मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल नि:शक्तजन के लिए हायर सेकण्डरी स्तर तक की शिक्षा सुविधा अब ग्वालियर में भी
शासकीय श्रवण बाधितार्थ माध्यमिक विद्यालय का हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन
ग्वालियर : 25 अगस्त, 2008
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नि:शक्तजन पंचायत में की गई घोषणा के परिपालन में ग्वालियर में भी नि:शक्त जन के लिए हायर सेकेण्डरी स्तर तक की शिक्षा सुविधा मुहैया हो गई है। प्रदेश सरकार द्वारा यहां मुरार में संचालित शासकीय श्रवण बाधितार्थ माध्यमिक विद्यालय को उन्नत कर हायर सेकेण्डरी स्कूल मे तब्दील किया गया है। ग्वालियर में लम्बे अर्से से इस विद्यालय की जरूरत महसूस की जा रही थी। अभी तक श्रवण बाधित नि:शक्त जन को हायर सेकण्डरी स्तर तक की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्दौर जाना पड़ता था। ज्ञातव्य रहे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 29 अप्रैल को भोपाल में बुलाई गई नि:शक्त जन पंचायत में ग्वालियर सहित प्रदेश में 10 विभिन्न स्थानों पर नि:शक्त जन के लिए हायर सेकण्डरी स्तर तक के 10 विद्यालय खोलने की घोषणा की थी।
शासकीय श्रवण बाधितार्थ विद्यालय के अधीक्षक श्री आर. पी. सिंह ने बताया कि इसी शिक्षा सत्र से नि:शक्तजन के लिए हायर सेकण्डरी स्कूल शुरू कर दिया गया है। इस वर्ष अभी तक कक्षा 9 वी. में 12 छात्रों को प्रवेश दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस शिक्षण सत्र से शासकीय श्रवण बाधितार्थ विद्यालय में दृष्टि बाधित नि:शक्तजन के लिए भी कक्षायें शुरू कर दी गई है। इस संस्था में शहर के बाहर से आने वाले नि:शक्त जन विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध है। वर्तमान में इस विद्यालय में 117 बच्चे अध्यनरत है। श्री सिंह ने बताया वर्ष 1965 से संचालित शासकीय श्रवण बाधितार्थ विद्यालय ग्वालियर में शिक्षा प्राप्त कर हजारों नि:शक्त जन सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैैं। साथ ही कई नि:शक्त विद्यार्थियों ने शासकीय एवं निजी संस्थाओं में रोजगार प्राप्त किया है।
श्रवण बाधितार्थ विद्यालय के बच्चों का उत्कृष्ट प्रदर्शन
बीते रोज स्नेहालय संस्था द्वारा ग्वालियर में आयोजित की गई नि:शक्त जन खेलकूद प्रतियोगिता में शासकीय श्रवण बाधितार्थ विद्यालय के बच्चों ने भी उल्लेखनीय सफलता अर्जित की। श्रवणबाधितार्थ विद्यालय के अधीक्षक श्री आर. पी. सिंह ने बताया कि प्रतियोगिता में संस्था के कुल 16 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिसमें से पाँच बच्चों ने प्रथम, तीन ने द्वितीय व पाँच नि:शक्त बच्चों ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
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