जननी सहयोगी योजना नये दिशा-निर्देशों के साथ एक जुलाई से
प्रसव पूर्व, प्रसव दौरान एवं प्रसव उपरांत चिकित्सा उपलब्ध कराने के शुल्क निर्धारित
भोपाल 26 जून 10। जननी सहयोगी योजना का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही महिलाओं को देना सुनिश्चित करने के लिये निजी स्वास्थ्य संस्थाओं हेतु नया पैकेज निर्धारित किया गया है। लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि प्रसव पूर्व, प्रसव दौरान और प्रसव उपरांत जो भी चिकित्सा लाभ दिया जायेगा उसके लिये शुल्क का निर्धारण कर दिया गया है। जिन निजी चिकित्सा संस्थाओं को इस योजना के तहत अनुबंधित किया जायेगा उन्हें अनुबंध पत्र के हस्ताक्षर के बाद पच्चास हजार रूपये की प्रथम किश्त प्रदान कर दी जायेगी।
स्वास्थ्य मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि जननी सहयोगी योजना में पूर्व में जो विसंगतियां थी उन्हें दूर करते हुये नये दिशा-निर्देश सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भेजे गये हैं और उन्हें इन नये निर्देशों के तहत जननी सहयोगी योजना का लाभ एक जुलाई से पूरे प्रदेश में पात्र हितग्राहियों को देना सुनिश्चित करने को कहा गया है। श्री मिश्रा ने बताया कि जननी सहयोगी योजना के नये पुनरीक्षित दिशा-निर्देशों में बीपीएल परिवारों की महिलाओं के लिये सुरक्षित गर्भपात सेवाएं, गर्भावस्था प्रसव एवं प्रसव उपरांत अवधि में आवश्यकतानुसार आपातकालीन प्रसूति सेवाएं उपलब्ध कराई जायेंगी। इसके अतिरिक्त बीमार नवजात शिशुओं को भी समुचित चिकित्सा सुविधा नि:शुल्क दी जायेगी।
जननी सहयोगी योजना को पुनरीक्षित दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रसव पूर्व की जाने वाली जाँच में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय जाँच पर सौ रूपये अनुबंधित चिकित्सा संस्थाओं को दिये जायेंगे। सोनोग्राफी के लिये 250 रूपये, लैब जाँच के लिये 500 रूपये, सामान्य एवं जटिल प्रसव पर 2500 प्रति प्रसव, पी पी एच. प्रबंधन पर एक हजार रूपये प्रति केस, ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर 250 रूपये प्रति केस, सीजेरियन सेक्शन पर 7500 रूपये प्रति केस, सीजेरियन हिस्ट्रेक्टॉमी पर 9000 रूपये प्रति केस का भुगतान अनुबंधित निजी चिकित्सा संस्थाओं को किया जायेगा। प्रसव के बाद दो जाँच के लिये 14 दिन की अवधि में 100 रूपये दिये जायेंगे। प्रसव पूर्व जाँच का भुगतान उन्ही महिलाओं के लिये देय होगा, जिनका प्रसव अनुबंधित संस्था में किया गया हो। सुरक्षित गर्भपात सेवाओं के लिये अनुबंधित चिकित्सा संस्थाओं को 8 सप्ताह में प्रति केस 500 रूपये तथा 9 से 12 सप्ताह में 750 रूपये प्रति केस देय होगा। बच्चे के जन्म के बाद बीमार होने की स्थिति पर शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा निजी चिकित्सा संस्थाओं में विजिट होने पर 100 रूपये प्रति विजिट का भुगतान किया जायेगा। प्रीमेच्योर तथा बीमार नवजात शिशु की देखभाल के लिये शिशु रोग विशेषज्ञ को प्रतिदिन 500 रूपये का भुगतान करने का प्रावधान किया गया है।
जननी सहयोगी योजना के तहत जिन निजी चिकित्सा संस्थाओं को अनुबंधित किया जायेगा उनके लिये नये मापदंड निर्धारित किये गये हैं। प्रदेश के पाँच जिलों इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन एवं जबलपुर में उन्ही निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया जायेगा जिनमें मेटरनिटी शैय्याऐं की संख्या 50 से अधिक होगी। रीवा और सागर जिले में 25 से अधिक मेटरनिटी शैय्याऐं वाले निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया जायेगा। शेष 25 जिलों में अनुबंधित निजी चिकित्सा संस्थाओं के लिये 6 से 10 शैय्याओं का होना अनिवार्य होगा। जिन निजी अस्पतालों को जननी सहयोगी योजना के तहत अनुबंधित किया जायेगा वहां 24 घंटे स्त्री रोग विशेषज्ञ की उपलब्धता आवश्यक होगी। शिशु रोग तथा निश्चेतना विशेषज्ञ की सेवाएं बुलाने पर लेने की छूट होगी। जिन अनुबंधित अस्पतालों में 35 प्रतिशत से अधिक प्रसव ऑॅपरेशन के द्वारा होंगे उनका विश्लेषण कर भौतिक सत्यापन करने के बाद भुगतान होगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से कहा गया है कि वे तीन माह में गठित समिति के माध्यम से अस्पतालों का अनुबंध की प्रक्रिया पूरी करना सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही योजना का प्रभावी और सही उपयोग हो इसकी वे सघन मॉनीटरिंग करेंगे।