न नहाना ना धोना, मगन रहना, पूजो माता, बिजली पानी बिना, हिन्दू नवसंवत्सर पर हिन्दूओं को राज्य सरकार का तोहफा
विद्युत राक्षस का माता के भक्तों पर हमला, लाखों चपेट में, राज्य संकट में या देवी सर्वभूतेषु विद्युत रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम :
मुरैना 7 अप्रेल 08, राज्य सरकार ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिन्दू नवसंवत्सर पर हिन्दूओं को तोहफा देते हुये सोमवार को सबेरे बिजली काट कर न केवल हिन्दूओं को ही उपकृत कर दिया बल्कि माता के भक्तों को बिना नहाये धोये और बिना जल भरे खाली कलशों के साथ माता की पूजा के लिये भी विवश कर दिया ।
उल्लेखनीय है कि कल रविवार से नवरात्र महोत्सव प्रारंभ हो चुका है और माता की प्रतिष्ठा स्थापना के साथ ही जवारे बो कर तथा जल घट स्थापना आदि करके, नियमित रूप से स्नान आदि से निवृत्त हो माला को जल स्नान, जल अर्पण एवं तर्पण आदि कर्म करते हैं । इसके साथ ही नौ रात्रि तक माता का निरन्तर जप अनुष्ठान, भजन पूजन आदि नियमित रूप से किया जाता है ।
अधिकांश लोगों द्वारा रविवार को ही माता की प्रतिष्ठा कर अर्चना अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया गया था, कुछ लोग कतिपय समाचारपत्रीय भ्रम स्थापना के कारण इसका प्रारंभ आज सोमवार से कर रहे थे ।
खैर जो भी हो आज की बिजली दुर्गत सुबह सात बज कार 17 मिनिट से शुरू हुयी यानि सबेरे कटी बिजली ने अभी समाचार लिखे जाने के वक्त तक कुछ ऐसा कोहराम मचाया कि अब इसे ''विद्युत राक्षस'' की संज्ञा दी जाये तो कुछ भी अनुचित नहीं होगा ।
कुल मिला कर समाचार लिखे जाने और प्रकाशित किये जाने के वक्त तक बिजली बन्द थी, हॉं हर एक या दो घण्टे बाद जरूर महज 3 या 4 मिनिट के लिये अपनी झलक दिखलाती रही । यानि यूजलेस बिजली, बट बिजली वाज अवेलेबल, अब 3 या 4 मिनिट को आने वाली बिजली का कब कैसा कितना इस्तेमाल कर सकते हो कर लो बेटा, पूज लो माता, दे दिया राज्य सरकार ने नवसंवत्सर को तोहफा । यानि पहले ही दिन मस्त व शुभ आरम्भ । जय माता की ।।
''दुर्गा दुर्गत दूर कर '' यह पुराना भजन है, बत्तीस नाम माला में भी यह उल्लेखित है । केवल सिद्ध कुंजिका में संशोधन कर लिया जायेगा तो बात कुछ यूं बनेगी कि ''देवी के लिये ''विद्युत राक्षस'' का संहार परम अनिवार्य हो जायेगा ।
केन्द्र सरकार ने हिन्दू नव संवत्सर पर, सिंधिया जी को अंचल में मंत्री के रूप में जहॉं एक तोहफा दिया वहीं राज्य सरकार का तोहफा भी अंचल में खूब सराहा गया ।
जय भवानी, या देवी सर्वभूतेषु विद्युत रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम :
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