बुधवार, 5 मई 2010

दायित्व बोध में निहित है प्रेस की स्वतंत्रता ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस

दायित्व बोध में निहित है प्रेस की स्वतंत्रता ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस

पर परिसंवाद का आयोजन किया

ग्वालियर 3 मई 2010 । प्रेस की स्वतंत्रता तभी गौरवमयी और समृध्दशाली होगी जब वह अपने दायित्वबोध का निर्वहन करें । प्रेस और मीडिया को स्वतंत्रता इसलिए दी गई है ताकि वह समाज के किसी भी व्यक्ति और व्यवस्था की स्वतंत्रता पर होने वाले अतिक्रमण का पूरी ताकत के साथ प्रतिकार करें । दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा में ही प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता निहित है । यह बात ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर ''प्रेस की स्वतंत्रता चुनौतियाँ और दायित्व'' विषय पर आयोजित परिसंवाद में कही गई । इस परिसंवाद के मुख्य अतिथि पूर्व महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश अचल ने की । विशिष्ट अतिथियों में वरिष्ठ पत्रकार डा0केशव पांडे, साबिर अली, म.प्र. पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र माथुर तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री रविन्द्र झारखरिया, मप्र पत्रकार संघ के महासचिव श्री राजेश शर्मा जनसंपर्क अधिकारी श्री हितेन्द्र सिंह भदौरिया व श्री अनिल वशिष्ठ मौजूद थे ।

       कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण के साथ हुआ । प्रारंभ में संस्थान के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री देव श्रीमाली ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 3 मई 1991 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसकी घोषणा करते हुंए घोषणा पत्र में कहा गया इस दिन के रूप में हम प्रेस स्वतंत्रता के मौलिक सिध्दांतों का जश्न मनाते हैं । दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करने के लिए अपनी स्वतंत्रता और मीडिया के हमलों से बचाव पत्रकारों के लिए, जो अपने पेशे के अभ्यास में अपना जीवन खो चुके हैं, उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं ।

       उन्होनें कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता के लिए मानव अधिकारों की आधारशिला और अन्य स्वतंत्रता की गारंटी माना जाता है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आवश्यक है कि अभिव्यक्ति सार्वजनिक भागीदारी के लिए सक्षम हो ।

       मुख्य अतिथि श्री शेजवलकर ने संगोष्ठी आयोजन के लिए संस्थान को बधाई दी । उन्होनें कहा कि किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक समाज में प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता सर्वोपरि है । स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है । स्वतत्रता आवश्यक है लेकिन उसके साथ उत्तरदायित्व भी होना चाहिए । इसके अभाव के दुष्परिणाम आज हमारे सामने हैं  । सही मायने में स्वतंत्रता तभी होगी जब उस पर नैतिक नियंत्रण और उत्तरदायित्व होगा । स्वतंत्रता की रक्षा में समस्याएं और व्यवधान तो आते रहते हैं लेकिन ऐसा कोई कारण नहीं है कि आप अपने पथ से भटके । नियंत्रित पत्रकारिता हो तो आगे जाकर समाज के लिए बहुत कार्य हो सकते हैं । श्री शेजवलकर ने ग्वालियर के प्रेस और मीडिया को बहुत उत्तरदायी बताते हुए उसकी सराहना की ।

वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश अचल - उन्होने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि पत्रकारों की स्वतंत्रता की क्या चुनौतियाँ हैं । सच ये है कि हमारी स्वतंत्रता में कोई खतरा नही है । पत्रकारों की स्वतंत्रता इसलिए तय की गई है ताकि वह दूसरों की स्वतंत्रता पर होने वाले अतिक्रमण के विरूद्व आवाज उठाए । उनके ऊपर होने वाले शोषण को बाहर लाए । इस बात का ध्यान रखें कि कहीं हम उन लक्ष्मीपुत्रों के दलाल न बन बैठें जो अंतत:प्रेस की स्वतंत्रता के दुश्मन है ।

वरिष्ठ पत्रकार डा0केशव पांडे-  ग्वालियर में प्रेस से जुड़े लोग आत्म अनुशासन अपनाते हुए तय करे कि ऐसे तत्वों को हतोत्साहित कैसे किया जाए जो इस पुनीत पेशे को कलंकित कर रहे है । नयी पीढ़ी को जिम्मेदारी का अहसास करने के लिए गोष्ठियों आदि का आयोजन किया जाए ।

