बुधवार, 5 मई 2010

धोखेबाज और अवैध कालोनाइजरों को हो सकेगी अब सात साल तक की जेल

धोखेबाज और अवैध कालोनाइजरों को हो सकेगी अब सात साल तक की जेल

शहरी कानून में हुआ महत्वपूर्ण संशोधन

ग्वालियर 03 मई 10। मकान की चाहत रखने वालों को सब्जबाग दिखाकर चांदी बनाने वाले धोखेबाज और अवैध कालोनाइजरों के दिन लद गये हैं। शासन ने हाल ही में मध्यप्रदेश नगर पालिक एवं नगर पालिक निगम कानून में महत्वपूर्ण संशोधन करके ऐसे कालोनाइजरों को सात साल तक की सजा और जुर्माने की मुक्कमल व्यवस्था कर दी है। अब न तो अवैध कालोनी बनाना आसान होगा और न ही कालोनाइजर्स मूलभूत सुविधाओं के मामले में उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी कर सकेंगे। इसके पहले कानून में मामूली सजा या आर्थिक जुर्माने का प्रावधान था और दोषी कालोनाइजर चन्द रूपये का जुर्माना देकर बच जाते थे।

शहरी कानून में हाल ही में किये गये संशोधन के अनुसार अब कालोनाइजरों को अपने द्वारा विकसित की जा रही कालोनी या कालोनियों में अति कमजोर वर्ग के लिये 15 प्रतिशत तथा निम्न आय वर्ग के लिये 10 प्रतिशत पूर्ण विकसित भू-खण्ड या मकान निम्न आय वर्ग के लिये आरक्षित करने की कानूनी व्यवस्था की गई है। इसके पहले कानून में यह प्रावधान था कि कमजोर वर्ग के लिये आरक्षित भू-खण्डों के बदले कालोनाइजरों को आश्रय निधि के रूप में कुछ राशि जमा करनी होती थी अब आश्रय निधि की व्यवस्था पूर्णत: समाप्त कर दी गई है। इससे मकानों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकेगी। म.प्र. देश का पहला राज्य है जहां आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग के 25 प्रतिशत मकानों की वैद्यानिक व्यवस्था की गई है।

मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम तथा मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम संशोधन विधेयक 2010 में अब यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई अवैध व्यपवर्तन (डायवर्सन) या गैर आवासीय भूमि पर कालोनी निर्माण करेगा या ऐसी कोशिश करेगा तो उसे न्यूनतम तीन साल से सात साल तक का कारावास तथा न्यूनतम दस हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जा सकेगा। संशोधन के जरिये उक्त अपराध को संज्ञेय अपराध घोषित किया गया है। वैद्य कालोनाइजर के लिये यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई व्यक्ति जिसे रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र जारी किया गया है वह संबंधित नगरीय निकाय के क्षेत्र में एक या उससे अधिक कालोनियों विकसित कर सकेगा। उसे प्रत्येक कालोनी के लिये अलग से रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी। केवल सक्षम प्राधिकारी से अभिन्यास (ले आऊट) योजना का अनुमोदन प्राप्त करने होंगे

 

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