प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था को मानवीय चेहरा देने के महती प्रयास
आम आदमी के जीवन स्तर में हुई प्रगति ही विकास की कसौटी
ग्वालियर 17 अगस्त 08/ स्वराज्य को अर्जित करते रहना पड़ता है। आजादी हमारा जन्मसिध्द अधिकार है परंतु उसका बना रहना कर्मसिध्द है। आजादी बेहतर होने के लिए मिला मौका है और इसी के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने अपने शासनकाल में प्रदेश की अधोसंरचना को ही बेहतर नहीं बनाया, बल्कि आम नागरिक की जिन्दगी में भी बेहतरी लाने की कोशिशें की हैं। विभिन्न वर्गों की पंचायतों का मुख्यमंत्री निवास में आयोजन अब तक की वह सबसे बड़ी और अनूठी कवायद है जिसमें शासन के सैकड़ों नीतिगत निर्णय आम आदमी ने तय किए हैं। प्रदेश में 'लोक' 'तंत्र' का पिछलग्गू नहीं बल्कि तंत्र के स्वरूप और स्वभाव को, उसकी दिशा और गति को निर्धारित करने वाला बना।
यह पंक्तियां प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रदेश की जनता के नाम संदेश की हैं। जिले के प्रभारी मंत्री श्री जयंत मलैया ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एस.ए.एफ. ग्राउनड पर आयोजित मुख्य समारोह में मख्यमंत्री के इस संदेश का वाचन किया ।प्रदेश के अन्य जिला मुख्यालयों पर आयोजित परेड में राज्य मंत्रिमडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में उल्लेख किया कि प्रदेश सरकार की योजनाओं के केन्द्र में आम आदमी है। मेरी नजर में विकास की एक ही कसौटी है और वह है आम आदमी के जीवन स्तर में हुई प्रगति। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अर्थ-व्यवस्था को मानवीय चेहरा देने में हम सफल रहे ½é। मध्यप्रदेश की प्रगति गणदेवता की प्रगति का सपना है। प्रदेश की प्रगति का सफर अब रुकने वाला नहीं है। प्रदेश के सब वर्गों के सब लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने और प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की पंक्ति में ला खड़ा करने के लिये वे प्रतिबध्द है। उन्होंने प्रदेशवासियों से प्रदेश को समृध्द और खुशहाल बनाने के यज्ञ में योगदान का आव्हान किया।
प्रदेश की अधोरचना की बेहतरी के काम सफल हुए हैं। साढ़े चार साल में 3147 मेगावाट नयी उत्पादन क्षमता स्थापित हुई जो पहले के पचास साल में मात्र 2991 मेगावाट थी। इसी तरह पारेक्षण प्रणाली में 68 प्रतिशत की वृध्दि के साथ ही विद्युत हानि को 2002-03 के 8 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत पर लाया गया। तीस हजार नये ट्रांसफार्मर स्थापित करने के साथ ही कैप्टिव पावर इकाइयों का उपकर खत्म किया गया। किसानों के लिये बिजली दरों में भारी कमी की गई। कृषक राहत योजना का लाभ तीन लाख कृषि पंप उपभोक्ताओं को मिला।
श्री चौहान ने सड़कों के निर्माण और सुधार के काम को ऐतिहासिक बताते हुए उल्लेख किया कि 40 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण और उन्नयन किया गया है। प्रदेश सड़क निर्माण में निजी पूंजी निवेश से देश में सबसे ज्यादा काम करने वाला होने के साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अमल में भी अव्वल है।
मुख्यमंत्री ने सिंचाई सुविधाओं के तीव्र विस्तार को गौरवशाली बताते हुए कहा कि चार साल में जल संसाधन विभाग का बजट 700 से बढ़ाकर 1500 करोड़ किया गया। इसी तरह सिंचाई क्षमता में पूर्व की 50 हजार हेक्टेयर की सालाना वृध्दि को एक लाख हेक्टेयर तक किया गया है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश में 10 हजार करोड़ के प्रावधान से सात लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता वृध्दि का लक्ष्य रखा गया है। वर्षों से अधूरी पड़ी राजघाट, बाणसागर, शहीद चन्द्रशेखर आजाद और सिंध योजना को पूरा किया गया। इसी तरह खेत तालाब, कुंओं से भी एक बड़ी विकेन्द्रित सिंचाई क्षमता प्रदेश में पनपी है।
नर्मदा घाटी सिंचाई और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण को गति देकर पांच साल में 1.53 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता और 2356 मेगावाट जल विद्युत क्षमता निर्मित की गई।
उनका लक्ष्य खेती करते हुए किसान को गौरवान्वित और लाभान्वित देखना है। स्ंप्रिकलर, ड्रिप एवं रेनगन पर विभिन्न योजनाओं में दिये जाने वाले अनुदान के अलावा राज्य शासन द्वारा 30 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान दिया जा रहा है। अब पांच घनमीटर क्षमता तक के बायोगैस संयंत्र के निर्माण पर केन्द्र के अनुदान के अतिरिक्त 2500 रुपये प्रति संयंत्र का अनुदान राज्य दे रहा है। प्रदेश के सभी 313 विकासखण्डों में एक-एक किसान ज्ञान केन्द्र की स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य वर्ग के कृषकों को भी नलकूप खनन एवं पम्प की स्थापना के लिए 24 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। बलराम तालाब बनाने वाले कृषकों को देय अनुदान 50 से बढ़ाकर 80 हजार रुपये देने, लघु एवं सीमान्त किसानों को डीजल अथवा बिजली के पम्प खरीदने के लिए 50 प्रतिशत या अधिकतम दस हजार रुपये का अनुदान देने का बड़ा निर्णय लिया गया है। इसी तरह एक अप्रैल 2008 से सहकारी बैंकों के कृषि ऋण पर ब्याज की दर सात से घटाकर पाँच प्रतिशत कर दी गई है। प्रदेश की 2094 प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं को 605 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्थ कराई गई है। वर्ष 2003-04 में साख सहकारी संस्थाओं के जरिये दिये गये 1274 करोड़ रुपये के अल्पकालीन फसल ऋण की तुलना में वर्ष 2007-08 में लगभग ढाई गुना 3194 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 4500 करोड़ रुपये का अल्पकालीन ऋण वितरण का लक्ष्य है। अब तक लगभग 31 लाख क्रेडिट कार्ड किसानों को बांटे जा चुके हैं। खाद्य प्रसंस्करण नीति जारी करने के साथ ही 18 जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना शुरू की गई है।
किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से गेहँ खरीदी पर 100 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त बोनस के रूप में देकर 23 लाख 31 हजार मेट्रिक टन गेहूँ खरीदा गया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक विपदाओं से पीड़ित किसानों को 344 करोड़ रुपये की राहत राशि देने के साथ ही सरकार ने इन आपदाओं में सूखे को भी शामिल करने का अभूतपूर्व कदम उठाया। किसानों को 156 करोड़ रुपये की सूखा राहत राशि बांटी गई। श्री चौहान ने कहा कि वन्य-प्राणियों द्वारा फसल नुकसान की हालत में भी राहत देने का अनूठा कदम सरकार ने उठाया है।
मुख्यमंत्री ने मजदूरों, शिल्पियों, कारीगरों और कलाकारों को प्रदेश की धरोहर बताया। उन्होंने ''मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना'' पर विस्तार से प्रकाश डाला। आम आदमी बीमा योजना और असंगठित क्षेत्र के निर्माण मजदूरों के लिये आठ कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। श्री चौहान ने कला मंडलियों को वाद्य यंत्र खरीदने के लिए साढ़े 17 करोड़ रुपये की राशि प्रावधानित करने के साथ ही सफाई कामगार आयोग और माटी कला बोर्ड के गठन का भी उल्लेख किया।
अन्नपूर्णा योजना के जरिये सरकार गरीब लोगों के पक्ष में महंगाई के विरूध्द ढाल बनकर खड़ी हुई। श्री चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश इस साल भी देश में अग्रणी रहा है। एक करोड़ से अधिक लोगों को योजना के जाब कार्ड देने के अलावा 1 लाख 58 हजार 128 कार्य पूर्ण कराये गये। इसी तरह गरीबी उन्मूलन योजना प्रदेश के 14 जिलों के 2900 ग्रामों में लागू कर की गई।
सामान्य वर्गों के निर्धन लोगों की बेहतरी के लिए एक आयोग बनाकर उनके बच्चों की शिक्षा सुविधा के लिये तेजी से काम किया गया है।
अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश के राज्यों में सर्वप्रथम है। हम आदिवासियों के सामान और सम्मान की वापसी के लिए प्रतिबध्द हैं। मैंने मण्डला से इस अधिनियम के अंतर्गत वनवासियों को अधिकार-पत्र सौंपने की शुरूआत की है। गंभीर प्रकरणों को छोड़कर सभी वन अपराध प्रकरण वापस लेने के साथ ही जप्त किए हल, बख्खर, बैलगाड़ी के पहिए जैसे सामान आदिवासियों को वापस किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर में वृध्दि और साल बीज के संग्रहण पर लगी रोक हटाने के साथ ही संग्रहण दर को 450 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर एक हजार रुपये किये जाने का भी उल्लेख किया। श्री चौहान ने कहा कि अनुसूचित जनजाति की नई पीढ़ी को उत्कृष्ट शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है। उनके लिये सभी स्तर की शिक्षा सुविधाओं में वृध्दि की गई है। प्रदेश के 11 आदिवासी बहुल जिलों के अनुसूचित जनजाति परिवारों की आजीविका के लिए लगभग 75 करोड़ रुपये की लागत की कामधेनु एकीकृत आदिवासी डेयरी विकास योजना लागू की गई है। इसी तरह अनुसूचित जातियों के छात्र-छात्राओं के लिये शिक्षा और रोजगार के नये मौके मुहैय्या करवाने पर ध्यान देकर शिक्षा, छात्रवृत्ति और शैक्षणिक सामग्री जैसी सुविधाओं को व्यापक रूप दिया गया है*
अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए पिछले पांच वर्षों में बजट में लगभग तीन गुना वृध्दि की गई है। वर्ष 2002-03 में अनुसूचित जाति उपयोजना में जहां कुल प्रावधान 717 करोड़ रुपये था उसे बढ़ाकर वर्ष 2008-09 में 2180 करोड़ रुपये किया गया। इसी प्रकार आदिवासी उपयोजना मद में वर्ष 2002-03 में जहां कुल प्रावधान 1263 करोड़ रुपये था उसे वर्ष 2008-09 में बढ़ाकर 3142 करोड़ रुपये किया गया है।
पिछले कुछ सालों में हमने माताओं और बहनों के जीवन स्तर को सुधारने की लगातार कोशिशें की हैं। हमारी कोशिश रही है कि बेटियों को बोझ की जगह वरदान माना जाये। इसलिए एक के बाद एक ऐसी योजनाएं आरम्भ की हैं जो आज देशभर में अनेक राज्यों के द्वारा भी अपना ली गईं हैं। श्री चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी, कन्यादान, नवीन उषा किरण, 161 करोड़ रुपये की तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण, गोद भराई, अन्न प्राशन, जन्मदिवस एवं किशोर बालिका दिवस जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पोषण आहार के बजट में तीन गुनी वृध्दि के अलावा 20 हजार नवीन आंगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की बेहतरी के लिए हमारी प्रतिबध्दता इसी बात से प्रकट होती है कि पिछले चार सालों में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट दुगुने से भी अधिक हो गया है।
शासकीय कर्मचारियों के कल्याण के लिए सरकार ने अपनी गम्भीर प्रतिबध्दता दिखाई है।
प्रदेश में पहली बार एक सुविस्तृत युवा नीति बनी है। आजीविका मिशन स्थापित करने के साथ ही शासकीय सेवाओं में भर्ती पर लगे प्रतिबंध को हटाया गया है। अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसरों का विपुल विस्तार किया गया है। प्रदेश के युवाओं को कम्प्यूटर एनीमेशन और ट्रेवल व टूरिज्म के क्षेत्र में अच्छे रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रशिक्षणार्थियों की प्रवेश क्षमता दुगुनी की गई है। साथ ही इस योजना का सम्भागीय स्तर पर भी विस्तार किया जा रहा है। खिलाड़ियों को दी जा रही खेल वृत्ति में 5000 रूपये की वृध्दि के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के खिलाड़ियों की सम्मान निधि भी दुगुनी की गई है। भोपाल स्थित सतगढ़ी गांव में एक हजार करोड़ की लागत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खेल ग्राम बन रहा है।
शिक्षा अधोरचना को सुदृढ़ करने के लिए 25 हजार 968 शिक्षा गारंटी शालाओं का प्राथमिक शालाओं में और 14 हजार 564 प्राथमिक शालाओं का माध्यमिक शाला में उन्नयन हुआ है। अकेले इस वर्ष 3500 से अधिक विभिन्न स्तरों के विद्यालयों को प्रारम्भ किया जाकर शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति प्रदेश में लाई जा रही है। प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय अधिनियम बनाकर 19 निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए राज्य शासन के साथ एम.ओ.यू. हुए हैं। मध्यप्रदेश व्यावसायिक पाठयक्रम शुल्क निर्धारण अधिनियम बनाने वाला देश के अग्रणी राज्यों में है। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं के लिए तकनीकी शिक्षा सुविधाओं का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। प्रदेश में स्पेशल एजुकेशन जोन की एक सर्वथा नई अवधारणा के तहत भोपाल में पांच सौ एकड़ भूमि को चिन्हांकित किया गया है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों को आधुनिकतम शिक्षा देने के लिये एकलव्य एवं डाँ. बाबा साहब अम्बेडकर योजना में शिक्षण संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण किया गया है। पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए प्रत्येक संभागीय स्तर पर 100 सीटर पोस्ट मैट्रिक छात्रावास बनाए गए और प्रत्येक जिला मुख्यालय पर पिछड़ा वर्ग कन्याओं के लिए 50 सीटर छात्रावास निर्माण की स्वीकृति दी गई। पहली बार अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को मेरिट कम मीन्स तथा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का लाभ दिया गया। प्रदेश के युवक-युवतियों को उड्डयन क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं रोजगार के अवसर दिलाने के लिये प्रदेश की कई शासकीय हवाई पट्टियों को पायलट प्रशिक्षण, विमान इंजीनियरिंग संबंधी प्रशिक्षण आदि गतिविधियां करने की अनुमति दी गई है। सरकार का कार्यकाल औद्योगिक प्रगति का स्वर्ण काल है। निवेश को बढ़ावा देने के लिए आयोजित मीट्स में मात्र करारनामों पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं बल्कि उनसे संबंधित निवेश और उद्योग धरातल पर तेजी से आकार लेने लगे हैं।
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