श्री सुरेन्द्र माथुर-अध्यक्ष म.प्र.पत्रकार संघ - पत्रकारिता ही है जिसने अपना एक अनूठा संसार रचा है । पत्रकार का न कोई देश होता है न जाति, धर्म और संप्रदाय । वह जहाँ भी होता है सिर्फ पत्रकार होता है । पत्रकारिता और स्वतंत्रता एक दूसरे के पर्याय है । इसे कोई भी एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकता ।

श्री साबिर अली :- पत्रकारिता में चुनौतियां है लेकिन समाज का संरक्षण भी है । मीडिया को यदि कारपोरेट ढंग से चलाया गया तो इसकी गरिमा और स्वतंत्रता दोनों घटेंगी । मीडिया का विस्तार गुरूकुल ढंग से हो तभी नवागत को अपनी चुनौतियों का अहसास होगा । वैसे जब तक लोगो पर भरोसा है तब तक प्रेस की आजादी को कोई खतरा नहीं रहेगा ।

श्री टी.एन. मनीष :- पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बाहरी नहीं अंदरूनी चुनौतियाँ है ।इनसे मुकाबला सिर्फ विनम्रता और विद्यार्थी भाव से कार्य करके किया जा सकता है । लक्ष्मीपुत्रों की साजिश से सरस्वती पुत्र कैसे बच सके इसके लिए हमे आत्मावलोकन का संकल्प लेना पड़ेगा।

श्री आलोक पंडया :- अगर हम स्वतंत्रता की बात करे तो सोचना पड़ेंगा कि क्या आज हम स्वतंत्र है । इस पर दो तरह के खतरे हौ । एक तो पालिटिक्स, धन और बाहुबल के दबाव है तो दूसरी और स्वयं की और से खतरा कि हम स्वतंत्रता के नाम पर क्या परोस रहे है । हमे सोचना चाहिए एक न्यूज उत्तरदायित्व भाव है या नहीं ? एक ऐसी बॉडी बननी चाहिए जो प्रेस पर निगाह रखे ।

श्री जावेद खान :-पत्रकार अपनी आजादी और दायित्व दोने को समझे । मीडिया विस्तार से रोजगार बढ़ा है लेकिन इससे जुडने वाले लोग अपने कर्म और सामाजिक दायित्व से भटक रहे है ।

श्री अशोक राठौर सैध्दांतिक पत्रकारिता का क्षरण हो रहा है और और यह हमारी स्वतंत्रता के क्षरण पर परोक्ष रूप है । हमें क्षणिक लोभ और लालच से बचना होगा तभी प्रेस की आजादी बचेगी ।

श्री हितेन्द्र सिंह भदौरिया :-हरेक स्वतंत्रता की कोई न कोई सीमा होती है । भले ही वह स्वतंत्रता स्व निर्धारित क्यों न हो । पूर्वाग्रह भी प्रेस की स्वतंत्रता का एक दुश्मन है । प्रेस समाज की भलाई के लिए कार्य करे तो समाज उसकी स्वतंत्रता का सदैव रक्षा कवच बना रहेगा ।

       कार्यक्रम के प्रारंभ में सर्वश्री संतोष जैन, नासिर गौर, पंकज श्रीमाली, गिर्राज त्रिवेदी, अतुल मल्होत्रा, राजेश मंगल, आदि ने माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत किया । कार्यक्रम में सर्वश्री अमित श्रीवास्तव, हेमसिंह, राजेन्द्र झा, दीपक तिवारी, वीरेन्द्र मिश्रा, भूपेन्द्र साहू, गिर्राज त्रिवेदी, बलराम चतुर्वेदी, विक्रम, धर्मवीर प्रजापति, राकेश झा, एस.एस. सिकरवार, मंजर अली, अतुल मल्होत्रा आदि बढ़ी संख्या में इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग मौजूद थे । कार्यक्रम का संचालन देव श्रीमाली तथा आभार प्रदर्शन अरविंद सिंह चौहान ने किया । कार्यक्रम के अंत में दुनियाभर में कार्य के दौरान शहीद हुए पत्रकारों के लिए मौन रखकर श्रध्दांजलि अर्पित की गई ।

 

 

 

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