वर्षा जनित रोगों के प्रति विशेष सतर्कता बरतें कलेक्टर के मैदानी स्वास्थ्य अमले को निर्देश
ग्वालियर 27 अगस्त 08। वर्षा जनित रोगों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को विशेष सजग होकर कार्य करने के निर्देश जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने दिये हैं । उन्होंने कहा है कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन को स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से सतर्क रहने की समझाईश भी दी जाये । खासतौर पर बुखार, उल्टी दस्त एवं मलेरिया जैसे रोगों के बचाव के तरीके प्रचारित करने पर उन्होंने बल दिया है। श्री त्रिपाठी ने.मैदानी स्वास्थ्य अमले से अपने कार्य क्षेत्र में सतत् भ्रमण कर ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार दिलाने की भी हिदायत दी है।
जिला कलेक्टर ने उक्त आशय के निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को हिदायत दी है । उन्होंने कहा है वर्षा काल में मौसमी बुखार और मलेरिया की संभावना बनी रहती है, अत: इन रोगों से बचाव के उपाय स्वास्थ्य विभाग सुनिश्चित करे । बुखार के प्रत्येक रोगी की रक्तपट्टिका बनाई जाकर जांच कराई जाये , जिससे बुखार के कारणों का पता लग सके और रोगी को समुचित उपचार दिया जा सके। मलेरिया की रोकथाम के लिए पदस्थ अमले को भी पूरी सतर्कता और सजगता से कार्य करने को कहा गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देंश दिये गये कि वे सभी प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर आवश्यक दवाओं का भण्डारण सुनिश्चित करायें । औषधियों की चैकलिस्ट के अनुसार सभी दवायें उपलव्ध रहें । ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित डिपो होल्डर्स को सक्रिय बनाया जाये, ताकि गॉव वालों को स्थानीय स्तर पर जीवन रक्षक दवायें मिल सकें। स्वास्थ्य कर्मी टीकाकरण कार्य के साथ जरुरतमंदों को जीवन रक्षक दवायें भी दें । गंभीर रोगों के संबंध में तत्काल विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी और जिला कार्यालय को सूचना दी जाये ताकि समय रहते प्रभावित क्षेत्र में काम्बेट टीम को पहुंचाया जा सके ।
कलेक्टर ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने के निर्देश दिये हैं। साथ ही चिकित्सा अधिकारियों को भी ग्राम भ्रमण कर मैदानी स्वास्थ्य सेवाओं का सत्यापन करने के लिये कहा है। उन्होने साफ तौर पर कहा है कि जो मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने कर्तव्य स्थल पर सेवाओं में कमी रखेंगे या अनुपस्थित होंगे उनके विरुद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी ।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी निर्देश दिये गये कि वे सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को हिदायत दें कि गॉव में किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर उसकी सूचना स्वास्थ्य अमले को दी जाये । आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों के स्वास्थ्य का नियमित परीक्षण हो और पोषण आहार व्यवस्था सुचारुरुप से चलायें । बाल संजीवनी अभियान में चिन्हित हुये ग्रेड -3 और ग्रेड 4 वाले बच्चों की उपचार व्यवस्था के साथ नियमित मानिटरिंग भी की जाये । अति गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र की सेवायें उपलव्ध करायें । गौरतलब है कि जिले के अन्तर्गत शासकीय अस्पताल ठाटीपुर सहित डबरा चिकित्सालय एवं मोहना स्थित सरकारी अस्पताल में पोषण पुनर्वास केन्द्र संचालित हैं ।
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