वन अधिकारों की मान्यता विषय पर मीडिया वर्कशॉप आज
ग्वालियर एक अप्रैल 08 । ''अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 एवं नियम 2007 की जानकारी सम्प्रेषण माध्यमों से जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से शासन द्वारा 2 अप्रैल 08 को होटल सेन्ट्रल पार्क में मीडिया वर्कशॉप आयोजित की गई है । मीडिया वर्कशॉप में आदिमजाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन के प्रमुख सचिव श्री ओ.पी. रावत, जनसंपर्क संचालनालय भोपाल के अपर संचालक श्री आर.एम.पी. सिंह सहित अधिनियम के जानकार विद्वान मीडिया को अधिनियम के प्रावधानों की विस्तृत जानकारी देंगे ।
उल्लेखनीय है कि वन में निवास करने वाली ऐसी अनुसूचित जनजातियों और परम्परागत वन निवासियों के जो वनों में पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं किन्तु उनके अधिकारों को अभिलिखित नहीं किया जा सका है । उनके वन अधिकारों और वन भूमि में अधिभाग को मान्यता देने के लिये अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम को जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारतवर्ष में लागू किया गया है । अधिनियम के उद्देश्यों में वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों के मान्यता प्राप्त अधिकारों में, दीर्घकालीन उपयोग के लिये जिम्मेदारी और प्राधिकार, जैव विविधता का संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन को बनाये रखना और वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों की जीविका तथा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करते समय वनों की संरक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करना भी सम्मिलित है । साथ ही औपनिवेशिक काल के दौरान तथा स्वतंत्र भारत में राज्य वनों को समेकित करते समय उनकी पैतृक भूमि पर वन अधिकारों और उनके निवास को पर्याप्त रूप से मान्यता नहीं दी गई थी । जिसके परिणामस्वरूप वन में निवास करने वाली उन अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों के प्रति ऐतिहासिक अन्याय हुआ । साथ ही वे पारिस्थितिकी प्रणाली को बचाने और बनाये रखने के लिये अभिन्न अंग है । इस अन्याय को समाप्त करने की दृष्टि से अब यह आवश्यक हो गया है कि वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों की, जिसके अंतर्गत वे जनजातियां भी है, जिन्हें राज्य के विकास से उत्पन्न हस्तक्षेप के कारण अपने निवास दूसरी जगह बनाने के लिये मजबूर किया गया था उनकी लंबे समय से चली आ रही भूमि संबंधी असुरक्षा तथा वनों में पहुंच के अधिकारों पर भी ध्यान दिया जाये । अधिनियम इन विसंगतियों को दूर करने की दिशा में किया गया सार्थक प्रयास है । अधिनियम की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक सही रूप में पहुंचे इसी इरादे से सम्प्रेषण माध्यमों की यह मीडिया वर्कशॉप आहुत की गई है।
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