: