मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज संगीत विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि उपजमण्डी का शिलान्यास करेंगे
ग्वालियर 22 अगस्त 08। मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार 23 अगस्त को फूलबाग मैदान में आयोजित भव्य ऐतिहासिक समारोह में दो नये विश्व विद्यालयों तथा नगर की दो कृषि उप मण्डियों को संयुक्त रूप से एक विशाल प्रांगण में समाहित करने वाली नवीन कृषि उपज मण्डी का शिलान्यास करेंगे। ग्वालियर में स्थापित होने वाले संगीत वि.वि. का नाम राजा मानसिंह तोमर संगीत व कला विश्व विद्यालय, तथा कृषि विश्व विद्यालय का नाम राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय रखा गया है। ग्वालियर की झोली को सौगातों से भरने वाले इस यादगार समारोह की अध्यक्षता प्रदेश के पूर्व जनसम्पर्क मंत्री एवं वर्तमान में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर करेंगे। समारोह में कृषक कल्याण तथा कृषि विकास सहकारिता मंत्री श्री गोपाल भार्गव, जल संसाधन, उच्च शिक्षा एवं जन शिकायत निवारण मंत्री श्री अनूप मिश्रा, संसदीय कार्य, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, जनसंपर्क एवं खनिज संसाधन मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, वन राजस्व धार्मिक न्यास और धर्मस्व पुर्नवास राज्यमंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह, म.प्र. राज्य बीज फार्म विकास निगम के अध्यक्ष श्री महेन्द्र सिंह यादव, क्षेत्रीय सांसद श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया , राज्य सभा सदस्य श्रीमती मायासिंह, श्री प्रभात झा, महापौर श्री विवेकनारायण शेजवलकर मुरार विधायक श्री ध्यानेन्द्र सिंह, भाण्डेर विधायक श्री कमलापत आर्य, गिर्द विधायक श्री वृजेन्द्र तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्व विद्यालय प्रतिमान स्थापित करेगा
ग्वालियर वासी बड़ी शिद्दत के साथ इस संगीत विश्व विद्यालय की प्रतीक्षा कर रहे थे । गौरतलब है कि संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में राजा मान सिंह तोमर के शासन काल से ही संगीत को खूब प्रश्रय मिला । राजा मान सिंह तोमर न केवल स्वयं संगीत मर्मज्ञ थे वरन वे संगीतज्ञों की कला को निखारने में गहरी रूचि रखते थे । उन्होंने ग्वालियर में संगीत के प्रथम केन्द्र की स्थापना की । वर्तमान प्रदेश सरकार ने ग्वालियर की समृद्व संगीत विरासत को संजोने तथा इसे और ऊँचाइयाँ प्रदान करने के लिए ग्वालियर में राजा मान सिंह तोमर के नाम से संगीत विश्व विद्यालय खोलने का स्वागत योग्य निर्णय लिया है ।
ग्वालियर में संगीत विश्व विद्यालय स्थापना से ग्वालियर सहित सम्पूर्ण प्रदेश एवं अन्य समीपवर्ती राज्यों के संगीत रसिकों को उच्च कोटि की संगीत शिक्षा मिल सकेगी । साथ ही यह महाविद्यालय शास्त्रीय संगीत की समृद्व विरासत को अक्षुण बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा ।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर का संगीत घराना संगीत के क्षेत्र में सुप्रसिद्व घराना है । इस घराने में नत्थन पीर बख्श एवं इनके शिष्य हद्दू खाँ, हद्दू खाँ व नत्थू खाँ जैसे महान संज्ञीतज्ञ हुए हैं । इनके अलावा निसार हुसैन खाँ, मेंहदी हुसैन गुले इमाम,शंकर राव पंडित, कृष्णराव पंडित,रामकृष्ण बुवाबझे, इचलकरंजीकर, जिन्होनें महाराष्ट्र में जाकर, ग्वालियर घराने का प्रचार-प्रसार किया । राजा भैया पूछंवाले, बालाभाऊ उमडेकर, काशीनाथ पंत मराठे, गोपनीनाथ पंचाक्षरी, बाला साहब पूछंवाले, पंडित एकनाथ सारोलकर, रामजीभैया अग्निहोत्री इसके अलावा वादकों में उमरावहिसंह जी, जोरावरसिंह, सुखदेव सिंह, पर्वतसिंह, माधव सिंह जी, हाफिज अली खाँ, अमजद अली खाँ, केशवराव सुरंगे,मुबारक अली खाँ, श्री सरदार खाँ एवं राजेन्द्र प्रसाद भट्ट । साथ ही अन्य अनेकों कलाकार है जिन्होंनें ग्वालियर के संगीत को अपना योगदान दिया ।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय उन्नत खेती का मार्ग प्रशस्त करेगा
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय प्रदेश के विकास की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शिक्षण संस्था सिध्द होगा । वर्तमान में पूरे प्रदेश में एक ही कृषि विश्वविद्यालय है जिसका मुख्यालय जबलपुर में है। नवीन विश्व विद्यालय की स्थापना से ग्वालियर चंबल तथा मालवा क्षेत्र के कृषि विकास पर विशेष ध्यान केन्द्रित हो सकेगा और इसका लाभ यहां के किसानों और युवाओं को मिलेगा।
नवीन विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में जाने माने कृषि वैज्ञानिक एवं जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व संचालक अनुसंधान डॉ विजय सिंह तोमर की नियुक्ति की घोषणा हो चुकी है। मुरैना जिले के मूल निवासी डॉ तोमर की नियुक्ति से क्षेत्रिय कृषि वैज्ञानिकों व छात्रों में हर्ष है।
वर्तमान में यहां कृषि शिक्षा अनुसंधान, प्रसार तीनों आयामों मे महत्वपूर्ण कार्य हो रहे है। कृषि महाविधालय ग्वालियर में बी.एस.सी. (एजी) तथा अनेक विषयों में एम एस सी (एजी) का अध्यापन किया जा रहा है। अभी तक 2961 स्नातक एवं 1239 स्नातकोत्तर कृषक परिवारों के बेटे- बेटियों ने यहां से शिक्षा प्राप्त कर देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहां के विद्यार्थियों में अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। बीज उत्पादन तथा अन्य कृषि संबंधी व्यवसायों का संचालन करते हुए यहां के छात्र रोजगार प्रदाता के रूप में भी सफल हुए है।
भविष्य की दृष्टि से कृषि शिक्षा को अनुसंधान आधारित स्वरोजगार मूलक तथा छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से शिक्षा के आधुनिकीकरण हेतु सूचना प्रौद्यौगिकी से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। रिमोट सेनसिंग तकनीक के आधार पर कृषि को अधिक लाभदायी बनाया जा सकता है। साथ ही भविष्य की खाद्यान्न एंव अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उत्पादकता में दुगुनी वृध्दि, परंपरागत फसल चक्र में बदलाव नई फसलों को लोकप्रिय बनाने, जैव प्रौद्यौगिकी का उपयोग करने की दृष्टि से गहन शोध कार्यों की आवश्यकता है। खेती को लाभदायक बनाने के लिए पशुपालन,बागवानी, फलोत्पादन, मछली पालन तथा छोटे छोटे कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए महती आवश्यकता अनुभव की जा रही है। यहां कृषि विश्व विद्यालय की स्थापना से सब बिन्दुओं पर अधिकाधिक कार्य करना संभव हो सकेगा।
आदर्श रूप में विकसित होगी नई कृषि उपज मण्डी
मुरार एवं ग्वालियर कृषि उपज का निर्माण 20,343 हैक्टेयर भूमि पर सिमको फैक्ट्री के पास ग्राम दीनारपुर में किया जायेगा । मंडी को आदर्श कृषि उपज मंडी के रूप में विकसित किया जायेगा । इसके लिए भारत सरकार की मानकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण योजना के अन्तर्गत लगभग पौने 26 करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है जिसमें 25 प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा अनुदान के रूप में एवं 75 प्रतिशत राशि मंडी बोर्ड भोपाल द्वारा दी जायेगी ।प्रथम चरण में मंडी बोर्ड भोपाल द्वारा 3 करोड़ की राशि कृषि उपज मंडी समिति लश्कर को दी जा चुकी है । इस मंडी के निर्माण से मंडी क्षेत्र के लगभग 381 ग्रामों के साथ साथ ग्वालियर एवं चम्बल संभाग के सभी किसान लाभांवित होंगे ।
कृषि उपज मंडी समिति लश्कर की स्थापना दिनांक 16 जून 1923 को हुई थी इस मंडी क्षेत्र में चार उपमंडियॉ क्रमश:मुरार, ग्वालियर, मोहना एवं बेहट है । सम्पूर्ण मंडी क्षेत्र में 381 ग्राम सम्मिलित है । इन 381 ग्रामों के साथ साथ ग्वालियर संभाग के सभी ग्रामों के किसान अपनी उपज बेचने के लिए इस मंडी में आते हैैं । उप मंडी मुरार का वर्तमान प्रांगण अत्यन्त छोटा मात्र एक बीघा का होने के साथ साथ ही घनी आबादी में स्थित है, जिससे किसानों को मंडी प्रांगण में पहुँचने में असुविधा होती है एवं किसानों के ट्रेक्टर ट्राली आदि वाहन घनी आबादी से गुजरने के कारण आस पास रहने वाले निवासियों को भी अत्यन्त असुविधा का सामना करना पड़ता है, इसी प्रकार उपमंडी ग्वालियर का भी प्रांगण अत्यंत छोटा होकर घनी आबादी में स्थित होने के कारण उपमंडी मुरार जैसी ही स्थिति रहती है। अब उप मंडी मुरार एवं उपमंडी ग्वालियर के वर्तमान मंडी प्रांगण के स्थान पर दोनों उपमंडियों के क्षेत्र के मध्य में स्थित गोले के मंदिर के पास ग्राम दीनारपुर में सिमको फैक्ट्री के पास रकबा 20,343 हैक्टर में उप मंडी मुरार एवं ग्वालियर को संयुक्त रूप से एक ही स्थान पर निर्मित किया जावेगा जिससे किसानों को बहुत सुविधा हो जावेगी।
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