स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर निगरानी के लिए जिले में समिति गठित होगी
अस्पतालों में शुध्द पानी के लिए आर.ओ. सिस्टम लगेगा, जिला अस्पतालों में बारह विधाओं के चिकित्सक होंगे, सभी 50 जिलों में डाइटीशियन की नियुक्ति होगी, स्वास्थ्य सेवाओं का सत्तर प्रतिशत बजट व्यय, स्वास्थ्य मंत्री श्री अनूप मिश्रा द्वारा स्वास्थ्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा
भोपाल 13 जनवरी 10। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर निगरानी के लिये जिला स्तर पर एक समिति बनाने पर विचार किया जायेगा। यह समिति जिले के अस्पतालों में व्यवस्थाओं के संबंध में सीधे शासन को रिपोर्ट करेगी। सभी जिला अस्पतालों में चिकित्सा से जुड़ी 12 विधाओं के विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। साथ ही हर अस्पताल में पीने के शुध्द पानी का संयंत्र स्थापित होगा। सभी पचास जिलों में डाइटिशियन की नियुक्ति होगी । रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष, जैव विविधता एवं प्रौद्योगिकी तथा जन-शिकायत निवारण मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने यह निर्देश कल सम्पन्न हुई स्वास्थ्य अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में दिये। बैठक में लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं गैस राहत विभाग सचिव श्री एस.आर. मोहन्ती, आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं श्री मनोहर अगनानी, संचालक चिकित्सा सेवाएं डॉ. व्ही.के सेनी, संचालक डॉ. अशोक शर्मा एवं डॉ. ए.एन मित्तल सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं और व्यवस्थाओं से जुड़े 23 बिन्दुओं की सघन समीक्षा की। लगभग पांच घंटे चली बैठक में श्री अनूप मिश्रा ने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो, गरीबों और जरूरतमंदों को बेहतर इलाज मिले राज्य शासन की इस मंशा का लोगों को अहसास हो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य अधिकारियों की है। उन्होंने बजट प्रावधानों की समीक्षा करते हुए कहा कि निर्माण सहित किसी भी मद का पैसा लैप्स नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि जिन स्वास्थ्य योजनाओं में बजट की राशि शेष है उनसे संबंधित कामों की समय-सीमा तय कर उपलब्ध बजट का समुचित उपयोग किया जाये। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में अगली 19 जनवरी को पुन: समीक्षा करेंगे। श्री मिश्रा ने परिवार कल्याण के आवंटित बजट का भी समुचित उपयोग करने के निर्देश दिये। उन्होंने अस्पतालों में जनरेटर सेट, आर ओ. सिस्टम, एम्बुलेंस, डिजिटल एक्सरे एवं अन्य उपकरणों की जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि हर जिला अस्पताल में पूरे तरीके से जनरेटर सेट की स्थापना हो तथा मरीजों के शुध्द पानी पीने के लिये आर.ओ. सिस्टम लगे यह सुनिश्चित करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जनरेटर लगने के बाद हर माह तकनीशियनों द्वारा मौके पर जाकर उसकी जांच की जाए ताकि जनरेटर सुचारु रूप से संचालित रहें।
स्वास्थ्य मंत्री ने दवा नीति की समीक्षा करते हुए कहा कि समय-सीमा में नीति का पालन हो और इसमें कोई भी कोताही नहीं होना चाहिये। श्री मिश्रा ने अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता की कमी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह औषधि प्रकोष्ठ सहित सिविल सर्जन तक की जिम्मेदारी होगी कि वह उपलब्ध बजट के अनुसार दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। हर माह दवाइयों के संबंध में जानकारी मुख्यालय स्तर पर औषधि प्रकोष्ठ को प्राप्त होना चाहिये। उन्होंने कहा कि पेंशनर्स के लिये अलग काउंटर बनाए जाएं, जिसमें स्टोर में उपलब्ध सभी दवाएं उन्हें दी जायें। कोई दवा नहीं है तो उन्हें निश्चित समय बताया जाये और कम से कम 15 दिन की उन्हें दवा दी जाये। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही या उदासीनता बर्दाश्त नहीं की जायेगी, जो भी इसमें दोषी होगा उसके खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्यवाही होगी। श्री मिश्रा ने जननी सुरक्षा योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि यह शासन की महिलाओं से जुड़ी संवेदनशील योजना है और इसका लाभ हर जरूरतमंद महिला को मिले यह स्वास्थ्य विभाग की जवाबदारी है। उन्होंने इसके लिये बहुउद्देश्यीय कॉल सेन्टर 31 मार्च तक सभी जिलों में स्थापित करने के निर्देश दिये। यह कॉल सेन्टर जननी सुरक्षा के साथ-साथ अन्य रोगों से ग्रसित मरीजों के लिये भी रेफरल ट्रांसपोर्ट का कार्य करेंगे। यह व्यवस्था एक अप्रैल से सभी जिलों में सुचारु रूप से शुरू करने के निर्देश दिये। उन्होंने इस कार्य के लिये सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने को भी कहा। श्री मिश्रा ने एस. एन सी यू. एवं एन आर सी. की जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि सभी जिलों में मोडयूलर किचिन के साथ-साथ डायटीशियन की भी नियुक्ति शीघ्र की जाये। उन्होंने यह भी कहा कि एन आर सी. जहां स्थापित हो वहां का वातावरण, भवन बेहतर होने के साथ-साथ डॉक्टरों की नियमित विजिट हो, यह सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि तभी हम प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के प्रतिशत में कमी ला सकेंगे।
सभी जिला चिकित्सालयों में प्रमुख 12 चिकित्सा विधाओं से जुड़े विशेषज्ञों का होना सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए श्री मिश्रा ने चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टॉफ, ए एन एम. एवं स्टॉफ नर्सो र्की जानकारी प्राप्त करते हुए निर्देश दिये कि इनके रिक्त पदों पर भर्ती की कार्यवाही तत्काल प्रारंभ की जाये ताकि हम स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सशक्त बना सकें। उन्होंने कहा कि पैथालॉजी लैब 24 घंटे काम करे और वहां पर जांच की सभी सुविधाएं उपलब्ध हों यह भी व्यवस्था की जाये। उन्होंने जिलेवार लैब में कार्यरत टेक्नीशियनों की भी सूची मांगी। स्वास्थ्य मंत्री ने हर जिले में ए एन एम. के लिये प्रशिक्षण केन्द्र खोलने तथा रेफरल सिस्टम को लागू करने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश का कोई भी जिला अस्पताल तीन सौ बिस्तर से कम नहीं होना चाहिये और इमरजेंसी में भी विशेषज्ञों की सेवाएं निरंतर उपलब्ध होना चाहिये। स्वास्थ्य मंत्री ने स्वाईन फ्लू की समीक्षा करते हुए कहा कि हमें लोगों के बीच में उन माध्यमों से जाना चाहिये जिससे वे स्वाईन फ्लू की बीमारी को लेकर जागरूक हों और उनमें दहशत न फैले।
बैठक में बताया गया कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिये जारी बजट का लगभग 70 प्रतिशत व्यय किया जा चुका है। दवा नीति के तहत शीघ्र ही दवाओं के लिये निविदाएं जारी की जा रही हैं। बैठक में बताया गया कि जननी एक्सप्रेस एवं रेफरल ट्रांसपोर्ट व्यवस्था 31 मार्च, 2010 तक सभी जिलों में प्रारंभ हो जाएगी। वर्तमान में तीन जिलों में राज्य शासन द्वारा तथा चार जिलों में ई एन आर आई. द्वारा कॉल सेन्टर संचालित किये जा रहे हैं। बैठक में बताया कि प्रदेश के सभी 50 जिलों में 31 मार्च तक सिक न्यू बोन केयर यूनिट स्थापित हो जाएंगे। बैठक में बताया कि प्रदेश में 10 हजार से अधिक ए एन एम. की नियुक्तियां कर ली गई हैं। नर्सो र्को भर्ती करने की प्रक्रिया भी सतत रूप से जारी है।
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